अफलातून जी अपना उत्तर ले लीजिए



 Aflatoon

अफलातून जी ने कुछ प्रश्‍न अपने ब्लॉग पर महाशक्ति के नारद के द्वारा की गई कार्यवाही के समर्थन पर छोड़े थे उन्हीं के उत्तर प्रेरित कर रहा हूँ।

पहले आपनी फटी में पैबन्‍द लगाईये तब मुझे सलाह दीजिए कि मैंने कौन सा गीत सुना है अथवा कौन सा नही? व्‍यक्तियों में आम धारणा होती है कि अपनी फटे कपड़े तो नहीं दिखते और वे लोग दूसरे को देख कर हँसते और कटाक्‍क्ष करने का प्रयास करते है, ठीक वैसी ही छवि मुझे आप में दिखती है जो दूसरों में तो विसंगतियों को खोज खोज कर खुश होते है फिर उनका कुरान करते है। यह करते हुऐ आप यह भूल जाते हो कि जो काम आप कर रहे हो वही कोई दूसरा आपकी फटी देख कर मन मन मुस्‍करा लेता है ठीक इसी तरह :) पर आपकी तरह बखान नहीं करता। ऐसा नहीं है कि आरएसएस की ही फटी है और समाजवाद की पाक-साफ।

जिस प्रकार आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मे बहुत दोष देखते है अगर उसका 10 प्रतिशत भी ढोगी समाजवाद के प्रति सोचा होता तो न ही देश की यह स्थिति होती और न ही आपकी। जिस समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष है बताइये कि कितना प्रतिशत वोट मिले आपकी पार्टी को उत्तर प्रदेश के चुनाव में, जमानत भी बची कि नही? जितना समय आप हाफ पैंट वालों को कोसने में लगाते है उतना समय अगर अपनी फटी खादी (अपनी पार्टी) की मरम्मत में लगाइये।

अगर पहले चिट्ठाकारिता में बहस हुई है तो प्रमाण दीजिए और अगर हुई भी होगी तो इतनी भी घृणात्मक नहीं हुई होगी मै इस बात की दावे के साथ कह सकता हूँ कि चर्चा का स्तर उच्च ही रहा होगा।

सच मे कहूं तो आप में से हाफ पैंट वालो से जलन होने बू आती है कि देखो ये हाफ पैंट वाले कितने आग चले जा रहे है और हम समाजवादी झुनझुना ही बजाते चले जा रहे है। सही यह जलन तो होना स्वाभाविक है क्योंकि आप भी एक सामान्‍य मनुष्‍य ही तो है।

बहुत कम लोग होते है जिन्हे निन्‍दा पसंद होती है जैसा कि आपकी दिल्‍ली यात्रा के दौरान आपके कुर्ते को लेकर आक्षेप किया गया तो आपको खराब लगा था। इसके एवज में एक लंबी पोस्ट लिख डाली आपने और रही बात आर एस एस के प्रति मेरी जिम्मेदारी की तो उससे अभी अधिक आपका उत्तरदायित्व है आपके समाजवादी जनपरिषद के प्रति जिसकी स्थिति से आप हमें अपने घोषणा पत्र से खुद ही बखान कर चुके है। अब लगता है कि ज्‍यादा कहना ठीक न होगा। और आशा है कि न ही आप मेरे उत्तर से व्यथित होगे और न ही मेरी बातें आप पर नागवार गुजरेगी। क्योंकि काफी लोगों ने स्वीकार किया है कि प्रमेन्द्र की बाते काफी नागवार गुजरी। किसी पर कीचड़ उछालने से पहले अपने दामन को झकना जरूरी होता है किन्तु कई लोग ऐसा नहीं करते। और दूसरों पर कीचड़ उछालते है पर वे भूल जाते है कि जो कीचड़ वे दूसरों पर उछलने के लिए उठाते है वह पहले उनके हाथ को ही गंदा करता है। आज मैने भी यही काम किया कि कुछ कीचड़ उठाया किन्‍तु सफाई करने के लिये कीचड़ को हाथ लगाना जरूरी था। समय है कि दूसरे संगठनों के बारे लंछन लगाने के तो इससे अच्‍छा कि अपने संगठन की अच्‍छाई को बताऐं।

आशा है कि इन बातों से मेरे आपके सम्बन्ध पर कोई असर नही पडेगी किन्तु अब चाहे संबंध अच्छे हो खराब, अच्छाई दोनों मे समान होगी।



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