फर्जीफिकेशन







हमारे सीनियर्स एक प्रकरण सुनाते थे कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में माननीय न्यायमूर्ति गणों द्वारा बहुत पहले से और आज भी एक शब्द बेधडक इस्तेमाल होता है वह है "फर्जीफिकेशन"अक्सर कुछ मामलो में मिस गाइड करने पर माननीय न्यायमूर्ति गण वकील साहब से यह कहते पाए जाते है कि अब फर्जीफिकेशन नहीं चलेगा..
एक बार की बात है एक वकील साहब से कहा गया कि हमारी अदालत में फर्जीफिकेशन नहीं चलेगा...
इस पर वकील साहब ने फर्जीफिकेशन शब्द पर जज साहब पर ही काउंटर अटैक कर दिया और कहा कि मायलार्ड फर्जीफिकेशन शब्द का अर्थ क्या है और किस भाषा की शब्दावली से संबंधित है और आप किस आधार पर इसका उपयोग कर रहे है..
वकील साहब की आपत्ति के बाद जज साहब को गलती का एहसास हुआ और उन्होंने फर्जीफिकेशन के उपयोग को वापस ले लिया..
मगर आज भी बहुत जगह पर फर्जीफिकेशन शब्द का उपयोग हो व्यावहारिक रूप में हो रहा है.. ‪#‎BoleToHindi‬ वो भी फर्जीफिकेशन वाली




Share:

क्या आप जाने हैं? घोड़े पर बांयी ओर से क्यों चढ़ा जाता है?



क्या आप जाने हैं? घोड़े पर बांयी ओर से क्यों चढ़ा जाता है?
क्या आप जाने हैं? घोड़े पर बांयी ओर से क्यों चढ़ा जाता है?

घोड़े पर उसकी बांयी तरफ से चढ़ने और उतरने की प्रथा शायद बहुत पुराने समय से ही चली आ रही है। उस समय से जब योद्धा के रूप में पुरूषों की कमर से इनके बाएँ पैर की तरफ धातु की भारी तलवार लटकती थी।

ऐसी स्थिति में जब एक ओर शरीर पर इतनी वजनी चीज लटकी हो तो स्वाभाविक था कि इसके दूसरी ओर के पैर का उपयोग हमेशा बेहतर रहता था। अन्यथा बाएँ पैर को उठाकर घोड़े की पीठ पर चढ़ते समय तलवार का बीच में अटकाव बहुत स्वाभाविक था जिससे असुविधा ही नहीं, दुर्घटना भी घट सकती थी।

आज प्रशिक्षण के दौरान घुड़सवारी सिखाते समय जो पहला पाठ पढ़ाया जाता है, वह है घोड़े पर हमेशा बांयी ओर से चढ़ना।यही कारण है कि अधिकतर घोड़े भी इस रिवाज के आदी हो जाते हैं और जब कभी कोई सवार इस प्रथा को तोड़कर दांयी ओर से चढ़ने का प्रयास करता है तो घोड़ा बौखला जाता है।


Share: