साबरमती के संत तूने सच मे कर दिया कमाल..



आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है, सर्वप्रथम श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। कल दैनिक जागरण में साबरमती के संत गीत के सम्‍बन्‍ध मे एक लेख था और आज के संस्करण में उसी से सम्बन्ध चर्चा पढ़ने को मिली। महात्मा गांधी के सम्मान में गाए जाने वाले गीत..दे दी आजादी हमें खड्ग, बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल.. आज के समय मे कितना उचित है यह जानना जरूरी है ?

महात्मा गांधी जी ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया इसे अस्वीकार करना असम्‍भव है पर यह गीत वास्तव मे देश की आजादी में अपना बलिदान देने वाले लोगों को कमतर बताता है। आज स्वयं आकालन करने की जरूरत है कि क्या आजादी हमें खड्ग, बिना ढाल के ही मिली है ? ईमानदारी से कहे तो गीत लिखने वाले भी इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई 1857 और उससे भी पहले छोटी मोटे तौर पर लड़ी जा रही थी, शहीद मंगल पांडेय, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और अनगिनत ऐसे लोगों ने अपने जान की परवाह न करते हुये भारत माता को आजाद करने के लिये हर सम्भव प्रहार किया। गांधी जी के भारत आने के बाद की परिस्थिति दूसरी थी, गांधी जी 1915 में भारत आये और 1916 से विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। आज हम अपने बच्चों तो जो पढ़ा रहे हे कि हमें आजादी बिना खड्ग और ढाल के मिली है इससे तो यही सिद्ध करना चाहते है कि गांधी से पहले स्वतंत्रता के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा था? और गांधी जी के आने के बाद यथावत स्वतंत्रता की लड़ाई बिना खड्ग और ढाल के लड़ी गई ?
जो सम्मान गांधी का हो रहा है उसी प्रकार का सम्मान हर स्वतंत्रता सेनानी के साथ होना चाहिये। अगर इतिहासकारों की माने तो गांधी युग न होता तो 20 साल पहले भारत आजाद हो चुका होता और भारत विभाजन की नौबत ही नहीं आती। गांधी जी का यह गुणगान सिर्फ गांधी वादियो को ही सुहा सकता है, उन्हें ही इसे गाना चाहिये। अगर देश की आत्मा के साथ यह गान बहुत बड़ा मजाक है। यह गाना तो सीधे सीधे यही कह रहा है कि गांधी बाबा एक तरफ और सारे शहीद क्रान्तिकारी एक तरफ और तब पर भी गांधी भारी ? क्या यही सही है ?


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20 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

संत को प्रणाम ! शुभकामनायें !!

संजय बेंगाणी ने कहा…

सही लिखा है.

शहिदों का सम्मान करना गाँधीवादियों के बस की बात नहीं. जैसे धर्मावलम्बी अपने गुरू और उसकी किताब को ही सर्वोत्तम मानते है, गाँधीवादियों के लिए केवल गाँधी ही पुज्य है.

जय हिन्द!

समयचक्र ने कहा…

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जयंती के अवसर पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रहा हूँ . राष्ट्रपिता की चर्चा कर उनको याद करने के लिए आभार

समयचक्र ने कहा…

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जयंती के अवसर पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रहा हूँ . राष्ट्रपिता की चर्चा कर उनको याद करने के लिए आभार

वीनस केसरी ने कहा…

ये गीत तो केवल गान्धी जी के लिये लिखा गया है और गान्धी जी ने खदग नही उठाया था और आजादी मे कम योग्दान किसी का नही था गान्धी जी का भी नही

Udan Tashtari ने कहा…

समझ में नहीं आया कि किससे नाराज हो:

गाँधी जी से, गीत से, गीतकार से या सुनने वालों से?



गाँधी जी को नमन!

Ancore ने कहा…

Good one.
You hit the right nail. we should reconcider the SONG again. Kya Neta Ji Subhash Chanda Bose aur BHAGAT SINGH ki kurbani ko kamtar kyon anka ja rha hai?
Lekin GANDHIVADIYON ko yah song hamesha pasand rahe ga. Ajadi keval Gandhi ki den hai to kya anya krantikariyon ko KRANTIKARI kahna band kar dena chahiye.
You have selected a right subject for sincer discussion.
LAGE RAHO.........

आर्य मनु ने कहा…

आप कहना क्या चाहते है ???
बहुत ज्यादा उलझ गए लगते है भाईसाहब...
मैं गाँधी की नीतियों का बहुत ज्यादा प्रशंसक तो नहीं....पर इतना ज्यादा विरोधी भी नहीं...बिलकुल आम भारतीय की तरह...बिच का रास्ता अख्तियार करना सिखा है...
इस गीत के माध्यम से शायद सिर्फ गाँधी की बात की गयी है, कही ये नहीं कहा की सिर्फ गाँधी ने आज़ादी दिलाई...आज़ादी कोई खिलौना तो है नहीं की चुप चाप उठा लाये और दे दिया...
पर एक बात तय है की भले ही कुछ भी रहा हो...गाँधी ने भारत की आज़ादी को यादगार तो बना दिया....वर्ना देश तो बहुत आजाद हुए है....
बात नंबर दो- आपने कहा की आज़ादी २० साल लेट आई.....अब सोचने वाले तो अगर आपकी तरह सोचे तो मैं तो यही कहूँगा की देश २० साल और इन खादीधारियों से बच गया......

अब इतने साल बाद ये फालतू की बात करके हम खुद के इतिहास पर ही उंगुली उठा रहे है.....

DEEPAK SHARMA KAPRUWAN ने कहा…

पता नहीं कई बार हम लोग कुछ पंक्तियों पर ज्यादा ही विचार कर बैठते है पर एक तरह से सही भी है, कम से कम उन पंक्तियों का ढंग से आंकलन तो हो सकेगा....
में वैसे गांधीवाद की बात तो नहीं करूँगा ...पर इतना जरूर कहूँगा की गाँधी जी अहिंसावादी थे ....वह आजादी की लड़ाई हिंसा से नहीं अहिंसा से लड़ना चाहते थे... इसलिए
उन्होंने बिना खरग बिना ढाल पर अपने विचार को व्यक्त किया था...... हर एक आन्दोलनकारी का आजादी प्राप्त करने का अपना-अपना अंदाज था ...पर अहिंसा की नीति केवल गाँधी जी
ही ने अपनाई थी वैसे यह बात कोई नयी नहीं थी ....अहिंसा पर जोर तो महात्मा बुद्ध, स्वामी महावीर आदि कई संतो ने इन्ही नीतियों का अनुसरण किया और गाँधी जी ने भी यही किया इसी नीति का प्रयोग उन्होंने आजादी के लिए किया जेल जाने के साथ कई आन्दोलन भी किये जो अधिकतर सफल रहे परन्तु उन्होंने अहिंसा का अनुसरण कभी नहीं किया क्या इस महात्मा
का इतनी बार योगदान कम था गीतकार ने महात्मा गाँधी जी की हर एक नीति को और उनके विचारों को अभिव्यक्त करके उनके विचारों को और ज्यादा मजबूती दी है वह बात अलग है की
वक़्त के साथ- साथ आज दौर बदल गया है वैसे मैंने जो भी बात कही वह तो सभी जानते है पर कुछ जानना नहीं चाहते है अगर मैंने कुछ गलत कहा तो कृपया मेरा मार्गदर्शन करके कृतार्थ करे

Naveen Yadav ने कहा…

kya yeer tumhari knoladge kitni kamjaor h. bhai kuch soch sajh kar likha karo nahi to apne pagal pan ka elaag karwo lo . sahi me yaar tum to bilkul hi nalayak ho. mujhe apsos ho raha h ki koi itna ghatiya soch ka kaise ho sakha h. bilkul hi besaram ho.

Naveen Yadav ने कहा…

kya yeer tumhari knoladge kitni kamjaor h. bhai kuch soch sajh kar likha karo nahi to apne pagal pan ka elaag karwo lo . sahi me yaar tum to bilkul hi nalayak ho. mujhe apsos ho raha h ki koi itna ghatiya soch ka kaise ho sakha h. bilkul hi besaram ho.

.A.H.Q. ने कहा…

Gandhi ke bare me itni ghatiya bat to R.S.S ke log hi kar sakte hai. aap to R.S.S. ki policy ka parsar kar rahe hai.

niranjan ने कहा…

प्रमीन्दर जी आपने सही प्रश्न उठाया है. जहाँ तक लोग यह प्रश्न उठा रहें हैं कि आप गाँधी जी से नराज लगते हैं. तो इसमे नराजगी वाली कोई बात नही है. प्रश्न सिर्फ़ इतना हैं कि क्या केवल उन्ही की वजह से हमें आजादी मिली है ? सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह, राजगुरु,जयगोपाल, सुखदेव, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक , झण्ड़ा सिंह, भगवती चरण, लाला लाजपत राय, अम्बा प्रसाद, तीर्थ राम, बटुकेश्वर दत्त आदि ना जाने कितने ही देश भक्तो ने भारत की आजादी के लिए लाखों कुर्बानियाँ दी. देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले उन देश भक्तो को हम क्यो भूल बैठे हैं.
हम उन शहीदों को क्यो भूला बैठे हैं जिन्होने इस आजादी को बरकरार रखने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया.
अकेले गाँधी जी को ही इतना महत्व क्यों ?
और जो महाश्य यह कहते हैं कि क्रान्तिकारियों का रास्ता गलत था. तो यह उन्ही बच्चों में से हैं जो यह अपने माँ - बाप को कहते हैं कि आपने हमें जन्म देकर कोई अहसान नही किया है.
और जो महाश्य हमारे वीर क्रान्तिकारियों को आतंकवाद से जोडते है कृप्या वह इतिहास ठीक से पढ़े. हमारे क्रान्तिकारी कभी किसी कमजोर, महिला बच्चों के साथ बुरा व्यवहार नही करते थे. वह केवल अंग्रेजो की नीतियों के खिलाफ़ थे. आपकी जानकारी के लिए मैं बताना चाहूँगी की शहीद भगत सिंह ने जब असेम्बली में बम फ़ेका तो उन्होने इस बात का खास ध्यान रखा की वहाँ कोई ना हो. अगर भगत सिंह चाहते तो धुएँ का फ़ायदा उठाकर भाग सकते थे. लेकिन उन्होने ऐसा नही किया. क्योकि उनका मकसद खून खराबा नही था वह केवल अपनी बात अंग्रेजो तक पहुँचाना चाहते थे.
हमारे शहीद क्रान्तिकारियो की तुलना आतंक वादियों से करने वाला कोई आतंकवादियों का रिश्तेदार ही हो सकता है.
जय हिन्द!

niranjan ने कहा…

प्रमीन्दर जी आपने सही प्रश्न उठाया है. जहाँ तक लोग यह प्रश्न उठा रहें हैं कि आप गाँधी जी से नराज लगते हैं. तो इसमे नराजगी वाली कोई बात नही है. प्रश्न सिर्फ़ इतना हैं कि क्या केवल उन्ही की वजह से हमें आजादी मिली है ? सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह, राजगुरु,जयगोपाल, सुखदेव, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक , झण्ड़ा सिंह, भगवती चरण, लाला लाजपत राय, अम्बा प्रसाद, तीर्थ राम, बटुकेश्वर दत्त आदि ना जाने कितने ही देश भक्तो ने भारत की आजादी के लिए लाखों कुर्बानियाँ दी. देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले उन देश भक्तो को हम क्यो भूल बैठे हैं.
हम उन शहीदों को क्यो भूला बैठे हैं जिन्होने इस आजादी को बरकरार रखने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया.
अकेले गाँधी जी को ही इतना महत्व क्यों ?
और जो महाश्य यह कहते हैं कि क्रान्तिकारियों का रास्ता गलत था. तो यह उन्ही बच्चों में से हैं जो यह अपने माँ - बाप को कहते हैं कि आपने हमें जन्म देकर कोई अहसान नही किया है.
और जो महाश्य हमारे वीर क्रान्तिकारियों को आतंकवाद से जोडते है कृप्या वह इतिहास ठीक से पढ़े. हमारे क्रान्तिकारी कभी किसी कमजोर, महिला बच्चों के साथ बुरा व्यवहार नही करते थे. वह केवल अंग्रेजो की नीतियों के खिलाफ़ थे. आपकी जानकारी के लिए मैं बताना चाहूँगी की शहीद भगत सिंह ने जब असेम्बली में बम फ़ेका तो उन्होने इस बात का खास ध्यान रखा की वहाँ कोई ना हो. अगर भगत सिंह चाहते तो धुएँ का फ़ायदा उठाकर भाग सकते थे. लेकिन उन्होने ऐसा नही किया. क्योकि उनका मकसद खून खराबा नही था वह केवल अपनी बात अंग्रेजो तक पहुँचाना चाहते थे.
हमारे शहीद क्रान्तिकारियो की तुलना आतंक वादियों से करने वाला कोई आतंकवादियों का रिश्तेदार ही हो सकता है.
जय हिन्द

Unknown ने कहा…

yar aapne iss bat pr to tention le li ki music director gandhi g ko itna bda achivment kyu de rha h,lekin aapne kabhi iss baat ki ninda ki k rani laxmi bai,bhagat singh, or ram k desh m kaise munni badnaam ho rhi h or sheela jawan ho rhi h,
mudda ye nhi ki angerzi hukumat se kisne hme aazad krwaya mudda ye h ki kaise hum is aazad hindustan m munni or sheela k i adao pr jhoom rhe h.
kaise khadi roopi bhesh m ye neta nam k janwar hamara shoshan kar rhe h.
wakt hai inke khilaph aawaj uthane ka na ki etihaas ko yad krne ka.
aap hi sochiye kya hum aazad h ..................?

vipin/gajanand ने कहा…

yar aapne iss bat pr to tention le li ki music director gandhi g ko itna bda achivment kyu de rha h,lekin aapne kabhi iss baat ki ninda ki k rani laxmi bai,bhagat singh, or ram k desh m kaise munni badnaam ho rhi h or sheela jawan ho rhi h,
mudda ye nhi ki angerzi hukumat se kisne hme aazad krwaya mudda ye h ki kaise hum is aazad hindustan m munni or sheela k i adao pr jhoom rhe h.
kaise khadi roopi bhesh m ye neta nam k janwar hamara shoshan kar rhe h.
wakt hai inke khilaph aawaj uthane ka na ki etihaas ko yad krne ka.
aap hi sochiye kya hum aazad h ..................?

Unknown ने कहा…

aapko chahiye ki aise muddo ki jagah aawaj uthaye un tathyo par jo sochne pr mjboor kre.
aap bhi iss tarah ki baate krte h jaise aap bhi sirf un logo k lie hi likhte h jo aap ko like krte h.
muddh hi uthana h to mahngaai ka uthaiye, ungli un logo pr uthaieye jo 1 or krishi mantri h or dusri or icc k prisednt. jo khte h ki cricket m bhrashachhar na ho or unhi ki nak k neeche desh k kisaan bhukhe mar rhe h.
vipin

pandit visnugupta ने कहा…

desh ka durbhagya hai jo gandhi ke naam par kaayarta ko badhava diya ja raha hai........

satyata yahi hai ki sansar ke do hi pahalu hain "yudhh or shanti"

or dono hi stithi main vykti ko jivan yapan karana aana chaie.... keval shanti asambhav hai.....

gandhibaad vastav main sirf ek rajnitik fayada uthane ka paryay matra hai....

jai hindu
jai hindu sthan

maya ने कहा…

यार क्या लिखते हो ............ सीधे दिल पे वार करते हो
पर एक बात है दोस्त की संघ के रंग में पूरी तरह रंगे हुए हो ..........
दोस्त तुम जैसे लोगो की ही जरुरत है जो बाकि के शहीदों को भी सम्मान दिला सके.....
तुम ही ऐसा कोई देश भक्ति गीत लिख दो जिसमे उन् शहीदों का नाम भी
आये और दुनिया बाकि के शहीदों को भी जान सके जो हमारी
आज़ादी में बहुत योगदान रखते है ....................

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

आप को यह दिखाई देना चाहिए कि यह कोई इतिहास नहीं एक फिल्म का गीत है। पता नहीं इस बात को इतनी गम्भीरत से लेने की क्या जरूरत थी। मनोज कुमार की फिल्म देखिए, एक जगह वह शहीद में शानदार काम भी करते हैं तो दूसरी जगह उपकार में गाँधी और जवाहरलाल के नाम पर भी गीत गाते हैं।

इस गीत से किसी दूसरे शहीद का अपमान नहीं होता। मैंने खुद गाँधी जी पर गीत और कविताएँ भी लिखी हैं और भगतसिंह पर भी।

सोच का दायरा छोटा है, इसे बड़ा किया जा चाहिए।


एक बात और आपके ब्लाग पर जितने टिप्पणीकार हैं उनमें से किसी ने गाँधीवाद को जाना नहीं है। पहली बात तो यह कि गाँधीवाद कुछ है ही नहीं।
जिस बाबा रामदेव की बात आप यहाँ करते रहते हैं, उनके स्वदेशी के सिद्धान्त और अनशन का श्रेय भी गाँधी को ही जाता है। मैं हिंसा और अहिंसा दोनों को पसन्द करता हूँ लेकिन यह भगतसिंह के अहिंसा वाले तरीके से होगा। लेकिन गाँधी के सामाजिक और आर्थिक सिद्धान्तों को देखें तो मालूम होगा कि गाँधी के विचार कैसे हैं? गाँधी नहीं गाँधी का विचार महत्वपूर्ण है।

यह गीत सिर्फ़ श्रद्धा से गाया है न कि शहीदों से द्वेष रखकर। जैसे आप एक नहीं बहुत से लोगों को प्रणाम करते हैं भले उनके विचार आपसे कितने भी भिन्न हों।