तुम्‍हारी पालिटिक्‍स क्‍या है पार्टनर !



अभी तक तस्‍लीमा नसरीन और मकबूल फिदा हुसैन की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जो जार-जार आंसू बहा रहे थे, सत्ता के दमन को जी-भर कोस रहे थे, छिनाल प्रकरण के बाद वह खुद बेपर्दा हो गये। विभूति राय ने जो कहा वह तो अलग विमर्श की मांग करता है लेकिन जिस तरह सजा का एलान करते हुये स्वनाम धन्य लोग विभूति के पीछे लग लिये उसने कई सारे सवाल पैदा कर दिये।
विभूति राय की टिप्पणी के बाद विरोध का पूरा का पूरा माहौल ही दरबारीनुमा हो गया। ज्यादातर, एक सुर मेरा भी मिलो लो की तर्ज पर विभूति की लानत मलानत में जुटे हैं। हमारे कई साथी तो इस वजह से भी इस मुहिम का हिस्सा बन लिये की शायद इसी बहाने उन्हें स्त्रियों के पक्षधर के तौर पर गिना जाने लगे। लेकिन एक सवाल हिन्‍दी समाज से गायब रहा कि- विभूति की‍ टिप्‍प़डी़ के सर्न्‍दभ क्‍या हैं। इस तरह एक अहम सवाल जो खड़ा हो सकता था, वह सामने आया ही नहीं।
जबकि विभूति ने साक्षात्कार में यह अहम सवाल उठाया कि महिला लेखिकाओं की जो आत्‍मकथाएं स्त्रियों के रोजाना के मोर्चा पर जूझने, उनके संघर्ष और जिजाविषा के हलाफनामे बन सकते थे आखिर वह केलि प्रसंगों में उलझाकर रसीले रोमैण्टिक डायरी की निजी तफसीलों तक क्‍यूं समिति कर दिये गये। इस पर कुछ का यह तर्क अपनी जगह बिल्‍कुल जायज हो सकता है कि आत्‍मकथाएं एजेण्‍डाबद्व ले‍खन का नतीजा नहीं होंती लेकिन अगर सदियों से वंचित स्‍त्रियों का प्रतिनिधित्‍व करने वाली लेखिकाएं सिर्फ केलि प्रसंग के इर्द-गिर्द अपनी प्रांसगिकता तलाशने लगे तो ऐसे में आगे कहने को कुछ शेष नहीं बचता। हम पाठकों के लिए स्‍त्री विर्मश देह से आगे औरतों की जिन्‍दगी के दूसरे सवालों की ओर भी जाता हैं। हमें यह लगता है कि धर्म, समाज और पितसत्‍तामक जैसी जंजीरों से जकड़ी स्‍त्री अपने गरिमापूर्ण जीवन के लिए कैसे संघर्ष पर विवश है उसकी तफलीसें भी बयां होनी चाहिये। मन्‍नू भण्‍डारी, सुधा अरोडा, प्रभा खेतान जैसी तमाम स्‍त्री रचानाकारों ने हिन्‍दी जगत के सामने इन आयमों को रखा है।अन्‍या से अनन्‍या तो अभी हाल की रचना है जिसमें प्रभा खेतान के कन्‍फेस भी हैं लेकिन बिना केलि-प्रंसगों के ही यह रचना स्‍त्री अस्तित्‍व के संघर्ष को और अधिक मर्मिम बनाती है।
अगर यही सवाल विभूति भी खडा करते हैं तो इसका जवाब देने में सन्‍नाटा कैसा। जबकि एक तथाकथित लंपट किस्म के उपन्यासकार को ऐसी टिप्पणी पर जवाब देने के लिए कलम वीरों को बताना चाहिये कि- हजूर ! आपने जिन आत्मकथात्मक उपान्‍यासों का जिक्र किया है उसमें आधी दुनिया के संघर्षों की जिन्दादिल तस्वीर हैं और यौन कुंठा की वजह से आपको उनके सिर्फ चुनिंदा रति-प्रसंग ही याद रह गये।
मकबूल फिदा हुसैन का समर्थन करके जिस असहमति के तथाकथित स्‍पेस की हम हमेशा से दुहाई सी देते आये इस प्रकरण के बाद इस मोर्चे पर भी हमारी कलई खुल गयी। तमाम बड़े नामों को देखकर यह साफ हो गया कि अभी भी हमारे भीतर असहमति का कोई साहस नहीं है और अतिक्रमण करने वाले के खिलाफ हम खाप पंचायतों की हद तक जा सकते हैं। इन सबके बीच कुछ साथी छिनाल शब्द के लोकमान्यता में न होने की बात कहते हुये भी कुलपति को हटाने की मांग की लेकिन आज अगर आज लोकमान्यता के प्रतिकूल शब्द पर कुलपति हटाए जाते हैं तो हुसैन साहब की बनाई तस्‍वीरों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हम कैसे आगे बचा सकेंगे क्योंकि लोकमान्यता के सामान्य अर्थों में शायद ही कोई हिन्दू सीता की नग्‍न तस्‍वीर देखना पसंद करें। और इसी तरह फिर शायद हम तस्‍लीमा के लिए भी सीना नहीं तान सकेंगे क्योंकि शायद ही कोई मुसलमान लोक मान्यता के मुताबिक धर्म को लेकर उनके सवालों से इत्‍तेफाक करेगा।
पहले ही कह चुका हूं कि विरोध को लेकर माहौल ऐसा दरबारीनुमा हो गया है कि प्रतिपक्ष में कुछ कहना लांछन लेना है। बात खत्‍म हो इसके पहले डिस्‍कमेलटर की तर्ज पर यह कहना जरूर चाहूंगा कि विभूति नारायण राय से अभी तक मेरी कुछ जमा तीन या चार बार की मुलाकात है, जो एक साक्षात्‍कार के लिए हुयी थी। इसका भी काफी समय हो चुका है और शायद अब विभूति दिमाग पर ज्यादा जोर देने के बाद ही मुझे पहचान सकें। तथाकथित स्त्री विमर्श के पक्ष में चल रही आंधी में मेरे यह सब कहना मुझे स्त्री विरोधी ठहर सकता है लेकिन इस जोखिम के साथ यह जानना जरूर चाहूंगा कि आखिर, पार्टनर! तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है….
हिमांशु पाण्डेय, इलाहाबाद में पत्रकार है।


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नही जमी - "वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई"



Once Upon A Time In Mumbaai के बारे में जितना सुना उतना मिला नहीं। जहाँ तक मै जानता हूँ कि मुंबई के नाम पर फिल्म बने तो वह औसत हिट हो ही जायेगी। शुरू से लेकर अंत तक फिल्म के कुछ हिस्से छोड़ दिये जाये तो दर्शकों को बांधने मे असफल रही है। पता नहीं वह कौन सा समय था जब मुम्बई काली दुन‍िया के खौफ से बेखौफ होकर घूमती थी ?
नही जमी - "वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई"

फिल्म शुरुआत होती है, एक एम्बेसडर कार के समुद्र के निकलने से, यह कार मुंबई के एएसपी एग्नेल विल्सन की होती है। उनका ही सहकर्मी यह कहता है कि यह आत्महत्या है न की एग्नेल विल्सन पर कोई हमला, यह विल्सन के सीनियर इस बात को जानना चाहते है कि कारण क्या है तो सूत्रधार के रूप में एग्नेल विल्सन फिल्‍म की कहानी शुरू करते है।
एग्नेल विल्सन के रूप में अभिनेता रणदीप हुड्डा का काम मुझे पसंद आया, अभिनेत्री कंगना राणावत भी अपना ग्लैमर छोड़ने में सफल रही,कंगना जितनी सेक्सी और हसीन दिख सकती थी फिल्म में इससे भी ज्यादा नज़र आयी। फिल्‍म मे कंगना फिल्म मे सबसे अधिक सुन्दर अजय देवगन के साथ भाषण के समय लगी। प्राची देसाई भी रोल के हिसाब से औसत का किया।
अजय देवगन की बात ही निराली है, उनके बारे कुछ कह ही नही सकता, अभिनय अच्छा रहा। मेरी यह इमरान हाशमी की पहली फिल्म थी जिसे मैने देखा, उसका काम भी ठीक था। अन्तोगत्वा फिल्म को बहुत उम्दा नहीं कहा जा सकता है, मेरे नजर मे पैसा बेकर फिल्‍म थी।छ हटकर - कुछ दिनो से मूड ठीक नहीं था और मै सो रहा था, कल रात मे दोस्त संजू का फोन आया कि कल दोपहर 1.50 की फिल्म का टिकट ले ले रहा हूँ। मैने भी नींद मे कहा ले लो और फोन कट गया। आज सुबह 10 बजे फिर फोन आया चल रहे हो न, मैने पूछा कहाँ ? उसने कहा कि भूल गये क्‍या ? :)
आखिर बात खत्म हुई और मै 1.45 पर पीवीआर पहुँच गया जहां वो इंतजार कर रहा था। अच्छा लगा मूड ठीक नहीं था पर दोस्त का साथ हमेशा सब कुछ खराब होने पर भी सब ठीक कर देता है। जब फिल्म शुरू हुई तो एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आया और मशगूल होकर मेरे ऊपर बैठने लगा, मैंने कहा भाई साहब देख करके। अच्छा हुआ उसकी गर्लफ्रेंड ने बैठने की कोशिश नहीं की। :)
नही जमी - "वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई"
फिल्‍म का ब्रेक मे हम कुछ खाने के लिये चल दिये लौट कर आये तो देखा कि एक नेपाली लड़का हमारी सीट पर बैठा था हमने कहा भाई साहब यहाँ कहाँ ? पता चला कि वो हॉल 2 में बैठा था और चला आया 3 मे :) खैर फिल्‍म देखा और अब मूड काफी कुछ अच्छा लग रहा है यही कारण है कि आज पोस्‍ट भी लिख रहा हूँ।


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दवा नहीं, घरेलू नुस्खे से करे सर्दी-जुकाम का इलाज



खांसी-जुकाम हर बदलते मौसम के साथ आने वाली समस्या है। खांसी बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन, एलर्जी, साइनस इन्फेक्शन या ठण्ड के कारण हो सकती है लेकिन हमारे देश में हर परेशानी के लिए लोग डॉक्टरों के पास नहीं जाते। जुकाम अगर एक बार हो जाए तो जल्दी ठीक होने का नाम ही नहीं लेता। इस समस्या के होने पर सिर दर्द होने लगता है और रात को चैन की नींद भी आती। हमारी ही किचन में कई ऐसे नुस्खे छिपे होते हैं जिनसे खांसी-जुकाम जैसी छोटी-मोटी बीमारियां फुर्र हो जाती हैं।


सर्दी-जुकाम के लक्षण
  1.  छींक आना
  2. सिरदर्द
  3. बंद नाक
  4. बहती नाक
  5. खांसी
  6. गले में खराश
  7. आंखों से पानी आना
  8. बुखार महसूस होना
जुकाम नहीं होने के कारण
  • अधिक तनाव - तनाव आपके शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। हम रोज किसी न किसी वजह से तनाव का सामना करते ही हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए कि तनाव का प्रबंध करें। इसके कारण आप बीमार भी हो सकते हैं। एक स्टडी के मुताबिक, अधिक तनाव आपको बीमारियों के लिए अधिक संवेदनशील बना देता है। अगर आपको जुकाम हुए काफी दिन हो गए और आप ठीक नहीं हो पा रहे तो जांच लें, कहीं आपका अधिक तनाव तो इसकी वजह नहीं है।
  • एक्सरसाइज - कई लोगों की एक्सरसाइज की आदत इतनी नियमित होती है कि वो बीमार होने पर भी इसे टालते नहीं है। ऐसे लोग सोचते हैं, थोड़ी सी बीमारी में एक्सरसाइज क्या छोड़ना! और उनकी इसी सोच की वजह से सामान्य सा जुकाम काफी दिनों तक के लिए टिक सकता है। अगर आप जुकाम के दौरान एक्सरसाइज करना भी चाहते हैं तो हल्के स्तर पर करें।
  • खानपान - जैसे ही आपको बीमार महसूस होने लगता है, या तो आप खाना-पीना छोड़ देते हैं, या फिर ऐसी चीज़ें खाने लगते हैं जो आपको फायदा नहीं पहुंचाती। जब आपको सर्दी-जुकाम होता है तो आपके पूरे शरीर को पोषण की जरूरत होती है, ताकि वो बीमारी से बच सके। कोशिश करें कि जब आप बीमार हो तब भी आपका खानपान संपूर्ण पोषण-युक्त हो।
  • डिहाइड्रेशन - कम तरल पदार्थों का सेवन करने से थकान और डिहाइड्रेशन हो सकता है, खासतौर पर जब आप बीमार हो तो शरीर में पानी की जरूरत और बढ़ जाती है। अगर आप कम पानी पीते हैं तो आपका जुकाम देर तक ठहर सकता है। इसलिए जब आपको सर्दी-जुकाम हो तो कोशिश करें की अधिक मात्रा में पानी, जूस, सूप या अन्य तरल पदार्थ लेते रहें। ये आपके हीलिंग प्रोसेस को तेज़ करता है।
  • दवाएं -"ओवर दि काउंटर" दवाओं से जुकाम के लक्षणों में कमी आ सकती है, फौरन राहत पहुंच सकती है लेकिन ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि इनसे आपका जुकाम पूरी तरह से ठीक नहीं होता। जुकाम ठीक करने के लिए दवाओं के साथ साथ, आराम और स्वस्थ खानपान भी बहुत जरूरी है।
  • नींद की कमी -हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए नींद की बहुत अहम भूमिका होती है। हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक जो लोग रात में 7 घंटे से कम की नींद लेते हैं, उन्हें आठ या उससे अधिक घंटे सोने वालों की तुलना में जुकाम होने की तीन गुना अधिक संभावना होती है। एक बार जुकाम हो जाने पर भी अगर आप उचित आराम नहीं करते, तो आपको ठीक होने में लंबा वक्त लग सकता है। जब आपको जुकाम हो तो आदर्श स्थिति ये है कि आप घर पर आराम करें, लोगों से दूर रहें और भरपूर आराम लें।
  • हर्बल उपचार - कई लोकप्रिय हर्बल दवाएं इस तरह के दावे करती हैं, "इसे पियें, और फिर हमेशा स्वस्थ रहें!" या "इसे लें और तीन दिन में आपका जुकाम ठीक!" आपको ध्यान रखना चाहिए कि दवा पर 'हर्बल' लिखे रहने का मतलब ये नहीं है कि उससे हमें नुकसान नहीं पहुंच सकता। इसलिए ऐसी दवाओं पर निर्भर रहकर अगर आप दो-तीन दिन में ठीक नहीं होते तो बाकी चीज़ों पर भी ध्यान दें।
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हमारे बुजुर्गों ने कहा हैं कि अगर लंबे समय तक स्वस्थ रहना है तो दवाइयां तभी लें, जब इसकी बहुत ज्यादा जरूरत हो। सर्दी और जुकाम से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका घरेलू उपाय है। घरेलू उपायों से न सिर्फ सर्दी के जल्दी ठीक किया जा सकता है बल्कि इसके नुकसान भी न के बराबर ही है। आइए ऐसे ही कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में जानें जो सर्दी और जुकाम से आप जल्द पीछा छुड़ा सकते हैं। खांसी-जुकाम में रामबाण ये घरेलू नुस्खे :-
  1. अदरक - सर्दी और जुकाम में अदरक बहुत फायदेमंद होता है। अदरक को महाऔषधि कहा जाता है, इसमें विटामिन, प्रोटीन आदि मौजूद होते हैं। अगर किसी व्यक्ति को कफ वाली खांसी हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक उबालकर पिलाएं। अदरक की चाय पीने से जुकाम में फायदा होता है। इसके अलावा अदरक के रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से आराम मिलता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह शरीर के कई रोगों को दूर करने में मदद करता है। जुकाम और खांसी को ठीक करने के लिए 200 मि.ली. पानी में 10 ग्राम अदरक मिलाकर तब तक उबालें जब तक इसका एक चौथाई हिस्सा न रह जाएं। फिर इसे 1 कप चीनी वाले दूध में मिला कर सुबह-शाम सेवन करें।
  2. अदरक और नमक - अदरक को छोटे टुकड़ों में काटें और उसमें नमक मिलाएं और इसे खा लें। इसके रस से आपका गला खुल जाएगा और नमक से कीटाणु मर जाएंगे।
  3. अदरक-तुलसी - अदरक के रस में तुलसी मिलाएं और इसका सेवन करें। इसमें शहद भी मिलाया जा सकता है।
  4. अदरक की चाय -  अदरख के यूं तो कई फायदे है लेकिन अदरक की चाय सर्दी-जुकाम में भारी राहत प्रदान करती है। सर्दी-जुकाम या फिर फ्लू के सिम्टम्स में ताजा अदरक को बिल्कुल बारीक कर ले और उसमें एक कप गरम पानी या दूध मिलाएं। उसे कुछ देर तक उबलने के बाद पीए। यह नुस्खा आपको सर्दी जुकाम से राहत पाने में तेजी से मदद करता है।
  5. अनार का रस - अनार के जूस में थोड़ा अदरक और पिपली का पाउडर डालने से खांसी को आराम मिलता है।
  6. अलसी - अलसी के बीजों को मोटा होने तक उबालें और उसमें नींबू का रस और शहद भी मिलाएं और इसका सेवन करें। जुकाम और खांसी से आराम मिलेगा।
  7. आंवला - आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है जो खून के संचार को बेहतर करता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है।
  8. इलायची - इलायची न केवल बहुत अच्छा मसाला है बल्कि यह सर्दी और जुकाम से भी बचाव करता है। जुकाम होने पर इलायची को पीसकर रुमाल पर लगाकर सूंघने से सर्दी-जुकाम और खांसी ठीक हो जाती है। इसके अलावा चाय में इलायची डालकर पीने से आराम मिलता है।
  9. कपूर - सर्दी से बचाव के लिए कपूर का प्रयोग भी फायदेमंद है। कपूर की एक टिकिया को रुमाल में लपेटकर बार-बार सूंघने से आराम मिलता है और बंद नाक खुल जाती है। इसके आलाव यह कपूर सूंघने से ठंड भी दूर होती है। कपूर की टिकिया का प्रयोग करके आप सर्दी और जुकाम से बचाव कर सकते हैं।
  10. कलौंजी का तेल - जुकाम से राहत पाने के लिए कलौंजी भी काफी फायदेमंद है। इसके लिए कलौंजी के बीजों को तवे पर सेक लें और इसे कपड़े में लपेट कर सूंघें। इसके अलावा कलौंजी और जैतून के तेल की बराबर मात्रा लेकर इसे अच्छी तरह मिलाएं और नाक में टपकाएं।
  11. काली मिर्च - अगर खांसी के साथ बलगम भी है तो आधा चम्मच काली मिर्च को देसी घी के साथ मिलाकर खाएं।  जुकाम और खांसी के इलाज के लिए यह बहुत अच्छा देसी इलाज है। दो चुटकी, हल्दी पाउडर दो चुटकी, सोंठ पाउडर दो चुटकी, लौंग का पाउडर एक चुटकी और बड़ी इलायची आधी चुटकी, लेकर इन सबको एक गिलास दूध में डालकर उबाल लें। इस दूध में मिश्री मिलाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है। शुगर वाले मिश्री की जगह स्टीविया तुलसी का पाउडर मिलाकर प्रयोग करें।
  12. गर्म पदार्थों का सेवन - सूप, चाय, गर्म पानी का सेवन करें। ठंडा पानी, मसालेदार खाना आदि से परहेज करें।
  13. गर्म पानी और नमक से गरारे - गर्म पानी में चुटकी भर नमक मिलाकर गरारे करने से खांसी-जुकाम के दौरान काफी राहत मिलती है। इससे गले को राहत मिलती है और खांसी से भी आराम मिलता है। यह भी काफी पुराना नुस्खा है।
  14. गाजर का जूस - सुनने में अटपटा लग सकता है लेकिन खांसी-जुकाम में गाजर का जूस काफी फायदेमंद होता है लेकिन बर्फ के साथ इसका सेवन न करें।
  15. गेहूं की भूसी - जुकाम और खांसी के उपचार के लिए आप गेहूं की भूसी का भी प्रयोग कर सकते हैं। 10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और इसका काढ़ा बनाएं। इसका एक कप काढ़ा पीने से आपको तुरंत आराम मिलेगा। हालांकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं। गेंहू की भूसी का प्रयोग करने से आपको तकलीफ से निजात मिलेगी।
  16. जुकाम के लिए जायफल - इस उपाय को करने के लिए जायफल को पीस लें और इसकी 1 चुटकी लेकर दूध में मिला कर पीएं।
  17. तुलसी - समान्‍य कोल्‍ड और खांसी के उपचार के लिए बहत की कारगर घरेलू उपाय है तुलसी, यह ठंक के मौसम में लाभदायक है। तुलसी में काफी उपचारी गुण समाए होते हैं, जो जुकाम और फ्लू आदि से बचाव में कारगर हैं। तुलसी की पत्तियां चबाने से कोल्ड और फ्लू दूर रहता है। खांसी और जुकाम होने पर इसकी पत्तियां (प्रत्येक 5 ग्राम) पीसकर पानी में मिलाएं और काढ़ा तैयार कर लें। इसे पीने से आराम मिलता है।
  18. तुलसी पत्ता और अदरख: तुलसी और अदरक को सर्दी-जुकाम के लिए रामबाण माना जाता है। इसके सेवन से इसमें तुरंत राहत मिलती है। एक कप गर्म पानी में तुलसी की पांच-सात पत्तियां ले। उसमें अदरक के एक टुकड़े को भी डाल दे। उसे कुछ देर तक उबलने दे और उसका काढ़ा बना ले। जब पानी बिल्कुल आधा रह जाए तो इसे आप धीरे-धीरे पी ले। यह नुस्खा बच्चों के साथ बड़ों को भी सर्दी-जुकाम में राहत दिलाने के लिए असरदार होता है।
  19. दूध और हल्दी - गर्म पानी या फिर गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम में तेजी से फायदा होता है। यह नुस्खा ना सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों के लिए भी कारगर साबित होता है। हल्दी एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल होता है जो सर्दी जुकाम से लड़ने में काफी मददगार होता है।
  20. नींबू - गुनगुने पानी में नींबू को निचोड़कर पीने से सर्दी और खांसी में आराम मिलता है। एक गिलास उबलते हुए पानी में एक नींबू और शहद मिलाकर रात को सोते समय पीने से जुकाम में लाभ होता है। पका हुआ नींबू लेकर उसका रस निकाल लीजिए, इसमें शुगर डालकर इसे गाढ़ा बना लें, इसमें इलायची का पाउडर मिलाकर इसका सेवन करने से आराम मिलता है।
  21. नींबू और शहद - जुकाम की समस्या से छुटकारा पाने के लिए नींबू और शहद काफी फायदेमंद है। इस उपाय को करने के लिए 2 चम्मच शहद में 1 चम्मच नींबू का रस मिलाएं और फिर इस मिश्रण को 1 गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं।
  22. मसाले वाली चाय - अपनी चाय में अदरक, तुलसी, काली मिर्च मिलाकर चाय का सेवन कीजिए। इन तीनों तत्वों के सेवन से खांसी-जुकाम में काफी राहत मिलती है।
  23. लहसुन - लहसुन सर्दी-जुकाम से लड़ने में काफी मददगार होता है। लहसुन में एलिसिन नामक एक रसायन होता है जो एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल होता है। लहसुन की पांच कलियों को घी में भुनकर खाये। ऐसा एक दो बार करने से जुकाम में आराम मिल जाता है। सर्दी जुकाम के संक्रमण को लहसुन तेजी से दूर करता है।
  24. शहद और ब्रैंडी - ब्रांडी तो पहले ही शरीर गर्म करने के लिए जानी जाती है। इसके साथ शहद मिक्स करने से जुकाम पर काफी असर होगा।
  25. हर्बल टी - सर्दी और जुकाम में औषधीय चाय पीना बहुत फायदेमंद होता है। सर्दी के कारण जुकाम, सिरदर्द, बुखार और खांसी होना सामान्य है, ऐसे में हर्बल टी पीना आपके लिए फायदेमंद है। इससे ठंड दूर होती है और पसीना निकलता है, और आराम मिलता है। यदि जुकाम खुश्क हो जाये, कफ गाढ़ा, पीला और बदबूदार हो और सिर में दर्द हो तो इसे दूर करने के लिए हर्बल टी का सेवन कीजिए।
  26. हल्दी - जुकाम और खांसी से बचाव के लिए हल्दी बहुत ही अच्‍छा उपाय है। यह बंद नाक और गले की खराश की समस्या को भी दूर करता है। जुकाम और खांसी होने पर दो चम्‍मच हल्‍दी पाउडर को एक गिलास दूध में मिलकार सेवन करने से फायदा होता है। दूध में मिलाने से पहले दूध को गर्म कर लें। इससे बंद नाक और गले की खराश दूर होगी। सीने में होने वाली जलन से भी यह बचाता है। हती नाक के इलाज के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा व तत्काल आराम मिलेगा।
योगासन से दूर करे सर्दी-जुकाम
ऋतु परिवर्तन के समय रोगों के प्रकोप का बढ़ना एक सामान्य बात है. जैसे ही हम ग्रीष्म ऋतु से वर्षा व शरद ऋतु की ओर अग्रसर होते है, अनेक लोग सर्दी जुकाम व फ्लू जैसी बीमारियों से जूझने लगते है. हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली हमें इन रोगों से मुक्त करने के प्रयास में लगी रहती है फिर भी यह उचित है कि हम इन रोगों से बचने तथा शीघ्र उपचार के लिए कुछ अन्य तरीके भी अपनाएं. हालाँकि आधुनिक युग में उपलब्ध दवाएँ बहुत प्रभावकारी होती हैं, पर ऐसा नहीं है कि इनका कोई और विकल्प नहीं. इन रोगों से मुक्त होने के लिए आजकल लोग योग को अपने जीवन में अपनाकर अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढा रहे हैं। सर्दी-जुकाम एक हल्की तथा सामान्य शारीरिक गड़बड़ी है, जो आमतौर पर एक हफ्ते में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन कई बार जरूरी सावधानी न बरतने के कारण यह फ्लू, ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकोनिमोनिया आदि का रूप भी धारण कर सकती है। सर्दी-जुकाम होने के प्रमुख कारणों में वायरल इन्फेक्शन, मौसम का बदलना, ठंडी हवा का लगना, अनुपयुक्त आहार, व्यायाम का अभाव, मांसपेशियों का शिथिल पड़ना, कब्ज की शिकायत आदि प्रमुख हैं। योग के नियमित अभ्यास से इस समस्या की चपेट में आने से बचा जा सकता है। योग शरीर और मन, दोनों को संतुलित, समन्वित तथा क्रियाशील रखता है। इसके नियमित अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिसके कारण सर्दी-जुकाम की समस्याओं का सामना कम करना पड़ता है। सर्दी-जुकाम से पीड़ित लोग कुछ सावधानियां बरतकर और तबियत में कुछ सुधार आने के बाद योग का अभ्यास करके जुकाम से छुटकारा पा सकते हैं।
सर्दी-जुकाम तथा वायरल इन्फेक्शन आदि की स्थिति में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में उपवास सबसे बेहतर विकल्प है। उपवास या आहार नियंत्रण द्वारा इस समस्या को पूरी तरह टाला जा सकता है। जैसे ही रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखें, यदि संभव हो तो दिन भर का या एक समय का भोजन त्याग दें। रोग की तीव्रता तुरंत आधी हो जाएगी। साथ में दिन भर हल्के गर्म पानी का सेवन करते रहें। अदरक, काली मिर्च, दालचीनी तथा मेथी की चाय नियमित अंतराल पर पिएं और आराम करें। यदि बुखार न हो तो नेति-कुंजल का अभ्यास करने से रोग जल्दी ठीक हो जाता है। केवल एक दिन उपवास, पूर्ण विश्राम तथा योगनिद्रा के अभ्यास से सर्दी-जुकाम को ठीक किया जा सकता है। स्वस्थ होने पर यदि कुछ यौगिक क्रियाओं का अभ्यास किया जाए तो रोग के बाद की कमजोरी व पीड़ा को कम तो किया ही जा सकता है, साथ में भविष्य में होने वाले किसी भी रोग की आशंका को भी टाला जा सकता है। जुकाम, खांसी, बुखार (वायरल) के ठीक होने पर सरल कपालभाति तथा नाड़ीशोधन प्राणायाम का अभ्यास करने से कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता, उत्साह एवं स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। नियमित प्राणायाम करने से बंद नाक और कफ से होने वाली समस्या में भी राहत मिलती है। योगासन की शुरुआत कर रहे हैं तो विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें।
सिद्धासन, पद्मासन या सुखासन में रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। दाईं नासिका को बंद कर बाईं नासिका से गहरी, धीमी व लंबी सांस अंदर लें। उसके बाद बाईं नासिका को बंद कर दाईं नासिका से लंबी-गहरी तथा धीमी सांस बाहर निकालें। इसके तुरंत बाद इसी नासिका से श्वास लेकर बाईं नासिका से प्रश्वास करें। यह नाड़ीशोधन प्राणायाम की एक आवृत्ति है। शुरुआत में 10 आवृत्तियों का अभ्यास करें। धीरे-धीरे इसकी आवृत्तियों की संख्या बढ़ा कर 24 तक कर लें।
निम्न योग द्वारा सर्दी-जुकाम का  इलाज
  • कपालभाति प्राणायाम - इस प्राणायाम में साँस को नथुनों पर दबाब बनाते हुए जोर से छोड़ते है। इसके अभ्यास से हमारी श्वसन नलिका में उपस्थित अवरोध खुल जाते है जिससे साँसों का आवागमन आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त इस प्राणायाम से हमारा नाड़ीतंत्र सशक्त होता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है तथा मन प्रसन्नरहता है। इस प्राणायाम के  2-3 चक्रों का अभ्यास दिन में दो बार करने से सर्दी में राहत मिलती है तथा शरीर उर्जावान बनता है।
  • नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम-विलोम श्वसन तकनीक) - नथुनों को क्रमश: बदल कर साँस लेने से सर्दी से अवरुद्ध नासिका द्वार खुल जाते है जिससे फेफड़ों को अधिक मात्रा में आक्सीजन प्राप्त होती है। यह प्राणायाम तनाव से मुक्ति व शरीर को विश्रान्ति प्रदान करने भी सहायक है। सर्दी से छुटकारा पाने के लिए इसके 7-8 चक्र का दिन में 2-3 बार अभ्यास करे।
  • मतस्यासन - इस आसन में रहते हुए लम्बी और गहरी साँसों के अभ्यास से सभी प्रकार के श्वसन संबंधी रोगों व सर्दी –जुकाम से छुटकारा मिलता है। इस आसन से गर्दन व कन्धों का तनाव दूर होता है जिससे झुके हुए कन्धे अपने स्वाभाविक स्वरूप में आ जाते है।
  • विपरीत करनी - टांगों को ऊपर की ओर उठाते हुए किये गए इस आसन का श्वसन तन्त्र के रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। इससे सिर दर्द व कमर दर्द से मुक्ति मिलती है। यह आसन सर्दी व जुकाम से ग्रस्त रोगी के मनोबल में वृद्धि करता है।
  • शवासन - शवासन व्यक्ति को गहन ध्यान विश्राम की स्थिति में ले जाकर शरीर में शक्ति व स्फूर्ति का संचार करता है। इसके अभ्यास से शरीर तनाव से मुक्त होता है। इससे भी योग आसनों के अभ्यास के बाद अंत में करना चाहिए।
  • हस्तपादासन - खड़े होकर आगे की तरफ झुकने से रक्त का प्रवाह हमारे सिर की तरफ बढ़ता है। यह क्रिया सायनस को साफ़ करती है। इस प्राणायाम से हमारे नाड़ीतंत्र को बल मिलता है तथा शरीर तनाव-मुक्त होता है।


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