प्रेरक प्रसंग - दो बातें



प्रेरक प्रसंग
कभी कभी अच्‍छा पढ़ने और सुनने का लाभ मिल ही जाता है। एक दिन दीदी मॉं साध्वी ऋताम्‍भरा का प्रवचन सुन रहा था तो उस प्रवचन में उन्‍होने एक प्रेरक प्रसंग सुनाया वह आपसे सामने प्रस्‍तुत करता हूँ-
 
एक बार एक सेठ पूरे एक वर्ष तक चारों धाम की यात्रा करके आया, और उसने पूरे गॉंव में अपनी एक वर्ष की उपलब्‍धी का बखान करने के लिये प्रीति भोज का आयोजन किया। सेठ की एक वर्ष की उपलब्‍धी थी कि वह अपने अंदर से क्रोध-अंहकार को अपने अंदर से बाहर चारों धाम में ही त्‍याग आये थे। सेठ का एक नौकर था वह बड़ा ही बुद्धिमान था, भोज के आयोजन से तो वह जान गया था कि सेठ अभी अंहकार से मुक्‍त नही हुआ है किन्‍तु अभी उसकी क्रोध की परीक्षा लेनी बाकी थी। उसने भरे समाज में सेठ से पूछा कि सेठ जी इस बार आपने क्‍या क्‍या छोड़ कर आये है ? सेठ जी ने बड़े उत्‍साह से कहा - क्रोध-अंहकार त्‍याग कर आया हूं। फिर कुछ देर बाद नौकर ने वही प्रश्‍न दोबारा किया और सेठ जी का उत्‍तर वही था अन्‍तोगत्‍वा एक बार प्रश्‍न पूछने पर सेठ को अपने आपे से बाहर हो गया और नौकर से बोला - दो टके का नौकर, मेरी दिया खाता है, और मेरा ही मजाक कर रहा है। बस इतनी ही देर थी कि नौकर ने भरे समाज में सेठ जी के क्रोध-अंहकार त्‍याग की पोल खोल कर रख दी। सेठ भरे समाज में अपनी लज्जित चेहरा लेकर रह गया। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि दिखावे से ज्‍यादा कर्त्तव्‍य बोध पर ध्‍यान देना चाहिए।


एक और बात


कल मैने एक प्रयोग किया आपने Time loss पर करीब 4 चार पोस्‍टों को पोस्‍ट किया और उनके प्रकाशन का सयम निर्धारित कर दिया। आज चारों पोस्‍ट अपने समय पर प्रकाशित हुई काफी अच्‍छी यह सुविधा लगी।


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लॉ के पेपर में राम और सीता का पुत्र शंकर के बीच आज का अपना क्रिकेट मैच



कल मेरी परीक्षा खत्म हो गई, जाते जाते विवाद हो हवा दे गई। आज सुबह पेपर देखा तो पता चला कि कानपुर में प्रश्‍नपत्र में आये एक प्रश्‍न के लिये काफी विवाद हुआ। प्रश्‍न ऐसा था भी जो विवाद को पैदा करना स्‍वाभाविक भी था। प्रश्‍न में राम व सीता के पुत्र के रूप में शंकर का उल्‍लेख था, जो कुछ परीक्षार्थी को ठीक नही लगा, मुझे भी ठीक नही लग रहा था। क्‍या प्रश्‍न पत्र निर्माताओं को करोड़ो नामों में उक्‍त ही नाम मिले थे। प्रश्‍न निम्‍न था- सीता एवं राम का विवाह जून 1988 को हुआ था। सीता की फेलोपियन ट्यूब बंद होने की वजह से वह गर्भवती नहीं हो सकी। डॉक्टरों ने कृत्रिम रूप से विकसित उसके स्वयं के भ्रूण को अन्य महिला के गर्भ में विकसित भ्रूण प्रत्यारोपित करके शिशु के जन्म का विकल्प दिया। 'सीता' ने अपनी माँ शीला से बात की। शीला ने अपनी बेटी के शिशु को 'सेरोगेटेड' माँ के रूप में जन्म देना स्वीकार किया। नियत समय पर उसने एक शिशु 'शंकर' को जन्म दिया। पर्चे में शिशु 'शंकर' एवं 'सीता' के मध्य क्या नातेदारी हुई इस बारे में सवाल करते हुए हिंदू विधि के प्रावधान के साथ इसकी व्याख्या करने को कहा गया था।

कल की बारिस के बाद आज किक्रेट खेलने के आनंद कुछ और ही था, मस्तिष्‍क से परीक्षा का बोझ हट गया था। इस करीब 20-30 मैचों के बाद आज इस सत्र का पहला चौका लगाने का अवसर मिला, चौका तो लगा ही साथ साथ आज बोनस में दो छक्‍के भी लगाया, काफी अच्‍छा लगा रहा था जमी हुई पारी खेलेने में, अन्‍तोंगत्वा आज आठ ओवरों के मैच में 42 रन की अविजित पारी खेलने का मौका मिला। आज अपने पूरे क्रिकेट कैरियर में दूसरी बार नॉट आउट आया हूँ। किसी भी काम में निश्चित रूप से आत्‍मविश्वास काफी मायने रखता है। आज मेरा ही दिन था, अच्‍छे दिन रोज रोज नही आते है। अगर रोज ही अच्‍छे दिन होते हो हर मैच में लारा 400 रन तथा युवराज 6 छक्के मारता होता है।

परीक्षा खत्‍म हो गई है अब लिखने का दौर सक्रिय हो जायेगा, फिर मिलेगे, आप सभी का दिन मंगलमय हो।


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