पिछड़ा वर्ग कोटे में अल्पसंख्यक आरक्षण पर केंद्र सरकार से जवाब तलब



18/4/20012 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे में साढे़ चार फीसदी अल्पसंख्यकों को विद्यालयों में प्रवेश का आरक्षण देने की अधिसूचना की वैधता की चुनौती में दाखिल जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से एक माह में जवाब मांगा है।
पिछड़ा वर्ग कोटे में अल्पसंख्यक आरक्षण पर केंद्र सरकार से जवाब तलब

यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एसयूजेड सिद्दीकी की खंडपीठ ने अधिवक्ता संगठन प्रहरी की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह तथा भारत सरकार के सहायक सालीसिटर जनरल आरबी सिंहल ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 15 -4 के अंतर्गत जाति एवं धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार ने 22 दिसंबर 11 को अधिसूचना जारी की है। याचिका में इसके भारतीय गजट में प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की गई है। केंद्र सरकार ने इसे 1 जनवरी 12 से लागू घोषित किया है। याचिका में केंद्र सरकार की अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गयी है। याची अधिवक्ता श्री सिंह का कहना था कि आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिया था जिसे हाईकोर्ट ने रद कर दिया था। इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में विशेष अनुमति याचिका विचाराधीन है। इन्द्रा साहनी केस में निर्धारित आरक्षण देने के विधि सिद्धांत इस मामले लागू नहीं होंगे। यह अनुच्छेद 16-4 के अंतर्गत दिया गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने केंद्र सरकार से एक माह में जवाब मांगा है और इसके बाद याची को प्रत्युत्तर दाखिल करने का दो सप्ताह का समय दिया है।

11/4/20012
केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को ४.५% आरक्षण देने पर, "प्रहरी" की ओर से दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई आज सुनवाई हुई, प्रहरी को ओर से श्री बी एन सिंह और भारत सरकार की ओर से सहायक न्यायवादी आर बी सिंघल प्रस्तुत हुए..
मामले की सुनवाई करते हुए माननीय मुख्य न्यायमूर्ति एस आर आलम और माननीय न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने याचिका को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया और याचिका के विशेष पीठ को सुनवाई के लिए १७ अप्रैल तिथि नियत की.


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