जिम में हम



सोमवार को जिम जाना शुरू किया, महादेव जी का व्रत भी था। शाम को जिम से लौटा काफी अच्छा महसूस कर रहा था। जिम में व्यायाम का काफी अच्छा अनुभव रहा किन्तु सुबह उठते ही जिम की तरावट, थकावट में बदल चुकी थी। पूरी शरीर में दर्द हो रहा था। उठे उठा नही और बैठे बैठा नही जा रहा था।

सुबह ही सुबह बुखार भी हो गया था, करीब 102 फारेनहाइट बता रहा था। अब तो जिम की हवा ही निकल चुकी थी। चूंकि हमारे जिम में जाने की खबर घर में किसी को नही थी, और यही कारण था कि सभी लोग आम बुखार समझ रहे थे। हम जान रहे थे कि हमारी क्या स्थिति उस समय रही होगी ? पर हम क्या कर ही सकते थे।

पुन: शाम होती है और जिम जाने का समय हो जाता है, हम अभी तक जो बेड पर आराम फरमा रहे थे, पूर्ण रूपेण जिम फार्म में आ चुके थे। आज जिम जाने का मन तो नहीं कर रहा था किन्तु हम कर ही क्या सकते थे। सभी दोस्तों ने कहा कि आज नहीं जाओगे तो और दर्द करेगा। हम भी मान गये किन्तु हमारा मन कह रहा था कि अगर आज मै नही जाऊँगा तो काफी हद तक तबीयत ठीक हो जायेगी। पर दोस्‍तो की ही बात मान गया।

शाम को लौटने पर हालत और गंभीर हो चुकी थी, अब अगले दिन जाने की इच्छा नही कर रही थी, और गया भी नही। मुझे लग रहा था कि आज न गया तो मै ठीक हो जाऊँगा। यही बात साथियों को बताया किंतु नहीं माने पर मेरी बात के आगे उन्हें मानना ही पड़ा। एक दिन आराम किया काफी अच्छा महसूस होने लगा। फिर अगले दिन से सब कुछ नॉर्मल हो गया। और तो रोज जाते है। :)


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8 टिप्‍पणियां:

Neeraj Rohilla ने कहा…

जवान,
केवल लोहा तोलने से क्या होगा, जरा ३-४ मील की दौड भी लगाओ को कुछ बात बने :-)

असल में जिम में व्यायाम और दौडना साथ में करोगे तो बहुत फ़ायदा होगा ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

मुझे कुछ नही पता इस जिम विम का, लेकिन ध्याब से क्रो जो भी करना हो.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

नीरज भाई,

दौड़ना तो हमारी आदतो में शुमार है, दौड़ में विद्यालय स्‍तर में कई ईनाम जीत चुके है। तीन बार इन्दिरा हाफ मैराथन, में दौड़ने का भी अनुभव है। प्रात: 3-4 मील तो नही 1-2 किमी अवश्य दौड लेते है। कभी इलाहाबाद आइये,एक रेस हो जाये। :)

Udan Tashtari ने कहा…

अरे जिम मत छोड़ना. ठीक होने के बाद फिर शुरु हो जाओ. :)

Anil Kumar ने कहा…

आपका ब्लॉग तो महाशक्ति है, लेकिन आप एक ही दिन में जिम से घबरा गए? कसरत करने के लिए भी कुछ नियम होते हैं. जैसे कि सबसे पहले मांस-पेशियों को फैलाकर उन्हें ढीला होने दें. ऐसा करने से मांस-पेशियों में खिंचाव नहीं होगा और अगले दिन दर्द भी कम रहेगा. फिर थोड़ा उछल-कूद कर शरीर में गरमी लायें. इससे आपके फेफडे ज़्यादा ऑक्सीजन लायेंगे जिससे कसरत करते हुए थकावट नहीं होगी. और रही बात दर्द की, तो शुरू के ३-४ दिन तो सभी को दर्द होता है. दर्द के मारे व्यायाम नहीं रोकना चाहिए, क्योंकि यह दर्द तो ३-४ दिन में अपने आप ही ठीक हो जाता है. ज़्यादा दर्द या बुखार होने की अवस्था में एक गोली "Disprin" की ली जा सकती है, काफ़ी आराम आएगा!

डॉ .अनुराग ने कहा…

लगे रहिये......

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

अरे भैया; स्वस्थ रहने के लिये तो नृत्य सीखना चाहिये! कई अनुभवी लोग कहते हैं!:)

Abhishek Ojha ने कहा…

haalat to hamaari bhi aisi hi hui thi. par us din ke baad ham kabhi nahin gaye :-)