tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post8555533427718672493..comments2024-03-18T15:22:04.885+05:30Comments on महाशक्ति: ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्हPramendra Pratap Singhhttp://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comBlogger57125tag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-54249627164372701192023-02-16T20:21:32.237+05:302023-02-16T20:21:32.237+05:30Jo aapke liye nahi hai mere liye hai aap jaise bek...Jo aapke liye nahi hai mere liye hai aap jaise bekufo duniya bhri padi hanAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-68075525116068581332016-09-27T07:52:08.703+05:302016-09-27T07:52:08.703+05:30ईश्वर का होने का एक भी प्रमाणित नहीं, जबकि न होने ...ईश्वर का होने का एक भी प्रमाणित नहीं, जबकि न होने के अनेक।dinesh aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/18216221541613478194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-22508516512208173742016-09-27T07:51:59.173+05:302016-09-27T07:51:59.173+05:30ईश्वर का होने का एक भी प्रमाणित नहीं, जबकि न होने ...ईश्वर का होने का एक भी प्रमाणित नहीं, जबकि न होने के अनेक।dinesh aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/18216221541613478194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-2695527781340906772016-09-27T07:50:43.509+05:302016-09-27T07:50:43.509+05:30ईश्वर का जन्म मनुष्य डर तथा अग्यान के स्वार्थ रूपी...ईश्वर का जन्म मनुष्य डर तथा अग्यान के स्वार्थ रूपी अनैतिक संसर्ग से हुआ।dinesh aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/18216221541613478194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-3344623194890666762016-09-27T07:48:43.970+05:302016-09-27T07:48:43.970+05:30ईश्वर संसार सबसे बड़ा झूठ।ईश्वर संसार सबसे बड़ा झूठ।dinesh aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/18216221541613478194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-67586188384849389832016-07-13T08:52:53.747+05:302016-07-13T08:52:53.747+05:30Pahali baat to ye ki jab tak hame koi ye nahi bata...Pahali baat to ye ki jab tak hame koi ye nahi batata ki ishwar ka astitva hai ham nastik hi hote hai.fir hota hai hame jhooth ka pahada padhana or ham sirf or sirf dar kar hi ishwar ke astitva sawikaar karte hai.<br /><br />Waise mai bhi ek kattar nastik hun or mai ishwar ke astitva ko chunoti deta hu aap meri chunoti ko sawikaar kare, mere pass ek nahi kafi reason hai Jo ye sabit karte hai ki Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-10553867007096972782010-03-31T09:48:31.564+05:302010-03-31T09:48:31.564+05:30राम राम भाई जी ...
मेरी ब्लोग्वानी से जुड़ने का का...राम राम भाई जी ...<br />मेरी ब्लोग्वानी से जुड़ने का कारण आप हो <br />कुछ दिन में ही आप के लेखो से मैं इतना परभावित हूआ की मुझे आप से वार्तालाब करनी चाहिए क्यों की आप के जो विचार है ऐसे ही कुछ विचार मेरे है तो मुझे लगा की मुझे आप से विचारों का आदान पर्दान करना चाहिए ... मुझे आप के उतर का इंतजार रहेगा...<br />{TRSM}Is New World & New Imagination{TRSM} Is New Worldhttps://www.blogger.com/profile/02923927071291217555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-88646223612777273392010-03-03T23:47:30.647+05:302010-03-03T23:47:30.647+05:30शिवेंद्र जी,
आपका हो सकता है लेकिन मेरा कोई खेमा ...शिवेंद्र जी,<br /><br />आपका हो सकता है लेकिन मेरा कोई खेमा नहीं है मेरी पहली टिप्पणी भी यही है कि<br /><br />यह कहना कि ईश्वर नहीं है कहीं न कहीं ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करना है. जरूरी नहीं है कि ढोंगी के साथ ईश्वर को भी न माना जाय. ईश्वर को मैंने देखा है ..रोज देखता हूँ ..मेरे ब्लॉग पर उसका ही चित्र है ...अब आप न मानों तो न मानों, मनवाना मेरी आवश्यश्यकता में नहीं आता.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-73579321619687432032010-03-03T23:16:10.215+05:302010-03-03T23:16:10.215+05:30बेचैन जी आप अपने खेमे में सबको शामिल करने के लिए इ...बेचैन जी आप अपने खेमे में सबको शामिल करने के लिए इतने उतावले क्यूँ हो रहे हैं ? <br />दरअसल सारी परेशानी इसी बात की है. <br />धार्मिक-अधार्मिक, आस्तिक-नास्तिक, पूजा-पाठ, यह सब व्यक्तिगत बातें हैं. दुविधा तब खड़ी होती है जब यह चीजें सार्वजनिक रूप ले लेती हैं !shivendra sinhahttps://www.blogger.com/profile/16611230422127852351noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-47237751177628226112010-03-03T22:48:25.350+05:302010-03-03T22:48:25.350+05:30.जब आप किसी दे प्रेम करते हैं, कोई आपसे प्रेम करता....जब आप किसी दे प्रेम करते हैं, कोई आपसे प्रेम करता है तो आपको सारी कायनात एक संघर्ष न दिखकर, एक सहयोगात्मक तंत्र दिखाई देती है....तो आपके जेहन में जो अहसास होता है, वह एक दैवीयता से भरा एक परामानुशिक अहसास होता है...और शायद इसी अहसास को आप ईश्वर कहते हैं..<br /> जी हाँ, बिलकुल ठीक कहा आपने और इस एहसास की अनुभूति के लिए आपको आस्तिक होना पड़ेगा जो कि आप हैं.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-840280726402574292010-03-03T22:12:17.647+05:302010-03-03T22:12:17.647+05:30@प्रकाश गोविन्द जी,
हाँ जी, आशा तो की ही जा सकती...@प्रकाश गोविन्द जी,<br /> हाँ जी, आशा तो की ही जा सकती है ...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-47532027529298149032010-03-03T20:07:05.603+05:302010-03-03T20:07:05.603+05:30जो मै कहना चाहता था वो मनुज जी ने बहुत ही सुन्दरता...जो मै कहना चाहता था वो मनुज जी ने बहुत ही सुन्दरता से लिख दिया है - "मेरी आपत्ति ईश्वर को उस रूप में परिभाषित करने से है, जो व्यक्ति को रूढ़ियों की और ले जाता है, जो इंसान से उसकी मूल प्रवृत्ति से दूर करता है; यानि कि स्व-विवेक प्रयोग करने से रोकता है" <br /><br />आशा है आस्तिक लोग ध्यान मुद्रा से बाहर अब चैतन्यवस्था में आयेंगे !प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-5605616214017950712010-03-03T19:52:17.682+05:302010-03-03T19:52:17.682+05:30@बेचैन आत्मा जी
मुझे "ईश्वर", इस शब्द से...@बेचैन आत्मा जी<br />मुझे "ईश्वर", इस शब्द से कोई आपत्ति नहीं है. आप इसे किसी भी कांटेक्स्ट (context) में, किसी भी सात्विक अर्थ में प्रगोग करते हैं तो ऐसी कोई परेशानी किसी नास्तिक को नहीं होगी; न ही ओशो ने "ईश्वर" या "परमात्मा" इन "शब्दों" के प्रति कोई "निगेशन" (negation) या निषेध प्रकट किया है....... या ये कह लीजीये कि मेरी आपत्ति ईश्वर को उस रूपAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-11630226991105259232010-03-03T09:09:05.096+05:302010-03-03T09:09:05.096+05:30मनुज भई,
ओशो मनुष्यों के बनाए भगवान पर, अन्धविश्व...मनुज भई,<br /><br />ओशो मनुष्यों के बनाए भगवान पर, अन्धविश्वास पर, ढोगियों पर कुठाराघात करते थे मगर ऐसा नहीं है कि वे नास्तिक थे. ओशो से बड़ा आस्तिक तो दूसरा देखे नहीं मिलता. उन्हें सत्य का ज्ञान था और वे कहते थे कि प्रकृति ही भगवान है..मैं भी भगवान हूँ ..यदि आप ओशो को मानते हैं तो खुद को नास्तिक कैसे कह सकते हैं? कोई भी ओशो को मानने वाला खुद को नास्तिक नहीं कहता.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-90465809069611330602010-03-03T00:39:14.649+05:302010-03-03T00:39:14.649+05:30इतनी लम्बी बहस!
क्यूँ??
मेरे ख्याल से इस बहस से कम...इतनी लम्बी बहस!<br />क्यूँ??<br />मेरे ख्याल से इस बहस से कम से कम २० पोस्ट आराम से बन जायेंगी..या किसी ने अब तक बना भी ली होंगी..<br />सभी के तर्क वितर्क पढ़ पढ़ कर यकीं नहीं होता कि दोनों पक्ष इतने मज़बूत हैं यहाँ,<br />------------------------------<br />सब से मज़ेदार बात प्रशांत की लगी..उसे पढ़ कर बहुत हंसी आई...मासूम सी बात..<br />भगवान ने हो दोनों विरोधी पक्ष बना दिए और अब तमाशा देख रहा है!<br Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-32796699745408475082010-03-03T00:13:10.362+05:302010-03-03T00:13:10.362+05:30ओशो ने कहा था "It was good of Friedrich Niet...ओशो ने कहा था "<b><i>It was good of Friedrich Nietzsche to declare God dead – I declare that he has never been born. It is a created fiction, an invention, not a discovery. Do you understand the difference between invention and discovery? A discovery is about truth, an invention is manufactured by you. It is man-manufactured fiction. Certainly it has given consolation, but consolation is Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-17672632825182368092010-03-02T23:44:01.786+05:302010-03-02T23:44:01.786+05:30@प्रमेन्द्र भाई, आपने लिखा "मै ही सिर्फ धर्मि...@प्रमेन्द्र भाई, आपने लिखा "मै ही सिर्फ धर्मिक नही हूँ ये कहना आपका ही है बल्कि आपकी बातो से लग रहा है कि नास्तिको का सर्वाधिकार सिर्फ आपके पास ही है, मेरे राम तो आपके अंदर भी है ।"<br />अगर इतने सात्विक आप होते तो आपको ये लेख नहीं लिखना पड़ता...न ही आप नास्तिको के लिए इनता विष-वमन करते... क्यूंकि अगर इश्वर है तो इश्वर की ज्ञात परिभाषा से इश्वर को बुरा नहीं लगना चाहिए कि कोई मेरी सत्ताAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-41207304260432152312010-03-02T23:44:01.787+05:302010-03-02T23:44:01.787+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-91063725557840362492010-03-02T23:34:47.668+05:302010-03-02T23:34:47.668+05:30@बेचैन आत्मा @"प्रकाश गोविन्द जी ( गोविन्द भी...@बेचैन आत्मा <i>@"प्रकाश गोविन्द जी ( गोविन्द भी ईश्वर का नाम है)"</i><br />इसमें बेचारे प्रकाश गोविन्द जी का क्या कुसूर है कि उनमे धार्मिक माता-पिता ने उनका ये नाम रखा है ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-65404824258424060822010-03-02T23:14:26.358+05:302010-03-02T23:14:26.358+05:30मैं फिर से वही बात दोहराऊंगा जो मैंने अपने पहले कम...मैं फिर से वही बात दोहराऊंगा जो मैंने अपने पहले कमेंट में लिखा था.. "अगर ईश्वर है तो मेरी नजर में सबसे अधिक घृणा के वह योग्य है.. क्योंकि इस जगत के हर बुरे चीजों का निर्माण में भी उसी का हाथ है.. चोर को भी बनाओ, फिर कोतवाल को भी बनाओ, और फिर लो तमाशा देखो जी भर के.."PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-2404058509167395502010-03-02T21:13:01.641+05:302010-03-02T21:13:01.641+05:30भाई आप लोग विषय से भाग रहे हैं ! आप उत्तेजना में य...भाई आप लोग विषय से भाग रहे हैं ! आप उत्तेजना में यह भी भूल गए कि हम जैसों को भी आपके ईश्वर ने ही बनाया है ! आप ही कहते हैं न कि उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता ! फिर उसकी मर्जी पे प्रश्न चिन्ह तो आप लगा रहे हैं ! <br /><br />यहाँ कोई दौड़ नहीं हो रही है कि हार-जीत तय हो ! मेरे पास कोई सर्वाधिकार नहीं है ! मेरे पास महज जिज्ञाषा और तर्क है ! अगर इन दो चीज का प्रयोग हम नहीं करते तो पढनाप्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-48216406184687309722010-03-02T20:53:03.039+05:302010-03-02T20:53:03.039+05:30प्रकाश जी का कहना बिल्कुल सही है कि हम जाहिल है औ...प्रकाश जी का कहना बिल्कुल सही है कि हम जाहिल है और जाहिलाना तर्क रख रहे है, ये तो अस्तिको की मजबूरी है कि वे ईश्वर और उन सब के सामने ही सिर झुकते जो सम्माननीय होते है और नास्तिको को अपने ज्ञान का अभिमान जो हमेशा अपने को ही सर्वोच्च शिद्ध करता है।<br /><br />मै ही सिर्फ धर्मिक नही हूँ ये कहना आपका ही है बल्कि आपकी बातो से लग रहा है कि नास्तिको का सर्वाधिकार सिर्फ आपके पास ही है, मेरे राम तो Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-28357830338608041052010-03-02T20:31:39.685+05:302010-03-02T20:31:39.685+05:30मैंने लिखा..
यह कहना कि ईश्वर नहीं है कहीं न कहीं ...मैंने लिखा..<br />यह कहना कि ईश्वर नहीं है कहीं न कहीं ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करना है. <br />प्रकाश गोविन्द जी ( गोविन्द भी ईश्वर का नाम है)<br />आपने लिखा..<br /> ईश्वर का क्या है ? आपको किसी भी चीज में वो दिख सकता है ...गाय-बैल, पेड़-पौधे, नदी-पर्वत, या कोई स्त्री-पुरुष भी !<br />...फिर विवाद कहाँ शेष रह गया!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-23167089700617466972010-03-02T20:12:42.675+05:302010-03-02T20:12:42.675+05:30धार्मिक होने की पहली शर्त है जाहिलाना तर्क !
आपको...धार्मिक होने की पहली शर्त है जाहिलाना तर्क ! <br />आपको क्या लगता है सिर्फ आप ही धार्मिक हैं ? <br /><br />ये जो बेक़सूर लोगों पर गोलियां चलाते हैं ....... कत्लेआम करते हैं वे लोग आपसे भी बड़े धार्मिक हैं ! इनकी सारी हैवानियत ईश्वर के नाम पर ही होती है ! आपने कबूतर की तरह आँखें बंद कर रखी हैं तो कोई क्या करे ? ऐसी बचकानी बात तो आज पहली बार ही सुनी कि पर्यावरण फैलाने के लिए नास्तिक लोग जिम्मेदार प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30482424.post-25451733613908675842010-03-02T18:58:45.822+05:302010-03-02T18:58:45.822+05:30@ बेचैन आत्मा जी, आप बिल्कुल सही कह रहे है, ईश्व...@ बेचैन आत्मा जी, आप बिल्कुल सही कह रहे है, ईश्वर द्वंद करने की अपेक्षा उसकी शरण मे चले जाना बेहतर होगा। <br /><br />आज अगर इस संसार मे थोड़ी भी नैतिकता बची है तो सिर्फ आस्तिको के कारण जो पाप और पुण्य के चक्कर मे पड़े रह कर पाप से बचे हुये है अन्यथा नास्तिको ने तो कब का संसार चौपट कर दिया होता। आज सभी लोग कहते है कि पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है और रहे पेड़ कटाना ठीक नही, पेड़ मे भी भगवान होते Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com