हँसना भी जरूरी - भाग एक

 


राधा मीना से - मिसेज शर्मा है न गधी है गधी घन्‍टे भर से मेरा सिर खा रही थी।
मीना - बेचारी भूखी रही होगी, सिर मे भूसा भरा देख कर रोक न सकी होगी।
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मोनू - मम्‍मी आपने भइया को किस भाव से खरीदा है।
मम्‍मी -बेटे मैने उसे खरीदा नही, जन्‍म दिया है (समझाते हुये)
मोनू - फिर डाक्‍टर साहब ने उसे तौल कर क्‍यों दिया।
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भिखारी - बाबुजी, अन्‍धे सूरदास को एक रूपया देदो।
साहब - सूरदास तो पूरे अन्‍धे थे, तुम्‍हारी एक आँख तो ठीक है।
भिखरी - तो पचास पैसे ही दे दो।
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अध्‍यापक - काल कितने प्रकार के होते है
राजू - काई प्रकार के
अध्‍यापक - (गुस्‍साते हुये) बताओ
राजू - मिस काल, रीसीव काल और डायल काल
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एक आदमी तेजी से बस मे चढ़ा और बोला लगता है सारे के सारे जानवर बस मे भरे है।
दूसरा आदमी बोला बस एक गधे की कमी थी वो भी पूरी हो गई।

10 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा वाह भाई वाह क्या बात है :D

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  2. दुसरा व तिसरा मजेदार रहा. बाकी पहले सुने हुए थे.
    श्रृंख्ला जारी रखें

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  3. तीसरा अच्छा था बाकी सब सुने हुए थे।

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  4. बढ़िया है, कुछ नया माल लाओ यार ज्यादातर बहुत पुराने है।

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  5. डा प्रभात टन्डन जी, संजय बेंगाणी जी, हिमांशु जी, श्रीश जी, सागर भाई, उडनतश्‍तरी 'समीरजी', मनीश जी, आप सभी को धन्‍यवाद कि आपको हँसना पंसद आया। आपके आदेशानुसार यह क्रम जारी रहेगा।
    आपका प्रमेन्‍द्र

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