प्रथम हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन के सभापति महामना पंडित मदनमोहन मालवीय का भाषण
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मुझको बहुत से लोग जानते है कि मैं वाचाल हूँ लेकिन मुझको जब काम पड़ता है तब मैं देखता हूँ कि मेरी वाणी रूक जाती है। यही दशा मेरी इस समय...
प्रमुख महापुरुषों की सूक्तियां एवं अमृत वचन
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हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। - सुमित्रानंदन पंत राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लि...
संवैधानिक उपबंध सार
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भारत का संविधान संविधान सभा ने दिनांक 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया था। भारत के संविधान के भाग...
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