मुस्लिमों द्वारा मेरठ मे मंदिर को अपवित्र किया गया




समाजवादी पार्टी की सरकार बनने की खबर के बाद से सपा और मुस्लिमों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के गांव परीक्षितगढ़ में एक धार्मिक स्थल को मुस्लिमों द्वारा अपवित्र किया गया, जिसके बाद इलाके में दोनों संप्रदायों के बीच संघर्ष हो गया।
घटना की सूचना मिलने पर जिलाधिकारी और पुलिस उप महा निरीक्षक दल बल समेत मौके पर पहुंचे। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने दोनों पक्षों के लोगों के साथ बातचीत कर मामले को शांत किया। इलाके में तनाव को देखते हुए एहतियात के तौर पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
मामला यह है कि कस्बा परीक्षित गढ़ में महाभारत काल का गोपेश्वर मंदिर है। बताया जा रहा है कि होली खेलने के बाद जब कुछ लोग वहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मुस्लिम मत के छह लोग वहां जुआ खेल रहा थे। उनके मना करने पर वे इतना नाराज हो गए कि उन्होंने मंदिर में घुस कर उसे अशुद्ध करना शुरू कर दिया। इस पर लोगों ने उन्हें पकड़ना चाहा। पांच लोग तो वहां से भाग गए। एक को लोगों ने पकड़ लिया। उसकी पिटाई करने के बाद लोगों ने उसे थाने ले जाकर पुलिस के हवाले कर दिया। आरोप है कि पुलिस ने आरोपी को थाने से छोड़ दिया। इस बात का पता चलते ही हिन्‍दू लोग थाने के पास जमा हो गए। उन्होंने थाने के सामने जाम लगकर हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साए लोगों ने वहां से गुजरने का प्रयास कर रहे वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। सूचना पर डीएम अनिल कुमार और डीआईजी एचआर शर्मा फोर्स लेकर वहां पहुंचे। लोगों ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ एनएसए लगाने की मांग की। अधिकारियों ने आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करने का भरोसा दिला कर उन्हें शांत किया। रात को ही अधिकारियों ने मंदिर का शुद्धिकरण कराया।
इस घटना के बाद से यह स्पष्ट है कि मुस्लिम अपने को कहते तो अल्पसंख्यक है किन्तु उनकी करतूत हमेशा गोधरा जैसी घटनाओं जैसी होती है।


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सूक्ति और आदर्श वचन




  1. बड़े-बड़े यज्ञों का अनुष्ठान करने वाले पुण्यात्मा लोग जिस मार्ग से जाते हैं, तीर्थों द्वारा भी लोग उसी मार्ग से जाते हैं। -अथर्ववेद (18/4/7)
  2. न्याय और धर्म का प्रतिष्ठा के लिए जैसे संत की पवित्रता आवश्यक है, वैसे ही योद्धा की तलवार भी।- अरविंद (दि डाक्ट्रिन आफ पैसिव रेसिस्टेंस,दी मारलिटी आफ बायकाट)
  3. जो कल्याणकारी कार्य हो, उसे आज कर डालिये। आपका यह समय हाथ से निकल न जाय क्योंकि कार्यों के अधूरे होने पर भी मृत्यु आपको खींच ले जाएगी। -वेदव्यास (महाभारत, शांतिपर्व 175/14)
  4. भगवान यदि अस्पृश्यता को सहता हो, तो मैं उसे भगवान मानने को तैयार नहीं हूं। -लोकमान्य तिलक (धार्मिक मतें)
  5. कायर मनुष्य कभी सदाचारी और नीतिमान हो ही नहीं सकता। -महात्मा गांधी (मोहनमाला, 66)
  6. जो जैसा व्यवहार करता है, उसके साथ वैसा ही व्यवहार करने वाला पुरुष न तो अधर्म को प्राप्त होता है और न अमंगल का ही भागी होता है। -वेदव्यास (महाभारत, उद्योगपर्व, 178/53)
  7. पुर: प्रवृत्तप्रतीपप्रहता: पन्थान: पौरुषस्य। अर्थात पौरुष के मार्ग आगे-आगे चलने वाले प्रताप के द्वारा प्रशस्त होते हैं। -बाणभट्ट (हषर्चरित, पृ. 191)
  8. पशु का नियंत्रण गीता पढ़ाने से नहीं होता, दण्ड-प्रयोग से ही होता है। -माधव स. गोलवलकर (भाषण, कानपुर, 22 फरवरी, 1972 ई.)


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