बाजीराव पेशवा विश्व इतिहास का एक मात्र अपराजित योद्धा



बाजीराव पेशवा विश्व इतिहास का एक मात्र अपराजित योद्धा 
Bajirao Mastani Story In Hindi

मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्रियों को पेशवा कहते थे। ये राजा के सलाहकार परिषद अष्टप्रधान के सबसे प्रमुख होते थे। राजा के बाद इन्हीं का स्थान आता था।

पेशवा बाजीराव (1721-1761) मराठा साम्राज्य के शासक थे। बाजीराव, शिवाजी महाराज के पौत्र शाहूजी महाराज के पेशवा (प्रधान) थे। इनके पिता श्री बालाजी विश्वनाथ पेशवा भी शाहूजी महाराज के पेशवा थे। बचपन से बाजीराव को घुड़सवारी करना, तीरंदाजी, तलवार भाला, बनेठी, लाठी आदि चलाने का शौक था। 13-14 वर्ष की खेलने की आयु में बाजीराव अपने पिताजी के साथ घूमते थे। उनके साथ घूमते हुए वह दरबारी चालों व रीतिरिवाजों को आत्मसात करते रहते थे। यह क्रम 19-20 वर्ष की आयु तक चलता रहा। जब बाजीराव के पिताश्री का अचानक निधन हो गया तब मात्र बीस वर्ष की आयु के बाजीराव को शाहूजी महाराज ने पेशवा बना दिया। पेशवा बनने के बाद अगले बीस वर्षों तक बाजीराव मराठा साम्राज्य को बढ़ाते रहे। इसके लिए उन्हें अपने अपराजित योद्धा- बाजीराव पेशवा दुश्मनों से लगातार लड़ाईयाँ करना पड़ी। अपनी वीरता, अपनी नेतृत्व क्षमता व कौशल युद्ध योजना द्वारा यह वीर हर लड़ाई को जीतता गया। विश्व इतिहास में बाजीराव पेशवा ऐसा अकेला योद्धा माना जाता है जो कभी नहीं हारा। छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह वह बहुत कुशल घुड़सवार था। घोड़े पर बैठे-बैठे भाला चलाना, बनेठी घुमाना, बंदूक चलाना उनके बाएँ हाथ का खेल था। घोड़े पर बैठकर बाजीराव के भाले की फेंक इतनी जबरदस्त होती थी कि सामने वाला घुड़सवार अपने घोड़े सहित घायल हो जाता था।

बाजीराव ने अपने कुशल युद्ध नेतृत्व से छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित किये हुए मराठा साम्राज्य की सीमाओं का उत्तर भारत में भी विस्तार किया। ‘तीव्र गति से युद्ध करना, यह उनके युद्ध-कौशल्य का महत्त्वपूर्ण भाग था। इस समय भारत की जनता मुगलों के साथ-साथ अंग्रेजों व पुर्तगालियों के अत्याचारों से त्रस्त हो चुकी थी। ये भारत के देवस्थान तोड़ते, जबरन धर्म परिवर्तन करते, महिलाओं व बच्चों को मारते व भयंकर शोषण करते थे। ऐसे में बाजीराव पेशवा ने उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक ऐसी विजय पताका फहराई कि चारों ओर उनके नाम का डंका बजने लगा। लोग उन्हें शिवाजी का अवतार मानने लगे। बाजीराव में शिवाजी महाराज जैसी ही वीरता व पराक्रम था तो वैसा ही उच्च चरित्र भी था। जब छत्रसाल बुंदेला दिल्ली की सेना के सामने हतबल हो गये, तब उन्होंने बाजीराव से सहायता मांगी। बाजीराव ने वहां भी अपनी तलवार की गरिमा बनाए रखी। उनका उपकार चुकाने के लिए छत्रसाल बुंदेला ने 3 लाख मीट्रिक टन वार्षिक उत्पन्न करनेवाला भूभाग बाजीराव को भेंट दिया। इसके साथ ही अपनी अनेक पत्नियों में से एक पत्नी की कन्या ‘मस्तानी’ से उनका विवाह कराया।



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गर्म पानी पीना एक औषधि



Drinking Hot Water is a Medicine
  Drinking Hot Water is a Medicine
 
ठण्डे पेय तथा फ्रीज में रखा अथवा बर्फ वाला पानी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। स्वस्थ अवस्था में हमारे शरीर का तापक्रम 98.4 डिग्री फारहनाइट यानि 37 डिग्री सेन्टीग्रेड के लगभग होता है। जिस प्रकार बिजली के उपकरण एयर कंडीशनर, कू लर आदि चलाने से बिजली खर्च होती है। उसी प्रकार ठण्डे पेय पीने अथवा खाने से शरीर को अपना तापक्रम नियन्त्रित रखने के लिये अपनी संचित ऊर्जा व्यर्थ में खर्च करनी पड़ती है। अतः पानी यथा संभव शरीर के तापक्रम के आसपास तापक्रम जैसा पीना चाहिये।
आजकल सामूहिक भो जों में भोजन के पश्चात् आइसक्रीम और ठण्डे पेय पीने का जो प्रचलन है, वह स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक होता है। गर्मी स्वयं एक प्रकार की ऊर्जा है और शारीरिक गतिविधियों में उसका व्यय होता है। अतः जब कभी हम थकान अथवा कमजोरी का अनुभव करते हैं तब गरम पीने योग्य पानी पीने से शरीर में स्फूर्तिआती है। जिन व्यक्तियों को लगातार अधिक बोलने का अर्थात् भाषण अथवा प्रवचन देने का कार्य पड़ता है, जब वे थकान अनुभव करें, तब ऐसा पानी पीने से पुनः ऊर्जा का प्रवाह सक्रिय होता है। लम्बी तपस्या करने वालों के लिये ऐसा पानी विशेष उपयोगी होता है, जिससे शक्ति का संचार होता है।
गरम पानी सर्दी संबंधी रोगों में क्षीण ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने का सरलतम उपाय होता हैं। साधारणतया रोजाना पानी को उबालकर पीनेसे उसमें रोगाणुओं और संक्रामक तत्त्वों की संभावना नहीं रहती। अतः ऐसा पानी स्वास्थ्य के लिये अधिक उपयोगी होता है। खाली पेट गर्म पानी पीनेसे अम्लपित्त जनित हृदय की जलन और खट्टी डकारें आना दूर हो जाता है। गर्म जल सुखी खांसी की प्रभावशाली औषधि है।सहनीय एक गिलास गर्म जल में थोड़ा सेंधा नमक डालकर पीने से कफ पतला हो जाता है और अंत में खांसी का वेग बहुत कम हो जाता है। खाली पेट दो गिलास गर्म पानी पीने से मूत्र का अवरोध दूर होता है। जिनके मूत्र पीला अथवा लाल हो, मूत्र नली में जलन हो, उनको पीने योग्य गर्मजल पीना चाहिए।



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