अर्थशास्‍त्र की विषय सामग्री - उपभोग



अर्थशास्‍त्र को प्रो. मार्शल ने अध्‍ययन की दृष्टि से उपभोग, उत्‍पादन, विनिमय, और वितरण सहित 4 भागों में बॉंटा है, जबकि प्रो. चैपमैन इसमें संसोधन करते हुऐ राजस्‍व की एक श्रेणी और बना देते है। उपरोक्‍त वर्णित पॉंचों के बारे में हम विस्‍तार से चर्चा करेगें।
 
उपभोग ( Consumption)
उपभोग मानव की वह आर्थिक होती है जिसमें मनुष्‍य की आवाश्‍यकताओं की संतुष्टि होती है। संक्षेप में हम जब कोई मनुष्य किसी आर्थिक वस्‍तुओं तथा सेवाओं के द्वारा संतुष्टि को प्राप्‍त करता है तो कहा जाता है उक्‍त वस्‍तु या सेवा का उपभोग हुआ। तथा उस वस्‍तु तथा सेवा से मिलने वाली संतुष्टि को उपयोगिता कहते है। उपभोग मनुष्‍य क्रियाओं का आदि और अंत सभी है। उपभोग अपनी अवस्‍था के अनुसार कई प्रकार के हो सकते है, चाहे वह खाद्य पदार्थ के रूप मे चाहे भौतिक सुख सुविधाओं के द्वारा प्राप्‍त उपभोग।
डाक्‍टर पी. बसु उपभोग की परिभाषा देते हुए कहते है - ''अर्थशास्‍त्र में आर्थिक उपयोग ही उपभोग है। ''

नोट - अगले अंक में हम उत्‍पादन ( production) के बारे में चर्चा करेंगें।


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3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

सही कहा जी, उपभोग से भी अर्थशास्त्र का गहरा नाता है, कृपया इस पोस्ट पर एक निगाह डाल लें…
अमेरिकी फ़ण्डा - कर्ज लेकर घी पियो अर्थव्यवस्था सुधरेगी
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2008/03/american-sub-prime-crisis-indian.html

Arun Arora ने कहा…

ham to bas Kaate hai jI,

Udan Tashtari ने कहा…

ज्ञानवर्धन का आभार.