क्‍या गांधी को राष्‍ट्रपिता का दर्जा दिया जाना उचित है?





सर्वप्रथम महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस की हार्दिक श्रद्धांजलि।



एक उद्देश्य लिये मैंने एक आरकुट के विभिन्न कम्‍युनिटियों में एक प्रश्न रखा कि "क्या गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया जाना उचित है?"


इस प्रश्न को डालने के बाद जब 24 घण्टे पर जब इसका उत्तर जानने के लिए गया तो करीब 10 कम्युनिटी में मैंने इस प्रश्न को रखा था। कुल 92 लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया। जिसमें 33 लोग महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानते है किन्तु 59 लोग महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानने से इनकार करते है। इसमें सभी प्रकार की कम्‍युनिटी को शामिल किया गया है। भगवान, हिन्दू, खेल, फिल्मी हस्ती, उत्तराखंड आदि थी।



चूकि सीमित समय में यह प्रश्न किया गया था और जल्दी ही परिणाम सामने भी ले आया गया इस कारण काफी लोगों की राय अभी बाकी होगी। पर बात निश्चित है कि आज की पीढ़ी खुले विचारों की है और वह किसी भी निर्णय पर खुली बहस चाहती है चाहे वह गांधी ही क्यों न हो।


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26 टिप्‍पणियां:

चंद्रभूषण ने कहा…

हत्यारों की जमात में गाधी को राष्ट्रपिता कहा जाना राष्ट्र और पिता, दोनों का अपमान है। लिहाजा, अच्छा ही है कि आपके सवाल के ज्यादातर जवाब नकारात्मक आए। ऐसी जमातों के लोग किसी को भी राष्ट्रपिता तो क्या किसी भी तरह का पिता न कहें, यह और भी अच्छा होगा।

Sanjay Tiwari ने कहा…

महात्मा गांधी को समझे बिना इस तरह के सवाल उठाना लाजिमी नहीं होगा.
इस सवाल के जवाब में जिन्होंने भी मतदान किया होगा वे क्या हैं, क्या वे इस बात की पात्रता रखते हैं कि इस सवाल का जवाब दे सकें कि बापू राष्ट्रपिता हैं या नहीं?
महात्मा गांधी को समझने के लिए चेतना का स्तर थोड़ा सामान्य से ऊपर होना चाहिए.

Neeraj Rohilla ने कहा…

यदि आप एक तीसरा विकल्प रखते कि ये प्रश्न व्यर्थ है तो पता नहीं आपको तीसरे विकल्प के रूप में कितने वोट मिलते ।

ऐतिहासिकता को तर्कों के माध्यम से तोला जा सकता है लेकिन इस प्रकार के जनमत संग्रह आमतौर पर हमारे मन की धारणाओं को तो दर्शा सकते हैं लेकिन तार्किक नहीं हो सकते ।

शुभकामनायें,

Admin ने कहा…

प्रमेन्द्र जी आपने अथवा महाशक्ति समूह के जिस भी व्यक्ति के मन में यह दूषित प्रश्न उपजा है उस व्यक्ति की बुद्धि के लिए मेरे मन में दया उपजती है। साथ ही क्रोध भी आता है परन्तु कम से कम बापू के जन्मदिवस पर यह तो मैं नहीं कर सकता।
यह जान लिया जाए कि बापू को राष्ट्रपिता की उपाधी नेताजी सुभाष चन्द्र ने दी थी। रही बात ऒरकुट की कम्युनिटीऒं में बापू के अपमान की तो उनसे आप यह भी पूछ लें कि क्या वे बापू के भारत को राष्ट्र भी मानते हैं मुझे पूरी एम्मीद हे आपको इससे भी अधिक रोचक परिणाम मिलेंगें।
मुझसे पूछें तो मैं बापू को ईशतुल्य मानता हूं। उनकी जन्मदिवस पर मैंने एक आरती लिखी है। अगर आपको भारतविरोधी विचारों की उत्पत्ति करने से फुरसत मिले तो अवश्य पढें।

साभार: सुनील डोगरा जालिम
+91-98918-79501

Manisha ने कहा…

गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा देना सर्वथा उचित है। दुर्भाग्य भारत का कि लोग गांधी को जाने बिना गांधी पर टिप्पणी करते हैं।

मनीषा
हिंदीबात

बेनामी ने कहा…

प्रश्न का जवाब इस पर निर्भर करता है की आपकी भारत के प्रति अवधारणा कैसी है.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

चन्‍द्र भूषण जी मै आपकी बात से काफी हद तक सहमत हूँ।

संजय तिवारी जी - क्‍यों लाजमी नही है? मै नही मानता कि गांधी जी निंदा से परे है। जो बात आप कह रहे है अगर व्‍यपक अर्थ में सोचिये तो देश की जो सरकार जिनके द्वारा चुनी जाती है उन्‍हे नही पता होता है कि वे मतदान किस लिये कर रहे है।

नीरज रोहिल्‍ल भाई- मै आपकी बात से सहमत हूँ तीसरा विकल्‍प होना चाहिऐ था।।

मित्र डोगरा जी, आप ईशतुल्‍य माने या जो मन चाहे वो किन्‍तु इतना तो है ही गांधी जी से चेहरे पर दो प्रकार के मुखौटे होते थे एक जो उनकी अच्‍छाई प्रकट करते है। दूसरा वो जो गांधीवादयों द्वारा सदा छिपाया गया। अर्थात झूठ और मनमाने पन की जिद्द। ठीक उसी प्रकार अगर अच्‍छे काम के लिये गांधी पूज्‍यनीय है तो अपनी गल्‍तियों के लिये निन्‍दनीय भी है।

मनीषा बहन, सच यह है कि भारतीय बहुत कुछ बिना जाने ही कहने के आदि हो गये है। वैसे एक बात है अगर गांधी पर चर्चा हो तो निश्चित रूप से यह बात समाने आयेगी कि गांधी का एक नकारात्‍मक मुखौटा भी था।

संजय भाई, गांधी और भारत को जोड़ना ठीक नही है, क्‍योकि कई मामले ऐसे मिल जायेगे, कि भारत पीछे हो जाता है व्‍यक्तिगत हित आगे। उदाहारण के तौर भारत पाक का किक्रेट मैच ही।

बेनामी ने कहा…

'सर्वप्रथम महात्‍मा गांधी और लाल बहादुर शास्‍त्री के जन्‍म दिवस की हार्दिक श्रद्धाजंली।'

चलिए अच्छा किया आपने की जन्मदिन पर श्रद्धांजलि दे डाली...एक समय के बाद समाजिक मान्यताओं को तजना ही श्रेष्ठ मनुष्य की निशानी होती है.....

'पर बात निश्चित है कि आज की पीढ़ी खुले विचारों की है और वह किसी भी निर्णय पर खुली बहस चाहती है '

मान्यताओं को निर्णय का नाम न दें प्रभु...

निंदा से परे तो राम भी नहीं थे...रावण करता था न उनकी निंदा...निंदा से परे तो विभीषण भी नहीं थे...(आशा है घर का भेदी वाली कहावत भूले नहीं होंगे)...

आर्कुट-फार्कुट पर नब्बे लोगों के सैम्पल लेकर क्या आनी-जानी है....आपके राज्य में करोड़ों का सैम्पल किसको-किसको नेता बना देता है, दिखाई नहीं देता आपको...

बेनामी ने कहा…

लगता है ऑर्कुट-फॉर्कुट पर लफण्टरों की संख्या ज्यादा है.

संजीव कुमार सिन्‍हा ने कहा…

प्रमेन्‍द्रजी नमस्‍कार। "क्‍या गांधी को राष्‍ट्रपिता का दर्जा दिया जाना उचित है?" ऐसा प्रश्‍न उठाना ही अपने आप में गुनाह है। कम से कम गांधीजी के संदर्भ में तो हैं ही। आपके ब्‍लॉग पर मैं बराबर आता हूं। पहली बार मन आहत हुआ है।

बेनामी ने कहा…

पर्मेंदर भैया ..आपने तो गांधी जी कि ऐसी तैसी करा दी ...आपके ही वज़ह से पाण्डेय जी ने ऐसा चिटठा लिख दिया कि वो सुपर हिट हो गए ....भाई ,सब क्यों नही गांधी बन जाते ...आख़िर उन्नोने ऐसा कुछ किया था ..जिसकी वज़ह से राष्ट्रपिता हुये...आज कि दुनिया में किसी का विस्वास जितना बहुत ही मुश्किल है ....पर गाँधी जी ने ऐसा कर दिखाया था ...खैर !!! हमने अपने ब्लोग पर आपके लिए एक पहेली छोड़ रखा है ...बूझो !~!!!!!

बेनामी ने कहा…

गाधी के बारे मे जानने बालो की सख्या वेसे आदमी का ही है जो गान्धी के द्वारा या काग्रेस के द्वारा लिखा गया है जिवनी पढ्ते है जिसमे गान्धी को राष्‍ट्रपिता बताया गया है और गान्धी को महिमा का गुनगान किया गया है लेकिन जो
काग्रेस या गान्धीवादी नही थे उन्के विचार जाने बिना गान्धी को राष्‍ट्रपिता का दर्जा दिया जाना गलत है। जो
काग्रेस या गान्धीवादी नही थे वो हमेसा से गान्धी के विरोधी रहे है क्युकि गान्धी ने हिन्दुस्तान के लिये एसा कुछ नहि किया जो कोई दुसरा देशभक्त ना कीया हो हा गान्धी से कुछ जयादा हि किया हो कम नही। लेकिन गाधी हि राष्‍ट्रपिता क्यो वीर सावरकर, भगत सिह, चन्द्रशेखर आजाद क्यु नहि ये बाते हम सभी से ज्यादा अच्छा गांधी के चम्चै और उनके पिछ्लगु काग्रेस हि बता सकता है।

विकास मलिक ने कहा…

कुछ कहने से पहले सोच तो लेना चाहिये
महाशक्ति जी आपको तो सवाल भी करने की तमीज नहीं है
देश के राष्टर्पिता के बारे में आपके मुंह से ये शब्द शोभा नहीं देते
जय हिन्द जय गांधी जी

Krishna Kant Pandey ने कहा…

sharma aani chahiye humlogo ko jo ek sant par is tarah kichad uchhal rahe hain. jis insan ne desh k liye apna sab kuchh nyochhavar kar diya use ye sila de rahe hain hum? ye sirf aur sirf "India" me hi ho sakta hai. yaha aaj k rajneta jo lutne me lage hain desh ko unko to mahimamandit kiya jata hai par jisne desh k liye jan di uspar ungli uthai ja rahi hai. jinhe jankari nahi hai wahi aisi bat kar sakte hain. aaj kal kuchh logo k liye ye fashion ban gaya hai ki gandhi ki burai karo. kise milna chahiye rastrapita ka darja aapke hisab se? kaun stand karta hai unke barabar. rastrapita ka darja bapu ko aapne aur humne nahi balki pure desh ki janta ne pyar se diya hai. ye koi CM or Pm ka post nahi hai jo ispar sawal uthe. kya hoga hamare desh ka jo is tarah ke sawal uth rahe hain. hamare desh me kuchh bachega hi nahi jab Mahatma Gandhi ko nikal diya jaye. sabhi ko is samay aawaj uthani chahiye hamare samaj me vyapt kuritiyo k khilaf par ye thoda risky hai na? pls sir ye sab sawal aapke dimag me na hi upje to achchha hai. mai bhi RSS ka active member hu par mujhe aaj tak gandhi me koi burai nahi dikhi. pata nahi aapke dimag me aise sawal kaha se aate hain?
thank you

A.H.Quadri ने कहा…

Gore angrej chale gaye lakin Mahashakti jaise kale angrej aaj bhi bharat me jinda hai, jo angrejo ki tarah ghatiya bate karte hai.Gandhi ko sari duniya sant manti hai, magar bharat me Mahashakti jaise log hi itni fijul bakwas kar sakte hai

Narendra Sharma ने कहा…

Apna desh ki sanskrti itni purani vaibhavsali hai usme Gandhi k alawa koi mahapurush nahi hai kya? koi mane YA namane hamare rastrapita krisna ,Ram,Budhdha hi ho sakte hai gandhi jaisa dogla nahi!!!!!!!!!!!!

pandit visnugupta ने कहा…

satya baat to ye hai ki puri dunia hasti hai ki bharat ke kaayar logo ne azadi ki bhik maangi yadi dum hota to yudhh karate ......

gandhi ji ki ahinsa ek mahabakbaas shabd hai

ye mrityu lok hai yaha ek jiv dusare jiv ko khakar hi jivan yaapan karata hai........

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

मतभेद जायज है लेकिन यह वाक्य कि कांग्रेस के चमचे ही जानें कि राष्ट्रपिता गाँधी ही क्यों, तो यह आरोप नेताजी पर लगता है। आखिर क्या वजह है नेताजी अपनी फौल में एक रेजिमेंट का नाम गाँधी रेजिमेंट रखते हैं?

नेताजी पर इस तरह की घटिया टिप्पणी करना निंदनीय है भले ही वह अप्रत्यक्ष है।

मुझे किसी तरह की समस्या नहीं है चाहे राष्ट्रपिता भगतसिंह हों या गाँधी जी। यह आर्कुट और फेसबुक इन कामों के योग्य नहीं कि इनपर चर्चाएँ करके हम इतिहास रच दें या बदल दें।

आप मेरी टिप्पणियों पर कोई भी जवाब मेरे ईमेल पर ही दें क्योंकि बहुत जगह टिप्पणियाँ करता जा रहा हूँ और हर जगह मैं आकर फिर देख नहीं सकता।

बेनामी ने कहा…

rastra pita ka darja to bilkul nahi kyoki usne is desh ka tukada kiya use p/k ka rastra pita hone chahie

pandit rakesh arya ने कहा…

गाँधी जी का राष्ट्रपिता का दर्जा बनाए रखना अब हमारी मजबूरी बन चुकी है क्योँकि काँग्रेस उन्हे संसार भर मेँ सत्य ,अहिँसा का बडा पुजारी सिद्ध कर चुकी है ।अनुमानित 70 देशो मेँ गाँधी के चित्र वाले डाक टिकट चलते हैँ ।उनके जन्मदिन 2 अक्तूबर को पूरे विश्व मेँ अहिँसा दिवस के रूप मेँ मनाया जाता है ।अब यदि हम भारतवासी गाँधी को राष्ट्रपिता के पद से च्युत कर भी देते हैँ तो यह भारत का ही अपमान होगा ।एक कहावत भी है कि अपना सिक्का कोई खोटा नही बताता और यह वही बात हो जाएगी ।गाँधी जी के अच्छे ,बुरे कार्योँ को अधिसंख्य भारतीय जानते ही हैँ ।अब आवश्यकता है क्रान्तिकारियोँ व गुमनाम आत्मबलिदानियोँ को उनका उचित स्थान दिलाने की व इतिहास को पुनः सत्य लिखने की ।बन चुकी है क्योँकि काँग्रेस उन्हे संसार भर मेँ सत्य ,अहिँसा का बडा पुजारी सिद्ध कर चुकी है ।अनुमानित 70 देशो मेँ गाँधी के चित्र वाले डाक टिकट चलते हैँ ।उनके जन्मदिन 2 अक्तूबर को पूरे विश्व मेँ अहिँसा दिवस के रूप मेँ मनाया जाता है ।अब यदि हम भारतवासी गाँधी को राष्ट्रपिता के पद से च्युत कर भी देते हैँ तो यह भारत का ही अपमान होगा ।एक कहावत भी है कि अपना सिक्का कोई खोटा नही बताता और यह वही बात हो जाएगी ।गाँधी जी के अच्छे ,बुरे कार्योँ को अधिसंख्य भारतीय जानते ही हैँ ।अब आवश्यकता है क्रान्तिकारियोँ व गुमनाम आत्मबलिदानियोँ को उनका उचित स्थान दिलाने की व इतिहास को पुनः सत्य लिखने की ।

tamendra ने कहा…

mahatma gandhi ko rastra pita nahi kahni chahiye

tamendra ने कहा…

mahatma gandhi ko rastra pita nahi kahni chahiye

rohit singhal ने कहा…

jaisa ki hum sabhi jaante hai ki gandhi ji rastrapita hai unka sammaan bhi kiya jata hai lekin is baat se me bilkul bhi sehmmat nahi hu kyunki jab bhi hamare bharat me ladaeya hoti thi tab hamare bhagat singh sachdev guru sab sahid ho gaye the lekin har baar gandhi ji or nehaju subhaas chandra boss bach gaye aisa kyu ????? iska answer bhi ere pass hai kyunki unki sandhi angrajo ke saath thi isliye chahe pura desh unhe rastrapita kahe lekin me unhe kabhi bhi rastrapita nahi maan sakta hu

बेनामी ने कहा…

jaisa ki hum sabhi jaante hai ki gandhi ji rastrapita hai unka sammaan bhi kiya jata hai lekin is baat se me bilkul bhi sehmmat nahi hu kyunki jab bhi hamare bharat me ladaeya hoti thi tab hamare bhagat singh sachdev guru sab sahid ho gaye the lekin har baar gandhi ji or nehaju subhaas chandra boss bach gaye aisa kyu ????? iska answer bhi ere pass hai kyunki unki sandhi angrajo ke saath thi isliye chahe pura desh unhe rastrapita kahe lekin me unhe kabhi bhi rastrapita nahi maan sakta hu

rohit singhal ने कहा…

me kabhi bhi gandhi ko rastrapita nahi maan sakta

ajdhillon ने कहा…

जब सत्ता के लालच में अपने लोगो को भूल कर एक बड़ा खाई पैदा करवा कर खून की नादिया बहवा दे जिसका खामियाजा आज तक भुगतान पद रहा है तो कैसे पिता और ऑपेरा से राष्ट्रपिता तो कदापि नहीं ,