अधिवक्ता परिषद् उत्तर प्रदेश



ADHIVAKTA PARISHAD

 
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अधिवक्ता परिषद उ. प्र. का विधि के क्षेत्र में, हिंदू समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए उपयोगिता और प्रांसगिकता ! राष्ट्रीय अधिवेशन के परिपेक्ष में..

एक्जिट पोल टीवी के लिए तो अधिवक्ता परिषद सेमिनार के लिए बहुत ही रोमांचक कार्यक्रम बनाते है..

दोनो की खूबी है कि आज तक कोई नही बोला कि उसे कोई एक्जिट पोल वाला मिला और न कि कोई बोलने को तैयार है अधिवक्ता परिषद की कोई निःशुल्क रिलीफ उसे मिली, किन्तु दोनो का कार्यक्रम प्रजेंटेशशन बड़ा ही धाकड़ होता है जिसका वास्तविकता से कोई सरोकार नही होता है..

वास्तविकता यह है कि एक्जिट पोल के 2 दिन बाद आया मुख्य परिणाम एक्जिट पोल और अधिवक्ता परिषद दोनो की पोल खोल देता है और तय कर देता है कि अगले 5 साल अधिवक्ता परिषद की दुकान खुली रहेगी अथवा बंद.

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2015 में अधिवक्ता परिषद हाईकोर्ट यूनिट के कुछ पदाधिकारियों ने बंगलोर अधिवेशन से दूरी बनाए रखी थी...

वे इस असमंजस में थे कि 2017 के विधानसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा...

लखनऊ से व्हाट्सएप पर परिषद की सुखद स्थिति के रुझान आ रहे है, वे सरकारी फसले भी लखनऊ में लहलहा रही है जो बंगलौर में सूखे के डर बोये जाने से बच रही थी..

ये मौकापरस्ती की फसलें हैं, जो मौसम विज्ञान को ध्यान में रख कर बोये जाने या न बोये जाने का डिसीजन लेती है..

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करीब 1 माह से अधिवक्ताओ के मध्य ऐसी खबर है कि सरकारी वकीलों नई लिस्ट नए साल में आने वाली है...

जो अधिवक्ता राष्ट्रीय सेमिनार में प्रतिभाग करेगा उसका चयन अगली सरकारी अधिवक्ताओ वाली लिस्ट में जरूर होगा...

कुछ लखनऊ जाने वाले सरकारी और सरकारी अधिवक्ता उम्मीदवारों से बात से लगा कि जो सरकारी वकील नही जाएगा उसका नाम अगली लिस्ट से कट जाएगा..

कहीं न कहीं कट जाने का डर ने आतंक रूप धर लिए जैसा कि नसीरुद्दीन_शाह को हुआ था. अब डर ही है कि जो कभी भुबनेश्वर और बंगलोर अधिवेशन नही गया वह लखनऊ अर्जी डालने पहुंच रहा है..

अब ये बताओ कि जिसने 2012 में भुबनेश्वर और 2015 में बंगलोर के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रतिभाग किया, उसका घंटा कहीं चयन नही हुआ, तो 2018 में क्या लखनऊ सेलेक्शन कमेटी बैठी है जो चयन करेगी?

किसी न किसी का डर दिखा कर कुछ भी करवा लेने वालों की कमी नही, और कुछ पाने के लिए कुछ न कुछ भी कर डालने वालों की कमी नही, बस जरूरत है वही करने की जो जरूरी है, जिसके लिए आप उपयुक्त हो यही आपका हुनर है...

एक_वकील_का_काम_सिर्फ_और_सिर्फ_वकालत_करना_है, कुछ भी करना नही..

आपको अपने हुनर पर भरोसा हो तो डर के आगे जीत है...


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विद्यार्थियों के लिए हिन्दी में निबंध लेखन की बारीकियां - Essay in Hindi



हिन्दी निबंध कैसे लिखें?
निबंध, नि और बंध शब्द से मिलकर बना है यानी जिसे बांधा ना जा सके वही निबंध है। जब भी स्कूलों में प्रतियोगिताएं या परीक्षा होती है निबंध सबसे पहले आता है। कई बार हमें समझ में नहीं आता है कि निबंध कैसे लिखें? हम जानकारी तो एकत्र कर लेते है मगर उसे कैसे व्यवस्थित रूप से सजाएं यह समझ में नहीं आता है। विषय पर सब कुछ आते हुए भी कई बार बहुत सारी जानकारी लिखने की जल्दबाजी में हम अपनी बात को स्पष्टता से नहीं रख पाते हैं और मेहनत करने के बाद भी हमारा प्रतियोगिता में स्थान नहीं आ पाता है। इन छोटी बातों के कारण परीक्षा में अच्छे नंबर नहीं आ पाते हैं। पर निराश होने की आवश्यकता नहीं हैं, हम आपको बताते हैं कि निबंध कैसे लिखा जाता है और एक अच्छे निबंध लेखन के लिए किन बातों का ख्याल रखा जाना जरूरी है। अधिकतर निबंध लेखन शुरूआत होती है पाँचवीं के बाद। निबंध लेखन को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है; पहला पाँचवीं से आठवीं तक और दूसरा आठवीं से दसवीं तक। तो अगर आप पाँचवीं से लेकर आठवीं तक के विद्यार्थी हैं तो सबसे पहले उन विषयों की सूची बना लें जिन पर आपको निबंध लिखने के लिए आ सकता है। आमतौर पर इस उम्र के विद्यार्थी से अपेक्षा की जाती है कि उसे अपने आसपास की जानकारी हो। वह अपने वातावरण और समाज के प्रति जागरूक हो। उसे अपनी बात कहने का ढंग आता हो। साथ ही वह इधर-उधर का शब्दजाल ना फैलाते हुए सटीक वाक्यों का प्रयोग करना जानता हो। सामान्यतः पांचवीं से लेकर आठवीं तक के बच्चों से ऐसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है जिनसे उनका प्रतिदिन सामना होता हो। या जो उनके सामाजिक जीवन से संबंधित हो। 

कैसे करें निबंध लिखने की तैयारी
सबसे पहले जिस विषय को आपने पसंद किया है उस पर अपने विचारों को दिमाग में लाएं, उस पर खूब सोचें। अपने दोस्तों से उस विषय पर चर्चा करें। चर्चा खुले दिमाग से हो मगर याद रहे कि वह बहस ना बनें। आप उस विषय पर जितना जानते हैं उसे एक कागज पर उतार लें। इसका फायदा यह होगा कि दिमाग में एकत्र जानकारी कागज पर आने से दिमाग में अन्य जानकारी के लिए जगह बनेगी। जैसे किसी कागज पर अगर कुछ लिखा है तो उस पर और अधिक नहीं लिखा जा सकता । कागज जब खाली होगा तभी उस पर लिखने की संभावना होगी। उसी तरह दिमाग को भी नई जानकारी के लिए जगह चाहिए। अगर पहले से वहां कुछ जमा है तो नई जानकारी उसके दर्ज नहीं हो पाएगी। जब आप कागज पर अपने विचार लिख लें तब नई किताबों, अखबारों और इंटरनेट से और अधिक जानकारी एकत्र करें।

सारी जानकारी एकत्र हो जाए तब उसे क्रमवार प्रस्तुत करना जरूरी है। जानकारी होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है जानकारी की आकर्षक प्रस्तुति। किसी बात को कहने का सुंदर अंदाज ही आपको सबसे अलग और खास बनाता है। निबंध का एक स्वरूप, ढांचा या सरल शब्दों में कहें तो खाका तैयार करें। सबसे पहले क्या आएगा, उसके बाद और बीच में क्या आएगा और निबंध का अंत कैसे होगा।

निबंध के लिए विषय को चार प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है। सबसे पहले विषय परिचय, जिसे भूमिका या प्रस्तावना कहा जाता है। उसके बाद विषय विस्तार या विषय का विकास, महत्व, विषय से संबंधित आवश्यक पहलू, आंकड़े, सूचना आदि इसमें शामिल होंगे। उसके पक्ष और विपक्ष में विचार, ‍निबंध के केन्द्र में कोई वस्तु है तो उपयोगिता, लाभ-हानि, फायदे-नुकसान आदि लिखे जा सकते हैं।

अगर निबंध किसी महापुरुष पर लिखा जा रहा है उनके बचपन, स्वभाव, महान कार्य, देश व समाज को योगदान, उनके विचार, प्रासंगिकता और अंत में उनके प्रति आपके विचार दिए जा सकते हैं। निबंध के अंत को निष्कर्ष या उपसंहार कहते हैं। यहां आकर आप विषय को इस तरह समेटते हैं कि वह संपूर्ण लगे। कहते हैं 'फर्स्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन'। पहली बार जो प्रभाव पड़ता है वह आखिर तक रहता है। आपको निबंध लिखना है तो महापुरुषों के अनमोल वचन से लेकर कविताएं, शेरो-शायरी, सूक्तियां, चुटकुले, प्रेरक प्रसंग, नवीनतम आंकड़े कंठस्थ होने चाहिए। अपनी बात को कहने का आकर्षक अंदाज अकसर परीक्षक या निर्णायक को लुभाता है। विषय से संबंधित सारगर्भित कहावतों या मुहावरों से भी निबंध का आरंभ किया जा सकता है। विषय को क्रमवार विस्तार देने में ना तो जल्दबाजी करें ना ही देर। निबंध के हर भाग में पर्याप्त जानकारी दें। हर अगला पैरा एक नई जानकारी लेकर आएगा तो पढ़ने वाले की उसमें दिलचस्पी बनी रहेगी।

अनावश्यक विस्तार जहां पढ़ने वाले को चिढ़ा सकता है वहीं अति संक्षेप आपकी अल्प जानकारी का संदेश देगा। अतः शब्द सीमा का विशेष ध्यान रखें। दी गई शब्द सीमा को तोड़ना भी निबंध लेखन की दृष्टि से गलत है। अगर शब्द सीमा ना दी गई हो तो हर प्वाइंट में 40 से 60 शब्दों तक अपनी बात कह देनी चाहिए। अंत भला तो सब भला: जिस तरह आरंभ महत्वपूर्ण है उसी तरह अंत में कहीं गई कोई चुटीली या रोचक बात का भी खासा असर होता है। विषय से संबंधित शायरी या कविता हो तो क्या बात है। अंत यानी निष्कर्ष/उपसंहार में प्रभावशाली बात कहना अनिवार्य है। सारे निबंध का सार उसमें आ जाना चाहिए।

पांचवी कक्षा तक के लिए निबंध के विषय

  1. 26 जनवरी/ गणतंत्र दिवस
  2. महात्मा गांधी
  3. 15 अगस्त/ स्वाधीनता दिवस
  4. आदर्श छात्र
  5. गाय
  6. मेरा कंप्यूटर
  7. मेरा देश महान
  8. मेरा परिवार
  9. मेरा प्रिय खेल
  10. मेरा प्रिय दोस्त
  11. मेरा प्रिय विषय
  12. मेरा यादगार सफर
  13. मेरा विद्यालय
  14. मेरी दिनचर्या
  15. मेरी प्रिय पुस्तक
  16. मेरी प्रिय फिल्म
  17. मेरी यात्रा
  18. मेरे प्रिय शिक्षक
  19. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
  20. राष्ट्रीय पशु-पक्षी/ प्रतीक चिन्ह
  21. विज्ञान के चमत्कार
  22. समाचार पत्र
  23. हमारा पर्यावरण
  24. हमारे त्योहार -दीपावली/ होली/ दशहरा/ राखी/ बैसाखी/
  25. हिन्दी हमारी राजभाषा

आठवीं कक्षा 8 तक के निबंध के विषय
आठवीं से लेकर दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे देश, विश्व और सम-सामयिक विषयों पर थोड़ा गंभीर किस्म के निबंध लिख सकें। मूलत: इस आयु में चरित्र निर्माण होता है और यही इस आयु के विद्यार्थियों के लेखन में दिखाई देना चाहिए। आठवीं कक्षा के निबंध के विषय: -

  1. अन्ना हजारे
  2. इंटरनेट के फायदे और नुकसान
  3. ग्लोबल वॉर्मिंग जल बचाएं, कल बचाएं
  4. जनसंख्या वृद्धि
  5. तकनीकी प्रगति और भारत
  6. नशाखोरी और देश का युवा
  7. बढ़ते टीवी चैनल्स और हम
  8. भारतीय युवा और जिम्मेदारी
  9. भारतीय युवा और महत्वाकांक्षा
  10. भारतीय राजनीति और भ्रष्टाचार
  11. भ्रष्टाचारमुक्त भारत का सपना
  12. मेरे सपनों का भारत
  13. मोबाइल के फायदे और नुकसान
  14. समाचार पत्र और उनकी जिम्मेदारी


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