स्‍वामी विवेकानंद जयंती (राष्‍ट्रीय युवा दिवस) पर एक प्रेरक प्रसंग




Swami Vivekananda
 
आज भारत के युवाओं के पथ प्रदर्शक महान दार्शनिक व चिंतक स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की जयंती है, आज के दिन भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी जी बातें युवाओं में जोश और उम्मीद की नयी किरण पैदा करती है। युवाओं में आज के दौर मे जहाँ जिन्दगी खत्म होने जैसी लगती है वही स्वामी के साहित्‍यों के संगत में आकर एक नयी रौशनी का एहसास होता है। सन् 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन 'पार्लियामेंट ऑफ रिलीजन्स' में अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने 'बहनों और भाइयों' कहकर की। इस शुरुआत से ही सभी के मन में बदलाव हो गया, क्योंकि पश्चिम में सभी 'लेडीस एंड जेंटलमैन' कहकर शुरुआत करते हैं, किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए।
 अमेरिका मे ही एक प्रसंग उनके साथ घटित होता है अक्सर हमारे साथ होता है कि विपत्ति के साथ माथे पर हाथ रख देते है किंतु विवेकानंद जी की जीवन की घटनाएं प्रेरक प्रसंग का काम करती है। प्रसंग यह था कि
अमेरिका में एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई, जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पूछा कि आप ने ऐसा ऐसा चाहती है ? उस महिला का उत्तर था कि वो स्वामी जी की बुद्धि से बहुत मोहित है और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे की कामना है। इसलिए वह स्वामी से ये प्रश्न कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं?
स्वामी जी ने महिला से कहा कि चूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा प्रिये महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ, शादी करना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है कि बच्चा बुद्धिमान ही हो इसके बजाय आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक उपयुक्त सुझाव दे सकता हूँ.। आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें, इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।
 निश्चित रूप से स्वामी जी जैसे व्यक्तित्व के बताये मार्ग पर चलना जरूरी है, ताकि भारत की गौरवशाली परम्परा पर हम अनंत काल तक गौरवान्वित हो सके।

स्वामी विवेकानंद पर अन्य लेख और जानकारियां


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अभिनंदन हे! मौन तपस्वी Abhinandan Hey Maun Tapasvi



अभिनंदन हे! मौन तपस्वी
अभिनंदन हे! मौन तपस्वी धीरोदात्त पुजारी!
तुम्हें जन्म दे धन्य हुई मां भारत भूमि हमारी!!
नव जीवन भर कर कण-कण में, बहा प्रेम रस धारा,
अमित राग मन में भर केशव साथर्क नाम तुम्हारा!
फिर बसंत की फूल रही है, आशा की फूलवारी…………
आज जागरण का स्वर लेकर मलियानिल के झोंके
प्रेम हृदय में भरते जाते कोटी कोटी सुमनों के
नव प्रभात हो रहा चतुदिर्क फैली फिर उजियारा ……।।१।। 
प्राची का मुख भी उज्ज्वल है केशव किरणें फैली
चला अंधेरा ले समेट कर अपनी चादर मैली
अंधकार अज्ञान ही त्यागी मिटी कालिमा सारी …………।। २।।
देव तुम्हारी पुण्य स्मृति में रोम रोम हषिर्त है
देव तुम्हारे पद पदमों पर श्रध्दांजलि अपिर्त है
केशव बन ध्रुव ज्योति दिखा दो जन मानस भवहारी…… ।।३।।


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नववर्ष के प्रथम शाम - एक यादगार वार्तालाप



सर्वप्रथम लोचको तथा आलोचकों को नववर्ष की बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं, नवरात्रि के प्रथम दिन की संध्‍या पर नीशू तिवारी का फोन आया। बड़ी गर्मजोशी के साथ जयरमी हुई बधाईयों को आदान प्रदान हुआ और चर्चाओ और परिचर्चा को दौर भी शुरू हुई। हमारे और नीशू के बीच अत्यधिक आत्मीय सम्बन्ध होने के कारण हम सभी विषयों पर खुलकर चर्चा करने है। यह जरूर खेद जनक रहा कि वर्ष 2010 की जुलाई मे मेरे दिल्‍ली मे रहने पर वह व मिथलेश जी दिल्‍ली में मिलने नही आये और उस समय न मिल पाने का कारण मुझे दिसम्‍बर 2010 में मिथलेश जी के साथ लखनऊ में उनके आवास पर ठहरने पर पता चला, कारण मुझे जैसे पता चला वैसे ही मिथलेश जी जितनी फजीहत किया वो मिथलेश जी ही बता सकते है। फिर नीशू जी की बात आई उनका उनका फोन काफी समय से नही मिल रहा था और मैने मिथलेश जी से कहा कि नीशू जी से जैसे भी हो सूचित करे कि मेरे से बात हो, नीशू जी का 5-6 घन्‍टे के अंदर फोन आ गया। बात करते हुये पता चला कि एक दो दिन मे इलाहाबाद मे आ रहे है तो दिल्‍ली मे न मिलने के कारण पर इलाहाबाद मे ही चर्चा होगी, जब इलाहाबाद आये नीशू तो जब दिल्‍ली का जिक्र मैने किया तो वो भी मुँह बना कर रह गये और और मैने कहा कि अब कोई भी बात कभी होगी आप मेरे से जिक्र जरूर करोगे।

इसी तर्ज पर नीशू जी ने कहा प्रमेन्द्र भाई मै चाह रहा हूँ कि आप दो तीन महीने के अंदर जबलपुर घूम जाइये मिलने का बड़ा मन कर रहा है और मैने और तारा जी ने मुंबई जाने का प्लान बनाया है, हाल मे ही जबलपुर से मुम्बई के लिये हवाई सेवा भी प्रारंभ हुई है। मैने बीच मे ही बात काटते हुए कहा कि भाई दिसंबर में लखनऊ से लौटा हूं, जनवरी में ही आवश्यक काम से के लिए आगरा जाने के लिये घर मे अनुमति लेनी है और फरवरी में फिर से ही अन्‍य आवश्‍यक काम से मुरैना जाने के लिए लेनी होगी। और अब आप भी प्रवास के लिए कह रहे हो यदि ऐसा ही चलता रहा तो हमारे लिये स्थाई आवास की व्यवस्था आपको करनी पड़ेगी और रही वायुयान की यात्रा का प्रश्‍न तो मुझे ऐसा लगता है कि जिस दिन मै यात्रा करूँगा और वो उड़ेगा तो.......... इस बात से ही मै सहम जा रहा हूँ। नीशू जी ने कहा प्रमेन्द्र भाई ऐसा कुछ नहीं होगा, आप कार्यक्रम तो बनाइये।

अभी अभी प्रात: नवभारत पर एक खबर (स्‍क्रीन शॉट) देखा तो इसके बाद क्‍या कहा जाये - :)



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