बजरंग बली हनुमान के मंदिरों का शहर प्रयागराज इलाहाबाद



 

जय बजरंग बली तोड दुश्‍मन की नली
जय बजरंग बली तोड दुश्‍मन की नली
आज हनुमान जयंती है, ये वही हनुमान जी है जिन्हें हम बजरंग बली के नाम से जानते है। प्रयागराज के बारे में विख्यात है कि जितने हनुमान मंदिर है उतने किसी देवी देवता के नहीं है। प्रयाग में जितने भी मंदिर में जाएं, कुछ अपवाद को छोड़कर आपको हर जगह हनुमान जी की मूर्ति अवश्य मिलेगी। ‘प्रयागराज के रक्षक’ के रूप में संकट मोचन के हर गली चौराहे पर एक न एक मन्दिर अवश्य मिल जायेगा। हनुमान मंदिरों के बारे में विख्यात है कि हनुमान जी का मंदिर सर्वाधिक प्रयागराज में ही है।
  1. हनुमान एक रूप अनेक, हनुमान जी के विभिन्न मंदिरों त्रिपोलिया में स्थित बाल स्वरूप में विराजमान है। हनुमान जी का यह स्वरूप अद्भुत एवं दुर्लभ है।
  2. दूसरा प्रमुख मन्दिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समीप स्थित है जिन्हें न्यायप्रिय हनुमान जी कहा जाता है।जहां पर वे विप्र रूप में स्थित है इस प्रतिमा की खास विशेषता यह है कि यह आशीर्वाद या अभय देने की मुद्रा में है, और यह मूर्ति संगमरमर की है जिसके कारण इस पर कभी सिन्दूर नही लगाया जाता है। ये हनुमान जी प्राय: लड्डूओं में ही खेलते है कारण भी है, प्राय: केस की जीत पर जीतने वाले के द्वारा लड्डूओ की बौछार की जाती है।
  3. सिविल लाइन्‍स स्थित हनुमंत निकेतन यहां पर हनुमान जी की सर्वांग स्वरूप प्रतिमा भगवान का जितेन्द्रिय रूप है, यहां की विशेषता यह है कि यहां मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा होती है और अपार भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर में भीड़ देखना हो तो जग हाईस्कूल और इंटर का रिजल्ट निकलता है तब पूरा का पूरा जन समुदाय उमड़ पड़ता है। जैसे हाल में ही रिलीज किसी सुपर-डुपर हिट फिल्‍म का फर्स्‍ट शो का टिकट मिल रहा है।
  4. त्रिवेणी संगम के पास लेटे हुए बड़े हनुमान जी का सिद्ध मंदिर, कहते है कि एक व्यापारी इसे नाव से ले जा रहा था, पर नाव किले के पास डूब गई, और बाद में बाद्यंबरी बाबा ने अपनी साधना से मंदिर में मूर्ति को स्थापित किया। यह वही मंदिर है जहां पर प्रतिवर्ष तीनों पवित्र नदियां हनुमान जी को स्नान कराती है। हनुमान जी के इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि मुगल शासकों ने इस मंदिर की मूर्ति को निकालने का प्रयास किया किन्तु यह निकलने के बजाय अन्दर की ओर जाती रही और इसी के साथ यह लेटे हुए हनुमान के रूप में विख्यात हो रहे है।
  5. एक अन्य मंदिर दारागंज रेलवे स्टेशन के नीचे छोटे हनुमान जी का है, जिसकी स्थापना शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ गुरु रामदास ने किया था।
  6. रामबाग स्थित हनुमान मंदिर में दक्षिण मुखी प्रतिमा विद्यमान है कहते है कि पहले यह प्रतिमा ऊपर थी, बाद में एक दिन छत टूट कर नीचे आ गई पर खंडित नहीं हुई तब से नीचे ही स्‍थापित है।
  7. यह मेरी ओर से हनुमान जयंती पर इलाहाबाद के मंदिर के बारे में जानकारी थी, कई मंदिर और भी है पर वे मेरी जानकारी में नहीं है। अगर वाराणसी मंदिरों का शहर है तो प्रयाग हनुमान मंदिर का और आप सभी को हनुमान जयंती तथा दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
हनुमान जी के 12 नाम, बनेंगे बिगड़े काम
इस कलयुग में हनुमान जी के 12 नाम मनुष्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली और इस धरती पर विचरण करने वाले देवताओं में एक माना गया है। माना जाता है कि हनुमान जी चिरंजीवी हैं इन्हें कभी भी मृत्यु नहीं आई। त्रेता युग से लेकर कलयुग में भी यह ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करके श्रीराम की भक्ति में लगे हुए हैं। इसका परिणाम यह है कि इनके मुख पर आज भी तेज रहता है जो कि इनकी भक्ति करने पर अहसास होता है। श्री राम के परम भक्त हनुमान जी को अपनी अगाध श्रद्धा के चलते उनसे अष्ट सिद्धि और नवनिधि का वरदान मिला। इन्हीं के चलते पवनपुत्र कलयुग में अपने उपासकों का कल्याण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस युग में अगर भक्त सिर्फ हनुमान के बारह नामों का स्मरण और जाप करते रहें तो उनकी सारी तकलीफें, समस्याएं, व्याधियां दूर हो सकती हैं।
अंजनी पुत्र हनुमान को संकट मोचन भी कहा जाता है। जितना ही प्रभावशाली बजरंगबली हनुमान का नाम व स्वरूप है उतना ही प्रभावशाली इनके 12 नाम भी हैं। जिसके एक बार जाप करने से सभी संकटों से छुटकारा पाया जा सकता है। पवन पुत्र हनुमान श्री राम का नाम भजने के साथ-साथ अपने और श्रीराम के भक्तों पर कृपा करते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। हनुमान जी के बारह नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमान जी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं।

प्रस्तुत है केसरी नंदन बजरंग बली के 12 चमत्कारी और असरकारी नाम :
  1. हनुमान- जब देवराज इंद्र ने अपने वज्र से हनुमान जी की ठोड़ी पर प्रहार किया जिसके चलते वह टूट गई। ठोड़ी को संस्कृत मेंं हनु भी कहा जाता है। इस घटना के बाद से ही उनका नाम हनुमान रखा गया था। 
  2. अंजनी सुत- हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था इसलिए उन्हें अंजनिसुत के नाम से बुलाया जाता है। अपनी माता के नाम से बुलाया जाना हनुमान को अत्यंत प्रिय है।
  3. वायुपुत्र- वायु के देवता पवन देव के वरदान से माता अंजनी ने गर्भ धारण किया और हनुमान को जन्म दिया इसलिए वे वायुपुत्र भी कहलाते हैं। 
  4. महाबल- श्री हनुमान महाबलशाली माने जाते हैं इस अपरिमित बल के चलते उन्हें महाबल कहा जाता है।
  5. रामेष्ट- श्री राम हनुमान के आराध्य है और वे उनके अति प्रिय भी हैं इसलिए वे रामेष्ट हैं।
  6. फाल्गुनसखा- महाभारत के परम वीर अर्जुन का एक नाम फाल्‍गुन है और वे हनुमान जी के परम मित्र हैं इसलिए उन्हें फाल्‍गुन सखा कहते हैं।
  7. पिंगाक्ष- बजरंग बली के नेत्रों का रंग भूरा है इसलिए उन्हें पिंगाक्ष भी कहते हैं।
  8. अमितविक्रम- ऐसा कोई जिसका कौशल अद्भुत हो और वो सदैव विजयी हो तो वो अमितविक्रम कहलाता है। 
  9. उदधिक्रमण- सीताजी की तलाश में हनुमान जी ने समुद्र को लांघ लिया था और उदधि समुद्र का पर्यायवाची है। तो समुद्र को लांघने वाला उदधिक्रमण कहलाता है यानी हनुमान।
  10. सीताशोकविनाशन- अशोक वाटिका में माता सीता को तलाश कर उनके शोक का नाश करने वाले हनुमान जी सीताशोकविनाशन कहलाते हैं। 
  11. लक्ष्मणप्राणदाता- लक्ष्मण जी की प्राण रक्षा के लिए संजीवनी बूटी की कामना करने पर हनुमान जी पूरा पर्वत उठा लाये थे और उनके प्राण दाता बने।
  12. दशग्रीवदर्पहा- रावण के घमंड को चूर करने वाले हनुमान जी ये नाम उनकी इसी विशेषता को व्यक्त करता है। 
बजरंग बली हनुमान नाम की अलौकिक महिमा
  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सो कर उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है और नित्य नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है।
  • दोपहर में नाम लेने वाला व्यक्ति धनवान होता है। दोपहर संध्या के समय नाम लेने वाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है। 
  • रात्रि को सोते समय नाम लेने वाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है।
  • उपरोक्त समय के अतिरिक्त इन बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमान जी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश पाताल से रक्षा करते हैं।
बजरंग बली हनुमान के मंदिरों का शहर प्रयागराज इलाहाबाद


बजरंगबली हनुमान का आर्शीवाद
बजरंगबली हनुमान जी के चित्र
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    दीवार मे सेध



    कोई चुल्‍लू भर पानी दे दे

    कोई चुल्‍लू भर पानी दे दे

    11, 0, 15, 18, 9, 26, 6, 0, 7 और 4 यह कोई लॉटरी का नंबर नहीं है। कि जो आप अपनी लॉटरी के नंबरों को मिला रहे है यह वे रन है जो पिछले दस पारियों में द्रविड़ के बैट से निकले है। यह वही द्रविड है जो भारतीय क्रिकेट के मजबूत दीवार के नाम से विख्यात थे और गांगुली के कप्तान के विकल्प के रूप भी। मगर आज इस दीवार में लोना कैसे लग गया? इसका उत्तर तो द्रविड़ के पास भी नहीं होगा। कुछ इसी तरह की पारियों के कारण गांगुली की विदाई की गई थी। गांगुली की विदाई का कारण उनका रन न बनाना न होकर ग्रेग चैपल की प्रयोगशाला में हस्तक्षेप था जो जो चैपल को पसन्द न था । क्योंकि तत्कालीन परिस्थितियों में भले ही गांगुली रन नहीं बना रहे थे किन्तु टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। पिछले 5 साल के क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि भारत फाइनल में स्थान बनाने से चूक गया।
    भारतीय क्रिकेट में जो कुछ हो रहा है वह शुभ प्रतीत नहीं हो रहा है, जिस प्रकार द्रविड़ के दब्‍बू कप्तानी के आगे भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल गिर रहा है, जो आज हो रहा है वह गांगुली के समय मे नही था। आज केवल तेंदुलकर का बल्ला बोल रहा है इसका कारण भी है यही है कि वे एकमात्र शक्‍स है जिसका टीम में स्थान पक्का है अन्यथा हर भारतीय खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट टीम मे अपना अंतिम मैच खेल रहा होता है और यही कारण है प्रत्येक खिलाड़ी के मनोबल मे गिरावट आया है। किन्तु यही टीम थी जिसका नेतृत्व गांगुली कर रहे थे और तेंदुलकर और गांगुली को छोड सभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे थे। किन्तु आज परिस्थितियां बदल गई है। एक समय भारतीय क्रिकेट टीम संघर्ष के दौर मे थी, और भारत की दीवार के लिये भी टीम मे जगह नही थी, किन्तु गांगुली के नजरो मे द्रविड़ की भूमिका महत्वपूर्ण थी और एक विकेटकीपर के तौर पर द्रविड़ को टीम मे शामिल किया और उन्होंने अपने संघर्षों के दौर मे अच्‍छा प्रदर्शन भी किया यही होता है कैप्टन का सहयोग जो खिलाड़ियों का मनोबल बृद्धि करता है। मगर यह द्रविड के मे नही है। आज जो प्रयोग इरफान पठान के साथ किया जा रहा है यही गागुली ने भी किया था जब अजित अगरकर के साथ को तीसरे नम्‍बर पर भेजा था और उन्‍हो ने भी अपना सर्वश्रेष्‍ठ किया था। पर गांगुली के प्रयोग को टीम में भय फैलाने की संज्ञा दी गई, और आज जो हो रहा है वह प्रयोगशाला की उपज बताई जा रही है। गांगुली के समय अनेको भारतीय खिलाड़ी रेटिंग में शीर्ष पर रहते थे और शीर्ष 20 में यह संख्या 5 से 6 खिलाड़ियों की होती थी, भारत वनडे में दूसरे नंबर की टीम होती थी, गेंदबाज भी अपनी भूमिका में फिट रहते थे पर आज दहशत फैलाई जा रही है चैपल द्वारा दामे मूक समर्थन द्रविड़ दे रहे है। जो गड्ढे द्रविड़ ने कप्तानी प्राप्त करने के लिये खोदे थे आज उसमें ही फंस रहे है। हर खिलाड़ी का अच्छा और खराब दौर आता है अब समय द्रविड़ का है और देखना है कि चैपल तथा चयन समिति कब तक द्रविड़ को अभयदान देती है।


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    गांधीवाद खडा चौराहे पर !




    मोहनदास करमचन्द्र गाँधी
    मोहनदास करमचन्द गांधी

     

    देश की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के द्वारा अलग-अलग समय के अलग-अलग नेतृत्व के संबंध को लेकर आज देश दुविधा में है। आज सम्पूर्ण देश सिर्फ यही सोच रहा है कि कांग्रेस तब ठीक थी अथवा अब। मैं बात कर रहा हूं आज से 75 साल पहले की घटना कि जब कांग्रेस का नेतृत्व अप्रत्यक्ष रूप से गांधी जी करते थे, तब जो स्थिति कांग्रेस में महात्मा गांधी की थी आज उससे भी बढ़कर सोनिया गांधी की है। व्यक्ति तथा उद्देश्य अलग-अलग है किन्तु घटना एक ही है उस समय भी संसद (नेशनल असेम्बली) में बम विस्फोट किया गया था आज भी संसद पर हमला किया गया है। तब हमला करने का मकसद देश भक्ति थी और आज वतन के साथ गद्दारी है।
    आज संसद पर हमला एक वाले आतंकवादी की फांसी की माफ़ी वही पार्टी कर रही है जिसने वीर शहीदों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी माफ़ी का विरोध किया था, गांधी जी का कहना था कि मैं अहिंसा के मार्ग रोडा डालने वाले का समर्थन नहीं करूंगा, तब के देश भक्त अहिंसा के मार्ग में रोड़ा थे तो आज के गद्दार कौन शान्ति के कबूतर उडा रहे है? यह वही पार्टी है जब तीनों देशभक्तों को फांसी पर लटकाया जा रहा था तो कांग्रेस गा रही थी- साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। तब से आज तक इस पार्टी ने कमाल करने में कहीं कमी नहीं की है, तब कांग्रेस में गांधीवादी के रूप में कमाल हो रहा था तो आज आतंकवादी के रूप में हो रहा है। आज कांग्रेस बीच चौराहे पर खडी है, वह तब से आज के दौर में 180 अंश पलट चुकी है। आज कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री फांसी का विरोध कर रहे है तो कांग्रेसी नेतृत्व मूक दर्शक बनी हुई है, तब भी कांग्रेस मूकदर्शक की भांति खडी थी जब पूरा देश गांधी जी से तीनों शहीदों की प्राणों की भीख मांग रहा था। पूरे देश को पता था कि गांधी जी ही वीर शहीदो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी से बचा सकते है पर अपनी हठधर्मिता के कारण गांधी जी ने फांसी से माफ़ी बात नहीं की, अन्यथा गांधी ही वह नाम था जो अंग्रेजों से कुछ भी मनवा सकता था। उसके सिर पर भूत सवार था कि अहिंसा का, पर अहिंसा की नाक आगे अंग्रेजों ने कितनों का दमन किया तब कहां था गांधी की अहिंसा। आज उस पार्टी के एक मुख्य मंत्री आतंकवादी का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी मौन हैं। इस मौन का अर्थ समर्थन माना जाए या असमर्थित। जहां तक पार्टी प्रवक्ता सिंघवी की बात है वे अपने बयान में मुख्यमंत्री का समर्थन कर चुके हैं। आज देश के समक्ष प्रश्न है क्या वही गांधी की कांग्रेस है यह फिर गांधी के आदर्श गांधी के साथ दफना दिये गये?
    वह समय देश की आजादी का था देश के बच्चे की अपेक्षा थी कि गांधी जी इरविन पैक्ट में अपनी मांगों में भगत सिंह आदि की फांसी को माफ़ी की मांग रखें किंतु गांधी ने स्पष्ट कहा था इनकी माफी हिंसा को बढ़ावा होगी। हम हिंसा का समर्थन नहीं कर सकते। आज देश के प्रत्येक देश भक्त व्यक्ति की इच्छा है कि लोकतंत्र की हत्या करने वाले अभियुक्त को फांसी दी जाये, किन्तु आज का नेतृत्व कुछ और सोच रहा है। यही बात मन में खटकती है। प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस सदैव देश की सामूहिक इच्छा के विपरीत काम करेगी? इससे तो यही प्रतीत होता है गांधीवाद दो अक्टूबर तक श्रद्धा के फूलों तथा नोटों पर फोटो तक ही सीमित रह गया है। और इन नेताओं ने गांधीवाद को वोट की खातिर चौराहे पर लाकर खडा कर दिया है। आज उनके वंशज गांधीवाद की नींव में मट्ठा डालने का काम कर रहे है । जो भूल गांधी ने तब की थी आज उनके वंशज कर रहे है।


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