अश्‍वगंधा के रामबाण औषधीय उपयोग



अश्वगंधा आयुर्वेदिक औषधि है और कई लाइलाज बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखती है। अश्वगंधा का प्रयोग कई बीमारियों में दवा के रूप में किया जाता है। अश्वगंधा दवा, चूर्ण, कैप्सूल और टेबलेट के रूप में बाजार में मिल जाती है। यह शरीर की बहुत सारी परेशानियों को दूर करने के लिए चमत्कारी औषधि के रुप में काम करती है और यह दिमाग और मन को भी स्वस्थ रखती है। पुरुषत्व बढ़ाने में भी अश्वगंधा का काफी महत्व है। अश्वगंधा कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में भी बहुत कारगर है। इसका उपयोग एक सीमा तक करने पर ही यह फायदेमंद है किन्‍तु एक सीमा से ज्यादा इसका इस्तेमाल किया जाए तो यह नुकसानदायक भी हो सकती है।
अश्वगंधा का सेवन दे शरीर को ताकत और बनाए जवानAshwagandha Benefits in Hindi

अश्वगंधा एक बलवर्धक रसायन मानी गयी है। इसे पुरातन काल से ही आयुर्वेदाचायों ने वीर्यवर्धक, शरीर में ओज और कांति लाने वाला, परम पौष्टिक व सर्वांग शक्ति देने वाली, क्षय रोगनाशक, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने वाली एवं वृद्धावस्था को लम्बे समय तक दूर रखने वाली सर्वोत्तम औषधि माना है। यह वायु एवं कफ के विकारों को नाश करने वाली अर्थात खांसी, श्वास, खुजली, व्रण, आमवात आदि नाशक है।
अश्वगंधा पौधे के पत्ते और इसकी जड़ो को उबाल कर चाय बनाई जाती है जो की स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। अश्वगंधा पौधे के पत्ते त्वचा पर होने वाले रोगों से बचाता है। अश्वगंधा के पत्ते शरीर के पर हुए सुजन को कम करता है। अश्वगंधा के पत्ते शरीर पर हुए घाव व किसी प्रकार के जख्म को जल्दी भर कर ठीक कर देते है। अश्वगंधा के चूर्ण को किसी भी तेल में मिला कर शरीर के पर लगाने से चर्म रोग नहीं होता है।
अश्वगंधा सिरदर्द और माइग्रेन जैसी बीमारीयां भी नहीं होने देता है, अश्वगंधा के पाउडर को तेल में मिला कर शरीर पर लगाने से त्वचा में निखार आता है और इससे रुकी हुई ग्रोथ भी बढ़ जाती है और इसके सेवन से हड्डिया भी मजबूत होती है। यह लंबाई बढ़ाने में भी मदद करता है, इसके सेवन कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है यह मन को शांत रखता है। अश्वगंधा को पाए जाने वाले मिनरल्स और विटामिन से हमें तनाव से मुक्त होने में मदद मिलती है। इससे हॉर्मोंस निकलते है जिससे हमें तनाव से मुक्ति मिलती है। अश्वगंधा खाने पर 69% नींद न आने की समस्या और तनाव पर रहने की समस्या दूर हो जाती है।
अश्वगंधा के चमत्कारिक फायदे- Ashwagandha Benefits in Hindi
  • अनिद्रा दूर भगाता है : जो लोग नींद न आने की बीमारी से ग्रसित है उन्हें अश्वगंधा के चूर्ण को खीर में डालकर खाना चाहिए। ये नींद की दवा की तरह काम करती है।
  • आंखों की रोशनी : अश्वगंधा का इस्तेमाल आपकी आंखों की रोशनी को बढ़ाने का काम करता है। रोज दूध के साथ लेने से आंखों के अलावा स्ट्रेस से भी बचा जा सकता है और अश्वगंधा, मुलहठी और आंवले को मिलाकर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
  • इम्युन सिस्टम : अश्वगंधा में मौजूद ऑक्सीडेंट आपके इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है। जो आपको सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों से लडने की शक्ति प्रदान करता है। अश्वगंधा वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स दोनों को बढ़ाने का काम करता है। जो कई गंभीर शारीरिक समस्याओं में लाभदायक है।
  • कैंसर : कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में बहुत असरकारी है अश्वगंधा का इस्तेमाल। कई रिसर्च में यह बताया गया है कि अश्वगंधा कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है और कैंसर के नए सेल्स नहीं बनने देता। यह शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज का निर्माण करता है। जो कैंसर सेल्स को खत्म करने और कीमोथेरपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स से भी बचाने का काम करता है।
  • खांसी और दमा में कारगर : अश्वगंधा का चूर्ण गर्म दूध के साथ लेने पर खांसी और दमे की बीमारी में बहुत आराम मिलता है।
  • मधुमेह घटाता है : अश्वगंधा का सेवन शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम कर मधुमेह को नियंत्रण में रखता है। ये कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी कम करता है।
  • तनाव दूर करता है : आजकल ज्यादातर लोग डिप्रेशन और तनाव के शिकार होते हैं ऐसे में अश्वगंधा मानसिक तनाव जैसी गंभीर समस्या को ठीक करने में लाभदायक है। अश्वगंधा शारीरिक और मानसिक दोनों तनावों को दूर करता है। इसका चूर्ण भोजन के साथ खाने से मन शांत होता है और तनाव दूर होता है। एक रिर्पोट के अनुसार तनाव को 70 फिसदी तक अश्वगंधा के इस्तेमाल से कम किया जा सकता है।
  • पुरुषत्व बढ़ाता है : अश्वगंधा पुरुषों में नपुंसकता को दूर करने में बहुत फायदेमंद है। यह पुरुषत्व को बढ़ाने में रामबाण की तरह काम करता है। दूध या पानी के साथ इसका चूर्ण लेने से पुरुषों की यौन क्षमता बढ़ती है। साथ ही शरीर को एक अलग एनर्जी भी देता है।
  • पेट की समस्याओं को करे दूर : अश्वगंधा पेट की समस्याओं को दूर करता है। मिश्री और हल्के गर्म पानी के साथ इस चूर्ण का सेवन करने से गैस की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
  • सफेद पानी (लिकोरिया) : महिलाओं में सफेद पानी की वजह से उनका शरीर कमजोर होने लगता है। जिसका असर उनके गर्भाशय में भी पडता है। लेकिन अश्वगंधा के सेवन से महिलाओं को इस रोग से निजात मिल सकती है।
  • हाई ब्लड प्रेशर में राहत : अश्वगंधा का नियमित सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर में कमी होती है। रक्तचाप नॉर्मल रहता है। अश्वगंधा के चूर्ण को दूध घोल करके पीने रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।
  • याददाश्त वर्धक : अश्वगंधा को सुबह शाम लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और याददाश्त भी बहुत ही तेज हो जाती है।
  • यौन शक्ति वर्धक : अश्वगंधा का सेवन करने से प्रजनन में इजाफा होता है। इससे स्पर्म काउंट बढ़ता है और वीर्य भी अच्छी मात्रा में बनता है, अश्वगंधा, शरीर को जोश देता है जिससे पूरे शरीर में आलस्य नहीं रहता है और सेक्स करते समय थकान भी नहीं आती है। जिन लोगों को सेक्स के दौरान थकान होने लगती है, उन्हें अश्वगंधा के सेवन से काफी लाभ मिलता है। अश्वगंधा में जवानी को बरकरार रखने की काफी शक्ति होती है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
 Ashwagandha Side Effects in Hindi
अश्वगंधा से होने वाले नुकसान- Ashwagandha Side Effects in Hindi
  • अश्वगंधा का अधिक इस्तेमाल पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। इसको लेने से डायरिया की समस्या हो सकती है। इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले आप डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही इसका सेवन करें।
  • अश्वगंधा का इस्तेमाल नींद के लिए अच्छा है। लेकिन इसका बहुत दिनों तक इस्तेमाल आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।
  • अश्वगंधा का ज्यादा प्रयोग आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। अश्वगंधा के ज्यादा इस्तेमाल से आपको बुखार, थकान, दर्द की शिकायत भी हो सकती है।
  • अश्वगंधा का सही डोज़ न लेने से आपको उलटी और जी मिचलाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • बल्ड प्रेशर से ग्रस्त लोगों को अश्वगंधा डॉक्टर के परामर्श से ही लेना चाहिए। जिनका बीपी लो होता है उन्हें अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।





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सरकारी कर्मचारी का किसी पार्टी को सर्मथन से जा सकती है नौकरी



चुनाव आचार संहिता लगी हो अथवा नहीं, किसी सरकारी कर्मचारी का चाहे वह राज्य केंद्र सरकार के अन्‍तर्गत हो या राज्‍य सरकार के, उसका किसी भी दल विशेष के प्रति शोसल मिडिया या कहीं अन्‍यत्र जहां साक्ष्‍यों मे दर्ज होना सुनिश्चित हो, आकर्षण रखना उसके नियुक्ति नियमों के विपरीत है।

हम किसी दल के समर्थक है तो हम बिना सुबूत छोडे भी काम कर सकते है किन्‍तु साक्ष्‍यों के साथ समर्थन सेवा बर्खास्‍तगी का आधार हो सकता है। आपकी यह दलील की यह पोस्‍ट मैने नही की अथवा मेरे अनुपस्थिति मे किसी ने किया है तो यह दलील आपको राहत नही देगी। साक्ष्‍यों के प्रकटीकरण के बाद यह जांच और ट्रायल का विषय है, कि अपराध किसने किया है।

चूकि आपके नाम, नम्‍बर, मोबाइल और कम्पूटर से घटित घटना के लिये प्रथम दृष्टया आप ही दोषी माने जायेगे और आपको कोई रिलीफ नही मिलेगी। मोदी या किसी अन्‍य का समर्थन जरूर करें किन्‍तु बिना साक्ष्‍य छोड़े बिना अन्‍यथा आपका कोई धुर विरोधी आप आपकी सेवा को खतरे मे डाल सकता है। अपने और अपने परिवार के भविष्य को खतरें में न डालें।


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भारत के संविधान का भाग 2 के अंतर्गत अनुच्‍छेद 5, 6, 7, 8, 9, 10 और 11



Article 5, 6, 7, 8, 9, 10 and 11 under Part 2 of the Constitution of India

  • भारत के संविधान का अनुच्‍छेद 5संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता--इस संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास है और—
    • (क) जो भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
    • (ख) जिसके माता या पिता में से कोई भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
    • (ग) जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम पाँच वर्ष तक भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है, भारत का नागरिक होगा।
  • भारत के संविधान का अनुच्‍छेद 6
    पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार--अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हए भी, कोई व्यक्ति जिसने ऐसे राज्यक्षेत्र से जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, भारत के राज्यक्षेत्र को प्रव्रजन किया है, इस संविधान के प्रारंभ पर भारत का नागरिक समझा जाएगा--
    • (क) यदि वह अथवा उसके माता या पिता में से कोई अथवा उसके पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था; और
    • (ख) (i) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 से पहले इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह अपने प्रव्रजन की तारीख से भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है; या
      (ii) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 को या उसके पश्चात्‌ इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीति से उसके द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले ऐसे अधिकारी को, जिसे उस सरकार ने इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया है, आवेदन किए जाने पर उस अधिकारी द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है :
      परंतु यदि कोई व्यक्ति अपने आवेदन की तारीख से ठीक पहले कम से कम छह मास भारत के राज्यक्षेत्र में निवासी नहीं रहा है तो वह इस प्रकार रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा।
  • भारत के संविधान का अनुच्‍छेद 7पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार--अनुच्छेद 5 और अनुच्छेद 6 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जिसने 1 मार्च, 1947 के पश्चात्‌ भारत के राज्यक्षेत्र से ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन किया है, भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा :
    परंतु इस अनुच्छेद की कोई बात ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन करने के पश्चात्‌ भारत के राज्यक्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के अधीन लौट आया है जो पुनर्वास के लिए या स्थायी रूप से लौटने के लिए किसी विधि के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन दी गई है और प्रत्येक ऐसे व्यक्ति के बारे में अनुच्छेद 6 के खंड (ख) के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि उसने भारत के राज्यक्षेत्र को 19 जुलाई, 1948 के पश्चात्‌ प्रव्रजन किया है।
  • भारत के संविधान का अनुच्‍छेद 8
    भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्‌भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार--अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो या जिसके माता या पिता में से कोई अथवा पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था और जो इस प्रकार परिभाषित भारत के बाहर किसी देश में मामूली तौर से निवास कर रहा है, भारत का नागरिक समझा जाएगा, यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा या भारत सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीति से अपने द्वारा उस देश में, जहाँ वह तत्समय निवास कर रहा है, भारत के राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि को इस संविधान के प्रारंभ से पहले या उसके पश्चात्‌ आवेदन किए जाने पर ऐसे राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है।
  • भारत के संविधान का अनुच्‍छेद 9
    विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना--यदि किसी व्यक्ति ने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है तो वह अनुच्छेद 5 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा अथवा अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा।
  • भारत के संविधान का अनुच्‍छेद 10
    नागरिकता के अधिकारों का बना रहना--प्रत्येक व्यक्ति, जो इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में से किसी के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जाता है, ऐसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए,  जो संसद द्वारा बनाई जाए, भारत का नागरिक बना रहेगा।
  • भारत के संविधान का अनुच्‍छेद 11
    संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना--इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों की कोई बात नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति का अल्पीकरण नहीं करेगी।


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