tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post3909650631642336378..comments2024-03-18T15:22:04.885+05:30Comments on महाशक्ति: शीर्षक आपके लिए छोड़ रहा हूँPramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-59848395436842993102010-02-11T23:26:44.717+05:302010-02-11T23:26:44.717+05:30बहुत ही खूब कई बार ऐसा नहीं बल्कि हजार बार ऐसा होत...बहुत ही खूब कई बार ऐसा नहीं बल्कि हजार बार ऐसा होता है, की आदमी अपनी राह में चलते चलते अचानक राह की सही गमन करना ही भूल जाता है ....हमारा अंतर्मन ही एक तरह से बहुत ही अजीज होता है जिसका कोई न कोई कोना सोया ही रहता है.... और जिस दिन वोह सोया हुआ कोना जाग जाता है.... तो फिर एक दम से इंसान के मन में विचार प्रकट हो उठते है, की में कहाँ हूँ ? और कहां जा रहा हूँ, क्या मेरा कोई राह है ,या फिर सिर्फ DEEPAK SHARMA KAPRUWANhttps://www.blogger.com/profile/14766861660277805793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-73453917189956095992007-02-19T14:53:00.000+05:302007-02-19T14:53:00.000+05:30@ समीर जी मै तो अच्छा महसूस कर रहा हूँ। आप भी अपन...@ समीर जी मै तो अच्छा महसूस कर रहा हूँ। आप भी अपना ध्यान चुनाव मे लागईये, ऐसा न हो की आप फील गुड के चक्कर मे बहुत कुछ फील करने को मिल जाये,टिप्पणी के लिये धन्यवाद <BR/> <BR/>@ अनूप जी आप सही है,शायद मैने सही ही किया प्रकाशित करने के लिये<BR/><BR/>@ अफलातून जी, धन्यवाद जानकारी देने के लियें।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-79554449633606185872007-02-19T14:31:00.000+05:302007-02-19T14:31:00.000+05:30प्रमेन्द्र,आप जरूर वह सब हैं जो आपने याद किया है औ...प्रमेन्द्र,<BR/>आप जरूर वह सब हैं जो आपने याद किया है और उससे ज्यादा भी हैं-जो उर्जा,संभावना आप अपने भीतर रखे हुए हैं।<BR/>नेट पर समय कम करने का एक सहज उपाय है Google-Reader | आजमाइएगा।शुभकामना ।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-65170436229245602612007-02-19T08:06:00.000+05:302007-02-19T08:06:00.000+05:30घर वाले तुम्हारे भविष्य के लिये सोचते हैं। अभी हमा...घर वाले तुम्हारे भविष्य के लिये सोचते हैं। अभी हमारे घरों में नेट वगैरह खुराफ़ात की जड़ माने जाते हैं। खासकर पढ़ने वाले लड़के के लिये। इसलिये अपने कैरियर के हिसाब से पढ़ाई करना सबसे जरूरी बात लगती है। अपने ऊपर भरोसा रखकर मन लगाकर मेहनत करो। नेट पर लिखा-पढ़ी समय मिलने पर मन ताजा करने के लिये कर लिया करो। मेरी शुभकामनायें तुम्हारे साथ हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-12385090807478871442007-02-19T04:43:00.000+05:302007-02-19T04:43:00.000+05:30प्रमेन्द्र, आशा है अब तबियत काफी ठीक लग रही होगी. ...प्रमेन्द्र, आशा है अब तबियत काफी ठीक लग रही होगी. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-23965566789333332062007-02-18T21:42:00.000+05:302007-02-18T21:42:00.000+05:30@ मान्या जीजी धन्यवाद,सोमेश जी, मैने यह आज से 5 ...@ मान्या जी<BR/><BR/>जी धन्यवाद,<BR/><BR/><BR/>सोमेश जी, <BR/>मैने यह आज से 5 दिन पूर्व लिखा था, मगर पोस्ट आज ही किया है। किसी बात को समझने के काई रास्ते होते है कि आप किसी बात को किस नजरिये से समझते है। जब भी आप या मै सोचता हूँ कि मै यह काम करूँगा किन्तु कितनी ईमानदारी से करते है। यह देखने वाला कोई नही होता है। <BR/>आदमी लिखता क्यों है कि दूसरे उसके विचारों को पढ़े और खुद के लिये लिख(निजी Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-70254012920320828442007-02-18T20:50:00.000+05:302007-02-18T20:50:00.000+05:30प्रमेन्द्र भाई मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपने ये ...प्रमेन्द्र भाई मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपने ये लेख क्यों लिखा। अगर आपके मन में कोई ग्लानि है तो उसे सार्वजनिक करने की क्या आवश्यकता है। यह सब तो आपको अपनी निजी डायरी में लिखना चाहिये था, यहाँ पोस्ट करने का क्या औचित्य है। <BR/><BR/>और अजीब बात है कि इस बहाने आप अपनी पुरानी उपलब्धियाँ गिना रहे हैं, इसमे भला किसी की क्या रुचि हो सकती है?सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-26923943249235273542007-02-18T20:36:00.000+05:302007-02-18T20:36:00.000+05:30क्या कहूं आपने इतनी ईमान्दारी से अप्नी बात कही है....क्या कहूं आपने इतनी ईमान्दारी से अप्नी बात कही है.. इससे बढ्कर और क्या कहा ज सकता है.. मुझे पूर्ण विश्वास है की हर पाठ्क इसमें अपनी झलक देखेगा.. जैसे मैं देख रही हूं.. और जब आपने खुद कॊ अपनी आत्मा में झांक कर देख ही लिया है तो सही राह मिलने में देर नहीं लगेगी.. मेरी शुभ्कामनायें..Anonymousnoreply@blogger.com