ब्‍लागर/चिट्ठाकार पर निबन्‍ध



  1. यह मानव जाति में एक विशेष प्रकार का कुत्ता होता है जो भौकता ज्‍यादा है और कटता कम है।
  2. चिट्ठाकार के परिवार में कई सदस्‍य होते है।
  3. इसके पिता का नाम डेक्‍सटाप होता है क्‍योकि ज्‍यादातर समय उसे घूरता रहता है।
  4. माता का नाम सीप‍ीयू है, जो इसकी सभी कमियों को नज़र अंदाज करती है।
  5. इसकी प्रेमी/प्रेमिका माऊस होती है, जिसके बदन पर वह हमेशा हाथ फिराता रहता है।
  6. लेख/पोस्‍ट इसके पति/पत्नि होते है, क्‍योकि इनमें लड़ई झगड़ा, भड़ास प्रेम सभी का मेल मिलता है।
  7. गुमनाम टिप्‍पणी, भद्र टिप्‍पणी, अभद्र टिप्‍पणी इसने बच्‍चों का नाम है, क्‍योकि ये चुलबुले होते है, बच्‍चे कितने भी खराब क्‍यो न हो, अच्‍छे ही होते है।
  8. की‍बोर्ड इसका नौकर होता है, जिसे समय बेसमय-बेरहम होकर मारता है।
  9. इसे रह रहे कर पोस्टिग और टिप्‍पणी प्राप्‍त करने के दौरे पड़ते है।
  10. उपरोक्‍त बातों से कहा जाता सकता है कि आदमी की तरह दिखने वाला बिना सींग पूछ का यह प्राणी मनुष्‍य नही होता है।
यह निबन्‍ध जूनियर हाईस्‍कूल स्‍तर(कक्षा-8) का है इसलिये निदेशानुसार सिर्फ 10 लाईन लिखने को कहा गया है।


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मेरी लड़की फेल हो जायेगी, मुझे आउट हुआ पेपर दे दों



परसों इलाहाबाद विश्वविद्यालय का बीएससी-3 का का परिणाम निकल आया था। कुछ तो परसों ठीक अपना परिणाम जानने के लिये आ गये, किन्‍तु कल और भी रोमांचक स्थिति लेकर कई छात्र आ धमके की इस रोल नम्‍बर के आस पास कोई मैथ-कैमेस्ट्री हो तो बताओं मैने करीब 40 रोल नम्‍बर देखा तो उसमें एक ही मैथ-कैमेस्ट्री मिली, और लड़के संन्‍तुष्ट हो गये।
 
बाद में जब हम घर से बाहर निकले तो तो उक्त रोल नम्‍बर की वास्तविकता का पता चला। लड़को ने बताया कि यह अमुख लड़की का रोल नम्‍बर है। परीक्षा में हम लोगों ने इसकी खूब मदद की थी। इसका बाप भी ऐन पेपर के दिन बेटा-बाबू, लड़की है बेचारी का कैरियर खराब हो जायेगा कह कर आउट हुआ पेपर और इम्‍पटेन्‍टस ले जाता था। आज रिजल्‍ट निकलने के बाद जब हम लोगों ने रिजल्‍ट पता करने के लिये फोन किया तो बाप कहता है कि कौन हो तुम लोग ?? मेरी लड़की पास हो या फेल तुम जानकर क्या करोगें।
 
भाई लड़के है उनकी भी उत्सुक्ता थी कि आखिर जिसकी इतनी मदद किया, पता तो चले कि वह कौन से डिविजन में पास हुई है। और लड़के इन्‍टनेट के जरिये पता लगाने में सफल भी हो गये। मेरे मन में सिर्फ इतनी सी बात कौध रही है क्‍या आज शिक्षा का स्‍तर यही है कि बाप आउट हुआ पेपर खोजता फिरे, यही नैतिकता है?


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