ज्ञानवर्धक लघु कथा- प्रभु को समर्पण ही भक्ति




एक पुरानी लोक कथा के अनुसार एक देहाती किसान ने एक सन्त के पास जाकर कहा कि ‘भगवन मुझ दीन, हीन व बिना पढ़े लिखे पर दया कीजिये और मुझे ईश्वर प्राप्ति का उपाय बताइये।’ सन्त प्रसन्न मुद्रा में थे और उस भोले-भाले देहाती को देखकर सुधा-सनी वाणी में बोले अरे जगत के अन्नदाता, कृषक देव! मन, वाणी और काया से जो कुछ करें प्रभु के लिये ही करें। आप किसान हैं और खेती करना आपका कर्तव्य है। आपके स्वभावानुसार आपके लिए नियत इस कर्म को प्रभु की आज्ञा का पालन की नीयत से करते रहने पर पाप, अपराध एवं रोगादिक होने की संभावना ही नहीं रहती। यद्यपि इस कार्य को वर्षा, शीत व आताप आदि में खुले आकाश के नीचे, खड़े पैर घोर परिश्रम के साथ करना होता है। इतने पर भी सफलता की कोई गारंटी नहीं, मेघ देवता का मुख ताकना पड़ता है। इस प्रकार यह कर्म अनेक दोषों से युक्त है। तदापि आपके लिये यह सहज कर्म है, अतः इसे न करने की कभी मत सोचना। अपने सहज कर्म को छोड़ने से प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन होता है और करने का अभ्यास छूट जाता है, आलस्य आदि भंयकर रोग शरीर में घर कर लेते हैं। इसलिए न करने से करना ही अच्छा है। पिफर सोचो, कौन सा कर्म ऐसा है जिसमें परेशानियाँ नहीं हैं और निर्दोष हैं। मतलब यह है कि प्रभु का आदेश पालन करने की भावना से अपने हिस्से के कर्म को पूर्ण प्रमाणिकता, पक्के विश्वास एवं परम प्रेम के साथ तन, मन, धन, जन से करके परम दयालु प्रभु को सादर समर्पित करते रहना ही प्रभु की प्राप्ति का अमोघ उपाय है।
जिस गाँव में किसान रहता था, उसमें किसी ज्योतिषी ने भविष्यवाणी कर दी थी कि वहाँ बारह वर्ष तक बारिश होने का योग नहीं है। इस भविष्यवाणी से सारे ग्रामवासी बहुत परेशान थे और अपना कृषि का धन्धा छोड़कर जा रहे थे। उस कृषक ने सोचा कि रोने-चिल्लाने से तो कुछ हाथ लगेगा नहीं, वह संत महाराज के उपदेश के अनुसार कार्य करके प्रभु प्राप्ति के लिये प्रयास करने के लिए लालायित था। मन में पक्का निश्चय करके अपने हल बैल आदि लेकर खेत पर पहुँच गया और सूखे खेत को ही बीजारोपण के लिए जोत कर तैयार करने लगा। गाँव के लोग उसकी नादानी पर हँसी उडाते लेकिन वो तो अपनी धुन का पक्का था। एक दिन उस गाँव पर से आकाश में कुछ बादल जा रहे थे, उन्हें भी उसे व्यर्थ परिश्रम करते देखकर अति आश्चर्य हुआ। कौतूहल वश एक मेघ देवता ने नीचे उतर कर किसान से पूछा इस व्यर्थ के परिश्रम को तुम क्यों कर रहे हो। किसान बोला प्रभु की आज्ञा का पालन कर रहा हूँ, यह मेरा स्वाभाविक काम है, इससे काम की आदत बनी रहेगी व आलस्य नहीं आयेगा। मैं अपना काम कर रहा हूँ फल देने वाला ईश्वर है। किसान की बात मेघ देवता को लग गई और सोचा कहीं ऐसा न हो हम भी अपनी बरसने की आदत को भूल न जायँ, पिफर क्या था? सारे के सारे बादल गर्जन के साथ बरस पड़े और मूसलाधार वृष्टि होने लगी और देखते ही देखते सारे गाँव की धरती को सुजला, सुफला व शस्य श्यामला बना दिया। संत के उपदेश से किसान का विश्वास और दृढ़ हो गया और सभी कार्य प्रभु की आज्ञा मानकर करने लगा।
किसान की भाँति हर मनुष्य को अपने अंतःकरण में पक्का निश्चय करके कि मुझे प्रभु ने अपने ही लिए बनाया है और उनकी आज्ञा समझ अपना कर्तव्य कर उसे प्रभु को समर्पित करना चाहिये। सोचें कि मैं अपने निश्चय में दृढ़ हूँ, अपनी धुन का पक्का हूँ। मुझे कोई भी अपने निश्चय से नहीं डिगा सकता, ऐसा निश्चय होने पर जीव की यह बात भी प्रभु को लगे बिना नहीं रह सकती। प्रभु भी सोचने लगेंगे कि कहीं मैं भी अपनी कृपामृतवर्षण की आदत को भूल तो नहीं जाऊँगा। शीघ्र ही बरस पडेंगे और बात ही बात में उसकी शुष्क हृदय-भूमि को अनुग्रहामृत से सुजला, प्राप्ति रूप फल से सुफला एवं दिव्य प्रेम रूप शष्य के प्रदान से श्यामला बना देंगे।
तात्पर्य है कि हम जो कुछ करें, सच्ची नीयत से ईमानदारी के साथ, श्रध्दापूर्वक प्रभु को समर्पणकी भावना से करें तो हमारी सारी क्रियाएँ भगवत भक्ति बन जायेंगी। दयालु प्रभु हमें शक्ति दें कि हम इन विचारों का आचरणों के साथ समन्वय साध सकें।


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पीलिया (Jaundice) - एक जानलेवा रोग, लक्षण व इलाज



पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। यह बीमारी मनुष्य के लिए कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है। इस बीमारी में मनुष्य का खून पीला पड़ने लगता है और शरीर कमजोर हो जाता है। पीलिया का मुख्य कारण पाचन शक्ति का सही ढंग से काम न करना। मनुष्य की पाचन शक्ति ख़राब होने के कारण खून बनना बंद हो जाता है और उनके शरीर का रंग धीरे-धीरे पीला पड़ने लगता है। इसी को हम पीलिया कहते है। पीलिया की बीमारी होने पर रोगी को समय रहते ही इसका उपचार करना चाहिए नहीं तो ये जानलेवा बन जाती है। पीलिया जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए घरेलू वस्तुओं से इस बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जा सकता है।
 

Jaundice Treatment in Hindi ~ पीलिया का इलाज ~ Piliya Ka Ilaj
रोग
पीलिया रोग लीवर व पित्त की थैली से सम्बन्धित रोग है, खून में विलिरुबिन पिगमेंट अधिक होने से पीलिया हो जाता है।
पीलिया होने के कारण
  1. इन्पफैक्शन - हिपेटाइटिस वायरस संक्रामण ए बी सी
  2. पित्त की थैली की नली में रुकावट, स्टोन, कैंसर या पफोड़ा,
  3. खून की बीमारियों में - जिससे खून हीमोलाइश हो,
  4. दवाईयों से लिवर डैमेज होने पर,
  5. शराब व बीमारियों से लिवर सैल सिकुड़ जाती हैं इसे लीवर सिरोहोसिस कहते हैं।
लक्षण
अधिकतर पीलिया वायरल इन्पफैक्शन होता है। इसका संक्रमण होने के बाद बुखार, कमजोरी, जी मिचलाना व भूख न लगना, पेट में दर्द (दाँई तरफ) तथा पेशाब गहरा पीला होने लगता है, आँखें पीली हो जाती हैं, मरीज बहुत कमशोरी महसूस करता है। यदि समय से इलाज न किया गया तो कोमा में आजाता है और मृत्यु तक हो सकती है।
जाँच
  1. खून की जाँच से वायरस के प्रकार की जाँच होती है। यह तीन प्रकार का होता है, हिपेटाइटिस ए, बी, सी। इसमें हिपेटाइटिस बी बहुत खतरनाक होता है तथा इसके ठीक होने में 6 हफ्रते लग सकते हैं। पीलिया ठीक होने के बाद सिरोहोसिस, जलन्धर या कैंसर भी हो सकता है।
  2. खून में Serum Bilirubin SGPT जाँच करने से पीलिया के कारण का पता लगता है।
  3. खून में Alkaline Phosphatase जाँच करने से कैंसर का पता लगता है।
  4. पेशाब की जाँच करने से पीलिया का पता लगता है।
  5. अल्ट्रासाउण्ड से पित्त की थैली की बीमारी (स्टोन, कैंसर) का पता लगता है।
  6. ERCP से Endoscopy - इससे आँतों के ऊपरी भाग में कैंसर या नली में स्टोन को हटाकर पीलिया ठीक किया जा सकता हैं।
  7. MRI Abdomenसे कैंसर का गहराई से पता लग सकता है यदि कैंसर पेट के अन्य भागों में पफैल गया है तो इलाज उसी तरह सुनियोजित किया जा सकता हैं।
इलाज
साधारण तौर पर संक्रामण पीलिया वायरस है इसकी म्याद होती है तथा यह 2-3 हफ्रते में ठीक हो जाता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट जैसे ग्लूकोश, शक्कर, गन्ने का रस अधिक लें, प्रोटीन कम लें (दालें न लें), चिकनाई न लें (घी, तेल, मक्खन, दही व दूध चिकनाई निकला हुआ लें), नीबू ले सकते हैं, फलों के रस न लें, लिवर की आयुर्वेदिक दवाएँ ले सकते हैं। जी मिचलाना या उल्टी के लिए डोमेस्टाल टेबलेट ले सकते हैं। अधिक तकलीपफ या दवा हजम न होने पर डाक्टर को दिखायें वह आवश्यकतानुसार इलाज व ग्लूकोज़ चढ़ायें। यदि पीलिया किसी स्टोन या कैंसर के कारण है तो किसी सर्जन या एन्डोस्कोपिस्ट की सलाह लें।

पीलिया का उपचार प्याज़ से :-Pilia Ka Upchaar Pyaj Se
पीलिया की बीमारी में प्याज़ का बहुत ही महत्व है। सबसे पहले एक प्याज़ को छीलकर इसके पतले - पतले हिस्से करके इसमें नींबू का रस निचोड़े तथा इसके बाद इसमें पीसी हुई थोड़ी सी काली मिर्च और काला नमक डालकर प्रतिदिन सुबह - शाम इसका सेवन करने से पीलिया की बीमारी 15 से 20 दिन में ख़त्म हो जाती है।
 
चने से पीलिया का उपचार :- Chane Se Pilia Ka Upchaar
रात्रि को सोने से पहले चने की दाल को भिगोकर रख दे। प्रातकाल उठकर भीगी हुई दाल का पानी निकालकर उसमे थोड़ा सा गुड डालकर मिलाये। और इसको कम से कम एक से दो सप्ताह तक खाने से पीलिया की बीमारी ठीक हो जाती है। पीलिया की बीमारी को ठीक करने के लिए और भी अनेक उपाए है। 
 
पीपल से पीलिया का उपचार :- Peepal ke Ped se Peelia Ka Upchaar 
पीपल एक प्रकार की जड़ है जो दिखने में काले रंग की होती है। यह जड़ पंसारी की दुकानों पर आसानी से पाई जाती है। इस जड़ के तीन नग लेकर बारीक़ पीसकर पानी में पुरे एक दिन तक भिगोकर रखे या फुलाए। फुलाने के बाद बचे हुए पानी को बाहर निकालकर फेक दे। तथा फुले हुए नग में नींबू का रस , काली मिर्च और थोड़ा सा नमक डालकर रोजाना खाने से पीलिया एक सप्ताह में ही ठीक हो जायेगा। इसी तरह हर दिन नगो की संख्या एक - एक करके बढ़ाते जाये और ऊपर बताई गई विधि के अनुसार इसका सेवन करते रहे। जब नगो की संख्या दस हो जाये तब इसका प्रयोग बंद कर दे। बताया गया उपचार का उपयोग करने से पीलिया की बीमारी तो ठीक हो जाती है बल्कि पेट से जुडी सभी बीमारियाँ जैसे :- पुराना कब्ज , यरक़ान, पुराना बुखार इत्यादि रोगों से छुटकारा मिल जाता है। 
 
पीलिया का लहसुन से इलाज :- Lehsun or Garlic Se Peelia Ka Upchaar 
पीलिया की बीमारी में लहसुन भी फायदेमंद होता है। इसलिए कम से कम ४ लहसुन ले और इन्हे छीलकर किसी वस्तु से पीसकर इसमें २०० ग्राम दूध मिलाये। और रोगी को इसका रोजाना सेवन करने से पीलिया की बीमारी जड़ से ख़त्म हो जाती है। तथा पीलिया की बीमारी का उपकार इमली से भी किया जा सकता है। 
 
इमली से पीलिया का इलाज :- Imli or Tamarind Treats Jaundice
इमली खाने के अनुसार रात्रि को सोने से पूर्व भिगोकर रख दे। प्रातकाल उठकर भीगी हुई इमली को मसलकर इसके छिलके उतार कर अलग रख दे। तथा इमली का बचे हुए पानी में काली मिर्च और काला नमक मिलाकर दो सप्ताह तक पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है। 
 
पीलिया का आँवला से उपचार :- Amla Peeliya Rog Ka Ilaj
एक चम्मच शहद में ५० ग्राम ताजे हरे आँवले का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह कम से कम तीन सप्ताह तक खाने से पीलिया की बीमारी से छुटकारा मिल जायेगा। 
 
सोंठ से पीलिया का उपचार Dry Ginger to Cure Jaundice
सौंठ से भी पीलिया के रोग को ठीक किया जा सकता है।
उपचार (सामग्री ) :- पिसी हुई सौंठ - 10 ग्राम, गुड - 10 ग्राम
प्रयोग विधि :-
ऊपर बताई गई दोनों साम्रगी को अच्छी तरह से मिलाकर प्रातकाल ठन्डे पानी के साथ खाने से 10 से 15 दिन में पीलिया की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है। 
 
बादाम से पीलिया का उपचार :- Almond or Badaam Se Piliya Ka Illaj
सामग्री : बादाम की गिरी - 10,छोटी इलायची के बीज - 5 व छुहारे - 2 नग
इन सभी सामग्री को मिलाकर किसी भी मिट्टी के बर्तन में डालकर रात्रि को सोने से पहले भिगो दे। और प्रातकाल उठकर इन सभी भीगी हुई सामग्री में ७५ ग्राम मिश्री मिलाकर इनको बारीक़ पीसकर इसमें ५० ग्राम ताजा मक्खन मिलाये और इसे एक मिश्रण की तरह तैयर करके रोगी को लगातार कम से कम दो सप्ताह तक सेवन करने से पीलिया की बीमारी ठीक हो जाती है। साथ ही पेट में बनी गर्मी भी दूर हो जाती है। इस इलाज में ध्यान रखना चाहिए कि  किसी गर्म पदार्थों को नही खाना चाहिए।

रोकथाम
  1. सीवर लाइन व जल पाइप एक दूसरे से पानी का संक्रामण करते हैं इसलिए पानी उबाल कर पीएँ।
  2. बाजार की खुली चीजें जैसे पफल या चाट व खाना न खाएँ।
  3. बाजार के ठण्डे पेय पदार्थ न पिएँ सपफाई का ध्यान रखें।
  4. पीलिया के टीके लगवायें।
  5. यदि पित्त की थैली में स्टोन या गाँठ मालूम हो तो तुरन्त इलाज करायें।
  6. लिवर कमजोर हो तो डाॅक्टर द्वारा बताई गई दवा लें।
  7. शराब का सेवन न करें।
  8. अपने चिकित्सक की सलाह लें तथा इलाज पर विशेष ध्यान दें।


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