गलत काम सरकार करे और महाधिवक्ता ठीक पैरवी नहीं कर रहे है



गलत काम सरकार करे और महाधिवक्ता ठीक पैरवी नहीं कर रहे है

कुछ समाजवादी ऐसी करते है जैसे इन्कोउन्टर सिर्फ गुजरात में ही होते है... वास्तव में उत्तर प्रदेश तो तो आतंकियों को ही पुलिस, सेना और जनता का इन्कोउन्टर की पूरी छूट अखिलेश सरकार ने दिया हुआ है.. 
 
अखिलेश यादव सरकार ने 29 मामलों में 15 आरोपियों से मुकदमे वापस लेने की घोषणा की। जिन आरोपियों का मुकदमा वापस लेने की पहल की गयी उसमे 23 नवम्बर 2007 में फैजाबाद, वाराणसी और लखनऊ में हुए विस्फोटों के आरोपी तारिक काजमी, 2008 में रामपुर में सीआरपीएफ कैंप में हुए हमले के आरोपी जावेद उर्फ गुड्डू, ताज मोहम्मद और मकसूद शामिल हैं। इनके अलावा देश विरोधी गतिविधियों के आरोपी बिजनौर का रहने वाला नौशाद, याकूब और नासिर हुसैन शामिल है। इनके साथ ही अहमद हसन, शमीम, मो. कलीम अख्तर, अब्दुल मोईन, अरशद, सितारा बेगम और इम्तियाज अली के मुकदमों की वापसी विचाराधीन है।
 
इस मामले लखनऊ हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एसपी सरकार से पूछा है आतंकी मामलों में बंद आरोपियों से मुकदमे वापस लेने के पीछे कौन है? कोर्ट ने सरकार से वे दस्तावेज तलब किए हैं जिनमें मुकदमे वापसी की कार्यवाही शुरू करने संबंधी नोटिंग की गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से विशेष तौर पर वह दस्तावेज तलब किया है जिसमें पहली बार आदेश किया गया कि आतंकवाद के आरोपियों से मुकदमे वापस लेने की कार्यवाही शुरू की जाए। हाईकोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद सरकार द्वारा मुकदमे वापसी से संबंधित मूल दस्तावेज अदालत में पेश न किए जाने पर 3 जजों की बेंच ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस डीपी सिंह, जस्टिस अजय लाम्बा व जस्टिस अशोक पाल सिंह की बेंच ने सरकार से अगली तारीख तक विभिन्न जिलों में सरकार की ओर से लगाई गई अर्जियां व अन्य दस्तावेज पेश करने का आदेश देना पड़ा। इसके बाद अखिलेश सरकार को कड़ी फटकार लगते हुए 2 जजों की बेंच ने आतंकवाद के 19 आरोपितों से मुकदमे वापस लेने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। ये है अखिलेश सरकार के कृत्य कि जबतक घोड़ी पर चाबुक इस्तेमाल न किया जाये वो काबू में नहीं आती है..

कोर्ट में सरकार के कुकृत्यों से अजीज आकर प्रदेश के महाधिवक्ता एसपी गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया, आखिर बेइज्जती से लाल बत्ती बड़ी नहीं होती है और समाजवादी पार्टी के लोग बोल रहे है की श्री गुप्ता सरकार की ठीक पैरवी नहीं कर रहे थे ये बताइए हत्या, बलात्कार और दंगे और गलत काम सरकार करें और महाधिवक्ता ठीक पैरवी नहीं कर रहे है, सरकार गलत काम बंद करें पैरवी भी ठीक हो गाएगी..


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यह कैसा ख़ूनी जलसा है जहाँ बिना संवेदनाओ के मुबारकबाद है ?



यह कैसा ख़ूनी जलसा है जहाँ बिना संवेदनाओ के मुबारकबाद है ?
अभी कुछ मित्रों से करेली (इलाहाबाद का मुस्लिम बाहुल्य इलाका) में मिल कर आ रहा हूँ, वहां एक नाला बहता है जो खून से काफी कुछ लाल हो चुका था और शाम तक पूरी तरह से खून से लाल हो जायेगा। जो आगे जाकर बिना साफ़ सफाई के यमुना नदी में मिल जाता है..
 रास्ते में १५-२० पड़वा (भैस के बच्चे) अटला कसाई खाने की ओर हाके लिए जा रहे थे , पेट पर कुछ खास चिन्ह थे जो काटे जाने की ओर इशारे करते है... और ये जानवर अपनी मौत से अनजान ख़ुशी से आगे बढ़े चले जा रहे थे।
 यह कैसा ख़ूनी जलसा है जहाँ बिना संवेदनाओं के मुबारक बाद है ?


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सरदार पटेल का गाँधी को उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर खत



सरदार पटेल का गाँधी को उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर खत

25 जनवरी, 1947 लड़कियों के साथ गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर सरदार पटेल के क्रोध की कोई सीमा नहीं थी। गांधी जब मरियम-हीरापुर में थे तब पटेल ने लिखा था, ‘‘किशोर लाल मशरूवाला, मथुरादास और राजकुमारी अमृत कौर के नाम आपके पत्र पढ़े। आपने हमें पीड़ा के अग्निकुंड में धकेल दिया है। मैं समझ नहीं सकता कि आपने यह प्रयोग दोबारा शुरू करने का विचार क्यों किया? पिछली बार आपसे बात करने के बाद हमें लगा था कि यह अध्याय खत्म हो चुका है। आपको हमारी भावनाओं की परवाह नहीं है। हम नितांत असहाय महसूस कर रहे हैं। देवदास की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। हम सब की पीड़ा की कोई सीमा नहीं है। अगली चर्चा तक आप यह सब रोक दें...’’
16 फरवरी, 1947 पटेल के पत्र से पहले गांधी ने नवजीवन प्रकाशन के जीवन देसाई को पत्र लिखकर कहा था कि वे उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का विवरण हरिजन सहित नवजीवन के प्रकाशनों में छापें। पटेल ने लिखा: ‘‘...इनके प्रचार से दुनिया को कोई लाभ नहीं होगा। आप कहते हैं कि दूसरों को आपके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का अनुकरण नहीं करना चाहिए। आपके इस कथन का कोई अर्थ नहीं। लोग बड़ों के दिखाए रास्ते पर चलते हैं। न जाने क्यों आप लोगों को धर्म की बजाए अधर्म के रास्ते पर धकेलने पर तुले हैं...लाचारी की इस हालत में नवजीवन के ट्रस्टी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चाहे जो हो जाए, वे इस प्रयोग के बारे में कुछ नहीं छाप सकते.’’

सरदार पटेल का गाँधी को उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर खत


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