इश्क



वफाओं को हमने चाहा,
वफाओं का साथ मिला।
इश्‍क की गलियो में भटकते रहे,
घर आये तो बाबू जी का लात मिला।।

घर लातों को तो हम झेल गये,
क्‍योकि यें अन्‍दर की बात थी।
पर इश्‍क का इन्‍ताहँ तब हुई जब,
गर्डेन में उसके भाई का हाथ पड़ा।।

इश्‍क का भूत हमनें देखा है,
जब हमारे बाबू जी ने उतारा था।
फिछली द‍ीवाली में पर,
जूतों चप्‍पलों से हमारा भूत उतारा था।।

इश्‍क हमारी फितरत में है,
इश्‍क हमारी नस-नस में है।
बाबू की की ध‍मकियों से हम नही डरेगें,
हम तो खुल्‍लम खुल्‍ला प्‍यार करेगें।।

अब आये चाहे उसका भाई,
चाहे साथ लेकर चला आये भौजाई।
इश्‍क किया है कोई चोरी नही की,
तुम्हारे बाप के सिवा किसी से सीना जोरी नही की।।

कई अरसें से कोई कविता नही लिखी, मित्र शिव ने कहा कि कुछ लिख डालों कुछ भाव नही मिल नही रहे थे किन्‍तु एक शब्द ने पूरी रचना तैयार कर दी, मै इसे कविता नही मानता हूँ, क्‍योकि यह कविता कोटि में नही है, आप चाहे जो कुछ भी इसे नाम दे सकतें है, यह बस किसी के मन को रखने के लिये लिखा गया।


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ब्‍लागर/चिट्ठाकार पर निबन्‍ध



  1. यह मानव जाति में एक विशेष प्रकार का कुत्ता होता है जो भौकता ज्‍यादा है और कटता कम है।
  2. चिट्ठाकार के परिवार में कई सदस्‍य होते है।
  3. इसके पिता का नाम डेक्‍सटाप होता है क्‍योकि ज्‍यादातर समय उसे घूरता रहता है।
  4. माता का नाम सीप‍ीयू है, जो इसकी सभी कमियों को नज़र अंदाज करती है।
  5. इसकी प्रेमी/प्रेमिका माऊस होती है, जिसके बदन पर वह हमेशा हाथ फिराता रहता है।
  6. लेख/पोस्‍ट इसके पति/पत्नि होते है, क्‍योकि इनमें लड़ई झगड़ा, भड़ास प्रेम सभी का मेल मिलता है।
  7. गुमनाम टिप्‍पणी, भद्र टिप्‍पणी, अभद्र टिप्‍पणी इसने बच्‍चों का नाम है, क्‍योकि ये चुलबुले होते है, बच्‍चे कितने भी खराब क्‍यो न हो, अच्‍छे ही होते है।
  8. की‍बोर्ड इसका नौकर होता है, जिसे समय बेसमय-बेरहम होकर मारता है।
  9. इसे रह रहे कर पोस्टिग और टिप्‍पणी प्राप्‍त करने के दौरे पड़ते है।
  10. उपरोक्‍त बातों से कहा जाता सकता है कि आदमी की तरह दिखने वाला बिना सींग पूछ का यह प्राणी मनुष्‍य नही होता है।
यह निबन्‍ध जूनियर हाईस्‍कूल स्‍तर(कक्षा-8) का है इसलिये निदेशानुसार सिर्फ 10 लाईन लिखने को कहा गया है।


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