ब्‍लावाणी को लेकर ''हम''

ब्लॉगवाणी का एका एक बंद होना हर किसी ब्‍लागर के लिये बहुत बड़ा झटका था, खासकर उन लोगों के लिए जो टिप्पणी के लिये लेखन करते थे/है। आज भले ही इंडली/चिट्ठा जगत/ अलावाणी और फलावाणी का नाम लिया जाये किन्‍तु ब्‍लागमानस मे जो स्‍थान ब्‍लागवाणी ने स्थापित किया है अगर कोई चिट्ठा संकलक इस मुकाम पर पहुँचता है तो यह निश्चित रूप से हिन्दी चिट्ठाकारी को इससे लाभ पहुंचेगा।

मुझे यह कहने मे हिचक नही है कि ब्‍लागवाणी इस स्थिति मे कि इसकी निन्‍दा करने वाले भी आज इसे याद कर रहे है।आज जो कुछ भी है ब्‍लागवाणी कम से कम सभी ब्‍लागरों को याद आ रही है, आपनी गुणवत्ता के कारण, मै नही कहता कि चिट्ठाजगत अच्‍छा काम नही कर रहा है। चिट्ठाजगत की अपनी पहचान अधिकतम चिट्ठो के संकलन के कारण है।
 
मैने किसी पोस्‍ट मे कहा था कि न तो चिट्ठाकारी किसी एक व्‍यक्ति से है और न ही किसी एग्रीगेटर के कारण, चिट्ठकारी का अस्तित्‍व प्रत्‍येक चिट्ठकाकर के हर छोटी बड़ी पोस्‍ट के कारण है। आज ब्‍लागवाणी काम नही कर रही है इसका मतलब यह नही है कि चिट्ठाकारी का अंत हो गया अपितु यह कहना उचित होगा कि जिस प्रकार परिवार के अभिन्‍न सदस्‍य के चले जाने से एक शून्‍य स्‍थापित होता है, उ‍सी प्रकार चिट्ठकार परिवार से ब्‍लागवाणी की अनुपस्थिति उस शून्‍य का आभास करा रही है।

एक बात मै कड़े शब्‍दो में कहना चाहूँगा कि अक्‍सर छोटी मोटी बातो को लेकर लोग अपनी शक्ति प्रदर्शन आपने ब्‍लागो पर करते थे कि ब्‍लागवाणी ऐसी कि ब्‍लागवाणी वैसी, ब्‍लागवाणी ने ये ठीक नही किया कि ब्‍लागवाणी ने वो ठीक नही किया। आखिर इसका मतलब क्‍या है ? आखिर ब्‍लागवाणी ने शुरू मे ही अपनी नीतियों पर काम करने का फैसला लिया था, और मै इसका शुरूवाती से हिमायती रहा हूँ। आज भी अपेक्षा करता हूँ कि ब्‍लागवाणी अपनी नीतियों पर काम करें, किसी की चिल्‍ल-पो सुनने की जरूरत नही है। मै अपने लिये भी कह चुका हूँ कि अगर ब्‍लागवाणी की नीतियों पर मेरा ब्‍लाग भी न हो तो उसे हटा दिया जाये मुझे कोई अपत्ति नही होगी क्‍योकि हमने ब्‍लागवाणी और उनके संचालको को दिया ही क्‍या है जो अपेक्षा करते है कि हम कुछ पाने की अपेक्षा करें। कुछ बाते बोलनी बहुत आसान होती है किन्‍तु करना उतना ही कठिन, मैने इसका अनुभव किया है। आज हम ब्‍लागवाणी से कुछ आशा करते है तो वह अनायास ही नही है।

श्री मैथली जी, श्री अरुण जी हो, या सिरिल भाई या स्वयं में हमारे लिये ब्लॉग हो या ब्लॉगवाणी वह अपनों से बढ़कर नहीं है, मुझे यह कहने में हिचक नहीं है कि हम सब के लिये ब्लॉग साधन है साध्य नही है। अरुण जी ने भी ब्लॉग त्‍याग में पीछे नहीं रहे, मैने भी पोस्टिंग कम कर दिया किन्तु अभी मोह छोड़ नहीं पा रहा हूँ, मैथली परिवार भी ब्लॉगवाणी से मची नूराकुश्ती से अजीज आ कर ब्लॉगवाणी को बंद कर दिया। क्योंकि हमारे व्यक्तिगत ब्लॉग हमसे है न कि हम अपने ब्लॉग से, यह सत्य है। मुझे इस बात की खुशी है कि जो लोग ब्लॉगवाणी को लेकर मूड़ पीटते थे ब्लागवाणी के निलंबित होने से अब उलूल जुलल हरकत और बयानबाजी कर रहे है। आखिर मे ऐसे लोगो को पता चल गया कि ब्लॉगवाणी का महत्व उनकी चिट्ठाकारी के लिये क्या था, आखिर कुछ लोगों के ब्‍लागो की दुकान सिर्फ और सिर्फ ब्लॉगवाणी के बल पर ही चलती थी, ऐसे लोगों को ब्लॉगवाणी के जाने से जरूर आघात पहुँचा होगा। ब्लॉगवाणी के बंद होने से मेरे ब्लॉग के पोस्टिंग वाले दिनों में पाठकों पर प्रभाव जरूर पड़ा है किन्तु यह वह प्रभाव नहीं है आज भी नियमित पाठको की आवाजाही होती है। मै आशा करता हूँ कि ब्लॉगवाणी पुन: हम ब्लॉगरों के बीच होगी, ऐसे लोगों की ब्लॉग दुकान नहीं बंद होने देगी जो सिर्फ ब्लॉगवाणी के दम पर ही अपनी दुकान चलाते थे।

21 टिप्‍पणियां:

  1. बेशक चिट्ठाकारी चिट्ठाकार की वजह से अस्तित्व में है पर चिट्ठाकारी के विकास के लिए एग्रीगेटर भी महत्त्वपूर्ण है |
    ब्लॉग वाणी का हिंदी चिट्ठों के विकास हेतु दिया गया योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता |

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  2. भाई जी
    सादर वन्दे !
    बिल्कुल सही कहा आपने | आज ब्लागवानी के बंद होने पर जैसे लगता है जीवन में कुछ रिक्तता आ गयी है | आशा है की ये जल्दी ही मिल रही सूचनाओं के आधार पर शुरू होने वाली है | हम बेसब्री से उस दिन का इंतजार कर रहे हैं !
    वैसे आप सही कर रहे हैं कुछ कीड़े जी निरंतर बजबजा रहे थे और अपनी गन्दगी से दूसरों को भी गन्दा कर रहे थे उनकी दुकान या तो बंद है या चल नहीं रही |
    रत्नेश त्रिपाठी

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  3. ये तो मुझे पता ही नहीं था कि ब्लॉगवाणी बंद हो गया। मुझे तो लगा कोई गड़बड़ी रही होगी। तो क्या अब इसके फिर चालू होने की संभावना है?

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  4. ब्लॉगवाणी ने जो लोकप्रियता और मुकाम हासिल किया उतना पहले किसी भी एग्रीगेटर ने नहीं किया। अब नये आने वाले इंडली, हमारीवाणी आदि में भी कई लोचे हैं, मेरे मत में किसी भी एग्रीगेटर को सफ़ल होने के लिये कुछ बातें जरूरी हैं -

    1) सर्वर की स्पीड अच्छी होना चाहिये, अभी चिठ्ठाजगत भी काफ़ी स्लो चलता है, जबकि ब्लागवाणी के साथ यह समस्या नहीं थी…

    2) एग्रीगेटर पर पोस्ट अपने-आप आ जाना चाहिये, या एक क्लिक करने से आ जायें, ऐसा नहीं कि इंडली की तरह लिंक भेजना पड़े…

    3) रजिस्ट्रेशन और ब्लॉग का पंजीकरण एकदम आसान होना चाहिये।

    4) पसन्द-नापसन्द अथवा ऊपर-नीचे वाला फ़ण्डा पूरी तरह खत्म करके, सिर्फ़ "अधिक पढ़े गये" या "इतनी बार पढ़े गये" का एक ही कालम होना चाहिये। इसमें भी यदि कोई एक ही कम्प्यूटर और आईपी से अपनी ही पोस्ट खोले-बन्द करे तो उसे "पढ़े गये" की गिनती में शामिल नहीं किया जाये। "टिप्पणी संख्या" वाली सुविधा भी बेकार सिद्ध हुई है, क्योंकि कुछ "मूर्ख" तो अपने ही ब्लॉग पर खामखा ही या तो बेनामी टिप्पणियाँ करते रहते हैं या उनके चमचे उसी लेख में से एक-दो लाइन उठाकर टिप्पणी के रुप में चेंप देते हैं।

    5) आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि "यह मेरा एग्रीगेटर है, मैं जिसे चाहूंगा रखूंगा, जिसे चाहूंगा निकाल दूंगा, जिसे मेरी नीतियाँ पसन्द ना हो वह भाड़ में जाये…" वाला Attitude रखना पड़ेगा, पड़ने वाली गालियाँ ignore करने की क्षमता भी विकसित करनी होंगी, क्योंकि भारत के लोग "इतने हरामखोर" हैं कि मुफ़्त में मिलने वाली चीज़ में भी खोट निकालने से बाज नहीं आते।

    जो भी एग्रीगेटर इन बिन्दुओं का ख्याल रख लेगा, वह निश्चित ही सफ़ल होगा…

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  5. Shayad mai blogvaani se judee nahee thee,isliye mujhe chand baaten samajh ne me dikkat ho rahi hai...phirbhi yahi kahungi ki,blogvaani zaroor shuru ho..blog jagat ke jane mane log gar aisa chah rahe hain,to usme zaroor kuchh tathy hoga..

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  6. सही लिखा है!



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    अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:

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  7. आज ब्‍लागवाणी काम नही कर रही है इसका मतलब यह नही है कि चिट्ठाकारी का अंत हो गया अपितु यह कहना उचित होगा कि जिस प्रकार परिवार के अभिन्‍न सदस्‍य के चले जाने से एक शून्‍य स्‍थापित होता है, उ‍सी प्रकार चिट्ठकार परिवार से ब्‍लागवाणी की अनुपस्थिति उस शून्‍य का आभास करा रही है।
    बिलकुल सही कहा। मेरा भी मन ब्लागजगत से उचाट सा होने लगा है और मुझे आशा है कि ब्लागवाणी हमे फिर से ऊर्जा प्रदान करने के लिये आयेगी। धन्यवाद।

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  8. ब्लागवाणी के बिना तो मानों ब्लागिंग एकदम से नीरस हो गई है....चन्द फालतू टाईप के मूर्ख लोगों की करनी का फल बाकी सभी को भुगतना पड रहा है..
    आशा करते हैं ब्लागवाणी की पुनर्वापसी हो पाए....

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  9. हम भी यही आशा करते ही कि वो जल्द से जल्द शुरू हो

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  10. बिल्कुल सही कहा आपने .... ब्लागवानी के बंद होने पर लगता है जैसे कुछ खाली पन आ गया है ...

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  11. मुझे समझ में नहीं आ रहा था, कि ब्लॉगवाणी के साथ क्या हुआ है, आज बात समझ में आई|

    सच में ब्लॉगवाणी को बहुत मिस कर रहा हूँ, मगर अब जाकर कहीं जाने पहचाने चेहरे दिख रह हैं, तो चैन मिला|

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  12. अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com
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