हमारी गलतियों का अनुकरण की धारणा



आम तौर पर आज दौर में कॉपी-पेस्ट का जमाना रह गया है। बहुत समय पहले मैंने अपनी पुरानी ऑरकुट प्रोफाइल में अपने स्वभाव के बारे मे कुछ बाते लिखी थी। यह बात करीब सन् 2007 की है, यह वाक्य था कि एक सामान्य आदमी की तरह जिंदगी जीने वाला, किन्तु सोच थोड़ा हट के। मित्रता कम ही करता हूँ जिससे करता हूँ, बिंदास करता हूँ। सच में दोस्ती के मायने समझने की कोशिश कर रहा हूँ कि दोस्ती कहते किसे है? क्‍या आपस मे बात करना और गप्पें मारना या किसी अच्‍दे होटल या रेस्त्रां मे जा कर साथ जीभ के स्वाद में वृद्धि करना, यही दोस्ती है?
जल्दबाजी में टाइपिंग करने मे मेरे से बहुत गलतियां होती थी और उसी गलती का परिणाम रहा कि अच्छे की जगह अच्‍दे लिख गया और काफी दिनो मे मेरा ध्यान न जाने के कारण वह अच्‍दे ही रह गया। इसके बाद किन्हीं कारणों से मुझे आर्कुट की प्रोफाइल वर्ष 2010 मे डिलीट करनी पड़ी और उसी के साथ मेरा सब कुछ डिलीट हो गया।
 

आज मैं ऑर्कुट पर था और अचानक एक प्रोफाइल ऐसी मिल गई जिसमें यह कथन लिखा हुआ था। जब मैंने अच्‍दे शब्‍द को ऑर्कुट पर सर्च किया तो करीब 162 प्रोफाइल पर यह शब्‍द मिला। मतलब की कुछ 162 लोगों ने इसे अपने प्रोफाइल पर कॉपी कर कर लगाया किन्तु किसी ने अच्‍दे को अच्छे में बदलने की कोशिश नहीं की। अगर कॉपी करते समय पढ़ा जाता तो वाकई अच्‍दे को ठीक करके प्रोफाइल मे रखा जा सकता था आज तीन साल बीत रहे है इस कथन को किन्तु लगता है कि हमारी पकी-पकाई खाने की धारण ही बन गई और साथ ही साथ गलतियों का अनुकरण करने की।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज हमारी हमारे विषय मैं अपनी स्वयं की कोई मौलिक सोच नहीं है। 162 व्‍यक्तियों की विचार भावनाएं एक दूसरे से काफी मिलती है किन्तु वो एक दूसरे से कभी नहीं मिले। :) और तो और कुछ की प्रोफाइल में यह चेतावनी भी मिली की --
*******वैधानिक चेतावनी******
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