आदित्यनाथ को पप्पू बनाते उनके अधिकारीगण

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक जन शिकायतों के निवारण के लिए जनसुनवाई तंत्र स्थापित किया है, जिसे आईजीआरएस के नाम से भी जाना जाता है.. 

कहने के लिए पर्याप्त है कि यह इसकी मोनिटरिंग मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की जाती है, हकीकत यह है कि यह व्यवस्था सिर्फ अधिकारियों के खेल की वस्तु से अधिक नहीं है.. 

जनता के हाथ में शिकायत संख्या के नाम पर ऐसा झुनझुना पकड़ा दिया जाता है जो सिर्फ आत्मसंतुष्टि ही दे पाती अपितु कोई परिणाम देने के बजाय... 

अब तो यह प्रतीत होता है कि अधिकारियों में सरकार का कोई खौफ नहीं है क्योकि जबावदेही ही नहीं है बिना दंड और जवादेही के कोई सरकारी व्यवस्था सुचारू रूप से काम कर ही नहीं सकती है..

बहुतायत जनशिकायतों पर अधिकारीयों द्वारा नज़र इनायत कि तक न अहि जाती और बिना पढ़े ही मामले को अधिनस्त अधिकारी को भेज दी जाति है और अंत में जिसके विरुद्ध शिकायत की जाती है उसके पास शिकायत पहुच जाती है और वह अधिकारी अपने आपको दोष मुक्त कर जन शिकायत का निस्तारण कर देता है.. अर्थात अधिकारीगण आपस में मिल कर मुख्यमत्री सहित पुरे मंत्रिमंडल और जानता को पप्पू बनाने सफल प्रयास में लगे है..

क्या यह प्रणाली वास्तव में जनउपयोगी है या सिर्फ जानता को ठगने भर का प्रभावशाली कोशिश !

नोट- आईजीआरएस के सम्बन्ध में आपके अनुभव हो तो जरूर शेयर करें..

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