राष्ट्र का संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ



राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ जिसे आर.एस.एस (R.S.S.) जाना जाता है मुझे नहीं लगता कि किसी को संघ की पहचान बताने की जरूरत है। आज यह कहना ही उचित होगा कि इसके आलोचक ही इसकी मुख्य पहचान है। जब आलोचक संघ की कटु आलोचना करते नजर आते है तब तब संघ और मजबूत होता हुआ दिखाई पड़ता है। छद्म धर्मनिरपेक्षवादी लोगों को यही लगता है कि भारत उन्हीं के भरोसे चल रहा होता है किन्तु जानकर भी पागलों की भांति हरकत करते है जैसे उन्हें पता ही न हो कि संघ की वास्तविक गतिविधि क्या है ?
राष्ट्र का संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
संघ के बारे थोड़ा बताना चाहूंगा उन धर्मनिरपेक्ष बंदरों को जो अपने आकाओ के इशारे पर नाचने की हमेशा नाटक करते रहते है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन मोहिते के बाड़े नामक स्थान पर डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डॉक्टर जी ने की थी। संघ के 5 स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई विश्व की पहली शाखा आज 50 हजार से अधिक शाखाओं में बदल गई और ये 5 स्‍वयंसेवक आज करोड़ो स्वयंसेवक के रूप में हमारे सामने है। संघ की विचारधारा में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्र, राम जन्मभूमि, अखंड भारत, समान नागरिक संहिता जैसे विजय है जो देश की समरसता की ओर ले जाता है। कुछ लोग संघ की सोच को राष्ट्र विरोधी मानते है क्योंकि उनका काम ही है यह मानता, नही मानेगे तो उनकी राजनीतिक गतिविधि खत्म हो जाती है।
राष्ट्र का संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की हमेशा अवधारणा रही है कि 'एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे' बात सही भी है। जब समूचे राष्ट्र और राष्ट्र के नागरिकों को एक सूत्र में बांधा गया है तो धर्म के नाम पर कानून की बात समझ से परे हो जाती है, संघ द्वारा समान नागरिक संहिता की बात आते ही संघ को सांप्रदायिक होने की संज्ञा दी जाती है। अगर देश के समस्त नागरिकों के लिये एक नियम की बात करना साम्प्रदायिकता है तो मेरी नजर में इस साम्प्रदायिकता से बड़ी देशभक्ति और नहीं हो सकती है।


राष्ट्र का संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
संघ ने हमेशा कई मोर्चों पर अपने आपको स्थापित किया है। राष्ट्रीय आपदा के समय संघ कभी यह नहीं देखता कि किसकी आपदा मे फसा हुआ व्यक्ति किस धर्म का है। आपदा के समय संघ केवल और केवल राष्ट्र धर्म का पालन करता है कि आपदा मे फसा हुआ अमुक भारत माता का बेटा है। गुजरात में आये भूकम्प और सुनामी जैसी घटनाओं के समय सबसे आगे अगर किसी ने राहत कार्य किया तो वह संघ का स्वयंसेवक था। संघ के प्रकल्पों ने देश को नई गति दी है, जहाँ दीन दयाल शोध संस्थान ने गांवों को स्वावलंबी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। संघ के इस संस्‍थान ने अपनी योजना के अंतर्गत करीब 80 गांवों में यह लक्ष्य हासिल कर लिया और करीब 500 गांवों तक विस्तार किए जाने हैं। दीन दयाल शोध संस्थान के इस प्रकल्प में संघ के हजारों स्‍वयंसेवक बिना कोई वेतन लिए मिशन मानकर अपने अभियान में लगे है। सम्पूर्ण राष्ट्र में संघ के विभिन्न अनुषांगिक संगठनो राष्ट्रीय सेविका समिति, विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, बजरंग दल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय सिख संगत, भारतीय मजदूर संघ, हिंदू स्वयंसेवक संघ, हिन्दू विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण मंच, दुर्गा वाहिनी, सेवा भारती, भारतीय किसान संघ, बालगोकुलम, विद्या भारती, भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम सहित ऐसे संगठन कार्यरत है जो करीब 1 लाख प्रकल्पो को चला रहे है।
संघ की प्रार्थना भी भारत माता की शान को चार चाँद लगता है, संघ की प्रार्थना की एक एक लाईन राष्‍ट्र के प्रति अपनी सच्‍ची श्रद्धा प्रस्‍तुत करती है मेरी पोस्‍ट मुस्लिम भाई मै आप से अभिभूत हूँ पर संघ की प्रार्थना और उसके अर्थ को पढ़ा जा सकता है। संघ का गाली देने से संघ का कुछ बिगड़ने वाला नही है अप‍ितु गंदे लोगो की जुब़ान की गन्‍दगी ही परिलक्षित होती है।
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आज मुम्‍बई या है पर हम भोपाल क्‍यो भूल रहे है ?



भोपाल झीलो के शहर की पहचाना जाता है किन्‍तु आज भोपाल की जो सबसे बड़ी पहचान है वह है भोपाल गैस कांड। भोपाल गैस कांड को आज 25 वर्ष हो गये है, यह विश्व की वह शर्मनाक घटना है जिसमें यूनियन कार्बाइड फ़ैक्टरी से मिथाइल आइसोसाइनाइड लीक होने परिणाम स्‍वरूप 25 हजार लोग मारे गये थे तथा आज तक करीब 5 लाख से अधिक लोग इससे दुष्‍परिणाम प्रभावित हुये थे।

विश्व की बड़ी औद्योगिक त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार मानी जाने वाली यूनियन कार्बाइड फैक्‍ट्री आज भले ही अस्तित्‍व मे न हो किन्‍तु इस घटना ने उसे लोगो के आक्रोश पटल पर हमेशा जिन्‍दा रखा है, ज्ञात हो कि यूनियन कार्बाइड को 2001 मे अमरीकी कंम्पनी डाउ कैमिकल्स ने ख़रीद लिया था और इसके साथ ही साथ डाउ कैमिकल्स ने 25 हजार लोगो के मौत की जिम्‍मेवारी और 5 लाख से ज्‍यादा घायलो की बद्दुआएं।

आज भी भोपाल गैस कांड के भुक्‍त भोगियों को न्‍याय नही मिल पा रहा है, इसके पीछे दोषी कौन है ? हमारी व्यवस्था कि, हमारी सरकारो की इच्‍छा शक्ति की या हमारी स्वयं की। आज हम मुम्बई हमले को बड़ी तत्परता से याद करते है करना भी चाहिये किन्‍तु ऐसे राष्ट्रीय बहस के मुद्दे की अनदेखी किया जाना, इस घटना के पीड़ितों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है।


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