स्वप्नदोष अथवा नाइट फॉल जिससे सबसे अधिक परेशान हैं भारतीय पुरुष



स्वप्नदोष / नाइट फॉल क्यों होता है?
परिचय : बिना संतुष्टि के संभोग करते हुए अगर वीर्य स्खलन हो जाये तो उसे शीघ्र पतन कहा जाता है।


अपने नाम के विपरीत स्वप्नदोष कोई दोष न होकर एक स्वाभाविक दैहिक क्रिया है जिसके अंतर्गत एक पुरुष को नींद के दौरान वीर्यपात (स्खलन) हो जाता है। यह महिने में अगर 1 या 2 बार ही हो तो सामान्य बात कही जा सकती है।और यह कहा जा सकता है कि कोई रोग नहीं है किन्तु यदि यह इससे ज्यादा बार होता है तो वीर्य की या शुक्र की हानि होती है और व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी का अहसास होता है। क्योंकि यह शुक्र भी रक्त कणों से पैदा होता है। अतः अत्यधिक शुक्र क्षय व्यक्ति को कमजोर कर देता हैं। स्वप्नदोष, किशोरावस्था और शुरुआती वयस्क वर्षों में के दौरान होने वाली एक सामान्य घटना है, लेकिन यह उत्सर्जन यौवन के बाद किसी भी समय हो सकता है। आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक पुरुष स्वप्नदोष को अनुभव करे, जहां अधिकांश पुरुष इसे अनुभव करते हैं वहीं कुछ पूर्ण रूप से स्वस्थ और सामान्य पुरुष भी इसका अनुभव नहीं करते। स्वप्नदोष के दौरान पुरुषों को कामोद्दीपक सपने आ सकते हैं और यह स्तंभन के बिना भी हो सकता है। अधिकतर पुरुषों को सुबह उठने के बाद अपने अंडरवियर या पैजामे में गीला और चिपचिपा पदार्थ देखने को मिलता है जो कि मूत्र नहीं होता। यह मूत्र से गाढ़ा होता है। पहली बार इसे देखकर आप आश्चर्यचकित हो जाते हैं, क्योंकि कभी-कभी इसके कारण बिस्तर भी गीला हो जाता है जिस कारण आप शर्मिंदगी भी महसूस करते हैं। वास्तव में ऐसा कामुक सपने देखने के कारण होता है इसीलिए इसे स्वप्नदोष कहा जाता है। स्वप्नदोष अधिकतर रात में आते हैं, इसी कारण इन्हें नाईट फॉल (Nightfall) भी कहते हैं। यह सोते समय ही होता है। स्वप्नदोष एक आम घटना है जो पुरुषों के जीवनकाल में कई बार होती है।

सोते समय लिंग से वीर्य मुक्त होने की क्रिया को स्वप्नदोष कहते हैं। इसमें लिंग से वीर्य मुक्त होता है। सामान्य रूप से यह सेक्स के सपने देखने के कारण होता है। हालांकि जागने के बाद कई बार वे सपने याद नहीं रहते हैं। स्वप्नदोष के दौरान आप अपने लिंग का स्पर्श तक नहीं करते जिस कारण उत्तेजना का अनुभव हो और यह हस्तमैथुन (Masturbation) से बहुत भिन्न है। यह सारी करामात आपके मस्तिष्क की होती है और क्योंकि आप सपने में होते हैं इसलिए इस दौरान यह पहचानना थोड़ा कठिन होता है कि आप सेक्स की वास्तविक स्थिति में हैं या काल्पनिक। स्वप्नदोष अकस्मात् होने वाले उत्सर्जन होते हैं क्योंकि इनपर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है। कभी-कभी यह लंबे समय से संभोग न करने के फलस्वरूप भी होता है। सामान्यतः यह उन नौजवानों में अधिक देखने को मिलता है जो अभी यौन संबंधों में संलग्न नहीं हुए हैं। पुरुषों में स्वप्नदोष किशोरावस्था की शुरुआत के बाद जीवन पर्यन्त होता है।

स्वप्नदोष के स्पष्ट कारण अभी तक अज्ञात हैं। अध्ययनों के अनुसार, जब पुरुष किशोरावस्था में आते हैं उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) का उत्पादन होने लगता है। आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के बनने का मतलब है कि अब शरीर स्पर्म मुक्त कर सकता है। जिसका अर्थ यह है कि आप बच्चे पैदा करने के योग्य हो गए हैं। अगर आप किसी महिला से असुरक्षित यौन सम्बन्ध स्थापित करेंगे तो वो गर्भवती हो सकती है। यौवन के दौरान, जब आपके शरीर में वीर्य बन जाता है तब उसके मुक्त होने का स्वप्नदोष ही एकमात्र ज़रिया होता है।


स्वप्नदोष / नाइट फॉल के नुकसान
ऐसा कहा जाता है कि स्वप्नदोष / नाइट फॉल के कारण पुरुषों की आंख के नीचे काले घेरे बनने लगते हैं। इसके अधिक होने से कमजोरी, तनाव आदि की समस्या बनने लगती है। खासकर, शादी के बाद के जीवन के बारे में सोचकर पुरुष परेशान होने लगते हैं। क्योंकि उनको लगता है कि इससे उनकी सेक्स लाइफ बोरिंग हो सकती है। इतना ही नहीं डॉक्टर बताते हैं कि स्वप्नदोष अधिक होने के कारण शीघ्रपतन, नंपुसकता जैसी समस्या जन्म ले सकती है। इसलिए अगर यह ज्यादा हो रहा है तो इसका इलाज तुरंत करा लेना चाहिए।

स्वप्नदोष से कैसे बचें?
अगर आप हेल्दी सेक्स लाइफ जीना चाहते हैं तो आपको अपनी लाइफस्टाइल बदलनी होगी। तब जाकर आप स्वप्नदोष या किसी अन्य प्रकार की सेक्स संबंधित बीमारी / समस्या से बच सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित बातों को फॉलो करें- 1. हर दिन कसरत करने की आदत डालें, 2. हेल्दी फूड्स खाएं, 3. सोने से पहले इंटीमेट करने वाली चीजों को न देखें और न बात करें, 4. कभी भी नाइट ड्रेस लूज ही पहने, 5. रात्रि पोशाक को साफ रखें, 6. पोर्न की लत न लगाएं और 7. रात में अश्लील कहानियां न पढ़ें

स्वप्नदोष का इलाज
स्वप्नदोष कोई चिंताजनक विषय नहीं है। लेकिन इन्हें रोकने या नियंत्रित करने का कोई चिकित्सीय इलाज भी नहीं है। अगर एक बार हस्तमैथुन या यौन संबंध स्थापित करके आप अपना स्पर्म निकाल चुके हैं तो आपमें स्वप्नदोष की प्रक्रिया कम हो जाती है। अगर आपको पिछली रात स्वप्नदोष हुआ है तो सुबह उठकर खुद को अच्छी तरह से साफ़ कर लीजिये। सफाई का सबसे बेहतर तरीका है कि आप नहा लीजिये नहीं तो अपने लिंग और वृषण (Testes) को अच्छी तरह से साबुन की सहायता से साफ़ कर लीजिये। अगर आपको स्वप्नदोष के बारे में शर्मिंदगी या असहजता महसूस होती है या आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो डॉक्टर, अभिभावक, परामर्शदाता, या किसी अन्य वयस्क जिससे आप खुलकर बात कर सकें उससे इस बारे में पूरी जानकारी लें। इसके अलावा जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि स्वप्नदोष का कोई चिकित्सीय इलाज नहीं है, लेकिन आप इसे कुछ बेहतरीन घरेलू उपायों से रोक सकते हैं। नीचे बताये गये बस उन उपायों को रोज दोहराइए और स्वप्नदोष की समस्या से छुटकारा पाइए।

कारण : अश्लील वातावरण में रहना, मस्तिष्क की कमजोरी और हर समय सहवास की कल्पना में खोये रहना यह शीघ्रपतन का कारण बनती है। ज्यादा गर्म मिर्च मसालों व अम्ल रसों से खाद्य पदार्थों का सेवन करने, शराब पीने, चाय-कॉफी का ज्यादा पीना और अश्लील फिल्म देखने वाले, अश्लील पुस्तकें पढ़ने वाले शीघ्रपतन से पीड़ित रहते हैं।

लक्षण: वीर्य का पतलापन, सहवास के समय स्तंभन (सहवास) शक्ति का अभाव अथवा शीघ्रपतन हो जाना वीर्य का जल्दी निकल जाना।

विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार
  • अजवाइन: खुरासानी अजवायन के साथ लगभग आधे ग्राम कपूर की गोली मिलाकर रात को सोने से पहले खाने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
  • अमरबेल : अमरबेल का रस मिश्री मिलाकर पीने से स्वप्नदोष में फायदा होता है।
  • असगंध : असगंध, विदारीकंद 25-25 ग्राम कूटकर छान लें और 50 ग्राम खांड मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी से सेवन करने से स्वप्नदोष में आराम मिलता है।
  • असगंध नागौरी : असगंध नागौरी का चूर्ण 1 चम्मच और 3 काली मिर्च के चूर्ण को मिलाकर रोज रात को सोते समय खाने से शीघ्रपतन और वीर्य सम्बन्धी सारे रोग दूर होते हैं।
  • असरोल : असरोल, धनियां 10-10 ग्राम पीसकर 1 ग्राम सोते समय रात को पानी के साथ सेवन करें।
  • आंवला: आंवले का चूर्ण 6 ग्राम और मिश्री का चूर्ण 6 ग्राम मिलाकर रोज खाने से कुछ हफ्ते में स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • उड़द : अंकुरित उड़द की दाल में मिश्री या शक्कर को डालकर कम से कम 58 ग्राम की मात्रा में रोज खाने से शीघ्रपतन दूर होता है। उड़द के बेसन को घी में हल्का भूनकर रख लें। लगभग 50 ग्राम रोज मिश्री मिले दूध को उबालकर रोज रात में सेवन करने से वीर्य और नपुंसकता (नामर्दी) से सम्बन्धी रोग दूर हो जाते हैं।
  • कतीरा गोंद : कतीरा गोंद 1 से 2 चम्मच चूर्ण रात में सोते समय पानी में भिगो दें। सवेरे मिश्री या शक्कर को मिलाकर शरबत की तरह रोज घोंटकर खाने से वीर्य की मात्रा, गढ़ा पन और स्तम्भन शक्ति की वृद्धि होती है।
  • कपूर: लगभग एक ग्राम के चौथे भाग कपूर की गोली खुरासानी अजवायन के साथ सोने से पहले रोज रात में खाने से स्वप्नदोष में जरूर लाभ होगा। लगभग एक ग्राम का चौथा भाग कपूर और एक चम्मच चीनी दोनों पीसकर रोज सोते हुए फंकी लेने से स्वप्नदोष होना बन्द हो जाता है।
  • काले तिल : काले तिल 50 ग्राम अजवायन 25 ग्राम पीसकर इसमें 75 ग्राम खांड को मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
  • कुलिंजन : लगभग डेढ़ ग्राम कुलिंजन का चूर्ण 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटें, ऊपर से गाय के दूध में शहद मिलाकर पी लें इससे शीघ्रपतन नहीं होता है।
  • केला : रोज 2 केले काटकर थोड़ा सा शहद मिलाकर खाने से स्वप्नदोष में लाभ मिलता है। 2 केले खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पिएं यह 3 महीने तक करते रहने से शीघ्रपतन में लाभ होगा।
  • कौंच : 1. कौंच के बीजों की गिरी का चूर्ण और खसखस के बीजों का चूर्ण 4 या 6 ग्राम लेकर चूर्ण को फांट या घोल के रूप में सेवन करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है। 2. कौंच के बीज का चूर्ण, तालमखाना और मिश्री, तीनों बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम चूर्ण खाकर, ऊपर से 'दूध' पीना शीघ्रपतन में लाभदायक होता है। 3. कौंच की जड़ लगभग 1 अंगुल लम्बी मुंह में दबाकर सहवास करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।
  • खादिर ( कत्था) : खादिर ( कत्था) सार 1 ग्राम, ठंड़े पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • गिलोय : 1. गिलोय का चूर्ण और वंशलोचन को बराबर मिला-पीसकर 2 ग्राम के रूप में खाने से शीघ्रपतन नहीं होता है। 2. गिलोय, गोक्षुर और आंवला तीनों को बराबर मात्रा में कूट पीसकर 1 चम्मच चूर्ण को खाकर पानी को पीने से स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • गुलकंद :  गुलकंद 5-10 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के साथ खाने से लाभ मिलता है।
  • गुलाब : गुलाब के फूल और छोटी दूधी का चूर्ण बराबर मिश्री मिलाकर पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष के दोष को खत्म करता है। गुलाब के 4-5 फूल तोड़कर उन्हें साफ पानी से धोयें और पंखुड़ियां अलग करके उनमें उतनी ही मिश्री का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम खाकर और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें। इसका प्रयोग कुछ दिनों तक कर सकते हैं। गुलाब का शर्बत पीने से भी स्वप्नदोष पर लाभ मिलता है।
  • गोक्षुर : गोक्षुर, आंवला और हरड़ का चूर्ण मिश्री के साथ खाने से स्वप्नदोष का रोग दूर होता है।
  • चोपचीनी : चोपचीनी का पिसा हुआ चूर्ण 10 ग्राम, मिश्री 10 ग्राम और घी 10 ग्राम मिलाकर 7 दिनों तक खाने से स्वप्नदोष खत्म होता है।
  • छोटी माई : छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है।
  • जामुन : 4 जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष ठीक हो जाता है। जामुन की गुठलियों का चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण रोज सुबह-शाम पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष की बीमारी दूर होती है।
  • तुलसी : तुलसी के बीज को सुबह-शाम पानी से लाभ होता है। ध्यान रहें कि रात को गरम दूध न पीयें। तुलसी की जड़ का काढ़ा 4-5 चम्मच की मात्रा में सोने से पहले नियमित रूप से कुछ हफ्ते तक पीना चाहिए। इससे स्वप्नदोष से छुटकारा मिल जाता है।
  • त्रिफला : त्रिफले का चूर्ण और शहद दोनों को मिलाकर खाने से स्वप्नदोष में बहुत लाभ होता है। त्रिफला का चूर्ण 4-6 ग्राम की मात्रा में रात को सोने से पहले दूध के साथ खाने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है। त्रिफला 12 ग्राम, गुड़ 24 ग्राम, वच और भीमसेनी कर्पूर 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर सबको पानी के साथ मिलाकर छोटी-छोटी एक समान गोली बना लें, 1 से 2 गोलियों को सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष व शीघ्रपतन दूर हो जायेगा।
  • धनिया : 1. 2 ग्राम धनिये को पीसकर उसमें 3 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर कुछ दिनों तक पानी के साथ पीने से स्वप्नदोष का रोग खत्म होता है। 2. सूखे धनिये तथा मिश्री को बराबर मात्रा में कूटकर चूर्ण बना लें और किसी ढक्कनदार बर्तन में भरकर रख दें। इस चूर्ण में से 5-6 ग्राम के लगभग, ताजा जल के साथ सुबह-शाम कुछ दिनों तक लेने से अनैच्छिक वीर्यपात, स्वप्नदोष आदि विकारों से मुक्ति मिल जाती है। 3. सूखा धनिया कूट, पीसकर छान लें। इसमें बराबर मात्रा में पिसी हुई चीनी मिला लें। सुबह खाली पेट बासी पानी से 1 चम्मच की फंकी लें और 1 घंटे तक कुछ न खायें, पीयें। 4. इसी तरह 1-1 खुराक शाम को 5 बजे सुबह के पानी के साथ लें। अगर कब्ज हो तो रात को सोने के समय 2 चम्मच ईसबगोल की भूसी गरम दूध से लें। इससे स्वप्नदोष की बीमारी दूर हो जाती है। 5. धनिया, नीलोफर, कुर्फा के बीज, काहू के बीज, कासनी के बीज और शीतलचीनी 20-20 ग्राम, अलसी के दाने 100 ग्राम और ईसबगोल 25 ग्राम की मात्रा में सबको कूट कर छान लें। फिर इस चूर्ण से 2-3 ग्राम की मात्रा में लेकर बराबर भाग में मिश्री को मिलाकर पानी के साथ सुबह-शाम लें।
  • नकछिकनी : नकछिकनी, सौंठ, बायबिण्डग 10-10 ग्राम कूट छानकर उसमें 30 ग्राम खांड़ को मिलाकर 5 ग्राम की मात्रा को खुराक के रूप में सुबह खाली पेट कच्चे दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
  • पिंड खजूर : पिंड खजूर के 5 फल रोज खाएं और ऊपर से मिश्री मिला दूध कम से कम 250 मिलीलीटर रोज पियें तो इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
  • पीपलामूल: पीपलामूल 30 ग्राम और गुड़ 40 ग्राम को मिलाकर 1-1 ग्राम की गोली बनाकर सेवन करने से स्वप्नदोष नहीं होता है और नींद अच्छी आती है। पीपल पीपल के पेड़ का फल, जड़, छाल और कोंपल को पीसकर दूध में अच्छी तरह उबालकर गर्म-गर्म शहद और चीनी मिलाकर सुबह-शाम खाने से लाभ होता है।
  • प्याज : 10 मिलीलीटर सफेद प्याज का रस, 8 मिलीलीटर अदरक का रस, शहद 5 ग्राम और घी 3 ग्राम मिलाकर रात को सोने से पहले पिलाने से स्वप्नदोष नहीं होता है।
  • फिटकरी : फिटकरी की 50 ग्राम चिकनी-सी डली रात में सोने से पहले पेड़ यानी नाभि पर रख लें इससे रात में स्वप्नदोष नहीं होगा।
  • बड़ी गोखरू : बड़ी गोखरू की फांट या घोल को सुबह-शाम प्रयोग करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है। बड़ी गोखरू के फल का 25 ग्राम चूर्ण 250 मिलीलीटर उबलते पानी में डालकर छोड़ दें। 1 घंटे बाद छान लें। इसमें से थोड़ा-सा बार-बार पिलाने से स्वप्नदोष दूर होता है। शक्कर और घी बड़ी गोखरू के साथ खाएं और ऊपर से दूध पी लें इससे भी स्वप्नदोष में लाभ होता है।
  • बबूल : बबूल की गोंद 10 ग्राम मात्रा में रात को 100 मिलीलीटर पानी में डालकर रख दें। सुबह उठने पर गोंद को थोड़ा-सा मसल कर पानी में छानकर मिश्री मिलाकर पीने से स्वप्नदोष में बहुत लाभ होता है। बबूल की फली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम चीनी में मिलाकर सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
  • बरगद : 1. बरगद के दूध की 20 से 30 बूंदे बतासे या चीनी पर डालकर रोज सवेरे खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर होती है। 2. 3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोपलें, 3 ग्राम गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री सिल पर पीसकर लुगदी बना लें, इसे खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पिएं, इसे 40 दिन तक खाने से लाभ मिलता है। 3. बरगद के कच्चे फलों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लेने से स्वप्नदोष और शीघ्रपतन मिट जाता है। 4. सूर्योदय से पहले बरगद के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन (वीर्य का जल्दी निकल जाना), बलवीर्य वृद्धि के लिए, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह (वीर्य दोष) और खूनी बवासीर आदि सभी रोग ठीक हो जाता है।
  • बहुफली : बहुफली 50 ग्राम पीसकर 5 ग्राम सुबह पानी से प्रयोग करें।
  • बादाम : बादाम के एक बीज की गिरी, 3 ग्राम मिश्री, 3 ग्राम घी और 3 ग्राम गिलोय का चूर्ण इन सबको 6 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर 7 दिनों तक दिन मे सुबह-शाम खाने से स्वप्नदोष खत्म होता है। बादाम और काली मिर्च की फीकी शरबत पीने से भी स्वप्नदोष में लाभ होता है।
  • ब्रह्मदण्डी : ब्रह्मदण्डी, बहुफली 50-50 ग्राम कूट छानकर इसमें 100 ग्राम खांड को मिलाकर 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह पानी के साथ सेवन करें। ब्रह्मदण्डी, बहुफली, बीजबन्द, पलंग तोड 50-50 ग्राम कूट छान कर इस में 100 ग्राम खांड़ मिलाकर 10-10 ग्राम को दिन में सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन के रोगी को लाभ होगा।
  • मुलेठी : मुलेठी के चूर्ण को मक्खन और शहद के साथ मिलाकर खाने से लाभ होता है। मुलहठी के चूर्ण में 2 ग्राम की मात्रा में शहद और घी मिलाकर खाने से स्वप्नदोष की बीमारी खत्म हो जाती है।
  • मूसली सिम्बल : मूसली सिम्बल 60 ग्राम कूटी छनी में खांड 60 ग्राम मिलाकर 6-6 ग्राम पानी या दूध से सुबह-शाम लें।
  • लहसुन : रात को सोने से पहले हाथ, पैर और मुंह को धोकर पोंछ लें फिर लहसुन की 1 कली मुंह में चबा-चबाकर खाने से स्वप्नदोष के रोग में लाभ मिलता है।
  • लाजवंती : लाजवंती के बीज 75 ग्राम पीस कर इसमें 75 ग्राम खांड मिलाकर 5-5 ग्राम को सुबह-शाम खांड मिले कम गर्म दूध के साथ लें।
  • वंशलोचन : वंशलोचन, सत गिलोय 10-10 ग्राम पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन में आराम मिलता है।
  • विदारीकन्द : विदारीकंद, गोखरू देसी 50-50 ग्राम कूट छानकर 5-5 ग्राम खांड को मिलाकर दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करें।
  • शकरकन्द : सूखी शकरकंद को कूट छानकर चूर्ण तैयार करें, फिर उसे घी और चीनी की चाशनी में डालकर हलवा तैयार करके इस हलवे को खाने से वीर्य गाढ़ा होता है।
  • शतावर : 1. शतावर, मूसली, विदारीकंद, असगंध, गोखरू या इलायची के बीज इनमें से 2-3 वनीशधि को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर पीसकर रख लें, और मिश्री को मिलाकर 3 ग्राम पानी के साथ पीने से लाभ होता है। 2. शतावरी, असगंध, विधारा 20-20 ग्राम कूटकर छानकर रख लें, इसमें 60 ग्राम खांड मिलाकर 10-20 ग्राम की मात्रा में दिन सुबह-शाम दूध के साथ लें। शतावरी के रस को शहद में मिलाकर पीने सुबह-शाम से स्वप्नदोष दूर होता है।
  • समुद्रशोष : 3 से 6 ग्राम समुद्रशोष के बीजों को पानी में भिगों कर उससे बने लुआवदार घोल में मिश्री मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से वीर्य का स्तम्भन होता है।
  • सिरस : सिरस के फूलों का रस 10 मिलीलीटर या 20 मिलीलीटर सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के साथ लेने से वीर्य स्तंभन होता है।
  • हरड़ : हरड़ का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद 10 ग्राम में लेकर में मिलाकर रोज खाएं इससे कुछ दिनों में स्वप्नदोष का रोग खत्म हो जाता है। हरड़ का मुरब्बा खाकर हल्का गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
स्वप्नदोष की होम्योपैथी दवाएं और उनके कार्य करने का तरीका
  • लाइकोपोडियम 200 – कामुक सपनों के साथ स्वप्नदोष के लिए प्रभावी। यह रात में गिरने से होने वाली कमजोरी और दुर्बलता का भी इलाज करता है। 
  • कैंथरिस 200 – दर्दनाक इरेक्शन और यौन इच्छा के साथ रात में होने वाली स्वप्नदोष के लिए। 
  • लाइकोपोडियम क्यू – ईडी और शीघ्र पतन के लिए शीर्ष दवाओं में से एक है। अत्यधिक भोग यानी अत्यधिक हस्तमैथुन के साथ युवा पुरुषों में स्तंभन शक्ति की हानि या कमजोर इरेक्शन का इलाज करता है।
  • वियोला ट्राई कोलूर क्यू – अनैच्छिक वीर्य उत्सर्जन के साथ रात को गिरने के लिए एक बहुत प्रभावी होम्योपैथिक दवा है। मुख्य रूप से अश्लील सामग्री देखकर रोगी को ज्वलंत और कामुक सपने आते हैं। व्यक्ति नींद में खलल की शिकायत करता है और रात में बार-बार जागता है। 
नोट - किसी भी प्रयोग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले यह मात्र जानकारी से लिये है। 

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गौ भक्त संत माधवदास



संत माधवदास का जन्म वि० सं० 1601 में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को सूरत के सौदागरगंज में हुआ था। इनके पिता का नाम करवत सिंह और माता का नाम हिरल देवी था। इनके पूर्वज मेवाड़ के केलवाड़ा नामक परगना के निवासी थे और प्रसिद्ध सिसोदिया वंश के सूर्यवंशी क्षत्रिय थे।
Gau Mata

बाल्यावस्था में माधवदास जी की मुखाकृति देखकर एक अवधूत महात्मा ने उनके पिता से कहा था कि यह बालक कोई महान् दिव्यात्मा होगा। ये बचपन से ही बड़ी उदार वृत्ति के थे और दरवाजे पर आये भिक्षुक को निराश नहीं जाने देते थे। जब ये मात्र पाँच वर्ष के ही थे, तभी इनके पिता का देहांत हो गया था। अतः इनका पालन-पोषण इनकी माता ने ही हुआ। माता ने इन्हें अच्छा विद्याभ्यास तो कराया ही, एक राजपूत वीर के लायक शस्त्रास्त्र की योग्यता भी इन्हें बचपन में ही प्राप्त हो गयी थी ।
एक बार ये भ्रमण करते हुए अहमदाबाद के पास पहुँचे। वहाँ इन्होंने देखा कि कुछ मुसलमान ग्वालों से उनकी गायें छीनकर ले जा रहे हैं। ईद का त्यौहार था और हाकिम की आज्ञा थी, इसलिए कोई कुछ बोल भी नहीं सकता था। पचास मुसलमान सैनिकों की एक टुकड़ी गायों को घेर कर लेकर चल दी, मुसलमानी शासन में ग्वाले भला रोने के अतिरिक्त और कर ही क्या सकते थे? गाय रंभा रही थीं, चाबुक की मार खा रही थीं, उनकी आँखों से आँसुओं की धारा बह रही थी। यह सब माधवदास जी से देखा न गया। उनका राजपूती रक्त उबल पड़ा। वे तलवार लेकर उन पर टूट पड़े। एक तरफ अकेले माधवदास और दूसरी ओर पचास सैनिक! पर सिंह सिंह होता है, मांसलोभी सैकड़ों सियारों का झुंड उस की एक दहाड़ और भाग खड़ा होता है।
माधवदास में सत्साहस था, गौमाता के प्रति प्रेम था, उधर सैनिकों में था सत्ता का अभिमान। माधवदास ने उन यवन सिपाहियों को गाजर-मूली की तरह काटना प्रारम्भ किया। सिपाहियों की जान पर बन आयी। कुछ तो मारे गये और कुछ भाग गये। सिसोदिया वंश के उस वीर ने सब गायें छुड़ा ली और रोते हुए ग्वालों के सुपुर्द कर दी।
माता की प्रेरणा से माधवदास जी ने सद्गुरु की शरण ली। वे समर्थदास नामक एक योगी के शिष्य हो गये। संत माधव दास जी सच्चे संत थे, उनका अधिकांश समय तीर्थाटन में ही बीतता था। गौमाता के प्रति उनकी अद्भुत भक्ति थी। उन्होंने दिल्ली के शाही कसाई खाने के जल्लाद हाशम को अपने उपदेश से भगवान की भक्ति में लगा दिया। मुलतान के मुस्लिम सूबेदार ने उन्हें तरह तरह से प्रताड़नाएं देने की कोशिश की, परंतु माधवदास जी सिद्ध संत थे, वह उनका बाल भी बाँका न कर सका और अंत में उनके चरणों में गिरकर क्षमा याचना की और भविष्य में किसी को न सताने की कसम खाई।
वि० सं० 1652 में आप इस नश्वर शरीर को त्याग कर अविनाशी परब्रह्म प्रभु के स्वरूप में अवस्थित हो गये। धन्य हैं ऐसे संत रत्न और गौ भक्त माधवदास जी और धन्य है भारत-धरा ऐसे सपूत को प्राप्त करके।


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प्रेरक प्रसंग - सच्ची कृपा



एक निर्धन ब्राह्मण के मन में धन पाने की तीव्र कामना हुई। वह सकाम यज्ञ की विधि जानता था, किंतु धन ही नहीं तो यज्ञ कैसे हो? वह धन की प्राप्ति के लिये देवताओं की पूजा और व्रत करने लगा। कुछ समय एक देवता की पूजा करता, परंतु उससे कुछ लाभ नहीं दिखायी पड़ता तो दूसरे देवता की पूजा करने लगता और पहले को छोड़ देता। इस प्रकार उसे बहुत दिन बीत गये। अंत में उसने सोचा-'जिस देवता की आराधना मनुष्य ने कभी न की हो, मैं अब उसी की उपासना करूँगा। वह देवता अवश्य मुझपर शीघ्र प्रसन्न होगा।'


ब्राह्मण यह सोच ही रहा था कि उसे आकाश में कुण्डधार नामक मेघ के देवता का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ। ब्राह्मण ने समझ लिया कि 'मनुष्य ने कभी इनकी पूजा न की होगी। ये बृहदाकार मेघ देवता देव लोक के समीप रहते हैं, अवश्य ये मुझे धन देंगे।' बस, बड़ी श्रद्धा-भक्ति से ब्राह्मण ने उस कुंड धार मेघ की पूजा प्रारम्भ कर दी।

ब्राह्मण की पूजा से प्रसन्न होकर कुण्डधारने देवताओं की स्तुति की, क्योंकि वह स्वयं तो जल के अतिरिक्त किसी को कुछ दे नहीं सकता था। देवताओं की प्रेरणा से यक्ष श्रेष्ठ मणिभद्र उसके पास आकर बोले-'कुंड धार! तुम क्या चाहते हो?'

कुण्डधार - 'यक्षराज! देवता यदि मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे उपासक इस ब्राह्मण को वे सुखी करें।'

मणिभद्र-'तुम्हारा भक्त यह ब्राह्मण यदि धन चाहता हो तो इसकी इच्छा पूर्ण कर दो। यह जितना धन माँगेगा, वह मैं इसे दे दूंगा।'

कुण्डधार - 'यक्षराज! मैं इस ब्राह्मण के लिये धन की प्रार्थना नहीं करता। मैं चाहता हूँ कि देवताओं की कृपा से यह धर्मपरायण हो जाए। इसकी बुद्धि धर्म में लगे।'

मणिभद्र-'अच्छी बात ! अब ब्राह्मण की बुद्धि धर्म में ही स्थित रहेगी।' उसी समय ब्राह्मण ने स्वप्न में देखा कि उसके चारों ओर कफन पड़ा हुआ है। यह देखकर उसके । हृदय में वैराग्य उत्पन्न हुआ।वह सोचने लगा - 'मैंने इतने । देवताओं की और अंत में कुण्डधार मेघ की भी धन के लिये आराधना की, किंतु इनमें कोई उदार नहीं दिखता। इस प्रकार धन की आस में ही लगे हुए जीवन व्यतीत करने से । क्या लाभ! अब मुझे परलोक की चिंता करनी चाहिये।'

ब्राह्मण वहां से वन में चला गया। उसने अब तपस्या करना प्रारम्भ किया। दीर्घकाल तक कठोर तपस्या करने के कारण उसे अद्भुत सिद्धि प्राप्त हुई। वह स्वयं आश्चर्य करने लगा-'कहाँ तो मैं धन के लिये देवताओं की पूजा करता था और उसका कोई परिणाम नहीं होता था और कहाँ अब मैं स्वयं ऐसा हो गया कि किसी को धनी होने का आशीर्वाद दे दूँ तो वह नि:संदेह धनी हो जाएगा!'

ब्राह्मण का उत्साह बढ़ गया। तपस्या में ही उसकी श्रद्धा बढ़ गयी। वह तत्परतापूर्वक तपस्या में ही लगा रहा। एक दिन उसके पास वही कुण्डधार मेघ आया। उसने कहा ब्रह्मन् ! तपस्या के प्रभाव से आपको दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गयी है। अब आप धनी पुरुषों तथा राजाओं की गति देख सकते हैं।' ब्राह्मण ने देखा कि धन के कारण गर्व से आकर लोग नाना प्रकार के पाप करते हैं और घोर नरक में गिरते हैं।

कुण्डधार बोला-'भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करके आप यदि धन पाते और अंत में नरक की यातना भोगते तो मुझसे आपको क्या लाभ होता? जीव का लाभ तो कामनाओं का त्याग करके धर्माचरण करने में ही है। उन पर सच्ची कृपा तो उन्हें धर्म में लगाना ही है। उन्हें धर्म में लगाने वाला ही उनका सच्चा हितैषी है।'

ब्राह्मण ने मेघ के प्रति कृतज्ञता प्रकट की और कामनाओं का त्याग करके अंत में मुक्त हो गया।

(महाभारत के शान्तिपर्व से)


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