महाशक्ति पर 319 हिट ! आखिर माजरा क्‍या था ?



मेरे ब्लॉग पर 319 हिट हुई इसकी चर्चा काफी हुई। लिंकित मन पर निलिमा जी भी बरस पड़ी नारद रूपी जीतेन्द्र चौधरी जी पर कि कुछ गड़बड़ है। नीलिमा जी ने कई मुद्दे उठाऐ उन मुद्दों से मेरा कोई सरोकार नही है, पर मेरे ब्‍लाग पर 319 हिट के उत्‍तर के लिये मै बाध्य हूँ। बताता हूँ हुआ क्‍या:-
  • अचानक मै नारद पर पहुँचा देखा कि मेरे लेख के समाने हिट कम है।फिर मेरे मन मे आया कि हर व्यक्ति का अपना एक पाठक वर्ग होता है, जो अक्सर नारद पर से उसके ब्लॉग पर जाता है। इस प्रकार कुछ के ब्लॉग के समान रेटिंग ज्यादा होती है तो कुछ के सामने कम, पर मैने ऐसा महसूस किया कि जिनके लेख के सामने हिट ज्यादा होती है उनके ब्लॉग पर अन्‍य लोग भी जाते है यह सोच कर कि शायद अच्छा लिखा हो इस कारण ज्यादा लोग गये होंगे। इस प्रकार पाठक के मनोभाव पर असर पड़ता है और वह इस बहाने मैंने आपने लेख के सामने अनगिनत क्लिक किया और विवादित होने का कारण बना। पर मैने जैसा सोचा था वैसा हुआ मुझे अपने इस लेख एक दिन मे सर्वाधिक पाठक पाने को भी मिले मेरे गणक के हिसाब से मैने 80 से ज्‍यादा पाठक पाये थे। अर्थात मैने पाठक के हृदय को परिवर्तित करने मे सफलता भी पाई।
  • एक बात मै कहना चाहता हूँ कि नारद पर इस क्लिक रेटिंग से विभिन्न ब्लॉगरों को दिक्कत का सामना करना पड़ता होगा। अनूप जी, समीर जी भाटिया जी व जीतूजी आदिके लेखों पर अधिक क्लिक होते है, पर कुछ ब्लॉग ऐसे है जिन पर एक भी क्लिक नहीं होता है नारद पर होने के बाद भी जैसा कि एक ब्‍लाग है जिस पर रामायण और महाभारत है।
  • अत: जीतू जी से अनुरोध है कि वे इस रेटिंग पद्धति की तरफ ध्यान दे, हो करे तो यह साप्ताहिक किया जा सकता है। जिससे कि पाठकों के मन पर किसी लेख के प्रति विपरीत प्रभाव न जाये।
  • नारद पर और क्‍या हो रहा यह मै नही जानता, किंतु महाशक्ति पर 319 हिट के लिये जीतूजी या नारद जिम्मेदार नहीं हे।
  • मैंने यह सब काफी सोच समझ कर, बिना किसी गलत उद्देश्य के लिये किया था। मैंने अपने हिट संबंधी बात को अपने लेख मे कहना चाहता था पर समयाभाव के कारण मै यह तत्काल न कर सका, क्योंकि यह 26 फरवरी के बाद यह मेरा कोई लेख है ।
अब तो आप म‍हाशक्ति पर 319 चटकें की बात तो समझ ही गये होगें। :)


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20 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

पता था, यह आपकी शरारत है. :)

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

अखिर अभी तक आप सबके बीच सबसे छोटा हूँ, तो शरारत करने का हक भी तो मुझे ही है। जब मेरे से भी छोटा कोई आ जायेगा तो शरारत भी बन्‍द हो जायेगी। :)

Udan Tashtari ने कहा…

टुन्नू से भी छोटे?? करो, करो!! शरारत तो अच्छी होती है!! करते रहो. :)

पंकज बेंगाणी ने कहा…

अरे भाई नही कहते तो क्या... पता तो था ही कौन है इसके पीछे.. :)

और की फरक पैन्दा है, 300 हीट हो या 3... ना तुम बदलने वाले हो ना हम..

रहेंगे तो वही के वही..

अब एक काम करो मेरे चिट्ठे पर 500 क्लीक कर आओ.. ;-)

मसिजीवी ने कहा…

उम्र भले ही कम हो बरखुरदार पर वक्‍त बहुत है, भैया।

इतनी देर में तो दो-एक नई पोस्‍ट ही लिख मारते।

Neelima ने कहा…

भाई महाशक्ति एसी शरारत एक आध बार ही चलती है आपको अब नए नए तरीकों को खोजते रहना होगा ..खैर आत्म विज्ञापन का लालच बुरी बला है मैं नहीं कहूंगी

बेनामी ने कहा…

प्रमेन्द्रजी,

आपका सत्य को सामने रखना भी निलिमाजी द्वारा नारद पर उठाई शंका का समाधान नहीं कर पाया है। जहाँ हीट का सवाल है आप यह कार्य अपने चिट्ठे पर ना कर किसी और के चिट्ठे पर करते तो? या फिर कोई भी पाठक इस प्रकार कर सकता है...

नारद में यह तकनीकी खामी हैं या फिर यह फिजूल बहस...

आपके द्वारा किया गया कार्य कोई अपराध नहीं है इसलिए ऐसी शरारते करते रहें :)

SHASHI SINGH ने कहा…

प्रिय प्रमेंद्र, तुम्हारी सफाई भी तुम्हारी ही तरह प्यारी रही. ;)

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

@ उडन तश्‍तरी
कल का टून्‍नू मेरी क्‍या बराबरी करेगा। शरारत के लिये हरी झन्‍डी देने के लिये धन्‍यवाद


@ पंकज भाई

आप लेख लिखों हम आप हिट देगें।

मसिजीवी
यह मात्र 4 मिनट मे हुआ है बहुत समय नही लगा था 100 टिप्‍प्‍णी प्रतिमिनट की दर से। और तीन मिनट मे लेख क्‍या चित्र भी पोस्‍ट नही कर सकता। बस क्लिक की हो तो मै हाजिर हूँ।

निलिमा जी

लोक प्रियता लोकप्रियता होती है सस्‍ती मददी नही , कि इसका मोलभाव होता हो। मैने एक प्रयोग के तौर पर किया था जिसमे मै सफल रहा।

गिरिराज जोशी "कविराज"
धन्‍यवाद बात को समझने के लिये

शशि भाइया
अखिर हूँ तो आपके हिन्‍दी परिवार का सदस्‍य, तो प्‍यारा क्‍यों न रहूँगा।

आप सभी को सभार धन्‍यवाद

Jitendra Chaudhary ने कहा…

भाई प्रमेन्द्र,
तुम मेरे अनुज हो, इसलिए तुमको समझाने का मेरा हक बनता है। परेशान ना हो। वैसे भी इस हिट का बढाना और घटाना, किसी भी ब्लॉग पोस्ट की लोकप्रैयता का पैमाना नही है। वैसे तुम्हारे कान खींच कर यह कहना चाहता हूँ, दाल मे नमक मिलाया करो, नमक मे दाल मिलाओ तो सबको पता चल जाएगा।

जब हमने नारद पर हिट काउन्टर लगाया तो हमे शरारती लोगों को चिन्हित करना था, इसके लिए हमने जान बूझ कर हिट काउन्टर मे बढाने का बग छोड़ रखा था, हमे सिर्फ़ लोग चिन्हित करने थे, ना कि उन्हे बदनाम। बस हम उनको चिन्हित करके कहते, अबे इत्ती अकल और टाइम है तो नारद के लिए कुछ काम करो, काहे ऐसे घोड़े दौड़ाते हो। कुछ लोगों की गतिविधियों को नोट भी किया गया है, जिनसे अकेले मे बात की जाएगी।

हाँ, अब आप लोग ट्राई करिए। प्रमेन्द्र तुम भी करो। हिट्स बढाने की कोशिश करो, नया पुराना जो भी तरीका आजमाना हो आजमाओ। इस बार अगर तुम्हारे हिट बढे, तो बेटा तुमको नारद का काम टिकाने की जिम्मेदारी मेरी।

एक आखिरी बात, फिर से कहूंगा, हिट सिर्फ़ जरिया है, ये जानने का हमने कितने पाठक, किसी ब्लॉग तक भेजे, ये कोई लोकप्रियता का पैमाना नही है। इसलिए इसे सिर्फ़ तकनीकी रुप से लें।

लोकप्रियता का पैमाना, पाठकों का प्यार होता है। जो हिट काउन्ट मे नही गिन सकते।

मस्त रहो, ये हिट काउन्ट नीलिमा जी के लिए छोड़ दो, उनको एक दो पोस्ट का मसाला मिल जाएगा इससे।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

जीतू जी,
दाल तो पहली बार ही बनाया था क्‍या पता था कि नामक इतना तेज हो जायेगा कि तिहरा शतक लग जायेगा,

मै शरारती तो जरूर हूँ पर तत्‍व नही हूँ।

न तो मेरे पास ज्‍यादा टाईम है न ज्‍यादा अकल, जिनको पकड़ा जाये उन्‍हे मेरे ब्‍लाग पर भी क्लिक करने भेज दिजियेगा

यह बात कुछ समझ मे नही आई

एकदम सही

सही है निलिमा जी के लिये एक शोध विषय और है कि कई ब्‍लाग पर मेरी टिपपणी पर महाशक्ति के नाम पर Anonymous हो गया है। जबकि पहले तो मेरा नाम ही था। खोजिये निलिमा जी।

रवि रतलामी ने कहा…

इसी के लिए मैंने क्लिक दर को इनविजिबल बनाने की सलाह दी थी, और एक पोस्ट भी लिखा था. दरअसल इस तरह दिखता हुआ क्लिक दर चिट्ठा लेखक के लिए कुछ मानसिक समस्याएँ तो पैदा करता ही है. मेरा अनुरोध फिर से है कि इसे अदृश्य किया जाए - यानी कि माउस होवर से दिखाई दे - तो कम से कम यह समस्या नहीं रहेगी.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

रवि जी सही मे आपने मेरी बात को समझा, यह सही है कि नारद पर प्रत्‍यक्ष रूप से गण्‍क होने से पाठक के मन मे परिवर्तन तो जरूर होता है।

अनूप शुक्ल ने कहा…

इस शरारत के लिये प्रेमेंन्द्र को कुछ इनाम-मिलना चाहिये। एक ही आई.पी. पते से हुई क्लिक को बार-बार न गिना जाये यह प्रोग्राम पहले से होना चाहिये था। प्रेमेंन्द्र ने इस सुधार का मौका दिया इसलिये बच्चे को शाबासी देनी चाहिये। आगे भी शरारतें जारी रखो बालक!

शैलेश भारतवासी ने कहा…

आपका लेख पढ़कर तो यह सम्भावना बनती है कि हो सकता है कि बहुतेरे ब्लॉग जिनपर ४० से अधिक हिट दिख रहे थे वो भी इसी तरह से बढ़ाये गये हों। आपके ३१९ हिट पर बवाल इसलिए खड़ा हुआ क्योंकि आप सीमा में रहकर हिट नहीं किये। चालाक लोगों को वास्तविक गणित का ज्ञान रहा होगा। यहाँ आपकी प्रसंशा या आलोचना इसलिए हो रही है क्योंकि आपने इसे जगजाहिर कर दिया।

वैसे जो लोग इस प्रकार के प्रयोग की हिमाकत कर रहे हैं उनसे यह अनुरोध करना उचित होगा कि अपनी तकनिकी ख़ामियों पर ध्यान देकर ज़ल्द-२ दूर करें।

शुरूआत में मैंने भी ऐसा ही सोचा था कि चलो एक दिन ऐसा करेंगे कि एक ही ब्लॉग पर एक से अधिक बार हिट करके देखूँगा क्या काऊँटर में बढ़ोत्तरी होती है? मगर उससे पहले प्रमेन्द्र जी ने यह काम कर दिया।

Sagar Chand Nahar ने कहा…

यार प्रमेन्द आप तो छा गये, जो काम लोग कभी नहीं कर पाये आपने एक इसी पोस्ट से कर दिया
बधाई हो, अगली बार अपनी योग्यता को किसी और रचनात्मक कार्य में लगाना, समझे :)
(स्माईली लगा दिया है)

Dr Prabhat Tandon ने कहा…

हां तो यहां यह खुराफ़ात चल रही है और मुझे मालूम ही नही हुआ. अभी तुम्हारी खबर लेता हूं गंगा के तट पर :)

ePandit ने कहा…

मैं यह हैक बहुत पहले ही ट्राई कर चुका था और सोचा भी था कि इस पर नारद का हिट मैकेनिज्म क्रैक नाम से एक पोस्ट लिखूँ, लेकिन जल्द ही मुझे लगा कि यह मुद्दा अब शायद हॉट नहीं रहा इसलिए यह विचार त्याग दिया।

वैसे जीतू भाई ने अकेले में बात नहीं की अब तक, मैं भी तो यह ट्रिक आजमा चुका हूँ। :)

वैसे मेरा तो शुरु से ही यह विचार था कि हिट्स की संख्या साप्ताहिक दिखाई जाए। पुराने चिट्ठाकारों को तो इससे फर्क नहीं पड़ता पर नए चिट्ठाकारों को पड़ता ही है। रविजी के सुझाव अनुसार इनविजिबल करना चाहिए।

अफ़लातून ने कहा…

इलाहाबाद के तरुण हो अहमदाबाद के नहीं इसलिए चाहे जितने हिट करना हो करो 'हीट' मत करो,न हो । वर्डप्रेस पर होते तब यह भी पता चल जाता की नारद की मुख्य भीड़ के अलावा भी पाठक होते हैं । तुम्हारी टिप्पणियों से,तुम्हारी भेजी कड़ियों से और कुछ अज्ञात पाठक भी रहने दो,बिना शिनाख्त।मेरे एक मित्र ने हॉंग काँग में 'अफ़लातून+समाजवादी' खोजा और चिट्ठे तक पहुँचा।भेंट होने पर चकरा गया।पाठक की गोपनीयता एक हद तक रखो,नहीं तो बेमजा हो जाएगा।
चपे रहो ।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

ध्‍न्‍यवाद अनूप जी,


शैलेश जी टिप्‍पणी के लिये धन्‍यवाद



श्रीश जी धन्‍यवाद,जीतूजी आपका नम्‍बर ट्राई कर रहे थे पर लगा नही। किससे बात कर रहे थे, कही आपको बधाई वधाई देने का मैटर तो नही था।

धन्‍यवाद सागर भाई आपने आदेश को ध्‍यान दूँगा

डाक्‍टर साहब कब से आपको बुला आप आ ही नही रहे है।

धन्‍यवाद अफलातून जी, इस माह मेरे ब्‍लाग पर नारद से 49.88 प्रतिशत लोग ही आये है।