tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post668902365971174588..comments2024-03-22T07:37:13.933+05:30Comments on महाशक्ति: कालेज की लड़कियॉंPramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-85201486610699070252007-08-22T13:13:00.000+05:302007-08-22T13:13:00.000+05:30करते हैं थैंक्स आपको, कविता लिखी सुन्दर पढने से खु...करते हैं थैंक्स आपको, कविता लिखी सुन्दर <BR/>पढने से खुल गई मेरे भेजे की खिडकियां <BR/><BR/>सुन लें सुझाव मेरा, और पीछा रहे इनके <BR/>देने दें इन्हें देती हैं जितनी भी झिडकियां <BR/><BR/>आपकी डेढ किलो तुकबन्दी में पचास ग्राम मेरी भी सही.....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-73590925996401423832007-08-22T06:48:00.000+05:302007-08-22T06:48:00.000+05:30ओ.के.जानकारी देने के लिए धन्यवाद।ओ.के.<BR/>जानकारी देने के लिए धन्यवाद।संतोष कुमार पांडेय "प्रयागराजी"https://www.blogger.com/profile/10148309928175371052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-65966929789997532007-08-22T06:13:00.000+05:302007-08-22T06:13:00.000+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-47001117876050663112007-08-22T06:12:00.000+05:302007-08-22T06:12:00.000+05:30बंसत जी न आपका कोई ईमेल मिला न कोई सम्पर्क सूत्र,...बंसत जी न आपका कोई ईमेल मिला न कोई सम्पर्क सूत्र, चूकिं यह कविता, तारा चन्द्र जी ने डाली है इसलिये उनकी बात आने तक हमें इंतजार करना चाहिऐ।<BR/><BR/>मुझे लगता है कि वे नये है ज्यादा जानकारी नही है अगर आप जैसा कह रहे है कि रचना कोई रहबर की है तो मै ताराचन्द्र जी से कहूँगा कि आगे से वे अपनी ही रचना डाले और यदि किसी अन्य की डालते है तो उनके लेखक या कवि के नाम से डालें।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-62142549751956372162007-08-21T21:59:00.000+05:302007-08-21T21:59:00.000+05:30ये भी जिक्र कर दिया होता कि ये गजल अंजुम रहबर की ह...ये भी जिक्र कर दिया होता कि ये गजल अंजुम रहबर की है तो वे कितनी खुश होती?बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-39615763987059121962007-08-21T21:55:00.000+05:302007-08-21T21:55:00.000+05:30ये भी जिक्र कर दिया होता कि ये गजल अंजुम रहबर की ह...ये भी जिक्र कर दिया होता कि ये गजल अंजुम रहबर की है तो वे कितनी खुश होती?बसंत आर्यhttps://www.blogger.com/profile/15804411384177085225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-71358080531396342252007-08-21T19:47:00.000+05:302007-08-21T19:47:00.000+05:30बहुत ही अच्छी कविता है,कालेज की याद आ गयी।बहुत ही अच्छी कविता है,कालेज की याद आ गयी।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15252091392436256567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-78707029557355005142007-08-21T15:32:00.000+05:302007-08-21T15:32:00.000+05:30क्या बॉस! किधर है लड़कियां :)पन लोचा जे है बावा कि ...क्या बॉस! किधर है लड़कियां :)<BR/><BR/>पन लोचा जे है बावा कि जैसे ही कॉलेज में दिखती इन लड़कियों के परिचय संसार में आप शामिल हो जाओगे, ये कुछ और लगने लगेंगी पर पहले जैसी न लगेंगी। जितना ज्यादा आप इनके नज़दीक जाते जाओगे ये उतना ही बदलती हुई सी लगेंगी!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-17365939578688760722007-08-21T11:39:00.000+05:302007-08-21T11:39:00.000+05:30हर जिन्दगी में नदियों की साहिल है लड़कियॉं।। आखिर...हर जिन्दगी में नदियों की साहिल है लड़कियॉं।। <BR/>आखिरी लाईन पूरी कविता को समझने में काफी मदद करती है. आैर जैसा कि पाण्डे जी कहा है कि ये लड़कियां कॉलेज की जिन्दगी के बाद बड़ी तेजी से बदल जाती हैं. बिल्कुल सत्य है.Rakesh Pasbolahttps://www.blogger.com/profile/05461256149422744206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-79809855117246779452007-08-21T08:05:00.000+05:302007-08-21T08:05:00.000+05:30ज्ञानी जी कह गये तो हम हर हाल में चुप ही रह जाते ह...ज्ञानी जी कह गये तो <BR/>हम हर हाल में चुप ही रह जाते हैं...,<BR/>मौन शब्दों से अपनी बात कह जाते हैं.<BR/>-शुभकामनायेंUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-70176655412786798932007-08-21T07:27:00.000+05:302007-08-21T07:27:00.000+05:30बहुत अच्छी कविता है बन्धुवर. बस दिक्कत यही है कि य...बहुत अच्छी कविता है बन्धुवर. बस दिक्कत यही है कि ये लड़कियां कॉलेज की जिन्दगी के बाद बड़ी तेजी से बदल जाती हैं.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com