इलाहाबाद का यश चला बनारस



आज भारतीय जनता पार्टी ने डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को वाराणसी से लड़ने की घोषणा कर ही दी, जिसका अनुमान इलाहाबाद के लोगो को काफी पहले लग चुका था। इलाहाबाद से डॉक्टर जोशी का जाना इलाहाबाद और इलाहाबादियों दोनो के लिये धक्के के समान है। 2004 के आम चुनावों में जिस प्रकार डाक्‍टर जोशी पराजित हुए वह दुर्भागयपूर्ण था। डॉक्टर जोशी करीब 32 हजार वोटो से इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव हारे थे,यह हार बेमानी थी क्योंकि करछना के मौजूदा विधायक रेवती रमण और डॉक्टर जोशी के मध्‍य करछना में वोटो का अंतर 29 हजार का था,जो चौकाने वाला परिणाम दे रहा था। खैर रात गई बात गई अब समय है कि नई परिस्थितियों के हिसाब से आयोजन किया जाये।
डॉक्टर जोशी एक बड़े राजनेता के साथ साथ एक बड़े वैज्ञानिक, अच्छे शिक्षक भी रहे है। भाजपा में उनकी छवि केसरिया छवि के नेता के रूप में जानी जाती है। शायद ही आज भाजपा के पास उनसे ज्‍यादा अच्‍छा राष्‍टवादी विचारधारा का वक्‍ता उपलब्‍ध हो। राममंदिर से लेकर कश्‍मीर यात्रा तक डा. जोशी भारतीय जनमानस में हमेशा याद किये जाते है। 1996 की 13 दिन की वाजपेई सरकार में डाक्‍टर जोशी को गृहमंत्री का दायित्‍व दिया जाना निश्चित रूप से आज भी उनकी स्थिति आडवानी जी के बाद दूसरे नम्‍बर के नेता की है। इसमें दो राय नही होनी कि अगली भाजपा सरकार में वे महत्‍वपूर्ण पद से नवाजे जायेगे।
डाक्‍टर जोशी ने इलाहाबाद के अंदर जो कुछ भी किया वह इलाहाबाद के विकास के लिये पर्याप्‍त है उतना पिछले 5 सालों में नही हुआ। शिक्षा और विकास के मामलो में जोशी ने इलाहाबाद को नये आयामो तक पहुँचाया। इलाहाबाद को डाक्‍टर जोशी कमी जरूर खलेगी। और अब भाजपा का नया विकल्‍प इलाहबाद में क्‍या होगा यह एक बड़ी चुनौती का प्रश्‍न होगा।


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6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वैसे देखें वाली बात ये होगी की वो बनारस में चुनाव जीत के क्या करते हैं.. लोगों को आशा तो बद्दी होगी... वैसे बनारस की हालत बहुत ख़राब है.. मैं वहीँ का रहने वाला हूँ.. और सबसे विचित्र बात ये है कि वहाँ से इतने नेता दिल्ली और लखनऊ गए - पर न जाने कुछ विकास क्यों नहीं हुआ...

मेरा मन तो नहीं था.. इस तरह से राजनितिक पोस्ट पे कुछ टिप्पडी करने का.. पर मैं रोक नहीं सका.. राजनीति के गिरते स्तर से थोड़ा निराश हूँ, वरना एक वक्त में मैं भी आपकी ही तरह खूब जानकारी रखता था...

आपका शुक्रिया..इस जानकारी के लिए...

chandan ने कहा…

कोई बात नही डा. मुरली मनोहर जोशी जी के स्थान पर अब जो खडें हो रहें हैं उन्हें जीताओ

Unknown ने कहा…

यह देखना रोचक होगा कि उप्र की जातिवादी राजनीति में वाराणसी भी उनके लिये सुरक्षित है या नहीं…

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

नीरज भाई (पंचायतनामा), आपकी बात का मै सर्मथन करता हूँ किन्‍तु आपको विश्‍वास दिलाता हूँ कि डाक्‍टर जोशी निश्वित रूप से वाराणसी का विकास करेगें।

राज भाटिय़ा ने कहा…

इस सुचना के लिये धन्यवाद

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

अल्मोडा से हारे तो इलाहबाद ,वहां से वनारस . जोशी जी को आगे कहाँ ले जायेगा उनका यश