महाराज छत्रसाल



पन्ना नरेश महाराज चम्पतराय जी बडे़ धर्मनिष्ठ एवं स्वाभिमानी शासक थे। ज्येष्ठ शुक्ल तृृतीया विक्रम सम्वत 1706 को  बालक  छत्रसाल  का  उनके  मोर पहाड़ी के जंगल में जन्म हुआ। उस समय मुगल सम्राट शाहजहां की सेना चारों ओर से घेरा डालने के प्रयत्न में थी। इसलिए इनके पिता ने पुत्र जन्म का उत्सव नहीं मनाया था। पिता की मृृत्यु के पश्चात् 13 वर्ष की अवस्था तक छत्रसाल को ननिहाल में रहना पड़ा और उसके बाद वह पन्ना चले आए और चाचा सुजानराव ने बड़ी सावधानी  से  उन्हें  नैतिक  शिक्षा  दी। आरम्भ से ही छत्रसाल के मन में मुगलों के अत्याचारों से भारत को मुक्त कराने की आकांक्षा थी।

महाराज चम्पतराय का शरीरान्त हो  जाने  पर  युवराज  छत्रसाल  अपने पिता के संकल्प को पूरा करने के लिए सिंहासन पर बैठे। उस समय दिल्ली के सिंहासन पर औरंगजेब बैठ चुका था। उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज से बड़ी प्रेरणा मिली और छत्रपति शिवाजी की सलाह  के  अनुसार  ही  उन्होंने  अपनी शक्ति से मुगलों से अपनी जन्मभूमि को मुक्त कराने का बीड़ा उठाया। उन्होंने सबसे पहले झांसी को अपना निशाना बनाया और बलपूर्वक झांसी पर अधिकार कर लिया। 

1671 ई0 में जलायून, (जालौन) में उनका घोर संग्राम हुआ और सन 1680 में हमीरपुर पर भी उन्होंने अपना राज्य स्थापित कर लिया।  मुगलों ने कूटनीतिक चाल से आपको फांसने की कोशिश की लेकिन छत्रसाल जहां महान शक्तिशाली थे वहीं बडे़ नीतिज्ञ भी थे। वे समझ गए कि दिल्लीपति उनसे सीधी टक्कर नहीं लेकर नवाब अहमदखान के द्वारा उन्हें घेरना चाहता है। छत्रसाल ने तुरंत पेशवा बाजीराव प्रभु से सहायता मांगी और फिर महाराष्ट्र और बुंदेलों की संयुक्त सेना ने बुंदेलखण्ड को स्वतंत्र करा के हिन्दू गौरव की पताका लहरा दी।

वीररस के शिरोमणि कवि भूषण को केवल दो ही व्यक्तियों को अपनी शौर्य गाथा का केन्द्र बनाना रास आया। उन्होंने  लिखा-‘शिवा  को  सराहों,  के सराहों  छत्रसाल  कौं’  छत्रसाल  के राजकवि लाल ने ‘छत्र प्रकाश’ में उनके शौर्य का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। बुंदेलखण्ड की प्रजा उन्हें साक्षात् देवता मानती थी। अपनी प्रजा के दुःख में वे सदैव ही दुःखी हो उठते थे। छत्रसाल महाराज के हृदय में अंत तक हिन्दू धर्म के उद्धार की तीव्र ज्वाला प्रज्ज्वलित रही। मुगलों से लोहा लेते हुए इस महान धर्मरक्षक  ने  अपने  आपको  भारत  की पवित्र भूमि में विलीन कर दिया। आपकी जीवनी देशभक्तों को सदा प्रेरित करती रहेगी।


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