वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के नए लुक के लिए कैसे चयन करें दीवारों और पर्दों का रंग



चारों दिशाओं से प्राप्त होने वाली उर्जा तरंगों का संतुलन बनाकर घर में सुख शांति बनाना ही वास्तुविज्ञान होता है। घर बनाते समय दूसरे ढोंग और उपायों को छोड़कर दिशाओं को सुन्तुलित करने से ही घर में सुख शांति और समृद्धि लायी जा सकती है।
 
वर्तमान समय में दुनिया की जनसँख्या इतनी तीव्र गति से बढ़ने के कारण ज़मीन का क्षेत्रफल इतना कम हो गया है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर बनाने के लिए ज़मीन हासिल करना बहुत मुश्किल कार्य हो गया है। विकास प्राधिकरण के अनुसार बनाये गए फ़्लैट या प्लाट वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्ण रूप से उचित नहीं होते तथा इनके द्वारा उपलब्ध प्लाटों पर भवन निर्माण करके सभी कमरे वास्तुशास्त्र के अनुसार नहीं बनाये जा सकते है। आज हम आपको बताएँगे कि वास्तुशास्त्र का लाभ प्राप्त करने के लिए घर बनाते समय किस कमरे में किस प्रकार की सजावट करनी चाहिए और दीवारों का रंग किस तरह का होना चाहिए जिससे आपको सभी सुख और सुविधा प्राप्त हो सकें।
 
बढ़िया किस्म के ईंट, पत्थर और चूने के इस्तेमाल से घर बनाकर सुख शांति नहीं मिलती बल्कि इसके लिए वास्तुशास्त्र के अनुसार घर बनाकर तथा दुष्परिणामो से बचना भी बहुत जरुरी होता है। इसके अलावा घर को सजाते समय भी वास्तुशास्त्र के अनुसार ही कार्य करना उत्तम होता है। घर के अन्दर की सजावट करते समय दीवारों पर रंग चुनाव, पर्दों के डिजाईन, फर्नीचर, कलाकृतियां, पेंटिंग। इनडोर प्लांट्स, वाल टाइल्स, सीलिंग पीओपी, अलमारियां और फैंसी लाइट को वास्तुशास्त्र के अनुसार ही लगाने से समृद्धि लाई जा सकती है।
 
वास्तुशास्त्र के महत्व के कारण ही आजकल बिल्डर और इंटीरियर डेकोरेटर भी घर बनाते या सजाते समय वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर ही कार्य करते है। इसके अनुसार काम करने से घर की सुन्दरता बढाकर सकारात्मक उर्जा का प्रवाह भी किया जा सकता है।
 
वातावरण को भी ध्यान में रखकर घर बनाने की योजना बनानी चाहिए। पूर्ण रूप से वायु संचालन (वेंटिलेशन) के लिए रसोई घर और टॉयलेट हमेशा बाहरी दीवार के साथ बनाने चाहिए तथा कीटाणु खत्म करने के लिए भी पर्याप्त धूप पड़ने वाली जगह का चुनाव करें। यह सब करने के बाद ही वास्तुशास्त्र के द्वारा घर में बाकी निर्माण और कार्य करने चाहिए।
 
घर को सुन्दर बनाने की इच्छा हर व्यक्ति रखता है घर को सजाना कोई दिखावा करना या फैशन करने की क्रिया नहीं है बल्कि यह तो हर किसी की जरुरत होती है तथा सभ्य और शिक्षित व्यक्ति की पहचान सुन्दर घर से ही होती है। वर्तमान समय में ड्राइंग रूम और लिविंग की सजावट पर बहुत ध्यान दिया जाता है। घर की सजावट और इंटीरियर करते समय दीवारों के रंगों तथा पर्दों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अलग अलग रंग के पर्दें लगाकर तथा प्रत्येक कमरे में अलग अलग तरह का पेंट करके घर की सुन्दरता में चार चाँद लगाये जा सकते है।
 
वास्तुशास्त्र के अनुसार सोच विचार नहीं करके घर बनाने से ऐसे दोष रह जाते है जो हमें आजीवन परेशानी देते है। वास्तुशास्त्रियों के अनुसार व्यक्ति द्वारा इनमे थोडा सा बदलाव करने से वास्तु दोष खत्म हो जातें है। अगर आपको भी वास्तुदोष की समस्या है तो घर को बिना तोड़े कुछ उपायों द्वारा आप इस परेशानी से निजात पा सकते है और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते है।
 
वास्तुदोषों से छुटकारा पाने के लिए बहुत से उपाय है जिन्हें अपनाकर या प्रयोग करके आप अपने घर का वातावरण मंगलमयी बना सकते है इनमे से कुछ उपाय इस प्रकार है :
  1. घर में सजावट के लिए हमेशा दो परत वाले पर्दों का इस्तेमाल ही करना चाहिए।
  2. कमरों की दीवारों की पुताई के लिए गुलाबी, आसमानी या हल्के हरे रंग का प्रयोग करे क्योंकि ये रंग व्यक्ति की मानसिक शांति और रिश्तों में मधुरता बनाने के लिए बहुत कारगर होते है।
  3. पूर्व दिशा की ओर बने कमरे में हरे रंग के पर्दें लगाना उत्तम रहता है।
  4. अगर कमरा पश्चिम दिशा में हो तो इसके लिए सफ़ेद रंग का पर्दा उचित होता है।
  5. उत्तर दिशा के कमरे के लिए नीले रंग के पर्दें का चयन करना चाहिए।
  6. टॉयलेट या बाथरूम के अन्दर हल्का नीला या सफेद रंग बहुत अच्छा रहता है।
बैठक कक्ष या ड्राइंग रूम में रंगों का चयन :
घर में इस कमरे का महत्व बहुत ही ज्यादा होता है इसलिए इसकी सजावट बहुत ही ध्यान से करनी चाहिए। सफ़ेद, भूरा या क्रीम कलर ड्राइंग रूम के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए तथा दीवारों के लिए हल्का नीला, आसमानी, पीला, क्रीम या हरे रंग का प्रयोग बेहतर रहता है । इस कमरे में शो केस, फर्नीचर और अन्य भारी सामान दक्षिण- पश्चिम की तरफ इस तरह से व्यवस्थित करके रखें कि घर के मालिक का मुंह बैठते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। टीवी को दक्षिण-पश्चिम या अग्नि कोण में रखना चाहिए। मृत पुर्वजों के फोटो दक्षिण या पश्चिम की तरफ की दिवार पर टांगने चाहिए। फर्नीचर लकड़ी के बने हुए तथा वास्तु के अनुसार तीखी किनारी ना होकर चौड़ी गोलाई वाले होने चाहिए। खिड़कियाँ –दरवाजें यदि उत्तर दिशा में हो तो जल की लहरों वाले डिजाईन के नीले रंग के पर्दों का प्रयोग करना चाहिए।
 
छत कैसी होनी चाहिए :
छत के लिए अन्य रंगों की अपेक्षा सफ़ेद रंग सबसे बढ़िया और उत्तम रहता है क्योंकि यह जगह ब्रह्मस्थान की भूमिका निभाता है तथा इससे घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। 
 
शयन कक्ष की सजावट :
शयन कक्ष में भगवान या अपने मृत पूर्वजों के चित्र या फोटो नहीं लगाने चाहिए तथा पलंग (बैड) को कमरे की दक्षिणी दीवार से मिलाकर रखना चाहिए। (धन और आयु प्राप्ति के लिए) अपने सिर की दक्षिण या (ज्ञान प्राप्ति के लिए) पूर्व दिशा में करके सोना चाहिए। इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि सोते समय आपके पैर कभी भी दरवाजे की तरफ ना हों। शयन कक्ष में दर्पण लगाने से लड़ाई झगड़े की स्थिति बन सकती है। इस कमरे की दीवारों पर पेस्टल या हल्के रंगों जैसे सफ़ेद, क्रीम, ऑफ व्हाईट, आइवरी आदि रंगों का इस्तेमाल करना बहुत उपयोगी रहता है। नव विवाहित जोड़ों के शयन कक्ष में हल्का गुलाबी और बच्चों के कमरे में हल्का बैंगनी या हल्का हरा रंग भी प्रयोग में लाया जा सकता है। विवाहितों के कमरे में पक्षियों के चित्र या लव बर्ड की आकृति रखना बेहतर होता है। 
 
कैसे बनाये रसोईघर :
गृहिणी को इस बात का हमेशा ध्यान रखने चाहिए कि रसोईघर में खाना पकाते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरह मुंह करके भोजन पकाया जाना चाहिए। बर्तनों, मसालों तथा राशन को पश्चिम दिशा में स्थान देना चाहिए। जूठे बर्तन तथा चूल्हें को रखने के लिए अलग अलग जगह बनानी चाहिए। रसोई घर में कभी भी दवाइयां नहीं होनी चाहिए तथा रसोई के स्लैब के लिए काले रंग के पत्थर का इस्तेमाल ना करके हरा, पीला, क्रीम या गुलाबी रंग का चुनाव किया जाना चाहिए। गुलाबी या हल्का रंग किचन की दीवारों के लिए बहुत बढ़िया होता है और ताजगी के अनुभव के लिए दक्षिण पूर्व स्लैब पर आप हरे भरे पौधों का इस्तेमाल कर सकते है इसके अलावा प्राकृतिक दृश्यों के चित्रों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
 
कैसे बनाये पूजाघर :
पूजाघर का उचित स्थान आपके घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए बहुत महत्व रखता है। पूजाघर को घर में ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए तथा शांति और एकाग्रता पाने के लिए इसकी दीवारों की पुताई हल्के नीले रंग से करनी चाहिए। इसके अलावा मूर्तिओं तथा फोटो को एक दुसरे के सामने नहीं रखना चाहिए। किसी विशेष मंदिर की तरह घर के मंदिर में गुमब्द, ध्वजा, कलश, त्रिशूल या शिवलिंग आदि नहीं होने चाहिए। शयन कक्ष में पूजास्थान नहीं बनाना चाहिए लेकिन अगर कारणवश बनाना पड़ जाये तो मंदिर के सामने पर्दें का इस्तेमाल जरुर करना चाहिए। रोशनी के लिए पूजाघर में लाल रंग के बल्ब का उपयोग ना करके , सफ़ेद पीले या नीले रंग की रोशनी का चयन उत्तम होता है।
 
कैसे बनाये स्नानघर या शौचालय :
नल की आन्तरिक व्यवस्था पूर्व या उत्तर की दीवार में करनी चाहिए ताकि नहाते समय व्यक्ति के मुंह की दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ रहें। वाश बेशन का स्थान पूर्व की तरफ होना चाहिए तथा गीज़र, स्विच बोर्ड को अग्नि कोण पर स्थापित कर इनकी दिशा दक्षिण पूर्व या उत्तर की तरफ रखनी चाहिए। हल्के नीले, आसमानी, सफ़ेद या गुलाबी रंगों की टाईल्स ही बाथरूम और शौचालय में लगानी चाहिए तथा शौचालय में बैठने की स्थिति इस तरह से करनी चाहिए कि व्यक्ति का मुंह दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ रहें।
 
अध्ययन कक्ष (Study room) की सजावट में रंगों का चुनाव:
घर में पढाई करने के लिए स्थान इशान या पश्चिम दिशा में मध्य में बनाना चाहिए। टेबल तथा कुर्सियों के रखने की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि पढने के दौरान बैठने पर मुंह की दिशा उत्तर या पूर्व की तरफ रहे। इसके अलावा बैठने के स्थान के पीछे खिड़की या दरवाजा ना होकर दीवार होनी चाहिए तथा ऊपर बीम भी नहीं होना चाहिए। इस कमरे की दीवारों को रंगने के लिए हल्का बैंगनी, हरा या गुलाबी रंग का इस्तेमाल करें क्योंकि ये रंग बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होतें है। किताब रखने के लिए अलमारी को रखने की व्यवस्था दक्षिणी या पश्चिमी दीवार के साथ करनी चाहिए। अध्ययन कक्ष में टूटी हुई चीजें और जूतें या गंदगी नहीं जमा करनी चाहिए।
 
क्या रखें सावधानियां :
  • परदे और दीवारों का रंग घर की सुन्दरता बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है लेकिन इनका प्रयोग एलआईजी और एमआईजी घरों में ज्यादा नहीं करना चाहिए। इनमे पर्दों की मैचिंग के लिए दीवारों पर सफ़ेद रंग से पुताई करनी बहुत आवश्यक होती है। लिविंग रूम की सजावट के लिए स्ट्राईप्स या चेक के पर्दें का इस्तेमाल भी कर सकते है।
  • इसके अलावा ड्राइंग रूम की सजावट के लिए एक ही रंग के परदे बेहतर होते है साथ में गहरे रंग का कालीन बिछाकर और सोफे पर कुशन लगाने से इस कमरे की सुन्दरता में चार चाँद लगाये जा सकते है। दीवारों पर डिस्टेम्पर का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद होता है।
  • एचआईजी टाइप के घरों में दीवारों की पुताई के लिए रंगों का इस्तेमाल करके मैचिंग के परदे भी लगाये जा सकते है। इनमे बड़े कमरों को अलग लुक देने के लिए दो लेयर वाले पर्दों में जूट और सिल्क के पर्दों को भी लगाया जा सकता है। सिल्क फैब्रिक फर्नीचर को गहरे रंग देने में सबसे कारगर होता है तथा वालपेपर्स का प्रयोग करेक दीवारों को आकर्षक और मनमोहक बनाया जा सकता है। इसके लिए प्लास्टिक पेंट का भी विकल्प बहुत बढ़िया होता है।
 
डिजाईनदार कुशन नया लुक देने में माहिर :
  • अलग अलग डिज़ाइन के कुशन का प्रयोग करके कमरे में फर्नीचर की कमी को छुपाकर प्रभावशाली ढंग से सजाया जा सकता है। एलआईजी और एमआईजी घरों के कमरों को एथनिक लुक देने के लिए छोटे बड़े आकर के कुशन बहुत कारगर होते है।
  • ज़मीन पर रखने वाले कुशन भी घर को सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण होते है तथा इसके अलावा आप पेंटिंग का भी इस्तेमाल कर सकते है। ट्रेंडी कारपेट, रग्स और कालीन का भी घरों की सजावट में महत्वपूर्ण स्थान है। लिविंग रूम को सुन्दर बनाने के लिए वाटर फाउंटेन या अन्य तरह का कोई डेकोरेटिव सामन भी रखा जा सकता है।
किचन का माड्यूलर अंदाज :
डिश रैक्स, हुक्स, वायरिंग केसेस व बॉक्स आदि का प्रयोग करेक किचन को माड्यूलर लुक दिया जा सकता है। इनका प्रयोग करके आप अपनी माड्यूलर किचन बनाने की इच्छा को पूरा कर सकते है।
 
सजावटी सामान का चयन :
सजावटी वस्तुएं विशेष रूप से ग्लास और ब्रास से तैयार हुई चीजें या वस्तुएँ इंटीरियर को सजाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसके लिए लाइटिंग इफ़ेक्ट द्वारा महंगे स्पेशल पीस को हाईलाइट किया जाता है। इसके अलावा सजावट के लिए एंटिक और आर्ट पीसेज के साथ लकड़ी और मेटल से बनी वस्तुओं को भी प्रयोग में लाया जा सकता है। टेबल लैम्प और स्टैंडिंग लैम्प का प्रयोग रोशनी करने के लिए किया जा सकता है।
 
कैसी हो लाइटिंग :
लाइटिंग घर को सजाने में में बहुत ही जरुरी तत्व है इसमें ध्यान रखें कि यह क्लासी होने के साथ हैवी ना हों। किसी भी तरह के घर में बेडरूम का सबसे मुख्य स्थान होता है इसलिए बेडरूम के लिए सॉफ्ट और हल्की रोशनी का चुनाव करना चाहिए। हल्की रोशनी आपके मन को प्रसन्न और दिमाग को ताजगी प्रदान करती है।
लिविंग रूम में फोकल लाइट के साथ बेड, अलमारी और शीशे के लिए अलग अलग लाइट लगानी चाहिए। फेयरी लाइट का प्रयोग स्टाइलिश लुक देने के लिए किया जाता है। झूमर के साथ दूसरी लाइट का प्रयोग नहीं करना चाहिए। देखने में परेशानी ना हो इसलिए किचन में हमेशा सफ़ेद लाइट का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा डायनिंग रूम में ब्राइट कलर की लाइट कभी भी नहीं लगनी चाहिए।
 
वास्तुशास्त्र के अनुसार कुछ बातों का अनुसरण करके आप भी अपने जीवन में सुख सम्पति और वैभव प्राप्त कर सकते है।


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