श्रद्धांजली - अमर शहीद मेजर संदीप उन्‍नीकृष्‍णन



जुलाई 2008 में हम्‍पी यात्रा के दौरान के चित्र



भारत माता को भी नाज होगा कि उसके रक्षा की खतिर देश में सपूतों की कमी नही है, उन्‍ही में से एक है मेजर संदीप उन्‍नीकृष्‍णन जो मुम्‍बई हमले मे देश की रक्षा करते हुयेबीर गति को प्राप्‍त हुये। धन्‍य होगी वह मॉं की कोख और पिता की गोद जिसने इस महान सपूत को जन्‍म दिया और पाला होगा। भले ही आज मेजर हमारे बीच नही है किन्‍तु उनका जज्‍बा और यादे हमारे बीच जरूर है।

मेजर आज भी हमारे बीच है, एक प्रेरणा स्‍त्रोत के रूप में, आतंकवाद की लड़ाई में प्रखर योद्धा के रूप में। उनके परिवार को उन नाज होगा कि उनका पुत्र देश के लिये शहीद हुआ किन्‍तु उनके शहीद होने से माता पिता ने अपना पुत्र, बहन-भाईयों ने भाई, पत्नि ने पति और पुत्र-पुत्रियों ने अपना पिता खोया है। अमर शहीद से बना शून्‍य ताजिन्‍दगी उनके परिवार वालो को उनकी याद दिलाता रहेगा।

इस राष्‍ट्रीय दुख की घड़ी में हम सब यही प्रार्थना कर सकते है कि उनके परिवार जनो को इस आपर छति से लड़ने का साहस प्रदान करें।


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हे भगवान जी हमारी नानी को वापस बुला लो'



कुछ दिन पूर्व अदिति की नानी का हमारे यहॉं आने का कार्यक्रम हुआ। किन्‍तु अद‍िति से पुरानी दुश्‍मनी थी, करीब जब अदिति ढ़ेड साल की थी और नानी के यहॉं गई थी तभी से उसकी नानी से नही पटती थी। दुश्‍मनी की हद इस तरह तक की थी, वह नानी को अपने घर से भगाने के लिये भगवान से प्राय: प्रार्थना भी करती थी, जब तक की नानी चली नही गई। प्रार्थना की अपनी स्‍टाईल भी थी '' हे भगवान जी हमारी नानी को वापस बुला लो'' एक न दिन तो उनकी नानी को वापस जाना ही था और वह दिन भी आ गया और भोर में ही नानी अदिति के उठने से पहले चली गई। जब अदिति उठती है तो नानी को नई पाती है, घर में पूछती है कि नानी कहॉं है उसे पता चलता है नानी चली गई तो वह बोली है - भले भई चली गई, भगवान जी हमार सुन लीहिन।
अदिति के चित्र अन्‍य चित्रों के लिये क्लिक करें




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