कल समीरलाल जी से सपत्निक इलाहाबाद जक्शन पर मुलाकात हुई और कल ही भइया ने एक इलेक्ट्रनिक बाईक को मुझे खरीद कर दिया। करीब 3 साल से समीर लाल जी और मुझमें अनेको संवाद हुये किन्तु मिलने का अवसन अवसर आज ही मिला। पिछली बार समीर लाल जी सेन मिल पाने का कारण भी विश्वस्त सूत्रो से पता चला कि ट्रेन को ज्ञान जी ने ट्रेन को ऐसा राईट टाईम किया कि ट्रेन जबलपुर भी राईट टाईम ही पहुँची। पिछली बार की बात मैने इस पोस्ट पर लिखा था। इस बार मै बिल्कुल सही समय से 10 मिनट पहले पहुँच गया था। और उसका परिणाम यह हुआ कि समीर लाल जी से मिलना हो गया। उन्होने पूछा आज कल कम लिख रहे हो तो मैने अपनी मजबूरी बताई और कहा कि मैने अपने लिये इस साल से 4 पोस्ट मासिक तय कर ली है। इस कारण से अब तक हर माह में सिर्फ 4 ही पोस्ट लिख रहा हूँ।
इलाहाबाद स्टेशन पर एक सज्जन भी समीर लाल जी के परिचित मिल गये जो कोलकाता से उनके साथ ही ट्रेन पर थे किन्तु साथ साथ थे ये न उनके पता था समीर लाल जी को, फिर उनके बीच भी काफी बातचीत हुई। समीर लाल जी को इलाहबादी अमरूद खाने की इच्छा थी किन्तु मौसम में अमरूद उपलब्ध नही थे। बहुत कुछ बात करने की इच्छा था किन्तु बात कम समय में बहुत बात कर पाना कठिन था। अन्तोगत्वा अन्तिम घड़ी भी आ गई जब ट्रेन को जाना था। समीर ने जबलपुर में ब्लागरमीट के लिये भी बुलाया आज हमारी जबलपुर की यात्रा भी फिक्स हो गई। मेरी बहुत इच्छा कि मै एक बार जबलपुर की यात्रा करूँ क्योकि मेरे साथ कक्षा 11 से परास्नातक के साथी ताराचंद्र ने मुझे कई बार जबलपुर के लिये आमंत्रित किया था, उनके बाद श्री गिरीश बिल्लोरे जी ने भी यात्रा के कई बार कह चुके थे। मेरी तो तैयारी थी ही किन्तु घर से अनुमति मिल पाना कठिन हो रहा था। जो आज मिल गई।
अभी अनुमति मिली ही थी कि मेरी टिकट के लिये तैयारी करने लगा, और गाड़ी में चाभी लगा कर भूल गया। तभी अदिति पता नही कैसे गाड़ी के पास पहुँची और आटोमैटिक होने के कारण वह स्टार्ट हो कर गिर पड़ी। काफी कुछ टूट-फूट हुआ, कल आई हुई गाड़ी में कई जगह ऐब आ चुके थे। मुझे बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। करीब 1500-2000 तक का नुकसान हो चुका था। एक तरफ अदिति रो रही थी। उसे चोट नही लगी थी किन्तु उसे भी दुख था कि नई गाड़ी टूट गई। जो कुछ भी हुआ अच्छा ही हुआ, अदिति को चोट नही लगी। यदि 16 किलो की अदिति पर 88 किलो की गाड़ी गिरी होती तो अदिति की जो स्थिति होती, उसे मै सोच भी नही सकता। ईश्वर नुकसान तो किया किन्तु पुरे परिवार को बड़े नुकसान से बचा लिया। गाड़ी है 2500-3000 लगा कर पहले जैसी करा लूँगा किन्तु अदिति को कुछ होता तो अमूल्य निधि लगा कर भी, पहले जैसी न करवा पाता। इस बस होने के बाद मै और अदिति उसी गाडी से हनुमान मन्दिर, अष्टभुजी माता के मन्दिर और साई बाबा के मंदिर गया और हम दोनो ने अपना सभी के दरबार अपना माथा टेका और धन्यवाद दिया।
साभार ( लिखना पड़ता है, कल को जबलपुर पहुँचने पर हमारे उपर चड़ बैठे तो लेने के देने पड़ जायेगे, जिसकी कल्पना मैने अदिति पर बाईक गिरने की की थी)
अदिति
साभार ( लिखना पड़ता है, कल को जबलपुर पहुँचने पर हमारे उपर चड़ बैठे तो लेने के देने पड़ जायेगे, जिसकी कल्पना मैने अदिति पर बाईक गिरने की की थी)
हमारी बात समीर जी की कीबोर्ड से - http://udantashtari.blogspot.com/2009/04/blog-post.html
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