मेरियन जोंस



मेरियन जोंस Marion Jones

अर्श से फर्श की कहावत तो हम सबने सुनी ही है। कुछ दिनों पूर्व यह कहावत चरितार्थ भी हो गई। विश्‍व रेस ट्रैक की महारानी कही जाने वाली मेरियन जोंस ने अपने पूरे करियर में प्रतिबंधित दवाओं के सेवन की बात स्वीकार ली, और खेल से संन्यास ले लिया। मैरियन की यह स्‍वीकारोक्ति निश्चित रूप में मेरे जैसे लाखों, प्रशंसकों को एक सदमा तो जरूर पहुचाया है। सबसे अधिक खिन्नता यह सोच कर होती है कि रेस कोर्स में हम जिस खिलाड़ी का सर्मथन कर रहे थे वह विश्वासघाती खिलाड़ी निकली। खैर मारियन ने सिडनी ओलम्पिक के 7 साल बाद मारियन ने यह स्वीकार किया वह अपने कृत्य के लिए दोषी है।


प्रतिबंधित दवा का सेवन करने की बात स्वीकार करने के बाद मारियन ने संन्यास लेने के बाद 2000 के सिडनी ओलंपिक में जीते सभी पांच पदक यूनाइटेड स्टेट ओलंपिक कमेटी को वापस लौटा दिए। इसके साथ ही साथ कमेटी ने जोंस से बोनस व इनाम के रूप में मिले एक लाख अमेरिकी डॉलर भी लौटाने को कहा है, जो नैतिक रूप से सही भी है क्योंकि वह गलती स्वीकार कर लेने के बाद किसी भी प्रकार से पुरस्कार की हकदार नही रह जाती है। अब मेरियन जोंस द्वारा लौटाये गये पदक उनके सही हकदारों को लौटा दिया जायेगा।


अमेरिका की फर्राटा धावक मैरियन जोंस ने 2000 के सिडनी ओलंपिक खेलों से पहले स्टेरॉयड का सेवन किया था, उसने सिडनी ओलंपिक में तीन स्वर्ण सहित पांच पदक जीते थे। जोंस ने 1999 की शुरुआत से लगभग दो वर्ष तक बे एरिया लेबोरेटरी कोऑपरेटिव (बालको) द्वारा उत्पादित ‘द क्लीयर’ नाम के स्टेरॉयड का सेवन किया था। इसी प्रतिबंधित दवा के सेवन के मामले में उन्हें दोषी पाया गया था।

अब मैरियन की सफलता कहा जाये या धोखाधड़ी, उन्होंने 2000 सिडनी ओलंपिक में 100, 200 व 4 गुणा 400 मीटर में स्वर्ण और 4 गुणा 100 मीटर दौड़ व लांग जंप का कार्य तथा 1997 की वर्ल्ड कप चैंपियनशिप में दो, 1999 में सेविले और 2001 में एडमंटन में एक-एक स्वर्ण पदक जीते थे। निश्चित रूप से गोल्‍डन गर्ल कहलाने वाली जोंस ने अपने कुकृत्‍यों के कारण अपना नाम खराब कर लिया है। क्योंकि खेल में खेल भावना अहम होती है न कि जीत-हार किंतु मेरियन ने खेल भावना को अपमानित किया है।


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पिछले 10 दिनों में तीन विवादित पोस्‍टें




आज काफी दिनों बाद कुछ लिख रहा हूँ, आज लिखने का कोई मूड नहीं था किन्तु सच कहूँ तो लिखने के लिये मजबूर होना पड़ा। इस माह मैंने कुल 3 या

4 पोस्टें की थी और उसमें से भी 2/3 से ज्यादा विवादित निकल गई। :) पहली तो महात्मा गांधी पर एक सर्वेक्षण का था। दूसरी एक कविता थी और तीसरी एक चित्र। अर्थात तीनों कैटगरी में मुझे विवादित का ठप्पा लगा दिया गया।


महात्मा गांधी के ऊपर किया पोल पर पोस्ट , मन का टोह लेने भर का प्रयास था। ऐसा नहीं है कि मुझे केवल मेरे ब्‍लाग पर ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा है बल्कि कई स्‍थानों पर गांधी विषयक चर्चा के लिये भी आमंत्रित किया गया। गांधी विषयक चर्चा फिर कभी करूँगा, क्योंकि यह कोई विषय नही बल्कि एक जन सामान्य का विचार है। इस पोस्ट पर मुझे दो जगह लिंक(ज्ञान जी और टिप्पणीकार भाई के पास ) भी किया गया किन्तु निराशा हुई कि कुछ खास गरमा गर्मी नहीं हुई। किसी ने मेरे बारे में टिप्पणी ही नहीं की, कि इसने यह काम अच्छा नहीं किया है। :)


दूसरी एक कविता थी, उसके बारे में ज्यादा चर्चा करना पसंद नही करूँगा, क्योंकि वह विषय समाप्त हो गया है। पर इसने भी ज्यादा व्यथित किया था।


और और तीसरी घटना आज की ही है, निश्चित रूप मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, जिस ब्लॉग को मै अपना कूड़ा घर समझता था, और समझता था कि कुछ युवा ही देखते होंगे किन्तु पहली बार एहसास हुआ कि ऐसा नहीं है। चूंकि मैं अपने इस( महाशक्ति) ब्लॉग पर किसी भी प्रकार की आपत्ति जनक चित्र या सामग्री प्रकाशित नहीं करना चाहता था, क्योंकि यह मेरा व्यक्तिगत के साथ सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ब्लॉग है, और इसे हर वर्ग के पाठक पढ़ते है, इसी उद्देश्य से मैने टाईम लॉस का निर्माण किया था। वैसे मैने कुछ चित्रों को हटा दिया है। वैसे पहली बार एहसास हुआ कि मजाक/ हास्य भी, गंभीर रूप ले लेता है :)


आज सागर भाई कई दिनों बाद दर्शन हुए, और उन्होंने भी मेरी निंदा की, उनसे पहले मोहिन्दर जी कर चुके थे। अच्छा लगता है कि कोई गलती करने पर एहसास दिलाने वाला होता है कभी कभी तो ऐसा लगता कि जो हम करते है वह हमें सही लगता है किन्तु बाद में किसी के बताने पर लगता है गलत है।
गिर कर उठना ही, व्यक्ति के व्यवहारिक जीवन का नियम है। सही है चर्चाओं का दौर चलता रहेगा, फिर मिलेंगे। :)


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