राष्ट्रभाषा हिंदी के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी



राजभाषा हिंदी के संबध में महत्वपूर्ण जानकारी
  • विश्व के लगभग 133 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। ऐसे देशों में जहां भारतीय मूल के लोगों की संख्या अधिक है, जैसे फिजी, गुआना, मारीशस, नेपाल, कम्बोडिया, त्रिनिदाद आदि के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जाती है।
  • प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर, दूसरा मारीशस तथा तीसरा नई दिल्ली में हुआ था।
  • पश्चिमी देशों में लंदन विश्वविद्यालय की ‘स्कूल आॅफ ओरियंटल एण्ड अफ्रीकन स्टडीज’ सबसे प्राचीन संस्था है जिसमें हिंदी पढ़ाने की व्यवस्था है।
  • फ्रांस दूसरा बड़ा देश है, जहां हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। उत्तरी अमेरिका में हिंदी पढ़ाने वाले 114 केन्द्र हैं, जबकि सोवियत रूस में 7 हिंदी शोध संस्थान हैं।
  • दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना मद्रास में 1927 में हुई।
  • ब्रिटिश भारत में, 1803 में पहला परिपत्र जारी किया गया ताकि सभी नियमों, विनियमों का हिंदी में अनुवाद किया जाए।
  • दक्षिण में हिंदी का आगमन अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1296 के आक्रमण के बाद शुरू हुआ।
  • 14वीं सदी में अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुण्डा, बीदर, आदिलशाही, कुतबशाही, बरीदशाही आदि राज्यों ने हिंदी को अपनी राजभाषा बनाया था।
  • ‘हिन्दुस्तान लैंग्वेज’ नामक पहला हिंदी ग्रामर जाॅन जोशना केटलर ने 1698 में लिखा। तारिक फरिश्ता’ नामक पुस्तक के अनुसार बीजापुर और गोलकुण्डा के बहमनी साम्राज्य की राजभाषा हिंदी थी।
  • तंजावुर के राजा श्री शाह ने हिंदी में ‘विश्वजीत’ और ‘आधाविलास’ नामक दो नाटक क्रमशः 1674 और 1711 में लिखे।
  • देवनागरी टाइप अक्षर सर्वप्रथम 1667 में यूरोप में तैयार किए गए।
  • प्रसि( पश्चिमी विद्वानों- एडबीनग्रीव्स, ग्राडस, ग्रियर्सन, ग्रिफिथ, हार्नले, रोडाल्फ, टेसीदरी, ओल्डाम, पीनकैट इत्यादि ने हिंदी के विकास में बहुत योगदान दिया।
  • संयुक्त राष्ट्र में हिंदी स्वीकार करने का प्रस्ताव मारीशस द्वारा रखा गया।
  • वर्ष 1909 से मारीशस में ‘‘हिन्दुस्तान’’ नामक तथा फिजी में ‘‘फिजी समाचार’’ नाम से हिंदी साप्ताहिक छप रहे हैं।
  • करीब 3000 हिंदी पुस्तकें प्रतिवर्ष प्रकाशित होती हैं।
  • विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी का दूसरा स्थान है।


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