tag:blogger.com,1999:blog-304824242024-03-18T15:22:06.260+05:30महाशक्तिजो हमसे टकरायेगा चूर-चूर हो जायेगाPramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comBlogger1075125tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-87086774168371408382024-03-02T09:48:00.001+05:302024-03-02T09:48:30.203+05:30विधि तुच्छ बातो पर ध्यान नहीं देती "विधि तुच्छ बातो पर ध्यान नहीं देती"("Law gives no importance to trifles" De mini mis non curat lex) इस कहावत का अर्थ है कि विधि उन बातों पर ध्यान नहीं देती जो अपने शाब्दिक अर्थ में तो अपराध की श्रेणी में जाते हैं परन्तु उनमें क्षति नाममात्र की होती है जिसके लिए अपराध का संज्ञान करना भी न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। उदाहरणतः दूसरे व्यक्ति की दवात में कलम डुबोना, चोरी करना होगा, किसी के पापड़ Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-68721456655614099642024-03-02T09:45:00.008+05:302024-03-02T09:45:51.936+05:30चुरायी हुई सम्पत्ति प्राप्त करना - Receiving of stolen propertyभा० द० सं० की धारा 410 चुराई हुई संपत्ति की परिभाषा प्रस्तुत करती है जिसके अनुसार - "वह संपत्ति जिसका कब्जा चोरी द्वारा या उद्यापन द्वारा या लूट द्वारा अंतरित किया गया है और वह संपत्ति जिसका आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है या जिसके विषय में आपराधिक न्यास-भंग किया गया है, "चुराई हुई संपत्ति" कहलायेगी, चाहे वह अंतरण या वह दुर्विनियोग या न्यास-भंग भारत के भीतर किया गया हो या बाहर । किन्तु यदि ऐसी Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-70846902735211525932024-03-02T09:42:00.005+05:302024-03-02T09:42:55.237+05:30राजद्रोह - Seditionधारा 124-क के अनुसार- "जो कोई बोले गये या लिखे गये शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपण द्वारा या अन्यथा भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा या पैदा करने का प्रयास करेगा या अप्रीति उत्पन्न करने का प्रयास करेगा, वह आजीवन कारावास से जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या जुमनि से दण्डित किया जायेगा।" Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-8021681311443774522024-03-02T09:40:00.003+05:302024-03-02T09:40:23.059+05:30द्विविवाह - Bigamyभा० द० सं० की धारा 494 ऐसे विवाह को दण्डनीय बनाती है जो विवाह के पक्षकार की पति अथवा पत्नी के जीवित रहने के कारण शून्य है। इस प्रकार के विवाह को अंग्रेजी विधि में द्विविवाह (Bigamy) कहा जाता है। धारा 494 के अनुसार- "जो कोई पति अथवा पत्नी के जीवित होते हुए किसी ऐसी दशा में विवाह करेगा जिसमें ऐसा विवाह इस कारण से शून्य है कि वह ऐसे पति अथवा पत्नी के जीवन काल में होता है वह दोनों में से किसी भांति Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-13184016558407637562024-03-02T09:32:00.004+05:302024-03-02T09:32:45.148+05:30 पत्नी पर होने वाली निर्दयता के विरुद्ध उपबंध - Provisions against the cruelty towards wifeपत्नी पर होने वाली निर्दयता जो कि पति द्वारा या उसके नातेदार (Relatives) द्वारा होती थी, को रोकने के लिए धारा 498A में प्रावधान किये गये हैं। जिसके अनुसार जो कोई किसी स्त्री का पति अथवा पति का नातेदार होते हुए उस स्त्री के साथ निर्दयतापूर्वक व्यवहार करेगा उसे तीन वर्ष तक की अवधि के कारावास से दण्डित किया जा सकेगा और वह जुर्माना के लिए भी दायी होगा।वजीर चन्द्र बनाम हरियाणा राज्य (AIR 1989 S.C. Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-80517139080779001222024-03-02T09:30:00.004+05:302024-03-02T09:30:22.314+05:30 दहेज मृत्यु - Dowry Deathदहेज से मृत्यु भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 ख के अन्तर्गत दहेज से मृत्यु के सम्बन्ध में प्रावधान है। यह प्रावधान दहेज निषेध (संशोधन) अधिनियम, 1986 की धारा 10 द्वारा भारतीय दण्ड संहिता में निविष्ट किया गया है। यह धारा यह प्रावधान करती है-धारा 304 (ख). जहाँ किसी, स्त्री की मृत्यु-उसके विवाह होने के सात वर्ष के अन्दर जलने या किसी शारीरिक क्षति होने अथवा सामान्य परिस्थितियों के अंतर्गत जैसी मृत्यु Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-21044961336003310742023-09-22T21:42:00.004+05:302023-09-22T21:42:52.901+05:30नमामि शमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं - शिव रुद्राष्टकमशिव रुद्राष्टकमनमामि शमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेहं॥1॥निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं।करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतोहं॥2॥तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं।स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥3॥चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-85651502537498233292023-08-31T13:04:00.005+05:302023-09-14T15:31:06.603+05:30श्री गणेश स्तुति एवं भगवान गणपति के मंत्रवक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णकः ।लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो गणाधिपः ॥धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः ।द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि ॥विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा ।संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-62997387809043556332023-07-01T15:21:00.003+05:302023-09-25T15:37:12.278+05:30ब्रह्मचर्य का नियम एवं शक्ति तथा ब्रह्मचर्य का पालनब्रह्मचर्य तो महान तप है , जो इसका पूर्ण पालन कर लेते है वे तो वह देव स्वरूप ही होता है ।” न तपस्तप इत्याहुः ब्रह्मचर्य तपोत्तमम् ।उर्ध्वरेता भवेद्यस्तु स देवौ न तु मानुषः ॥”लेकिन यह बहुत कठिन है क्योंकि पितामह ने सृष्टि के लिए प्रकृति की रचना करके सारे प्राणियों को मन व इन्द्रियों से युक्त कर रखा है तथा बुद्धि को त्रिगुण से युक्त कर के तब सृष्टि का रचना किया है। अतः हम रज तम से प्रवृत्त हो कर Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-29850018503514564002023-06-28T16:47:00.000+05:302023-06-28T16:47:38.766+05:30उदय प्रकाश का जीवन परिचय एवं रचनाजीवन परिचय - उदय प्रकाश का जन्म एक क्षत्रिय वंश में 1 जनवरी 1952 ई. को मध्य प्रदेश के शहडोल जिले (वर्तमान में अनूपपुर) के एक छोटे से गाँव, ‘सीतापुर’ में हुआ था। सीतापुर गांव मध्य प्रदेश में अब ‘अनूपपुर’ के नाम से जाना जाता है। ‘अनूपपुर’ गाँव सोन नदी और नर्मदा नदी की गोद में बसा हुआ है। उदय प्रकाश ने स्वयं कहा है, ‘‘नर्मदा और सोन दोनों हमारे गाँव के पास से ही निकलती हैं। दोनों नदियों के बहुत Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-68635873484875291162023-04-15T11:09:00.006+05:302023-07-13T13:35:58.668+05:30विद्यापति का जीवन परिचय एवं उनकी साहित्यिक विशेषताएं विद्यापति का जीवन परिचयकवि कोकिल विद्यापति का पूरा नाम विद्यापति ठाकुर था। वे बिसइवार वंश के विष्णु ठाकुर की आठवीं पीढ़ी की संतान थे। उनकी माता गंगा देवी और पिता गणपति ठाकुर थे। वैसेरामवृक्ष बेनीपुरी उनकी माँ का नाम हांसिनी देवी बताते हैं, पर विद्यापति के पद की भनिता (हासिन देवी पति गरुड़ नारायण देवसिंह नरपति) से स्पष्ट होता है कि हांसिनी देवी महाराज देव सिंह की पत्नी का नाम था। कहते हैं कि Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-87360087063951424672023-03-02T13:33:00.003+05:302023-09-25T15:48:30.096+05:30आयु वृद्धि के साथ रोग से छुटकारा प्राप्त करने का मंत्रआयु वृद्धि के साथ रोग से छुटकारा प्राप्त करने का मंत्रॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥हवन विधि - जप के समापन के दिन हवन के लिए बिल्वफल, तिल, चावल, चन्दन, पंचमेवा, जायफल, गुगुल, करायल, गुड़, सरसों धूप, घी मिलाकर हवन करें।रोग शान्ति के लिए, दूर्वा,गुरूच का चार इंच का टुकड़ा,घी मिलाकर हवन करें। श्री प्राप्ति के लिए बिल्व फल,कमल बीज,तथा खीर का Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-1905462916115537472023-02-01T11:23:00.002+05:302023-08-18T22:07:09.006+05:30यौन पहचान - Sexual Identityपुरुष, महिला के रूप में स्वयं की सबसे आंतरिक अवधारणा, दोनों या दोनों का मिश्रण - व्यक्ति खुद को कैसे समझते हैं और वे खुद को क्या कहते हैं। किसी की लिंग पहचान जन्म के समय सौंपे गए उनके लिंग से समान या अलग हो सकती है। लोग स्वाभाविक रूप से लिंग पहचान, अभिव्यक्ति, कामुकता और रोमांटिक झुकाव की एक अविश्वसनीय विविधता में आते हैं। फिर भी संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई स्थानों पर, लोगों को अक्सर उनके यौन Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-73583013644619582292023-01-21T08:25:00.002+05:302023-01-21T08:25:23.916+05:30भीष्म द्वादशी महत्व, पूजन विधि एवं मंत्रभीष्म द्वादशी माघ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और यदि संतान है तो उसकी प्रगति होती है। इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होकर सुख-समृद्धि मिलती है। भीष्म द्वादशी को गोविंद द्वादशी भी कहते हैं। धर्म एवं ज्योतिष के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी का व्रत किया जाता है। इसे गोविंद द्वादशी भीPramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-48456679021977231472023-01-21T07:53:00.004+05:302023-01-21T07:53:27.876+05:30जया एकादशी पौराणिक कथा, महत्व, व्रत व पूजा विधिजया एकादशी पौराणिक कथाकथा के अनुसार एक समय नंदन वन में उत्सव मनाया जा रहा था। उस उत्सव में सभी देवता और ऋषि मुनि शामिल हुए। उत्सव में गंधर्व गाने रहे थे और अप्सराएं नृत्य कर रही थी। गंधर्व में से एक गंधर्व जिनका नाम माल्यवान था। उनके गाने को सुनकर पुष्पवती नाम की अप्सरा मोहित हो गई। वह मल्लवान को अपनी और आकर्षित करने के लिए प्रयत्न करने लगी। पुष्पवती के ऐसा करने से मल्लवान का सुर ताल खराब होने Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-66773297850791010172022-12-31T10:32:00.003+05:302023-07-13T13:28:31.535+05:30खान पान से गंभीर से गंभीर बीमारी को कहें अलविदाजब भी भोजन किया जाये तो भोजन का एक समय निश्चित होना चाहिए। ऐसा नहीं की कभी भी कुछ भी खा लिया। हमारा ये जो शरीर है वो कभी भी कुछ खाने के लिए नहीं है। इस शरीर में जठर (अमाशय) है, उसमें अग्नि प्रदीप्त होती है। जठर में जब अग्नि सबसे ज्यादा तीव्र हो उसी समय भोजन करें तो आपका खाया हुआ, एक एक अन्न का हिस्सा पाचन में जाएगा और रस में बदलेगा और इस रस में से मांस, मज्जा, रक्त, मल, मूत्र, मेद और आपकी Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-45993763727964662132022-12-24T13:17:00.006+05:302023-09-19T21:37:02.688+05:30घरेलू धनिये के सर्वश्रेष्ठ औषधीय फायदेधनिये के फायदे और नुकसानCoriander (Dhaniya) In Hindiभारतीय भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए जितने महत्वपूर्ण मसाले होते हैं, उतना ही योगदान सब्जी, दाल और सलाद को जायकेदार बनाने के लिए गार्निशिंग का होता है। गार्निशिंग के लिए वैसे तो बहुत सारी चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। मगर सबसे प्रमुख धनिया के पत्ते होते हैं। बाजार में मात्र 5 से 10 रुपए में मिल जाने वाली धनिया खाने के स्वाद को दोगुना कर Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-33747188830583391562022-12-16T11:51:00.000+05:302022-12-16T11:51:13.464+05:30परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीदअब्दुल हमीदअब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई, 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित धरमपुर नाम के छोटे से गाँव में गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था। उनके यहां परिवार की आजीविका को चलाने के लिए कपड़ों की सिलाई का काम होता था। लेकिन अब्दुल हमीद का दिल इस सिलाई के काम में बिल्कुल नहीं लगता था, उनका मन तो बस कुश्ती दंगल और दांव पेचों से लगता था, क्योंकि पहलवानी Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-83846866463282264722022-11-26T23:20:00.002+05:302022-11-26T23:20:48.628+05:30एक अंग्रेज जिलाधिकारी पर श्री राम कृपामधुरांतकम चेंगलपेट जिले का एक छोटा-सा शहर है, जो मद्रास (वर्तमान में चेन्नई) से पांडिचेरी के रास्ते पर है। वहां पर श्री रामचन्द्र जी का एक छोटा-सा मंदिर है। उस मंदिर के नजदीक एक बड़ी झील भी है। मद्रास से पांडिचेरी जाने वालों को उसी सड़क से जाना पड़ता है, जो मधुरांतकम की उस झील के बांध पर है। वह झील इतनी सुन्दर और काफी बड़ी है कि जिन लोगों को उस रास्ते पर जाना पड़ता है, उन लोगों का मन उस झील की Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-58556614660826117192022-11-18T12:41:00.008+05:302023-09-19T22:30:37.078+05:30लंगोट पहनने के फायदे और लाभजब भी लंगोट का नाम आता है तो मन में हनुमान जी का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि वे हमेशा लंगोट पहनते है, दूसरा लंगोट साधकों का भी प्रतीक है क्योंकि जब पहले के साधु साधना करते थे तो वे अपने शरीर पर लंगोट के अलावा कुछ भी धारण नहीं करते थे, ऐसे साधकों को आज भी देखा जा सकता है। इसके अलावा लंगोट ब्रह्मचर्य का भी प्रतीक है क्योंकि माना जाता है कि जो व्यक्ति लंगोट पहनता है उसका उसकी काम वासना पर नियंत्रण Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-78026652103455591422022-11-09T21:06:00.000+05:302023-07-14T21:07:21.772+05:30Unlimited Best Sad Shayari in Hindiकुछ अधूरा पन था जोपूरा हुआ नहीं,कोई मेरा होकर भी मेराहुआ नहीं…!परवाह करने वाले अक्सर रुला जाते है,अपना कहकर पराया कर जाते है,वफ़ा जितनी भी करो कोई फर्क नहीं,“मुझे मत छोड़ना” कहकर खुद छोड़ जाते.!किसी को चाहकर छोड़ देनाबहुत आसान हैकिसी को छोड़कर भी चाहो तोपता चलेगा मुहब्बत किसे कहते हैं.!बरबाद करना था तो किसी औरतरीके से करतेजिन्दगी बनकर जिन्दगी से जिन्दगीही छीन ली तुमने.!बहुत तकलीफ देती है न मेरी Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-17294919503281598242022-11-08T21:20:00.003+05:302023-09-26T22:52:29.959+05:30बडगुजर या बढ़गुजर राजपूत Badgujar Rajputsबडगूजर (राघव) भारत की सबसे प्राचीन सूर्यवंशी राजपूत जातियों में से एक है। वे प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित राजवंशो में से हैं। उन्होंने हरावल टुकड़ी या किसी भी लड़ाई में आगे की पहली पंक्ति में मुख्य बल गठित किया। बडगुजर ने मुस्लिम राजाओं की सर्वोच्चता को प्रस्तुत करने के बजाय मरना चुना। मुस्लिम शासकों को अपनी बेटियों को न देने के लिए कई बडगूजरों की मौत हो गई थी। कुछ बडगुजर उनके कबीले नाम बदलकर Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-1588903773471373332022-10-29T11:18:00.000+05:302022-10-29T11:18:02.347+05:30राठौड़ क्षत्रिय वंश की सभी शाखाओं का इतिहासराठौड़ वंश के गोत्राचारवंश -सूर्यवंशगोत्र-गोतमगुरु- वशिष्टनिकास -अयोध्याईष्ट -सीताराम ,लक्ष्मीनारायणनदी -सरयूपहाड़ -गांगेयकुण्ड -सूर्यवृक्ष-नीमपितृ -सोमकुलदेवी -नागणेचाभेरू-मंडोर, कोडमदेसरकुलदेवी स्थान -नागाणा जिला -बाड़मेरचिन्ह -चिलक्षेत्र -नारायणपूजा -नीमबड-अक्षयगाय-कपिलाबिडद-रणबंकाउपाधि -कमधजशाखा -तेरह में से दानेसरा राजस्थान में हैनिशान -पचरंगाघाट -हरिद्वारशंख -दक्षिणवर्तसिंहासन -चन्दन Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-36680210268125643462022-10-16T11:09:00.001+05:302023-09-26T07:45:20.330+05:30मुस्लिम संत हरिदास ठाकुर यवन की कृष्ण भक्तिश्री हरिदास जी का जन्म वर्तमान जैसोर जिले के बूढ़न नामक ग्राम में एक संभ्रान्त मुसलमान के घर हुआ था। किसी पूर्व संस्कार के कारण बाल्यकाल से ही हरिदास को हरि नाम बड़ा प्यारा लगता था, श्रीकृष्ण की लीलाओं को वे बड़े चाव से सुना करते, धीरे-धीरे हरिदास का मन मुसलमानी मजहब से (कुछ लोगों का कहना है कि हरिदास जी का जन्म हिन्दू कुल में हुआ था और वे पीछे से मुसलमान हो गये थे) हट गया और उन्होंने अपना जीवन Pramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-70690385218718296802022-10-13T11:38:00.003+05:302022-10-13T11:38:17.709+05:30 श्रीराम की पुनः लंका - यात्रा और सेतु भंग पद्म पुराण के अनुसार एक समय भगवान श्रीराम को राक्षस राज विभीषण का स्मरण हो आया। उन्होंने सोचा कि ‘विभीषण धर्म पूर्वक शासन कर रहा है कि नहीं ? देव - विरोधी व्यवहार ही राजा के विनाश का सूत्र है। मैं विभीषण को लंका का राज्य दे आया हूँ, अब जाकर उसे सम्हालना भी चाहिए। कहीं राज मद में उससे अधर्माचरण तो नहीं हो रहा है। अतएव मैं स्वयं लंका जाकर उसे देखूँगा और हितकर उपदेश दूँगा, जिससे उसका राज्य अनन्त कालPramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com0