हिन्दु जगे तो विश्व जगेगा मानव का विश्वास जगेगा






हिन्दु जगे तो विश्व जगेगा मानव का विश्वास जगेगा
भेद भावना तमस ह्टेगा समरसता अमर्त बरसेगा
हिन्दु जगेगा विश्व जगेगा
हिन्दु सदा से विश्व बन्धु है जड चेतन अपना माना है
मानव पशु तरु गीरी सरीता में एक ब्रम्ह को पहचाना है
जो चाहे जिस पथ से आये साधक केन्द्र बिंदु पहुचेगा ॥१॥
इसी सत्य को विविध पक्ष से वेदों में हमने गाया था
निकट बिठा कर इसी तत्व को उपनिषदो में समझाया था
मन्दिर मथ गुरुद्वारे जाकर यही ज्ञान सत्संग मिलेगा ॥२॥
हिन्दु धर्म वह सिंधु अटल है जिसमें सब धारा मिलती है
धर्म अर्थ ओर काम मोक्ष की किरणे लहर लहर खिलती है
इसी पुर्ण में पुर्ण जगत का जीवन मधु संपुर्ण फलेगा
इस पावन हिन्दुत्व सुधा की रक्षा प्राणों से करनी है
जग को आर्यशील की शिक्षा निज जीवन से सिखलानी है
द्वेष त्वेष भय सभी हटाने पान्चजन्य फिर से गूंजेगा ॥३॥


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7 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

बहुत सुंदर

दीपान्शु गोयल ने कहा…

ये बात सब को समझनी होगी की हिन्दू चेतना है तो ये देश बचा है नहीं तो कब का मिट चुका होता ।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

हिन्दू जागरण की अच्छी तस्वीर पेश करने के लिये साधुवाद। आपसे एक और अनुरोध है कि हिन्दू के साथ-साथ अपनी ‘हिन्दी’ को भी जगाइये तो बेहतर होगा। आपकी कविता के प्रवाह को वर्तनी की अशुद्धियाँ खंडित कर रही हैं।

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत है

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत है

Pramod Rai ने कहा…

हिन्दू नव-बर्ष की अग्रिम बधाई

Unknown ने कहा…

अति उत्तम।