जिस मोहल्ले में गंदगी तो वहां मत जाओ



गंदगी किसी को पसंद नहीं है फिर भी क्यों जाते हो गंदगी पर? मोहल्ला नामक एक कुख्यात ब्लॉग समाज विद्वेष फैलाने का काम कर रहा है माफ कीजिएगा मैंने समाज का नाम दे कर गलती कर रहा हूँ। कम्प्यूटर तक ही सीमित है मोहल्ले की गंदगी। केवल इसका उद्देश्य है कि हम लोगों में फूट डाला जाये और ये लोग बैठ तमाशा देखें।

इन लोगों की स्थिति मुहल्ले की गन्‍दी सुअर की तरह है कि कितना भी अच्छा आप उनको खाना दीजिए किन्तु अपशिष्ट पदार्थ के बिना उनका पेट नहीं भरता उन्हीं की प्रजाति में कुछ इस प्रकार के पत्रकार भी आते है। जो जितने भी विषय लिखने को न हो किन्तु इन्हें हिंदुत्व विरोध के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है।

मैं तो सिर्फ इतना कहूंगा कि मोहल्ले की गलत पोस्ट का कदापि उत्तर मत दीजिये। गंदगी को एक जगह तक सीमित रखिये। निश्चित है कि गंदगी में जायेंगे तो आपके साथ गंदगी आयेगी ही चाहे वो पैरों से ही क्यों न आये। जहाँ तक टिप्पणी की बात है तो जो भी अन्य टिप्पणी उनके ब्लॉग पर आती है न तो उनका कोई मालिक होता है। यह सब टिप्पणी मोहल्ले के कर्ताधर्ता स्वयं बैठ कर देते है। क्योंकि खुराफात के लिये कुछ तो करना ही होगा। 





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स्टार न्यूज पर हमला मीडिया के बडबोले मुँह पर तमाचा



स्टार न्यूज पर लोकतंत्र पर हमला न होकर बल्कि छद्म पत्रकारिता के मुंह पर किया गया वज्र पात था। आज की पत्रकारिता केवल और केवल बिकती है, पैसा फेंको तमाशा देखो के तर्ज पर। आज के दौर में मीडिया पैसों की वह रोटी जिसे कुत्ता भी नहीं पूछता पर निर्भर करती है। भारत में न्‍यूज चैनल कुकुरमुत्ते की तरह उपज गये है। और हर के पास एक से बढ़कर एक न्‍यूज होती है जो केवल उनके पास ही होती है और दूसरे न्‍यूज चैनल का उस महान न्‍यूज का नामोनिशान नहीं होता है।

अपने आप को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहने वाली मीडिया की नींव अब कमजोर हो गई है। जहां पत्रकारिता सत्य के लिये जानी जाती थी, वही आज कौड़ी के भाव बिक रही है। हर न्‍यूज चैनल पर किसी न किसी राजनीतिक पार्टी का आधिपत्य है। तो ऐसे में मीडिया पर विश्वास करना खुद से विश्वासघात के बराबर है।





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