अर्थशास्‍त्र की विषय सामग्री - उपभोग



अर्थशास्‍त्र को प्रो. मार्शल ने अध्‍ययन की दृष्टि से उपभोग, उत्‍पादन, विनिमय, और वितरण सहित 4 भागों में बॉंटा है, जबकि प्रो. चैपमैन इसमें संसोधन करते हुऐ राजस्‍व की एक श्रेणी और बना देते है। उपरोक्‍त वर्णित पॉंचों के बारे में हम विस्‍तार से चर्चा करेगें।
 
उपभोग ( Consumption)
उपभोग मानव की वह आर्थिक होती है जिसमें मनुष्‍य की आवाश्‍यकताओं की संतुष्टि होती है। संक्षेप में हम जब कोई मनुष्य किसी आर्थिक वस्‍तुओं तथा सेवाओं के द्वारा संतुष्टि को प्राप्‍त करता है तो कहा जाता है उक्‍त वस्‍तु या सेवा का उपभोग हुआ। तथा उस वस्‍तु तथा सेवा से मिलने वाली संतुष्टि को उपयोगिता कहते है। उपभोग मनुष्‍य क्रियाओं का आदि और अंत सभी है। उपभोग अपनी अवस्‍था के अनुसार कई प्रकार के हो सकते है, चाहे वह खाद्य पदार्थ के रूप मे चाहे भौतिक सुख सुविधाओं के द्वारा प्राप्‍त उपभोग।
डाक्‍टर पी. बसु उपभोग की परिभाषा देते हुए कहते है - ''अर्थशास्‍त्र में आर्थिक उपयोग ही उपभोग है। ''

नोट - अगले अंक में हम उत्‍पादन ( production) के बारे में चर्चा करेंगें।


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भाजपा में शामिल हुए 200 से अधिक मुसलमान



कर्नाटक विधान सभी चुनाव के पूर्व करीब 200 मुस्लिम व्‍यक्ति भारतीय जनता पार्टी में श‍ामिल होकर, आने वाले चुनाव में बड़े परिवर्तन की उम्‍मीद जाहिर कर दी है। वर्तमान परिष्दृय काफी बदल का आया हुआ है क्‍योकि जिन सेक्‍युलर पार्टी के द्वारा भारतीय जनता पार्टी को अंल्‍पसंख्‍यक विशेषकर मु‍सलमानों के प्रति अछूत घोषित किया जाता था। उन सेक्‍युलर पार्टियों पर इन मुस्लिम नागरिकों का तमाचा है। 
मंगलौर के चित्र

आज की देश तोडू राजनीति से आम नागरिक त्रस्‍त हो गया है। लोक सभा के आम चुनाव की सरगर्मी दिखने लगी है। वर्तमान सरकार अपने गिनेचुने दिन गिर रही है। क्‍योकि आज जनता को लगता कि देश में एक ही पार्टी है जो विकास के साथ साथ सुसरकार दे सकती है।


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