हिन्दी में 1 लाइन हार्ट टचिंग कोट्स – One Line Heart Touching Quotes in Hindi



  • अगर आप जीत गए तो आप खुश हो जाओगे और हार गए तो समझदार।
  • अगर आपके हाथ में किसी का हाथ है, कोई ऐसा है जो हर मुश्किल में आपके साथ खड़ा रहता है…।। तो यकीन मानिए आप बहुत खुशनसीब हैं।
  • अगर तुम अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से नहीं जीओगे तो लोग अपने तरीके तुम पर लाद देंगे।
  • अपनी ज़िंदगी को दूसरों से तुलना करने में मत बिताओ।।
  • अपने दोस्तों को समझकर चुनो, तुम वही बन जाओगे जैसे तुम्हारे दोस्त है।
  • अपने शब्दों का स्वाद ले लो जो तुम बाहर थूकने वाले हो।
  • अभी कितनी भी कठिन दिखने वाली ज़िंदगी एक दिन आसान हो ही जाएगी।
  • आपकी ज़िंदगी में आज का दिन कभी लौटकर नहीं आएगा जी लो इसे।
  • एक नकारात्मक दिमाग तुम्हें सकारात्मक ज़िंदगी नहीं दे सकता।
  • एक सिक्का हमेशा आवाज़ करता है। पेपर का नोट नहीं, ऐसे ही जब तुम्हारी कीमत बढे तो शांत रहना सीखो।
  • कई बार गिरो फिर उठो फिरो चलो फिर जीतो।
  • कभी भी जो तुम चाहते हो उनके लिए, जो तुम्हारे पास है उसे मत भुलाओ।
  • कम बोलो, सच बोलो।
  • काम में कमी निकालने से ज़्यदा ज़रूरी है उसे कर देना।
  • किसी के प्रति अपने मन में बुरी भावना रखने से अच्छा है कि आप सामने वाले व्यक्ति से बात करके अपने मन का भ्रम दूर कर लें।
  • खुली आँखों से सपने देखो और उन सपनों के लिए जागते रहो।
  • जब भी किसी से प्यार कीजिए, तो उम्र भर उसका साथ निभाइए। और अगर आप अपने प्यार का साथ उम्र भर नहीं निभा सकते हैं, तो आपको किसी के दिल के साथ नहीं खेलना चाहिए।
  • ज़िंदगी उन लोगों के लिए आसान नहीं पर दिलचस्प है, जो परिवर्तन का सपना देखते हैं।
  • ज़िंदगी उस पल से ही अच्छी होना शुरू हो जाती है जिस पल से तुम माफ़ करना शुरू कर देते हो।
  • ज़िंदगी उसके साथ बिताओ जिसके साथ तुम खुश हो।
  • ज़िंदगी एक ऐसा खेल है जिसे हर किसी को खेलना पढता है और जीतता वही है जिसे नियम पता हैं।
  • ज़िंदगी एक कर्तव्य है उसे पूरा करो।
  • ज़िंदगी एक कहानी है और अपनी कहानी को सबसे अच्छा बनाओ।
  • ज़िंदगी एक खेल है उसे खेलना सीखो।
  • ज़िंदगी एक मौका है उससे फायदा लेना सीखो।
  • ज़िंदगी एक सपना है उसे महसूस करो।
  • ज़िंदगी का एक ही नियम है कभी भी हार मत मानो। बढ़ते चलो।
  • ज़िंदगी को समस्या नहीं है जिसे तुम्हें सुलझना है, ज़िंदगी एक एहसास है जिसे तुम्हें महसूस करना है।
  • ज़िंदगी बहुत आसान है पर हम उसे मुश्किल बना लेते है
  • ज़िंदगी बहुत ख़ूबसूरत है उसकी प्रशंसा करना सीखो।
ज़िंदगी बहुत छोटी है हँसो जब तक तुम्हारे दांत हैं।
ज़िंदगी बहुत सुंदर है उसकी कद्र करो।
ज़िंदगी बार-बार मौका देती है बस पहचानने की ज़रूरत है।
ज़िंदगी में जो तुम दूसरों को देते हो वही तुम्हें लौटकर मिलता है।
ज़िंदगी में हर चीज़ किसी न किसी वजह से होती है।।
जीवन के बड़े फैसले सोच-समझकर लेने चाहिए। क्योंकि ये फैसले हमारी जिंदगी में बहुत सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
जैसे लोगों के साथ आप रहेंगे वैसा ही आपका भविष्य हो जाएगा।
जो लोग अपनी गलती स्वीकार करने की हिम्मत करते हैं, उन लोगों के रिश्ते अच्छे और लम्बे होते हैं।
तबतक किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहिए, जबतक विवाद में पड़ना ही आखिरी रास्ता न हो।
तुम अपनी ज़िंदगी का अगला पाठ नहीं पढ़ सकते जब तक पिछले पाठ को याद कर रहे हो।
  • तुम अपनी ज़िंदगी के हीरो हो।
  • तुम वह हो जो तुम सोचते हो।
  • तुम्हारी लिमिटेशन तुम्हारी खुद की बनायीं हुई है, बाहर कोई भी लिमिटेन नहीं है।
  • तुम्हारी सबसे अच्छी टीचर तुम्हारी ही गलतियां है।
  • तुम्हारे जैसी ज़िंदगी कई लोगों का सपना होती है।
  • दुनिया में ऐसा कोई भी काम नहीं जो एक व्यक्ति कर सकता है और दूसरा नहीं।
  • दूसरों को देखकर अपने को मत बदलो। सीखते चलो।
  • नीयत नेक हो तो नतीजे भी अच्छे आते हैं और अगर नीयत में खोट हो तो नतीजे भी बुरे आते हैं।
  • पति-पत्नी का रिश्ता अनमोल होता है, इसलिए इस रिश्ते की गुप्त बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से रिश्ते के टूटने का खतरा पैदा हो जाता है।
  • पैसे कमाने में इतने व्यस्त मत हो जाओ की ज़िंदगी जीना ही भूल जाओ।
  • बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, बुरा मत सोचो।।
  • भीड़ से अलग निकलना ही है ज़िंदगी।
  • भूत और भविष्य को छोड़कर इस पल का आनंद लो।
  • मर्यादा तोड़ना अक्सर हमें नुकसान पहुँचाता है।
  • महान कार्य ताकत से नहीं लगातार लगे रहने से होते है।
  • में एक सम्पूर्ण ज़िंदगी नहीं चाहता में एक खुशनुमा ज़िंदगी चाहता हूँ।
  • यदि सपने सच न हो तो रास्ते बदलो, मुकाम नहीं पेड़ हमेशा पत्तियां बदलते हैं जड़े नहीं
  • ये मत सोचो की एक महीने में या एक साल में क्या हो सकता है, ये सोचो 24 घंटे में क्या-क्या हो सकता है।
  • रिश्तों को बड़ी जतन से सम्हालना पड़ता है, रिश्ते कुर्बानी मांगते हैं, रिश्ते ईमानदारी मांगते हैं।
  • लोगों को जज में अपना समय ख़राब मत करो।
  • विनम्रता किसी के भी व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देती है।
  • संयम आपको सौभाग्यशाली बनाता है, इसलिए हमें संयम नहीं खोना चाहिए।
  • संसार वो नहीं है जो दिखता है।
  • सफलता को सम्हालने के लिए व्यक्ति को निरंतर परिश्रम करना पड़ता है। वरना हाथ आई हुई सफलता भी हाथ से फिसल जाती है।
  • हमें की पसंद है इसे भूलकर कभी ये सोचो की सामने वाले को की पसंद है।
  • हर किसी को अच्छा समझना भी बुद्धिमानी नहीं है और न हर किसी को बुरा समझना बुद्धिमानी है। इसलिए खुद को इतना सक्षम बनाइए कि आप अच्छे और बुरे की पहचान कर सकें।




















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      भांग, चरस और गांजे के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ



       
      भांग के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज
      भांग, चरस और गांजे की लत शरीर को नुकसान पहुंचाती है किन्तु भारतीय मान्यता है कि यह भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और उनकी पूजा में यह वस्तुएं चढ़ाई जाती है। लेकिन इसकी सही डोज कई बीमारियों से बचा सकती है। इसकी पुष्टि विज्ञान भी कर चुका है। भांग के बीजों एवं पत्तों में पाए जाने वाले लाभकारी तत्व बहुत सी बीमारियों से छुटकारा पाने में सहायक सिद्ध होते हैं। भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तथा मादा पौधों की पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है तथा भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल सदृश्य पदार्थ को चरस कहते हैं।
      भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ
      गुण
      भांग कफ/बलगम को दूर करती है। यह कड़वी, ग्राही, हल्की, तीखी, गर्म और पित्त को पैदा करने वाली है। भांग के सेवन से मोह और नशा पैदा होता है, यह बेहोशी लाती है, पाचनशक्ति को बढ़ाती है। भांग गले की आवाज को साफ करती है। भांग कुष्ठ (कोढ़) को नष्ट करती है। यह मेधा (बुद्धि) को उत्पन्न करती है तथा बल और वीर्य को बढ़ाती है। भांग अग्नि-कारक, कफ-नाशक और रसायन उत्पन्न करने वाली है। यह भोजन में रुचि को पैदा करती है, मल को रोकती है तथा अन्न को पचाती है। इसके सेवन से नींद अधिक आती है, काम-शक्ति को बढ़ाती है, तथा वात और कफ को नष्ट करती है।
      गांजा पाचक होता है। यह प्यास को पैदा करता है, बल को बढ़ाता है, सेक्स की इच्छा उत्पन्न करता है, मन का उत्तेजित करता है, नींद अधिक लाता है। इसके अधिक उपयोग से गर्भ गिर जाता है। यह पक्षघात (लकवा) को दूर करने वाला तथा मद-कारक होता है। 

      भांग के 10 वैज्ञानिक प्रूव्ड फायदे
      • चक्कर से बचाव
        2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं। यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा। रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं।
      • ग्लूकोमा में राहत
        अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है। इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है। इससे नजर की समस्या आती है। गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है।
      • अल्जाइमर के खिलाफ
        अल्जाइमर से जुड़ी पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है। एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है। रिसर्च के दौरान भांग का तेल इस्तेमाल किया गया।
      • कैंसर पर असर
        2015 में आखिरकार अमेरिकी सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है। अमेरिका की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं। यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं। कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है।
      • कीमोथैरेपी में कारगर
        कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमथोरैपी के साइड इफेक्ट्स जैसे, नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं। अमेरिका में दवाओं को मंजूरी देने वाली एजेंसी एफडीए ने कई साल पहले ही कीमोथैरेपी ले रहे कैंसर के मरीजों को कैनाबिनॉएड्स वाली दवाएं देने की मंजूरी दे दी है।
      • प्रतिरोधी तंत्र की बीमारियों से राहत
        कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है। इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है। इसे ऑटोएम्यून बीमारी कहते हैं। 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसी, संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है। तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है।
      • दिमाग की रक्षा
        नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साबित किया है कि भांग स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान से बचाती है। भांग स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देती है।
      • एमएस से बचाव
        मल्टीपल स्क्लेरोसिस भी प्रतिरोधी तंत्र की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है। फिलहाल यह असाध्य है। इसके मरीजों में नसों को सुरक्षा देने वाली फैटी लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती है। धीरे धीरे नसें कड़ी होने लगती हैं और बेतहाशा दर्द होने लगता है। कनाडा की मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक भांग एमएस के रोगियों को गश खाने से बचा सकती है।
      • दर्द निवारक
        शुगर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की तंत्रिकाएं नुकसान झेलती हैं। इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला कि इससे नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में भांग आराम देती है। हालांकि अमेरिका के एफडीए ने शुगर के रोगियों को अभी तक भांग थेरेपी की इजाजत नहीं दी है।
      • हैपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से आराम
        थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं। यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के मुताबिक भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके। माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया।
       भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ
      भांग के घरेलू उपयोग
      • प्रतिदिन घुटने अथवा अन्य जोड़ों पर भांग के बीजों से निर्मित तेल की मालिश की जाए तो शीघ्र ही जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
      • 250 मिलीग्राम भांग को हींग के साथ देने से स्त्रियों के हिस्टीरिया रोग में बहुत लाभ मिलता है।
      • भांग और मिर्च के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर गुड़ के साथ आधा ग्राम बनाकर रोगी को देने से पेट दर्द मिट जाता है।
      • भांग के रस को कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
      • भांग के पत्तों का रस निकालकर गुदाभ्रंश पर लगायें। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद होता है। 
      • मासिक-धर्म के आने से पहले पेट को दस्त लाने वाली कुछ चीज खाकर साफ कर लेना चाहिए। फिर गांजा को दिन में 3 बार लेते रहने पर दर्द कम हो जाता है और मासिक-धर्म नियमानुसार होने लगता है।
      • भांग का ज्यादा सेवन करने से नींद बहुत अच्छी आती है। जिस हालत में अफीम के सेवन से नींद नहीं होती है, उस परिस्थिति में भांग का सेवन अधिक अच्छा होता है, क्योंकि इसके प्रयोग से कोष्ठबद्धता (कब्ज) और मस्तक की पीड़ा नहीं होती है। किसी को यदि नींद न आती हो तो यह बहुत ही लाभकारी औषधि है। नींद न आने की स्थिति में चिकित्सक भांग का औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं।
      • पैर के तलुवों पर भांग का तेल मलने से भी नींद आ जाती है।
      • भांग के पत्तों के चूर्ण को घाव और जख्म पर बुरकाने से घाव जल्द ही भर जाते हैं तथा भांग का एक पूरा पेड़ पीसकर नए घाव में लगाने से घाव ठीक होता है। चोट के दर्द को दूर करने के लिए इसका लेप बहुत ही लाभकारी होता है।
      • भांग के चूर्ण से दोगुनी मात्रा में शुंठी का चूर्ण व चार गुना मात्रा में जीरा मिलाकर सेवन करने पर कोलाइटिस अथवा आंवयुक्त अतिसार से छुटकारा मिलेगा।
      • यदि किसी को निरंतर सिरदर्द की शिकायत रहती है तो भांग की पत्तियों के रस का अर्क बनाकर कान में दो-तीन बूंदें डालें। इससे आराम मिलेगा।
      • 1 ग्राम शुद्ध भांग के चूर्ण में 2 ग्राम गुड़ को मिलाकर 4 गोलियां बना लेते हैं। सर्दी का बुखार दूर करने के लिए 1-2 गोली 2-2 घंटे के अंतर से दें या शुद्ध भांग की 1 ग्राम गोली बुखार में एक घंटा पहले देने से बुखार का वेग कम हो जाता है।
      • भांग के पत्तों का रस माथे पर लेप करने से मस्तक की रूसी मिट जाती है और कीडे़ मर जाते हैं।
      • भांग और खीरा या ककड़ी की मगज को पानी में पीसकर और छानकर ठंडई की तरह रोगी को पिलाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) मिट जाती है।
      • भांग के पत्तों को बारीक पीसकर सूंघने  तथा भांग के पत्तों का रस गर्म करके कान में 2-3 बूंद की मात्रा में डालने से सर्दी और गर्मी की सिर दर्द  मिट जाती है।
      • फूली हुई और दर्दनाक बवासीर पर 10 ग्राम हरी या सूखी भांग और 30 ग्राम अलसी की पोटली बनाकर बांधने से बवासीर का दर्द और खुजली मिट जाती है।
      • गांजे को अरंडी के तेल में पीसकर मूत्रेन्द्रिय पर लेप करने से ताकत बढ़ती है और इन्द्री का टेढ़ापन दूर हो जाता है।
      • विसूचिका (हैजा) होने की शुरुआत में 250 मिलीग्राम गांजा या भांग, छोटी इलायची, कालीमिर्च तथा कपूर आधा-आधा घंटे या 1-1 घंटे पर उबालकर ठंडे पानी के साथ देते रहने से हैजे की बीमारी ठीक हो जाती है।
      • 3 ग्राम भांग को 2 ग्राम देशी घी में भूनकर शहद के साथ रात को खाने से पहले पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
       भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ
      गुणकारी तत्व
      यह भी सत्य है कि भांग का सेवन करने से मानसिक संतुलन बिगड़ता है, लेकिन चिकित्सक उसे उचित मात्रा में उपयोग में लाकर मानसिक रोगियों का इलाज भी करते हैं। मानसिक रोगों में चिकित्सक इसे लगभग 125 मिली ग्राम की मात्रा में आधी मात्रा हींग के साथ मिलाकर मानसिक रोगियों को सेवन कराते हैं।
      भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ

      चेतावनी -अत्यधिक सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और शरीर में नशा चढ़ता है। जिसकी वजह से शरीर में कमजोरी आती है, यह पुरुष को नपुंसक, चरित्रहीन और विचारहीन बनाता है। अत: इसका उपयोग सेक्स उत्तेजना या नशे के लिए नहीं करना चाहिए। अत: उपयोग पूर्व चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।


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      समास की परिभाषा, भेद व प्रकार - हिंदी व्याकरण



      समास की परिभाषा
      'समास' शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा – रूप । अतः जब दो या दो से अधिक शब्द अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते हैं उसे समास, सामासिक शब्द या समस्त पद कहते है। किसी समस्त पद या सामासिक शब्द को उसके विभिन्न पदों एवं विभक्ति सहित पृथक करने की क्रिया को समास का विग्रह कहते हैं।
      समास छः प्रकार के होते है –
      1. अव्ययीभाव समास - अव्ययीभाव समास - अव्यय और संज्ञा के योग से बनता है और इसका क्रिया विशेष के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें प्रथम पद (पूर्व पद) प्रधान होता है। इस समस्त पद का रूप किसी भी लिंग, वचन आदि के कारण नहीं बदलता है।
      2. तत्पुरुष समास - वह समास है जिसमें बाद का अथवा उत्तर पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच का कारक-चिन्ह लुप्त हो जाता है।
      3. द्वन्द्व समास - जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर 'और', 'अथवा', 'या', 'एवं' लगता हो, वह 'द्वंद्व समास' कहलाता है।
      4. बहुब्रीहि समास - जिसमें दोनों पद अप्रधान हों तथा दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं, उसमें 'बहुव्रीहि समास' होता है।
      5. द्विगु समास - जिसमें पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो, इसमें समूह या समाहार का ज्ञान होता है।
      6. कर्म धारय समास - जिसमें उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्व पद व उत्तर पद में उपमान-उपमेय अथवा विशेषण-विशेष्य सम्बन्ध हो, वह 'कर्मधारय समास' कहलाता है।
      अव्ययीभाव समास 
      1. समास में प्रायः ) पहला पद प्रधान होता हैं ।
      2. पहला पद या पूरा पद अव्यव होता है । ( वे शब्द जो लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार नहीं बदलते, उन्हें अव्यय कहते है )
      3. यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यव की तरह प्रयुक्त हो, वहाँ भी अव्ययीभाव समास होता है ।
      4. संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास होते है
        • आजन्म -  जन्म से लेकर
        • आजीवन - जीवन-भर
        • आमरण -  म्रत्यु तक
        • घर-घर -  प्रत्येक घर
        • धडाधड -  धड-धड की आवाज के साथ
        • निडर - डर के बिना
        • निस्संदेह - संदेह के बिना
        • प्रतिदिन -  प्रत्येक दिन
        • प्रतिवर्ष - हर वर्ष
        • बेशक - शक के बिना
        • भरपेट- पेट भरकर
        • यथाकाम -  इच्छानुसार
        • यथाक्रम - क्रम के अनुसार
        • यथानियम -  नियम के अनुसार
        • यथाविधि- विधि के अनुसार
        • यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार
        • यथासाध्य -  जितना साधा जा सके
        • यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
        • रातों रात -  रात ही रात में
        • हर रोज़ - रोज़-रोज़
        • हाथों हाथ - हाथ ही हाथ में
      तत्पुरुष समास 
      1. तत्पुरुष समास में दूसरा पद ( पर पद ) प्रधान होता है अर्थात विभक्ति का लिंग , वचन दूसरे पद के अनुसार होता है।
      2. इसका विग्रह करने पर कर्ता व संबोधन की विभक्तियों ( ने, हे, ओ, अरे, ) के अतिरिक्त किसी भी कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है तथा विभक्तियों के अनुसार ही इसके उपभेद होते है । जैसे –
        कर्म तत्पुरुष ( को )
        • कृष्णार्पण = कृष्ण को अर्पण
        • नेत्र सुखद = नेत्रों को सुखद
        • वन – गमन = वन को गमन
        • जेब कतरा = जेब को कतरने वाला
        • प्राप्तोदक = उदक को प्राप्त
        करण तत्पुरुष ( से / के द्वारा )
        • ईश्वर – प्रदत्त = ईश्वर से प्रदत्त
        • हस्त – लिखित = हस्त (हाथ) से लिखित
        • तुलसीकृत = तुलसी द्वारा रचित
        • दयार्द्र = दया से आर्द्र
        • रत्न जड़ित = रत्नों से जड़ित
        सम्प्रदान तत्पुरुष ( के लिए )
        • हवन – सामग्री = हवन के लिए सामग्री
        • विद्यालय = विद्या के लिए आलय
        • गुरु – दक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा
        • बलि – पशु = बलि के लिए पशु
        अपादान तत्पुरुष ( से पृथक )
        • ऋण – मुक्त = ऋण से मुक्त
        • पदच्युत = पद से च्युत
        • मार्ग भृष्ट = मार्ग से भृष्ट
        • धर्म – विमुख = धर्म से विमुख
        • देश – निकाला = देश से निकाला
        सम्बन्ध तत्पुरुष ( का, के, की )
        • मन्त्रि – परिषद = मन्त्रियों की परिषद
        • प्रेम – सागर = प्रेम का सागर
        • राजमाता = राजा की माता
        • अमचूर = आम का चूर्ण
        • रामचरित राम का चरित
        अधिकरण तत्पुरुष ( में, पे, पर )
        • वनवास = वन में वास
        • जीवदया = जीवों पर दया
        • ध्यान – मगन = ध्यान में मगन
        • घुड़सवार = घोड़े पर सवार
        • घृतान्न = घी में पक्का अन्न
        • कवि पुंगव = कवियों में श्रेष्ठ
      द्वन्द्व समास
      1. द्वन्द्व समास में दोनों पद प्रधान होते है।
      2. दोनों पद प्रायः एक दूसरे के विलोम होते है, सदैव नही।
      3. इसका विग्रह करने पर ‘और’, अथवा ‘या’ का प्रयोग होता है ।
        • अन्न – जल = अन्न और जल
        • अपना – पराया = अपना या पराया
        • कृष्णार्जुन = कृष्ण और अर्जुन
        • खरा-खोटा - खरा या खोटा
        • गुण-दोष - गुण और दोष
        • जलवायु = जल और वायु
        • ठण्डा-गरम - ठण्डा या गरम
        • दाल – रोटी = दाल और रोटी
        • धर्माधर्म = धर्म या अधर्म
        • नर-नारी - नर और नारी
        • पाप – पुण्य = पाप और पुण्य
        • फल – फूल = फल और फूल
        • भला – बुरा = भला और बुरा
        • भाई-बहन - भाई और बहन
        • माता – पिता = माता और पिता
        • यशपायश = यश या अपयश
        • राजा-प्रजा - राजा एवं प्रजा
        • राधा-कृष्ण - राधा और कृष्ण
        • शस्त्रास्त्र = शस्त्र और अस्त्र
        • शीतोष्ण = शीत या उष्ण
        • सीता-राम - सीता और राम
        • सुरासुर = सुर या असुर
      बहुब्रीहि समास
      1. बहुब्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नही होता है।
      2. इसमें प्रयुक्त पदों के सामान्य अर्थ की अपेक्षा अन्य अर्थ की प्रधानता रहती है।
      3. इसका विग्रह करने पर ‘वाला’, है, जिसका, जिसकी, जिसके, वह आदि आते है।
        • गजानन = गज का आनन है जिसका वह अर्थात् गणेश
        • गिरिधर = गिरी को धारण करने वाला है जो वह
        • घनश्याम - घन के समान श्याम है जो अर्थात् 'कृष्ण'
        • चतुर्भुज = चार भुजाएँ है जिसकी वह अर्थात् विष्णु
        • त्रिनेत्र = तीन नेत्र है जिसके वह अर्थात् शिव
        • दशानन - दस हैं आनन जिसके अर्थात् 'रावण'
        • निशाचर - निशा में विचरण करने वाला अर्थात् 'राक्षस'
        • नीलकण्ठ - नीला है कण्ठ जिसका अर्थात् 'शिव'
        • पीताम्बर - पीत है अम्बर जिसका अर्थात् 'कृष्ण'
        • महावीर - महान् वीर है जो अर्थात् 'हनुमान'
        • मुरारी = मुर का अरि है जो वह
        • मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाला अर्थात् 'शिव'
        • लम्बोदर - लम्बा है उदर जिसका अर्थात् 'गणेश'
        • षडानन = षट अर्थात् छः, आनन है जिसके वह अर्थात् कार्तिकेय
      कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर
      कर्मधारय में समस्त-पद का एक पद दूसरे का विशेषण होता है। इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है।
      • जैसे - नीलकंठ = नीला कंठ।
      बहुव्रीहि में समस्त पद के दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य का संबंध नहीं होता अपितु वह समस्त पद ही किसी अन्य संज्ञा आदि का विशेषण होता है। इसके साथ ही शब्दार्थ गौण होता है और कोई भिन्न अर्थ ही प्रधान हो जाता है।
      • जैसे - नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका शिव।


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