आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की अराजकता से ग्रसित है। जब यह विश्वविद्यालय स्वनियत्रण में आया है तब से इसके कुलपति अपने आपको विश्वविद्यालय के सर्वेसर्वा मानने लगे है। करोड़ो रूपये की छात्र कल्याण हेतु आर्थिक सहायता सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है। जो काम छात्रों के काम छात्र संघ होने पर तुरंत हो जाता था आज कर्मचारी उसी काम को करने में हफ्तो लगा देते है। जिस छात्र संघ ने कई केन्द्रीय मंत्री और राज्य सरकार को मंत्री देता आ रहा है उस पर प्रतिबंध लगाना गैरकानूनी है। आज जबकि जेएनयू और डीयू जैसे कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में चुनाव हो रहे है तो इलाहाबाद केन्द्रीय विवि में चुनाव न करवाना निश्चित रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपनी खामियों के छिपाने का प्रयास मात्र है।विश्वविद्यालय राजनीति का अखड़ा नही है किन्तु छात्रसंघ से देश को प्रतिनिधित्व का साकार रूप मिलता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिये कि अपनी गलती को मान कर छात्रों के सम्मुख मॉफी मॉंग कर जल्द ही चुनाव तिथि घोषित करना चाहिये। वरन युवा शक्ति के आगे प्रशासन को झ़कना ही पड़ेगा।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय : छात्रसंघ पर प्रतिबन्ध अनुचित
इलाहाबाद विश्वविद्यालय और छात्र राजनीति का बहुत पुराना रिश्ता है, उस रिश्ते को आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा छात्र संद्य चुनाव न करवा कर तोड़ जा रहा है। हो सकता हो कि छात्र संद्य के चुनाव न करवाने से इलाहाबाद विश्वविद्यालय को काफी फायदे मिलते है, जैसा कि कुछ छात्र नेताओं के मुँह से मैने सुना है कि छात्रसंद्य के अभाव में जो पैसा छात्रों के कल्याण हेतु आता है वह सब केवल विवि प्रशासन जेब तक ही सीमित हो कर रह जाता है। मुझे इस बात में काफी दम भी लगती है क्योंकि मैने स्वय इलाहाबाद विवि के छात्रावास और अध्ययन कक्ष देखे है जिनमें व्यवस्था के नाम पर आपको कुछ नही मिलेगा। आज जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय केंद्रीय दर्जा प्राप्त कर चुका है और वहॉं व्यवस्था के नाम पर सिर्फ अव्यवस्था दिखती है तो निश्चित रूप से दाल में कुछ काला है कि बात जरूर सामने आती है।
इलाहाबाद विवि के छात्रसंघ ने देश की बहुत सेवा की है। प्रतिबन्ध हटना चाहिये!
जवाब देंहटाएंallahabad university student union per pratibandh bilkul galt hai, aur ish per se jald hi rook hat jana chahiye.
जवाब देंहटाएंyah to dada giri hui
जवाब देंहटाएंइलाहबाद विश्वविद्यालय और छात्रसंघ : हासिल फ़िल्म मुझे बहुत अच्छी लगी थी. इससे ज्यादा कुछ आईडिया नहीं है :(
जवाब देंहटाएंजब जेएनयू जैसे कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में चुनाव हो रहे है तो इलाहाबाद विवि में चुनाव न करवाना निश्चित रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपनी खामियों के छिपाने का प्रयास मात्र है!
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