भगवान गणेश की पूजा में कौन से पुष्प और पत्र का प्रयोग करें?



ॐ श्री गणेशाय नमः
भगवान गणेश की पूजा में कौन से पुष्प और पत्र का प्रयोग करें? गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटें दूर होती हैं।

हिन्दू संस्कृति में, भगवान श्री गणेश जी को, प्रथम पूज्य का स्थान दिया गया है। प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले, भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है। जब किसी लोक संस्कार या शुभ  कार्य के लिए 'श्री गणेश' का नाम शुभआरम्भ का पर्याय सूचक है।

देवता भी अपने कार्यों को विघ्न रहित पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्र पूजा का विधान बनाया है।

सनातन शास्त्रों में भगवान गणेश जी को, विघ्नहर्ता अर्थात सभी तरह की परेशानियों को खत्म करने वाला बताया गया है। पुराणों में गणेशजी की उपासना शनि सहित सारे ग्रह दोषों को दूर करने वाली भी बताई गई हैं। हर बुधवार के शुभ दिन गणेशजी की उपासना से व्यक्ति का सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटें दूर होती हैं।

गणपति पूजन से आपके हर कार्य सफलता पूर्वक हो इसलिए हम गणपति को चढने वाले पत्र पुष्प के बारे में जानकारी देना चाहते है।


हरिताः श्वेतवर्णा वा पञ्चत्रि पत्रसंयुताः ।
दूर्वाङ्कुुरा मया दत्ता एकविंशतिसम्मिताः।।
(गणेशपुराण )


गणेश जी को दूब अर्थात दूर्वा अधिक प्रिय है, इसलिए गणेश जी को सफ़ेद या हरी दूब अवश्य चढ़ानी चाहिए।दूर्वा को चुनते समय एक बात अवश्य ध्यान में रखें की इसकी फुनगी में तीन या पाँच पत्तियां होनी चाहिए।



एक बात विशेष रूप से ध्यान में रखे की कभी भी गणेश जी पर तुलसी न चढ़ाये। पद्म पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है – “न तुलस्या गनाधिपम” अर्थात तुलसी पत्र से गणेश जी की पूजा न की जाये

गणेश जी की तुलसी पत्र से पूजा न करें। गणेश जी को तुलसी छोड़ कर सभी पत्र पुष्प प्रिय है


कार्तिक महात्म्य में इस बात का वर्णन किया गया है की “गणेशं तुलसी पत्रैः दुर्गां नैव तु दुर्वया” अर्थात गणेश जी की तुलसी पत्र से और माँ दुर्गा की दूर्वा से पूजा न करें। आचारभूषण इस विषय को और विस्तार देता है।

तुलसीं वर्जयित्वा सर्वाण्यपि पत्रपुष्पाणि गणपतिप्रियाणि 

अर्थात गणेश जी को तुलसी छोड़ कर सभी पत्र पुष्प प्रिय है इसलिए सभी अनिषिद्ध पत्र पुष्प गणपति पर चढाये जाते है।


गणपति को नैवेद्य में लड्डू अधिक प्रिय है, आचारेन्दु ग्रन्थ  इस बात पर इस प्रकार प्रकाश डालता है –
“गणेशो लड्डुक प्रियः”
इस लिए गणेश जी को लड्डू और मोदक के भोग लगाना बिलकुल न भूलें।
गणपति को नैवेद्य में लड्डू अधिक प्रिय है,



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उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली एकल बढ़त - मिल सकती है 315 सीट



प्रथम चरण से पांचवे चरण तक बसपा, सपा और कांग्रेस कि स्थिति में उत्तरोत्तर गिरावट आई है... 
उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली एकल बढ़त - मिल सकती है 315 सीट
पहले 3 चरणों के चुनाव में भाजपा को सपा से कुछ हद तक चुनौती दिखती मिल रही थी इस स्थिति में भाजपा लगभग 45% से 50% सीट जीतने की ओर दिख रही थी, किंतु चौथे और पांचवे चरण के चुनाव में सपा और कांग्रेस से यह स्थान बसपा ने छीन लिया किंतु कोई भी भाजपा से बढ़त नहीं ले पाया है चौथे और पाचवे चरण के चुनाव में भाजपा 52% से 58% .. 

छठे और सातवें चरण के चुनाव में भाजपा एकल बढ़त की ओर है और अंतिम दो चरणों में 70% सीट जीत सकती है.. 

मेरा विश्लेषण कहता है कि पूर्वांचल के भावी वोटरों के समर्थन के कारण शुरुवाती तौर पर भाजपा जहाँ पहले 3 चरणों के रूझान के कारण कुल 180 के पास जीतती दिख रही थी वह चौथे और पांचवे चरण के बाद 230 और अंतिम दौर में जिस तरह भाजपा अकेले बची अब मैं कह सकता हूँ भाजपा 270 से 320 सीट आराम से जीत सकती है...



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जस्टिस सी. एस. कर्णन पर कार्यवाही और शिकायत में जाँच से परहेज क्यों?



सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की महापंचाट ने ‘जस्टिस सी. एस. कर्णन को नोटिस जारी कर दिया है और उन्हें न्यायिक और प्रशासनिक काम देने से रोक दिया है। जजों के विरुद्ध जज की टिप्पणी पर जाँच करने के बजाय खुद शिकायतकर्ता को सुने चाप चड़ा देना कहा तक उचित है?

सुप्रीम कोर्ट ने साबित किया कि खुद के चरित्र पर लांछन को पोछने के लिए एक जज पर एकतरफा कार्यवाही जा सकती है तो आम आदमी को बोलने कि कोई हैसियत नही है।देश में ऐसे कई मौके आये है जब उच्च न्यायपालिका में जजनिर्मल यादव जैसे जज रंगे हाथ पकड़े गए और सुप्रीमकोर्ट ने कोई कार्यवाही नहीं, इसका अर्थ यही निकला जा सकता है कि सर्वोच्च न्यायपालिका में भ्रष्टाचार स्वीकार है किंतु भ्रष्टाचार का लांछन नही।

महान्यायवादी मुकुल रोहतगी कि इस मामले में भूमिका गैरजिम्मेदाराना और निष्पक्ष नही रही, अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बहस शुरू करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को ये निर्देश दें कि जस्टिस कर्णन को कोई काम नहीं दिया जाए। अब यह प्रशासनिक मसला नहीं रहा, जस्टिस कर्णन पर कार्यवाही पर तो बोले किन्तु, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर मौन रहे। मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी जी को चाहिए कि वह तत्काल मुकुल रोहतगी को महान्यायवादी पद के दायित्व से मुक्त करें। सरकार का पक्ष निष्पक्ष होना चाहिए न कि सुप्रीमकोर्ट के न्यायमूर्तियों प्रभाव में किसी के प्रति अन्याय मेंं।

जज न्यायपालिका में खुद भ्रष्टाचार कि आग लगी है तो न्यायपीठ पर बैठी होलिका रुपी असुरी शक्तियों के जलने का वक्त आ गया है..


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