चार घन्‍टे की आगरा यात्रा



नये वर्ष की पहली पोस्ट लिखने की सोच रहा था, किन्तु क्या लिखे समझ में नहीं आ रहा था। हाथों में कीबोर्ड के बटन दबाने के लिये बहुत तेज खुजली हो रही थी। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या लिखूँ ? हम इसे निरंतर लेखन न कर पाने पर विषय का अभाव भी कह सकते है। तब पर भी कुछ न कुछ लिखने के लिये बैठे थे तो अपनी मानसिक डायरी के पन्नों को पलटने लगे। क्योंकि बहुत से ऐसे विषय होते है जिन पर हम समय न होने पर कुछ न लिख सके थे। उन्हीं विषय में से आज एक विषय ले रहा हूँ।
आपने आज के पूर्व इस यात्रा यहां तक पढ़ चुके है, आज थोड़ा और आगे चलते है। आज आपको 27 अगस्‍त 2007 में लिए चलते है, हम दिल्ली से निकल कर गुड़गांव फिर फरीदाबाद पहुँचे। वहां पर हमें श्री अरुण जी हमें घुमा फिरा कर मथुरा-वृंदावन घूम कर ही घर जाने को कहा किंतु हम समय इतना कम लेकर चले थे कि सीधे आगरा का कार्यक्रम बना दिया और अरुण जी ने हमे बल्लभगढ़ से आगरा की ट्रेन को पकड़ा दिया।
देखते देखते करीब करीब 9 बजे तक हम आगरा के राजा की मंडी स्टेशन पर थे। रात को देखते हुए हमारा अब प्रतीक जी से मिलने का मन नही कर रहा था किन्तु प्रतीक जी से बात कर चुके थे कि हम आ रहे है से अब जाना भी जरूरी था। हमें प्रतीक जी के घर पर पहुँचते करीब 15 मिनट लगे, और‍ फिर करीब ढेड़ घन्‍टे तक हम प्रतीक जी के साथ रहे। यह मुलाकात स्‍वाभाविक रूप से काफी अच्‍छी रही। हमे भूख नही थी किन्‍तु उनकी माता जी ने अत्‍यंत प्रेम पूर्वक हमारे सामने भोजन रखा तो हम इंकार नही कर सके। पहली यात्रा का यह स्‍टापेज जीवन भर मेरे स्‍मृति पटल पर रहेगा। मै और प्रतीक जी अक्सर चैट के दौरान जय रमी कर लेटे लेते थे किन्‍तु यह पहला अवसर था‍ कि हम प्रत्‍यक्ष रूप से सामने थे। उन्‍हे सुबह ताज आदि देख कर जाने के कहा किन्‍तु हम अपने समय सारणी से बंधे हुये थे। रात्रि पौने बारह बजे की ट्रेन थी प्रतीक जी ने हमें स्‍वयं राजा की मंडी तक छोड़ा, एक तरफ तो उनसे तथा उनके परिवार से मिलने की खुशी थी तो दूसरी तरह इतनी रात्रि में परेशान करने का कष्‍ट भी, इसका हमे खेद है।

आगे बहुत कुछ है, अभी रात के 2 बज रहे है सुबह 7 बजे हम कानपुर में होगे । तब फिर लिखेगे ........

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हमारे शिरिल जी ने ब्लॉगवाणी पर नये सुविधा चालू की है इसके लिए उन्हें बधाई। आज हम भी इसे अपने ब्लॉग पर लगा रहे है। देखते है हम कितना पसंद किये जाते है ? वैसे ज्यादा पसंद लायक तो यह लेख नहीं ही है :)


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