सुभाषित



दातव्‍यमिति यद्दानं दीयतेSनुपकारिणे।
देश काले च पात्रे च तद्दानं सात्विक स्‍मृतम्।।  श्री म.भ.गीता 17/20

भावार्थ -

दान देना ही कर्त्तव्‍य है, ऐसे भाव से जो दान देश तथा काल और पात्र के प्राप्‍त होने पर उपकार न करने वाले के प्रति दिया जाता है, वह दान सा‍त्विक कहा गया है।
शुभाषित, अमृत वचन


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सत्‍यानाश हो ब्‍लागवाणी का



हिन्‍दी चिट्ठाकारी की मठाधीशी अपने चरम पर है और आज नारद के बाद ब्‍लागवाणी को अपने चपेट में ले रहा है। आये दिन ब्‍लाग वाणी को लेकर विवाद किये जाते है, कि मैथली जी ये कर देना चाहिए, मैथिली जी वो कर देना चाहिऐ। जैसे मैथली जी के पास ब्‍लागवाणी की चौकीदारी के अलावा कोई काम नही है। मैथली जी के अपने कम है, ब्‍लावाणी ही बहुत कुछ है किन्‍तु सब कुछ नही है। किन्‍तु कुछ लोग आज ऐसे भी जो ब्‍लागवाणी के नाम पर अपने ब्‍लागों की बैतरणी पार कर रहे है। लिखते कुछ नही है ब्‍लागवाणी के नाम की मोहर लगा कर गोल गप्‍पा जैसा मुँह फुला कर चले आते है। तरह तरह की वाहियात बाते ब्‍लागवाणी के नाम के आड़ में होती है।

ऊपर जो कुछ भी मैने लिखा है वह वाहियात बातें है क्‍योकि अनर्थ का अर्थ भी आप लोग बना देते है। आज मै आपसे अपेक्षा करता हूँ कि ब्‍लागवाणी के नाम के जाल में दोबारा नही फँसेगे। :) रचना की रचनात्‍मकता पर जायेगे न कि ब्‍लागवाणी के नाम पर। क्‍योकि ब्‍लागवाणी के नाम पर पोस्‍ट हिट करना मात्र छलावा ही है। जो आज मैने किया है। :)

इसी के साथ मेरी महाशक्ति ब्‍लाग पर 200वीं पोस्‍ट भी सम्‍पन्न होती है, जिसे मै ब्‍लागवाणी तथा ब्‍लागवाणी नाम को पढ़कर पोस्‍ट क्लिक और पंसद करने वालों को सर्मपित करता हूँ। कुछ दिनों पूर्व महाशक्ति ब्‍लाग ने अपने 200 पोस्‍ट पूरी की थी। यह महाशक्ति ब्‍लाग की 212वी तथा मेंरी 200वीं पोस्‍ट है। अंत में एक निवेदन और करूँगा कि अगर आपने अभी तक इस लेख को ब्‍लागवाणी पर पंसद नही किया है तो तुंरत पंसद कर अपने जगरूकता का परिचय दे। :)

अन्‍तोगत्‍वा यह एक मजाक था, और इसे आप मेरी 1 अप्रेल की पोस्‍ट भी कह सकते है क्‍योकि मेरा पुन: अवकाश लेने का समय आ गया है, और शायद ही पहली अप्रेल की पोस्‍ट कर पाऊँ :) यह अवकाश अगली परीक्षा 15 अप्रेल से प्रारम्‍भ होने के कारण ले रहा हूँ, 6 मई अथवा गरमी की छुट्टी के बाद पुन: वापसी होगी। इस पुन: मेरे ब्‍लाग को भइया देखेगे और मै भी उपस्थित रहूँगा ताकि कभी हाथ में खुजली हो तो एकाथ पोस्‍ट दाग सकूँ।

अन्‍त में गंवैया लहजे में- सत्‍यानाश हो ब्‍लागवाणी का बुरा चाहने वालों के लिये -

ब्‍लागों में कीड़े पडें, सात पोस्‍टों टिप्‍पणी न नसीब हो, उनका कप्‍यूटर हैंग कर जाये, ब्‍लाग पर खूब बेनाम टिप्‍पणी आये, पोस्टिग का बटन न काम करें, पोस्टिंग करते समय बिजली चली जाये, उनके ब्‍लाग पर आने वालों को 404 का चस्‍पा नज़र आये..... और भी आशीष वचन है, कि पोस्‍ट खतम नही होगी। अगर आपके पास कुछ इस तरह के आर्शीवद हो तो जरूर दीजिएगा। :)

अस्वीकरण - मजाक में बहुत कुछ गलत कह गया हूँ अत: कृपया अन्यथ न लें :)


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