क्षत्रिय - राजपूत के गोत्र और उनकी वंशावली

Kshatriya - Rajput Clan and their Lineage

Thakur Kshatriya Rajput
क्षत्रिय - राजपूत - ठाकुर

राजपूतों के वंश
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"दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण,
चार हुतासन सों भये कुल छत्तीस वंश प्रमाण,
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान,
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."

अर्थ: - दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तीस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौम वंश, नाग वंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग-अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है।
क्षत्रिय- राजपूत के गोत्र और उनकी वंशावली

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सूर्य वंश की शाखायें
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1. कछवाह, 2. राठौड, 3. बडगूजर, 4. सिकरवार, 5. सिसोदिया , 6. गहलोत, 7. गौर, 8. गहलबार, 9. रेकबार, 10. जुनने, 11. बैस, 12 रघुवंशी
चन्द्र वंश की शाखायें
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1. जादौन, 2. भाटी, 3. तोमर, 4. चन्देल, 5. छोंकर, 6. होंड, 7. पुण्डीर, 8. कटैरिया, 9. दहिया,

अग्नि वंश की चार शाखायें
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1. चौहान, 2. सोलंकी, 3. परिहार, 4. पमार

ऋषि वंश की बारह शाखायें
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1. सेंगर, 2. दीक्षित, 3. दायमा, 4. गौतम, 5. अनवार (राजा जनक के वंशज), 6. विसेन, 7. करछुल, 8. हय, 9. अबकू तबकू, 10. कठोक्स, 11. द्लेला 12. बुन्देला

चौहान वंश की चौबीस शाखायें
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1. हाडा, 2. खींची, 3. सोनीगारा, 4. पाविया, 5. पुरबिया, 6. संचौरा, 7. मेलवाल, 8. भदौरिया, 9. निर्वाण, 10. मलानी, 11. धुरा, 12. मडरेवा, 13. सनीखेची, 14. वारेछा, 15. पसेरिया, 16. बालेछा, 17. रूसिया, 18. चांदा, 19. निकूम, 20. भावर, 21. छछेरिया, 22. उजवानिया, 23. देवडा, 24. बनकर


Kshatriya - Rajput
राजपूत कितने प्रकार के होते हैं - प्रमुख क्षत्रिय वंश
How many types of Rajput are there - Major Kshatriya clan
  1. रघु वंश - रघुवंशी का अर्थ है रघु के वंशज। अयोध्या (कोसल देश) के सूर्यवंशी राजा इक्ष्वाकु के वंश में राजा रघु हुये। राजा रघु एक महान राजा थे। इनके नाम पर इस वंश का नाम रघुवंश पड़ा तथा इस वंश के वंशजों को रघुवंशी कहा जाने लगा। बौद्ध काल तक रघुवंशियों को इक्ष्वाकु, रघुवंशी तथा सूर्यवंशी क्षत्रिय कहा जाता था। जो सूर्यवंश, इक्ष्वाकु वंश, ककुत्स्थ वंश व रघुवंश नाम से जाना जाता है। आदिकाल में ब्रह्मा जी ने भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु को पृथ्वी का प्रथम राजा बनाया था। भगवान सूर्य के पुत्र होने के कारण मनु जी सूर्यवंशी कहलाये तथा इनसे चला यह वंश सूर्यवंश कहलाया। अयोध्या के सूर्यवंश में आगे चल कर प्रतापी राजा रघु हुये। राजा रघु से यह वंश रघुवंश कहलाया। इस वंश मे इक्ष्वाकु, ककुत्स्थ, हरिश्चंद्र, मांधाता, सगर, भगीरथ, अंबरीष, दिलीप, रघु, दशरथ, राम जैसे प्रतापी राजा हुये हैं।
  2. नाग वंश - नागवंशी क्षत्रियों का भारत और भारत के बाहर एक बड़े भूभाग पर लंबे समय तक शासन रहा है। प्राचीन काल में नागवंशियों का राज्य भारत के कई स्थानों में तथा सिंहल में भी था। पुराणों में स्पष्ट लिखा है कि सात नागवंशी राजा मथुरा भोग करेंगे, उसके पीछे गुप्त राजाओं का राज्य होगा। नौ नाग राजाओं के जो पुराने सिक्के मिले हैं, उन पर 'बृहस्पति नाग', 'देवनाग', 'गणपति नाग' इत्यादि नाम मिलते हैं। ये नागगण विक्रम संवत 150 और 250 के बीच राज्य करते थे। इन नव नागों की राजधानी कहाँ थी, इसका ठीक पता नहीं है, पर अधिकांश विद्वानों का मत यही है कि उनकी राजधानी 'नरवर' थी। मथुरा और भरतपुर से लेकर ग्वालियर और उज्जैन तक का भू-भाग नागवंशियों के अधिकार में था। कृष्ण काल में नाग जाति ब्रज में आकर बस गई थी। इस जाति की अपनी एक पृथक संस्कृति थी। कालिया नाग को संघर्ष में पराजित करके श्रीकृष्ण ने उसे ब्रज से निर्वासित कर दिया था, किंतु नाग जाति यहाँ प्रमुख रूप से बसी रही। मथुरा पर उन्होंने काफी समय तक शासन भी किया। इतिहास में यह बात प्रसिद्ध है कि महा प्रतापी गुप्त वंशी राजाओं ने शक या नागवंशियों को परास्त किया था। प्रयाग के क़िले के भीतर जो स्तंभ लेख है, उसमें स्पष्ट लिखा है कि महाराज समुद्रगुप्त ने गणपति नाग को पराजित किया था। इस गणपति नाग के सिक्के बहुत मिलते हैं। महाभारत में भी कई स्थानों पर नागों का उल्लेख है। पांडवों ने नागों के हाथ से मगध राज्य छीना था। खांडव वन जलाते समय भी बहुत से नाग नष्ट हुए थे। जिसका अर्थ यह हुआ की मगध, खांडव्प्रस्थ, तक्षशीला (तक्षक नाग द्वारा बसाई गई थी ,यहाँ का प्रथम राजा "तक्षक नाग " था ,जिसके नाम पर तक्षक नागवंश चला ),मथुरा आदि महाभारत काल में इनके प्रमुख राज्य थे। शिशुनाग के नाम पर शिशुनाग वंश मगध राज्य (दक्षिण बिहार, भारत) पर लंबे समय तक राज्य करने के लिए जाना जाता है । महाभारत में ऐरावत नाग के वंश में उत्त्पन कौरव्या नाग की बेटी का विवाह भी अर्जुन से हुआ बताया गया है ,जब एक गलती की वजह से अर्जुन युधिष्ठिर के आदेश पर 12 साल वे ब्रह्मचर्य व्रत को धारण कर रहे थे।
  3. सोम वंशी ठाकुर - जो सोम वंशी पश्चिम प्रयाग की और बसे उनका गोत्र भारद्वाज है क्यों कि भारद्वाज आश्रम भी उसी क्षेत्र में था। सोम वंशी क्षत्रियों को मुख्यतः उत्तर प्रदेश के फैजाबाद , बहराईच अम्बेडकर नगर, जौनपुर, प्रतापगढ़ , गोण्डा, वाराणसी, बरेली, सीतापुर, कानपुर, हरदोई, फरूखाबाद, शाहजहांपुर, इलाहाबाद और पंजाब ,दिल्ली तथा बिहार प्रांत में भी सोमवंशी क्षत्रिय पाए जाते है। गुरुग्राम, रोहतक, हिसार ,पंजाब एवं दिल्ली के सोम वंशीय क्षत्रियों का निवास हस्तिनापुर तथा बिहार प्रदेश वालों का कौशाम्बी से एवं प्रतिष्ठानपुर वर्तमान (झूसी प्रयाग) और हरदोई से है।
  4. उज्जैनीय क्षत्रिय - ये क्षत्रिय अग्नि वंशी प्रमार की शाखा हैं। गोत्र शौनक है। ये राजा विक्रमादित्य व भोज की सन्तान हैं। ये लोग अवध और आगरा प्रान्त के पूर्वी जिलों में पाये जाते हैं। इस वंश की बहुत बड़ी रियासत डुमरांव बिहार प्रान्त के शाहाबाद जिले में है। वर्तमान डुमरांव के राजा कलमसिंह जी सांसद। इस वंश के क्षत्रिय बिहार के शाहाबाद जिले के जगदीशपुर, दलीपपुर, डुमरांव, मेठिला, बक्सर, केसठ, चौगाई आदि में तथा मुजफ्फरपुर, पटना, गया, मुगेर और छपरा आदि जिलों में बसे पाये जाते हैं।
  5. कछवाहा (कछवाहे) - ये सूर्यवंशी क्षत्रिय कुश के वंशज हैं। कुशवाहा को कछवाहा राजावत भी कहते है। गोत्र गौतम, गुरु वशिष्ठ, कुलदेवी ( दुर्गां मंगला ), वेद सामवेद, निशान पचरंगा, इष्ट रामचन्द्र, वृक्ष वट। ठिकाने जयपुर, अलवर, राजस्थान में रामपुर, गोपालपुरा, लहार, मछंद, उत्तर प्रदेश में तथा यत्र-तत्र जनपदों में पाए जाते हैं।
  6. गहरवार क्षत्रिय - गोत्र कश्यप है। गहरवार राठौरों की शाखा है। महाराजा जयचन्द के भाई माणिकचन्द्र राज्य विजयपुर माड़ा की गहरवारी रियासत का आदि संस्थापक कहा गया है। ये क्षत्रिय इलाहाबाद, बनारस, मिर्जापुर, रामगढ़, श्रीनगर आदि में पाये जाते हैं। इनकी एक शाखा बुन्देला है। बिहार में बागही, करवासी और गोड़ीवां में गहरवार हैं।
  7. गहलौत - ये क्षत्रिय सूर्यवंशी हैं। रामचन्द्र के छोटे पुत्र लब के वंशज हैं। गोत्र बैजपाय (वैशाम्पायनी), वेद यजुर्वेद, गुरु वशिष्ठ, नदी सरयू, इष्ट, एकलिंग शिव, ध्वज लाल सुनहला उस पर सूर्यदेव का चिन्ह। प्रधान गद्दी चित्तौड़ (अब उदयपुर) है। इस वंश के क्षत्रिय मेवाड़ राजपूताना, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार प्रान्त के मुंगेर मुजफ्फर नगर तथा गया जिले में पाए जाते हैं। इसकी 24 शाखायें थीं। अधिकांश शाखाएँ समाप्त हो गयीं।
  8. गोहिल क्षत्रिय - इस वंश का पहला राजा गोहिल था, जिसने मारवाड़ के अन्दर बरगढ़ में राज्य किया। गोत्र कश्यप हैं।
  9. गौड़ क्षत्रिय - गोत्र भरद्वाज हैं। यह वंश भरत से चला हैं। ये मारवाड़, अजमेर, राजगढ़, शिवपुर, बड़ौदा, शिवगढ़, कानपुर, सीतापुर, उन्नाव, इटावा, शाहजहाँपुर, फरुर्खाबाद, जिलों में पाए जाते हैं। ये क्षत्रिय सूर्यवंशी हैं।
  10. गौतम क्षत्रिय - गोत्र गौतम है। ये उत्तर प्रदेश, बिहार, मुजफ्फरनगर, आरा, छपरा, दरभंगा आदि जिलों में पाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में फतेहपुर, कानपुर जिलों में हैं।
  11. चन्देल क्षत्रिय - गोत्र चन्द्रायण, गुरु गोरखनाथ जी हैं। ये क्षत्रिय बिहार प्रान्त में गिद्धौर नरेश कानपुर, मिर्जापुर, जौनपुर, आलमनगर रियासत दरभंगा जिले में बंगरहरा रियासत थी। बस्तर राज्य (मध्य प्रदेश) बुन्देलखण्ड में भी यत्र-तत्र पाए जाते हैं।
  12. चावड़ा क्षत्रिय - अग्निवंशी हैं। गोत्र कश्यप हैं। प्रमारवंश की 16वीं शाखा है। चावड़ा प्राचीन राजवंश है। ये दक्षिण भारत तथा काठियाबाड़ में पाए जाते हैं। इस वंश का विवाह संबंध स्थान भेद से समान क्षत्रियों के साथ होता है।
  13. चौहान क्षत्रिय - ये क्षत्रिय अग्निवंशी हैं। गोत्र वत्स है। इस वंश की 24 शाखायें हैं -1. हाड़ा, 2. खींची, 3. भदौरिया, 4. सौनगिन, 5. देवड़ा, 6. पाविया (पावागढ़ के नाम से), 7. संचोरा, 8 . गैलवाल, 9. निर्वाण, 10. मालानी, 11. पूर्विया, 12. सूरा, 13. नादडेचा, 14. चाचेरा, 15. संकेचा, 16. मुरेचा, 17. बालेचा, 18. तस्सेरा, 19. रोसिया, 20. चान्दू, 21. भावर, 22. वंकट, 23. भोपले, 24. धनारिया। इनके वर्तमान ठिकाने हैं - छोटा उदयपुर, सोनपुर राज्य (उड़ीसा), सिरोही, राजस्थान, बरिया (मध्य प्रदेश), मैनपुरी, प्रतापनेर, राजौर, एटा, ओयल, (लखीमपुर) चक्रनगर, बारिया राज्य, बून्दी, कोटा, नौगाँव (आगरा), बलरामपुर बिहार में पाए जाते हैं।
  14. जोड़जा क्षत्रिय - ये क्षत्रिय श्रीकृष्ण के शाम्ब नामक पुत्र की संतान हैं। मौरबी राज्य, कच्छ राज्य, राजकोट नाभानगर (गुजरात) में पाए जाते हैं।
  15. झाला क्षत्रिय - गोत्र-कश्यप हैं। इनके ठिकाने बीकानेर, काठियावाड़, राजपूताना आदि में हैं।
  16. डोडा क्षत्रिय - यह अग्निवंशी परमार की शाखा है। गोत्र आदि परमारों की भांति है। प्राचीनकाल में बड़ौदा डोडा की राजधानी थी। मेरठ एवं हापुड़ के आस-पास इनकी राज्य था। इस समय पपिलोदा (मालवा), सरदारगढ़ मेवाड़ राज्य हैं। मुरादपुर, बाँदा, बुलन्द शहर, मेरठ, सागर (मध्य प्रदेश) आदि में पाये जाते हैं।
  17. तोमर क्षत्रिय - गोत्र गर्ग हैं। ये जोधपुर, बीकानेर, पटियाला, नाभा, धौलपुर आदि में हैं। मुख्य घराना तुमरगढ है। इनकी एक प्रशाखा जैरावत, जैवार नाम से झांसी जिले में यत्र-तत्र आबाद है।
  18. दीक्षित क्षत्रिय - यह वंश सूर्यवंशी है। गोत्र-काश्यप है। इस वंश के लोग उत्तर प्रदेश और बघेल खण्ड में यत्र-तत्र पाए जाते हैं। इस वंश के क्षत्रियों ने नेवतनगढ में राज्य किया, इसलिए नेवतनी कहलाए। यह लोग छपरा जिले में पाए जाते हैं। दीक्षित लोग विवाह-संबंध स्थान-भेद से समान क्षत्रियों में करते हैं।
  19. निकुम्भ क्षत्रिय - गोत्र-वशिष्ठ हैं। शीतलपुर, दरभंगा, आरा, भागलपुर आदि जिलों में पाए जाते हैं। ये उत्तर प्रदेश में यत्र-तत्र पाए जाते हैं। ये सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं। राजा इक्ष्वाकु के 13वें वंशधर निकुम्भ के हैं।
  20. परमार क्षत्रिय - ये अग्निवंशी हैं, गोत्र गर्ग है। इस वंश की प्राचीन राजधानी चंद्रावती है। मालवा में प्रथम राजधानी धारा नगरी थी, जिसके पश्चात् उज्जैन को राजधानी बनाया। विक्रमादित्य इस वंश का सबसे प्रतापी राजा हुआ, जिनके नाम पर विक्रम संवत प्रारम्भ हुआ, इसी वंश में सुप्रसिद्ध राजा मुंडा और भोज हुए इनकी 35 शाखायें हैं। इन क्षत्रियों के ठिकाने तथा राज्य हैं, नरसिंहगढ़, दान्ता राज्य, सूंथ धार, देवास, पंचकोट, नील गाँव (उत्तर प्रदेश) तथा यत्र-तत्र पाये जाते हैं।
  21. परिहार क्षत्रिय - ये क्षत्रिय अग्निवंशी हैं। गोत्र काश्यप, गुरु वशिष्ठ, इनके ठिकाने हमीरपुर, गोरखपुर, नागौद, सोहरतगढ़, उरई (जालौन) आदि में हैं। इस वंश की 19 शाखायें हैं, भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग नाम से।
  22. बघेल क्षत्रिय - गोत्र भरद्वाज हैं। यह सोलंकियों की शाखा हैं। बघेलों को सोलंकी वंश से राजा व्याघ्रदेव की सन्तान माना गया है। इन्हीं व्याघ्रदेव के नाम से सन् 615 ई. में बघेलखण्ड प्रसिद्ध हुआ। रीवां राज्य, सोहाबल, मदरवा, पांडू, पेथापुर, नयागढ़, रणपुरा, देवडर (मध्य प्रदेश में),तिर्वा (फर्रुखाबाद) बघेलों के प्रमुख ठिकाने हैं।
  23. बल्ल क्षत्रिय - रामचंद्र के पुत्र लव से यह वंश चला हैं। बल्लगढ सौराष्ट्र में पाए जाते हैं।
  24. बिसेन क्षत्रिय - गोत्र पारासर (भरद्वाज, शोडिल्व, अत्रि, वत्स) ये मझौली (गोरखपुर), भिनगा (बहराइच), मनकापुर (गोंडा), भरौरिया (बस्ती), कालाकांकर (प्रतापगढ़) में अधिक हैं।
  25. बुन्देला क्षत्रिय - ये गहरवार क्षत्रियों की शाखा है। गहरवार हेमकरण ने अपना नाम बुन्देला रखा। राजा रुद्रप्रताप ने बुन्देलखण्ड की राजधानी गढ़कुण्डार से ओरछा स्थानान्तरित की बैशाख सुदी 13 संबत 1588 विक्रम को राजधानी ओरछा स्थापित की गई। इस वंश के राज्य चरखारी, अजयगढ़, बिजावर, पन्ना, ओरछा, दतिया, टीकमगढ़, सरीला, जिगनी आदि हैं।
  26. बैस क्षत्रिय - गोत्र भरद्वाज हैं। इस वंश की रियासतें सिगरामऊ, मुरारमऊ, खजुरगाँव, कुर्री सिदौली, कोड़िहार, सतांव, पाहू, पिलखा, नरेन्द्र, चरहुर, कसो, देवगांव, हसनपुर तथा अवध और आजमगढ़ जिले में हैं।
  27. भाटी क्षत्रिय - यह श्रीकृष्ण के बड़े पुत्र प्रदुम्न की संतान हैं। राजस्थान में जैसलमेर, बिहार के भागलपुर और मुंगेर जिले में पाए जाते हैं।
  28. भौंसला क्षत्रिय - ये सूर्यवंशी हैं, गोत्र कौशिक है। दक्षिण में सतारा, कोल्हापुर, तंजावर, नागपुर, सावंतबाड़ी राजवंश प्रमुख हैं। इसी बंश में शिवाजी प्रतापी राजा हुए।
  29. महरौड़ वा मड़वर क्षत्रिय - चौहानों की प्रशाखा है। गोत्र वत्स है। चौहान वंश में गोगा नाम के एक प्रसिद्ध वीर का जन्म हुआ था। उसकी राजधानी मैरीवा मिहिर नगर थी। यवन आक्रमण के समय अपनी राजधानी की रक्षा हेतु वह अपनी 45 पुत्रों एवं 60 भ्राता पुत्रों सहित युद्ध में मारे गए। उनके वंशजों ने अपने को महरौड़ व मड़वर कहना शुरू किया। इस वंश के क्षत्रिय गण उत्तर प्रदेश के बनारस, गाजीपुर, उन्नाव में पाए जाते हैं और बिहार के शाहाबाद, पटना, मुजफ्फरपुर, बैशाली जिलों में पाए जाते हैं।
  30. मालव क्षत्रिय - अग्निवंशी हैं। इनका भारद्वाज गोत्र हैं। मालवा प्रान्त से भारत के विभिन्न स्थानों में जा बसे हैं, अतः मालविया या मालब नाम से ख्याति पाई। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में तथा बिहार के गया जिले में पाए जाते हैं।
  31. यदुवंशी- गोत्र कौडिन्य और गुरु दुर्वासा हैं। मथुरा के यदुवंशी करौली के राजा हैं। मैसूर राज्य यदुवंशियों का था। 8 शाखाएं हैं।
  32. राजपाली (राजकुमार) क्षत्रिय - ये अग्निवंशी हैं। गोत्र वत्स है। ये राजवंश वत्स गोत्रीय चौहान की शाखा है। राजौर से ये लोग खीरी, शाहाबाद, पटना, दियरा, सुल्तानपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर आदि में है।
  33. राठौर क्षत्रिय - गोत्र-गौतम (राजपूताने में) तथा कश्यप (पूर्व में) अत्रि दक्षिण भारत में राठौर मानते हैं। बिहार के राठौड़ों का गोत्र शांडिल्य है। गुरु वशिष्ठ हैं।
  34. रायजादा क्षत्रिय - अग्निवंशी चौहानों की प्रशाखा में हैं। गोत्र चौहानों की भांति है। ये लोग अपनी लड़की भदौरियों, कछवाह और तोमरों को देते हैं तथा श्रीनेत, वैश विश्वेन, सोमवंशी आदि को कन्या देते हैं। यह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में पाए जाते हैं।
  35. रैकवार क्षत्रिय - गोत्र भरद्वाज हैं। ये बौंडी (बहराइच), रहबा (रायबरेली), भल्लापुर (सीतापुर) रामनगर, धनेड़ी (रामपुर), मथुरा (बाराबंकी), गोरिया कला ' उन्नाव ' आदि में पाए जाते हैं। बिहार प्रान्त के मुजफ्फरपुर जिले में चेंचर, हरपुर आदि गाँवों में तथा छपरा और दरभंगा में भी यत्र-तत्र पाए जाते हैं।
  36. लोहतमियां क्षत्रिय - सूर्यवंश की शाखा है। लव की संतान माने जाते हैं। ये बलिया, गाजीपुर, शाहाबाद जिलों में पाये जाते हैं।
  37. श्रीनेत क्षत्रिय - सूर्यवंशी हैं गोत्र-भारद्वाज, गद्दी श्रीनगर (टेहरी गढ़वाल) यह निकुम्भ वंश की एक प्रसिद्ध शाखा है। ये लोग उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर तथा बस्ती जिले में बांसी रियासत में पाए जाते हैं। बिहार प्रान्त के मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा और छपरा जिले के कुछ ग्रामों में भी है।
  38. सविया सौर (सिरमौर) क्षत्रिय - गोत्र कश्यप हैं। ये लोग बिहार के गया जिले में अधिक पाए जाते हैं।
  39. सिकरवार क्षत्रिय - गोत्र भरद्वाज हैं। ये ग्वालियर, आगरा, हरदोई, गोरखपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ आदि स्थानों में पाए जाते हैं।
  40. सिसोदिया क्षत्रिय - राहत जी के वंशज ''सिसोदाग्राम'' में रहने से यह नाम प्रसिद्ध हुआ। यह ग्राम उदयपुर से 24 किलोमीटर उत्तर में सीधे मार्गं से है। गहलौत राजपूतों की शाखा सिसोदिया क्षत्रिय हैं। इस वंश का राज्य उदयपुर प्रसिद्ध रियासतों में है। इस वंश की 24 शाखाएँ हैं। सिसोदिया है जो ''शीश +दिया'' अर्थात ''शीश/सिर/मस्तक'' का दान दिया या त्याग कर दिया या न्योछावर कर दिया इसीलिए ऐसा करने वाले स्वाभिमानी क्षत्रिय वंशजों को सिसोदिया कहा जाता है। इनकी बहुलता पर इनके प्रथमांक राज्य को ''शिशोदा'' कहा गया और राजधानी कुम्भलगढ़/केलवाड़ा कहा गया।
  41. सेंगर क्षत्रिय - गोत्र गौतम, गुरु श्रृंगी ऋषि, विश्वामित्र। ये क्षत्रिय जालौन में हरदोई, अतरौली तथा इटावा में अधिक पाए जाते हैं। ये ऋषिवंश हैं। सेंगरों के ठिकाने जालौन और इटावा में भरेह, जगम्मनपुर, सरु, फखावतू, कुर्सीं, मल्हसौ है। मध्यप्रदेश के रीवां राज्य में भी बसे हैं।
  42. सोलंकी क्षत्रिय - ये क्षत्रिय अग्निवंशी हैं। गोत्र भरद्वाज है। दक्षिण भारत में ये चालुक्य कहे जाते हैं। इनके ठिकाने अनहिल्लबाड़ा, बासंदा, लिमरी राज्य, रेवाकांत, रीवां, सोहाबल तथा उत्तर प्रदेश में यत्र-तत्र पाये जाते हैं।
  43. हेयर वंश क्षत्रिय - गोत्र कृष्णत्रेय और गुरु दत्तात्रेय। ये बिहार, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में यत्र-तत्र पाए जाते हैं। ये क्षत्रिय चन्द्रवंशी हैं।
विभिन्न लेखकों एवं विद्वानों के अनुसार क्षत्रिय राजवंश

कर्नल जेम्स टाड़ के मतानुसार - 
1- इश्वाकु, 2- कछवाहा, 3- राठौर, 4- गहलौत, 5- काथी, 6- गोहिल, 7- गौड़, 8- चालुक्य, 9- चावड़ा, 10- चौहान, 11- जाट, 12- जेत्वा, 13- जोहिया, 14- झाला, 15- तंवर, 16- दाबी, 17- दाहिमा, 18- दाहिया, 19- दौदा, 20- गहरवाल, 21- नागवंशी, 22- निकुम्भ, 23- प्रमार, 24- परिहार, 25- बड़गुजर, 26- बल्ल, 27- बैस, 28- मोहिल, 29- यदु, 30- राजपाली, 31- सरविया, 32- सिकरवार, 33- सिलार, 34- सेंगर, 35- सोमवंशी, 36- हूण।

डाo इन्द्रदेव नारायण सिंह रचित क्षत्रिय वंश भास्कर के अनुसार - 
1- सूर्यवंश, 2- चन्द्रवंश, 3- यदुवंश, 4- गहलौत, 5- तोमर, 6- परमार, 7- चौहान, 8- राठौर, 9- कछवाहा, 10- सोलंकी, 11- परिहार, 12- निकुम्भ, 13- हैहय, 14- चन्देल, 15- तक्षक, 16- निमिवंशी, 17- मौर्यवंशी, 18- गोरखा, 19- श्रीनेत, 20- द्रहयुवंशी, 21- भाठी, 22- जाड़ेजा, 23- बघेल, 24- चाबड़ा, 25- गहरवार, 26- डोडा, 27- गौड़, 28- बैस, 29- विसैन, 30- गौतम, 31- सेंगर, 32- दीक्षित, 33- झाला, 34- गोहिल, 35- काबा, 36- लोहथम्भ।

चन्द्रवरदायी के अनुसार राजवंश - 
1- सूर्यवंश, 2- सोमवंशी, 3- राठौर, 4- अनंग, 5- अर्भाट, 6- कक्कुत्स्थ, 7- कवि, 8- कमाय, 9- कलिचूरक, 10- कोटपाल, 11- गोहिल, 12- गोहिल पुत्र, 13- गौड़, 14- चावोत्कर, 15- चालुक्य, 16- चौहान, 17- छिन्दक, 18- दांक, 19- दधिकर, 20-देवला, 21- दोयमत, 22- धन्यपालक, 23- निकुम्भ, 24- पड़िहार, 25- परमार, 26- पोतक, 27- मकवाना, 28- यदु, 29- राज्यपालक, 30- सदावर, 31- सिकरवार, 32- सिन्धु, 33- सिलारु, 34- हरितट, 35- हूण, 36- कारद्वपाल।

मतिराम कृति वंशावली - 
1- सूर्यवंश, 2- पैलवार, 3- राठौर, 4- लोहथम्भ, 5- रघुवंशी, 6- कछवाहा, 7- सिरमौर, 8- गोहलौत, 9- बघेल, 10- कावा, 11- सिरनेत, 12- निकुम्भ, 13- कौशिक, 14- चंदेल, 15- यदुवंश, 16- भाटी, 17-तोमर, 18- बनाफर, 19- काकन, 20- बंशं, 21- गहरबार, 22- करमबार, 23- रैकवार, 24- चन्द्रवंश, 25- सिकरवार, 26- गौड़, 27- दीक्षित, 28- बड़बलिया, 29-विसेन, 30- गौतम, 31- सेंगर, 32- हैहय, 33- चौहान, 34- परिहार, 35- परमार, 36- सोलंकी।
 
 
Kshatriya - Rajput

राजपूत जातियो की सूची, राजपूतों की वंशावली, राजपूत गोत्र लिस्ट इन हिंदी
राजपूत नाम लिस्ट, गोत्र , वंश, स्थान और जिला की सूची

Rajput Caste List
--------------------------

क्रमांक नाम गोत्र वंश स्थान और जिला
1. सूर्यवंशी भारद्वाज सूर्य बुलंदशहर आगरा मेरठ अलीगढ
2. गहलोत बैजवापेण सूर्य मथुरा कानपुर और पूर्वी जिले
3. सिसोदिया बैजवापेड सूर्य महाराणा उदयपुर स्टेट
4. कछवाहा मानव सूर्य महाराजा जयपुर और ग्वालियर राज्य
5. राठोड कश्यप सूर्य जोधपुर बीकानेर और पूर्व और मालवा
6. सोमवंशी अत्रय चन्द प्रतापगढ़ और जिला हरदोई
7. यदुवंशी अत्रय चन्द राजकरौली राजपूताने में
8. भाटी अत्रय जादौन महारजा जैसलमेर राजपूताना
9. जाडेचा अत्रय यदुवंशी महाराजा कच्छ भुज
10. जादवा अत्रय जादौन शाखा अवा. कोटला उमरगढ आगरा
11. तोमर व्याघ्र चन्द पाटन के राव तंवरघार जिला ग्वालियर
12. कटियार व्याघ्र तोंवर धरमपुर का राज और हरदोई
13. पालीवार व्याघ्र तोंवर गोरखपुर
14. परिहार कौशल्य अग्नि इतिहास में जानना चाहिये
15. तखी कौशल्य परिहार पंजाब कांगड़ा जालंधर जम्मू में
16. पंवार वशिष्ठ अग्नि मालवा मेवाड धौलपुर पूर्व मे बलिया
17. सोलंकी भारद्वाज अग्नि राजपूताना मालवा सोरों जिला एटा
18. चौहान वत्स अग्नि राजपूताना पूर्व और सर्वत्र
19. हाडा वत्स चौहान कोटा बूंदी और हाडौती देश
20. खींची वत्स चौहान खींचीवाडा मालवा ग्वालियर
21. भदौरिया वत्स चौहान नौगावां पारना आगरा इटावा ग्वालियर
22. देवडा वत्स चौहान राजपूताना सिरोही राज
23. शम्भरी वत्स चौहान नीमराणा रानी का रायपुर पंजाब
24. बच्छगोत्री वत्स चौहान प्रतापगढ़ सुल्तानपुर
25. राजकुमार वत्स चौहान दियरा कुडवार फ़तेहपुर जिला
26. पवैया वत्स चौहान ग्वालियर
27. गौर,गौड भारद्वाज सूर्य शिवगढ रायबरेली कानपुर लखनऊ
28. बैस भारद्वाज सूर्य उन्नाव रायबरेली मैनपुरी पूर्व में
29. गहरवार कश्यप सूर्य माडा हरदोई उन्नाव बांदा पूर्व
30. सेंगर गौतम ब्रह्मक्षत्रिय जगम्बनपुर भरेह इटावा जालौन
31. कनपुरिया (कन्हपुरिया) भारद्वाज ब्रह्मक्षत्रिय पूर्व में राजा अवध के जिलों में हैं
32. बिसैन वत्स ब्रह्मक्षत्रिय गोरखपुर गोंडा प्रतापगढ में हैं
33. निकुम्भ वशिष्ठ सूर्य गोरखपुर आजमगढ हरदोई जौनपुर
34. सिरसेत भारद्वाज सूर्य गाजीपुर बस्ती गोरखपुर
35. कटहरिया वशिष्ठ भारद्वाज, सूर्य बरेली बदायूं मुरादाबाद शाहजहांपुर
36. वाच्छिल अत्रयवच्छिल चन्द्र मथुरा बुलन्दशहर शाहजहांपुर
37. बढगूजर वशिष्ठ सूर्य अनूपशहर एटा अलीगढ मैनपुरी मुरादाबाद हिसार गुडगांव जयपुर
38. झाला मरीच कश्यप चन्द्र धागधरा मेवाड झालावाड कोटा
39. गौतम गौतम ब्रह्मक्षत्रिय राजा अर्गल फ़तेहपुर
40. रैकवार भारद्वाज सूर्य बहरायच सीतापुर बाराबंकी
41. करचुल हैहय कृष्णात्रेय चन्द्र बलिया फ़ैजाबाद अवध
42. चन्देल चान्द्रायन चन्द्रवंशी गिद्धौर कानपुर फ़र्रुखाबाद बुन्देलखंड पंजाब गुजरात
43. जनवार कौशल्य सोलंकी शाखा बलरामपुर अवध के जिलों में
44. बहरेलिया भारद्वाज वैस की गोद सिसोदिया रायबरेली बाराबंकी
45. दीत्तत कश्यप सूर्यवंश की शाखा उन्नाव बस्ती प्रतापगढ़ जौनपुर रायबरेली बांदा
46. सिलार शौनिक चन्द्र सूरत राजपूतानी
47. सिकरवार भारद्वाज बढगूजर ग्वालियर आगरा और उत्तरप्रदेश में
48. सुरवार गर्ग सूर्य कठियावाड में
49. सुर्वैया वशिष्ठ यदुवंश काठियावाड
50. मोरी ब्रह्मगौतम सूर्य मथुरा आगरा धौलपुर
51. टांक (तत्तक) शौनिक नागवंश मैनपुरी और पंजाब
52. गुप्त गार्ग्य चन्द्र अब इस वंश का पता नही है
53. कौशिक कौशिक चन्द्र बलिया आजमगढ गोरखपुर
54. भृगुवंशी भार्गव चन्द्र बनारस बलिया आजमगढ़ गोरखपुर
55. गर्गवंशी गर्ग ब्रह्मक्षत्रिय नृसिंहपुर सुल्तानपुर
56. पडियारिया, देवल,सांकृतसाम ब्रह्मक्षत्रिय राजपूताना
57. ननवग कौशल्य चन्द्र जौनपुर जिला
58. वनाफ़र पाराशर,कश्यप चन्द्र बुन्देलखन्ड बांदा वनारस
59. जैसवार कश्यप यदुवंशी मिर्जापुर एटा मैनपुरी
60. चौलवंश भारद्वाज सूर्य दक्षिण मद्रास तमिलनाडु कर्नाटक में
61. निमवंशी कश्यप सूर्य संयुक्त प्रांत
62. वैनवंशी वैन्य सोमवंशी मिर्जापुर
63. दाहिमा गार्गेय ब्रह्मक्षत्रिय काठियावाड राजपूताना
64. पुंडीर कपिल ब्रह्मक्षत्रिय पंजाब गुजरात रींवा यू.पी.
65. तुलवा आत्रेय चन्द्र राजाविजयनगर
66. कटोच कश्यप भूमिवंश राजानादौन कोटकांगडा
67. चावडा,पंवार,चोहान,वर्तमान कुमावत वशिष्ठ पंवार की शाखा मलवा रतलाम उज्जैन गुजरात मेवाड
68. अहवन वशिष्ठ चावडा,कुमावत खीरी हरदोई सीतापुर बाराबंकी
69. डौडिया वशिष्ठ पंवार शाखा बुलंद शहर मुरादाबाद बांदा मेवाड गल्वा पंजाब
70. गोहिल बैजबापेण गहलोत शाखा काठियावाड
71. बुन्देला कश्यप गहरवार शाखा बुन्देलखंड के रजवाडे
72. काठी कश्यप गहरवार शाखा काठियावाड झांसी बांदा
73. जोहिया पाराशर चन्द्र पंजाब देश मे
74. गढावंशी कांवायन चन्द्र गढावाडी के लिंग पट्टम में
75. मौखरी अत्रय चन्द्र प्राचीन राजवंश था
76. लिच्छिवी कश्यप सूर्य प्राचीन राजवंश था
77. बाकाटक विष्णुवर्धन सूर्य अब पता नहीं चलता है
78. पाल कश्यप सूर्य यह वंश सम्पूर्ण भारत में बिखर गया है
79. सैन अत्रय ब्रह्मक्षत्रिय यह वंश भी भारत में बिखर गया है
80. कदम्ब मान्डग्य ब्रह्मक्षत्रिय दक्षिण महाराष्ट्र मे हैं
81. पोलच भारद्वाज ब्रह्मक्षत्रिय दक्षिण में मराठा के पास में है
82. बाणवंश कश्यप असुर वंश श्रीलंका और दक्षिण भारत में,कैन्या जावा में
83. काकुतीय भारद्वाज चन्द्र, प्राचीन सूर्य था अब पता नहीं मिलता है
84. सुणग वंश भारद्वाज चन्द्र,प्राचीन सूर्य था, अब पता नहीं मिलता है
85. दहिया कश्यप राठौड शाखा मारवाड में जोधपुर
86. जेठवा कश्यप हनुमानवंशी राजधूमली काठियावाड
87. मोहिल वत्स चौहान शाखा महाराष्ट्र मे है
88. बल्ला भारद्वाज सूर्य काठियावाड़ में मिलते हैं
89. डाबी वशिष्ठ यदुवंश राजस्थान
90. खरवड वशिष्ठ यदुवंश मेवाड उदयपुर
91. सुकेत भारद्वाज गौड की शाखा पंजाब में पहाडी राजा
92. पांड्य अत्रय चन्द अब इस वंश का पता नहीं
93. पठानिया पाराशर वनाफ़रशाखा पठानकोट राजा पंजाब
94. बमटेला शांडल्य विसेन शाखा हरदोई फ़र्रुखाबाद
95. बारहगैया वत्स चौहान गाजीपुर
96. भैंसोलिया वत्स चौहान भैंसोल गाग सुल्तानपुर
97. चन्दोसिया भारद्वाज वैस सुल्तानपुर
98. चौपटखम्ब कश्यप ब्रह्मक्षत्रिय जौनपुर
99. धाकरे भारद्वाज(भृगु) ब्रह्मक्षत्रिय आगरा मथुरा मैनपुरी इटावा हरदोई बुलन्दशहर
100. धन्वस्त यमदागिनी ब्रह्मक्षत्रिय जौनपुर आजमगढ़ बनारस
101. धेकाहा कश्यप पंवार की शाखा भोजपुर शाहाबाद
102. दोबर(दोनवर) वत्स या कश्यप ब्रह्मक्षत्रिय गाजीपुर बलिया आजमगढ़ गोरखपुर
103. हरद्वार भार्गव चन्द्र शाखा आजमगढ
104. जायस कश्यप राठौड की शाखा रायबरेली मथुरा
105. जरोलिया व्याघ्रपद चन्द्र बुलन्दशहर
106. जसावत मानव्य कछवाह शाखा मथुरा आगरा
107. जोतियाना(भुटियाना) मानव्य कश्यप,कछवाह शाखा मुजफ़्फ़रनगर मेरठ
108. घोडेवाहा मानव्य कछवाह शाखा लुधियाना होशियारपुर जालंधर
109. कछनिया शांडिल्य ब्रह्मक्षत्रिय अवध के जिलों में
110. काकन भृगु ब्रह्मक्षत्रिय गाजीपुर आजमगढ
111. कासिब कश्यप कछवाह शाखा शाहजहांपुर
112. किनवार कश्यप सेंगर की शाखा पूर्व बंगाल और बिहार में
113. बरहिया गौतम सेंगर की शाखा पूर्व बंगाल और बिहार
114. लौतमिया भारद्वाज बढगूजर शाखा बलिया गाजीपुर शाहाबाद
115. मौनस मानव्य कछवाह शाखा मिर्जापुर प्रयाग जौनपुर
116. नगबक मानव्य कछवाह शाखा जौनपुर आजमगढ़ मिर्जापुर
117. पलवार व्याघ्र सोमवंशी शाखा आजमगढ़ फैजाबाद गोरखपुर
118. रायजादे पाराशर चन्द्र की शाखा पूर्व अवध में
119. सिंहेल कश्यप सूर्य आजमगढ़ परगना मोहम्दाबाद
120. तरकड कश्यप दीक्षित शाखा आगरा मथुरा
121. तिसहिया कौशल्य परिहार इलाहाबाद परगना हंडिया
122. तिरोता कश्यप तंवर की शाखा आरा शाहाबाद भोजपुर
123. उदमतिया वत्स ब्रह्मक्षत्रिय आजमगढ गोरखपुर
124. भाले वशिष्ठ पंवार अलीगढ
125. भालेसुल्तान भारद्वाज वैस की शाखा रायबरेली लखनऊ उन्नाव
126. जैवार व्याघ्र तंवर की शाखा दतिया झांसी बुंदेलखंड
127. सरगैयां व्याघ्र सोम वंश हमीरपुर बुन्देलखण्ड
128. किसनातिल अत्रय तोमर शाखा दतिया बुन्देलखंड
129. टडैया भारद्वाज सोलंकी शाखा झांसी ललितपुर बुंदेलखंड
130. खागर अत्रय यदुवंश शाखा जालौन हमीरपुर झांसी
131. पिपरिया भारद्वाज गौडों की शाखा बुंदेलखंड
132. सिरसवार अत्रय चन्द्र शाखा बुन्देलखंड
133. खींचर वत्स चौहान शाखा फतेहपुर में असौंथड राज्य
134. खाती कश्यप दीक्षित शाखा बुंदेलखंड, राजस्थान में कम संख्या होने के कारण इन्हें बढई गिना जाने लगा
135. आहडिया बैजवापेण गहलोत आजमगढ
136. उदावत बैजवापेण गहलोत आजमगढ
137. उजैने वशिष्ठ पंवार आरा डुमरिया
138. अमेठिया भारद्वाज गौड अमेठी लखनऊ सीतापुर
139. दुर्गवंशी कश्यप दीक्षित राजा जौनपुर राजाबाजार
140. बिलखरिया कश्यप दीक्षित प्रतापगढ उमरी राजा
141. डोमरा कश्यप सूर्य कश्मीर राज्य और बलिया
142. निर्वाण वत्स चौहान राजपूताना (राजस्थान)
143. जाटू व्याघ्र तोमर राजस्थान,हिसार पंजाब
144. नरौनी मानव्य कछवाहा बलिया आरा
145. भनवग भारद्वाज कनपुरिया जौनपुर व भदोही 
146. देवरिया वशिष्ठ पंवार बिहार मुंगेर भागलपुर
147. रक्षेल कश्यप सूर्य रीवा राज्य में बघेलखंड
148. कटारिया भारद्वाज सोलंकी झांसी मालवा बुंदेलखंड
149. रजवार वत्स चौहान पूर्व में बुन्देलखंड
150. द्वार व्याघ्र तोमर जालौन झांसी हमीरपुर
151. इन्दौरिया व्याघ्र तोमर आगरा मथुरा बुलन्दशहर
152. छोकर अत्रय यदुवंश अलीगढ़ मथुरा बुलन्दशहर
153. जांगडा वत्स चौहान बुलंदशहर पूर्व में झांसी
154.   वाच्छिल, अत्रयवच्छिल, चन्द्र, मथुरा बुलन्दशहर शाहजहांपुर
155.   सड़ माल  सूर्य  भारद्वाज  जम्मू - कश्मीर , साम्बा , कठुआ , 
156.   रावत राजपूत की गोत्र उपलब्ध जानकारी के अनुसार रावत राजपूत  का गोत्र भारद्वाज और वेद यजुर्वेद है.


नोट -
  1. क्षत्रियों का इतिहास गौरवशाली है और पूर्व में और भी विस्तृत रहा है। इस लेख का प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। अगर आपके हिसाब से कोई त्रुटि या सुधार संभव हो तो कमेंट के माध्यम से जरूर रखे त्रुटि को दूर किया जायेगा।
  2. अगर कोई क्षत्रिय-राजपूत शाखा इसमें नहीं जुडी है तो उसे भी अवगत कराये उसे भी सही श्रेणी में जोड़ा जाएगा ताकि अपने नये क्षत्रिय भाई अपने इतिहास से अवगत हो सके। इस काम में आपके सहयोग की अपेक्षा है और बिना सामूहिक सहयोग के यह सम्भव भी नहीं है। इस बारे में आपके पास कोई जानकारी हो तो पर PRAMENDRAPS@जीमेल.COM पर ईमेल करें।
  3. क्षत्रिय वंशावली से सम्‍बन्धित अन्‍य लेख ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित राजपूतों-क्षत्रियों की वंशावली लिखा गया है, जिसे उस पेज पर जा कर पढ़ा जा सकता है।
धन्यवाद सहित

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680 टिप्‍पणियां:

  1. Please correct Bais Rajputs are Suryavanshi Rajputs
    You mentioned them as chandravanshi
    Thanks
    S.N.Singh

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  2. उत्तर
    1. In 16th century Gautam Rajput family of Argal fought many battles for Sher Shah against Humayun. This brought upon them the vengeance of Humayun when he returned to India. Eventually the subsequent Mughal rulers caused utter destruction to their family properties.

      They have originated in the region above or around the doab area of the upper Gangetic plain. In the modern times this area represents the territory around the border of the State of Rajasthan and Western Uttar Pradesh. 42 large village of Gautam Rajput at Rae Bareli District. After 7th century Gautam Rajput clan also migrated outside the place of their origin, like the other Rajput clans. Gautam Rajputs Are also live in this areas like Gazipur, Fatehpur, Muradabaad, Badau, Kanpur, Baliya, Aajmgarh, Faijabaad, Banda, Pratap Garh, Farukhabaad, Shahabaad, Gorakhpur, Banaras, Badaun, states in up, Aara, Chhapra, Darbhanga (Bihar), Chandrapura, NarayanGarh (Mandsour), Raipur (MP).

      The Gautam claim descent from a Brahmin called Siringhi, who married a daughter of the Gaharwar Raja. For his dowry he obtained all the country between Allahabad to Haridwar. They are said to have originated in the region above or around the doab area of the upper Gangetic plain. In the modern times this area represents the territory around the border of the State ofRajasthan and Western Uttar Pradesh. After 7th century A.D. Gautam Rajput clan also migrated outside the place of their origin, like the other Rajput clans. Gautam Rajputs are not widely known in Rajasthan

      हटाएं
    2. Bhai mujhe lodha lodh rajput k bare m btao is cast se tiger raja singh lodh,uma bharti klyan singh aate h

      हटाएं
  3. Just a claim not real.... Chauhan are self acclaimed Rajput cast they are neither described as Kshatriya.....
    Bharat don't have Rajput system. These are term given by Britishers...Surya/Chandravansh have no relation with them..

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    उत्तर
    1. In which era you are living my friend.
      Who was RAM?
      What about Mahabharat.
      Pls read ancient mythology then come with some strong point.

      हटाएं
    2. Mr you don't know anything just spitting rubbish.
      First read ancient mythology and come back with strong argument

      हटाएं
  4. Want to know about the Nirwan Rajputs?? N everything about them.. Plz help me out..

    जवाब देंहटाएं
  5. Sir rava rajput ke liye kuch bataiye enke baghpat. Mujjafar agar. Or Bijnor u.p.86 villege hai

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  6. We belong from azamgarh district up distwar rajput gotra kashyap. We are 52 village between chirriyacot bazar and Kahana ganja bazar in 15km range. Village name bhujahi, lapasipur, jairampur, tulshipur, hathota, khanpur, bohana, parashi, rajapur, tilshwa etc

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  7. Ahivan rajput garg gotra
    Place lakhimpur mitauli state (1857) sitapur bisvan hardoi farukha baad
    it migrated from anhilvada gujrat

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  8. Sir, what about kurmavanshi kshatriya ,. Scion of King kurma who ruled on rohtasgarh, tell me about more

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  9. उत्तर
    1. ढेकहा, देकहा, धेकहा, ढाका, देखा ये सभी एक है जिनको सूर्य वंशी में डाला गया है और सबसे पुराने नागवंश से हैं जिनका संबंध सम्राट प्रसेंजीत से है ये राजस्थान में नहीं है क्योंकि सम्राट प्रसेंजीत कांशी कोशल के महाराजा थे इसलिए बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में ये गोत्र है जो पंवार कि श्रेणी में आते हैं

      हटाएं
  10. परिहार वंश का पूरी जानकारी भी उपलब्ध कराये

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  11. परिहार वंश का पूरी जानकारी भी उपलब्ध कराये

    जवाब देंहटाएं
  12. उत्तर
    1. Kurmi sudera hote hai pagal ,,,shivaji chandervashi the unki mata jiji bayi jadava thi ,....,pagal kurmi hote hai........Mahtari kori bap miya tinke larika kurmiya ,,,,,,tum kurmi sudra jati ke ho ,,,,,,,,,

      हटाएं
  13. हाडा खानदान की एक शाखा दख्खन में आइ है उसके बारे मे जानकारी चाहिए

    जवाब देंहटाएं
  14. हाडा खानदान के एक शाखा दख्खन मे आइ है उसके बारे मे जानकारी चाहिए

    जवाब देंहटाएं
  15. हाडा खानदान की एक शाखा दख्खन में आइ है उसके बारे मे जानकारी चाहिए

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  16. Kya koi Jaswal aur hundraan caste bi exist karti hai attri gotra mein? Kshatriya caste mein ??

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  17. Chhatrapati shivaji maharaj are sishodiya suryavanshi kshatriya not kurmi, kurmi koi kshatriya nhi hote bhai bas likhne lage hai kurmi is sc/st qotes

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  18. Chhatrapati shivaji maharaj are sishodiya suryavanshi kshatriya not kurmi, kurmi koi kshatriya nhi hote bhai bas likhne lage hai kurmi is sc/st qotes

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  19. मैं उत्तराखण्ड का शांडिल्य गोत्रीय, चौहान वंशीय, वल्दिया राजपूत हूँ। मेरे विषय आपको जो भी जानकारी हो कृपया मुझे बताये। आपकी असीम अनुकम्पा होगी।

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  20. Balyan, Kakran, Mahalwan and Mahiyan are commonly found in Rajputs and Jats. Are these the gotras or the branches and which caste these really belong to??

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  21. Our ancestors touted us we are katariya thakur. Mula. Gwalior. Gotra Awani. But we have no any written documents. Please have you any information about katariya thakur?

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  22. Gurhar/Gaurhar & हिंदी में गुरहार/गौड़हर ये वंश गौड़ राजपूतों में से निकला है। ये अजमेर राजस्थान के तारागढ़ से निकले थे और वर्तमान में यूपी के कासगंज और बदायूं क्षेत्र के गावों में निवास करते हैं।।

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  23. Gurhar/ Gaurhar & हिंदी में गुरहार/ गौड़हर वंश नहीं लिखा है आपने ये वंश गौड़ राजपूतों से निकला है। अजमेर के तारागढ़ और राजगढ़ से एवम् वर्तमान में इस वंश के लोग यूपी के कासगंज व बदायूं क्षेत्र के गावों में निवास करते हैं।।

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  24. Please inform us about the tetiya rajpoot.hope so we will get information about them plzz

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  25. Prithviraj chauhan ke putra malkul, renshi aur tejmal ke bareme batao inke bareme sunatha lekin kahi padhne me nahi aayato ye batao in tinoka kya hua

    जवाब देंहटाएं
  26. Akbar aur maharana pratap k beech haldi ghati m yudh Hua tha us samay rajput baccho budde aurto ko apna mulnivas chod k jane ka adesh Mila the na h birdari valo n h investigation kri n sarkar n unke bare m reveal kra . Now we use to live in karnal district of 5-6 villages why don't we join our previous Birdari (gotra) . Please give your suggestion

    जवाब देंहटाएं
  27. Akbar aur maharana pratap k beech haldi ghati m yudh Hua tha us samay rajput baccho budde aurto ko apna mulnivas chod k jane ka adesh Mila the na h birdari valo n h investigation kri n sarkar n unke bare m reveal kra . Now we use to live in karnal district of 5-6 villages why don't we join our previous Birdari (gotra) . Please give your suggestion

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  28. Maunash thakur list me nahi hai
    Unko add karo
    Ye bhadohi district me hai
    Ye maharana pratap ke vansh ke hai

    जवाब देंहटाएं
  29. आप ये बात बताएं, पुंडीर/कंडीर कौन से राजपूत है

    जवाब देंहटाएं
  30. एक सूर्यवंशी सुर्य वंश गौत्र भारद्वाज शाखाओं परीवार जो की 7 पीढीयों से मुजेहरा ग्रामसभा जिला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश निवास रहे हैं उनकी भी सुची में विवरण दिया जाए ।

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  32. BAGHEL rajput
    gotra - bhardwaj
    vansh - agnivansh
    sthan - rewa (baghel khand)

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  33. I am raghav rajput (badbujjar/badhjjwal)
    And my gotra is parashar
    Which i dont see above

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  34. जिस प्रकार अग्नि वंश के चौहान वंश की 24 अलग शाखाएं उसी प्रकार उसी प्रकार अग्निवंश के परमार वंश की 36 अलग गोत्र है सोढा परमार, हरोड परमार ,मकवाना, टॉक, झोरड़, झाला, उदाना, लूवाणा भाटी आदि जो कि सिंध से 700 गाड़ियां लेकर चित्तौड़ और वहां से मांडव पर उसके बाद 330 सौ गाड़ियां का ठिकाना गुजरात और 330 सौ गाड़ियों का ठिकाना मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है जो कि अब सैंधव के नाम से जाने जाते हैं. जिसमें कई गांव को 12 12 गांव की जागीरी प्राप्त है. इसके बारे में अधिक बताएं.

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  35. इसमे कठे हर रोहिलोखण्ड में जो चौहान राठौर वाछल वत्स आदि राजपूत शासन करते थे वे निकुम्भ वन्स से थे रोहिला बनाफर रङ्ढेल आदि रोहिला क्षत्रियो राजपूतो का कोई जिक्र नही है रोहिला भी एड करिये 1740 से पहले रोहिलखण्ड में रोहिला राजपूतो के शासन थी

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  36. रामपुर रोहिला राजपूतो के राजा राम शाह की राजधानी थी बरेली जगत सिंह कतेहरिया के पुत्रों ने स्थापित की थी कठ कठे हरिया राजपूत ही रोहिले राजपूत है

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  37. नाग वंश में अहिबन राजपूत को भी जोड़े। इनका गोत्र गर्ग है। ये बहुत थोडी संख्या में उत्तर प्रदेश के सीतापुर, लखीमपुर, लखनऊ मेंपाए जाते हैं

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  38. vohra kstriya rajpoot desent dadwal rajpoot and origan rajpoot clan village bhaun in chakwal in pak ,gotra kashap,our tittle is rai ,

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  39. बागरी और मौहार राजपूत चौहान की शाखा है जो जो महोबा युद्ध के दौरान आये थे। क्या आप बता पाएंगे बागरी और मौहर शब्द कैसे प्रचलित हुये।
    -अरुण सिंह बागरी

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    1. बागरी एंड मौहर ये दोनों अलग अलग गोत्र के छत्रिय है बागरी karauli के जादौन है ये चंद्रवंशी छत्रीय है राजा अर्जुनपाल के12पुत्रो में बिनायकपालके वंसजहै राजस्थान में बांगड़ छेत्रमें राज्य अथापित कियेथे वंहा से ये 1127सम्बतमें ग्राम भुगइचा हमीरपुर में आये थेवंहा कहरा महोबा आये थे बागड़ से आने से बगदीसे बगरी शब्द बना है मौहार शबद की उत्पत्ति जब पृथ्बीराजचौहान महोबा को विजय किया है उनके साथ देवड़ा शाखाके चौहान सेनापतिके रूप में आये थे मुहारा आगे लड़ने वाले को मुहरा से मौहार शब्द बना है इनका गोत्र वत्सहै इनको पृथ्बीराज कालिंजर के देख रेख सुरछा केकारण छोड़ केर गए थे

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  40. कठेरिया ठाकुर सूर्यवंशी की श्रेणी में आते हैं जिनका गोत्र वशिष्ठ होता है।
    निकासी- अयोध्यापुरी, लोकनगरी, उच्च मुल्तान, सवालाख गढ़जलंधर, जयपुर, जोधपुर, चित्तोड़, तुकलकबाद,काठियावाड़, लीलौर, अलीगढ़, अनूपशहर में हैं।
    वेदों की शाखा- यजुर्वेद, उपवेद, धनुर्वेद, शाखा मारधुन्दनी, सूत्र परासर- गृहा सूत्र।
    पक्षी- गरुण
    नदी- सरयू
    इष्ट- रामचंद्र जी
    कुल की देवी- काली माँ/ योगेश्वरी देवी

    विवरण अपलोड करें।

    *** और सभी राजपूत भाई जानते ही होंगे कि उनका सम्पूर्ण विवरण उनके जगा के पास होता है।***

    ठाकुर आकाश वशिष्ठ......
    कंप्यूटर हार्डवेयर एंड सॉफ्टवेयर टेक्नीशियन
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  41. कट गोत्र के वंश का विवरण दीजिये

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  42. Somvanshi Sahasraarjun kshatriya Tak / taak / tunk ye 3 ka gotra aur kuldevta - kuldev bataye

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  43. Dabi Rajputs rose to popularity in the 9th and 10th centuries. Dabi Rajputs are passionately attached to their land, family and honor. Dabi Rajputs treated war like a sport, and followed a strong chivalric code of conduct. Dabi Rajputs worships the Scythians, Chamunda Maa and Durga Maa as there god.

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  44. Karmuaar(karmar) rajput's name is not add.judge tax impose by Akbar did not give the karmuaar rajput,hence it was named after it.

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  45. Karmuaar(karmar) rajput's name is not add.judge tax impose by Akbar did not give the karmuaar rajput,hence it was named after it.

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  46. Karmuaar(karmar) Rajput,Gotra vashisht.Jagiya tax imposed by Akbar did not give karmuaar Rajput,hence the name was karmuaar Rajput.Settler kantipur,Rajasthan.Please add this Rajput caste.

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  47. Mujhe katheriya Rajput ki Kya bansawali batao aur bahut jagah ye log neeche kyo hai SC Sur OBC me kyo Ate hai wanna ke log inhe Rajput Nahi Jante hai

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  48. Bagel Rajput Jo ki gotra Bharadwaj hai vansaj Agni dist Kaimur( bhabhua) Bihar esko add kare
    Thanks

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  49. सर कछनिया राजपूत का गोत्र भरद्वाज होता है | इसमें गलत दिया है|

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  50. भाई इसमें तो गोंडा के राजा कीर्तिवर्धन सिंह के खानदान का नाम ही नहीं है जो वहां मनकापुर में 200000 से भी ज्यादा ठाकुरों के साथ रह रहे हैं जिनका गोत्र भरद्वाज है बधलगोती ठाकुर है ज्योति अमेठी के वंशज है

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  51. भाई इसमें गोंडा जिला के मनकापुर के राजा श्री कीर्तिवर्धन सिंह जी के वंशज का जिक्र ही नहीं अमेठी के वंशज के ठाकुर है उनका गोत्र भारद्वाज है बधलगोती ठाकुर

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  52. Raghuvanshi Rajput clan is well known from king Raghu to lord Ram and found spread in many districts of UP in Faizabad, Jaunpur, Ghazipur etc but found absent in this list. I am Raghuvanshi from Jaunpur, where a cluster in 42 villages of Raghuvanshi s are there.

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    1. Are bhaiya Raghuvanshi sirf udhar hi ni all India me h kyoki APAN raghuwanshi real Kshatriya h Suryawanshi raghuwanshi Kshatriya koi rajput ni h APAN rajput APaN se bane h bhagwan ram ke vanshaj h apan Raghu raja ke .jai Shree ram jai raghuwansh

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  53. vohra kstriya dadwal desent gotra kashap village bhaun in chakwal origan rajpoot clan

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  54. isme upar to chhonker kaa chandravansi likha hua h
    pr niche gotra me chhonker yduvansh kaa likha hua h
    why?

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  55. Please tell me about rajput gotra bhal from sindarao..Hathras aligarh

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  56. "लोधी राजपूत" के बारे में क्यों नहीं दिया

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  57. "लोधी राजपूत" के बारे में क्यों नहीं दिया है?

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  58. क्या कलहंस का कुछ पता है या आपको मालूम ही नही


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  59. क्या कलहंस का कुछ पता है या आपको मालूम ही नही


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  60. Mai azamgarh up ka rahne wala hu, paliwal rajpoot hu aur mera gotra bhaiya ghritiya hai plz update aur ham log 52 village me hain,

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  61. Kachania ke bare me bataiye unki kuldevi or brahmchatriya kon se vansh me aata he

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  62. आपके दृवारा इस क्षत्रियो कि सूचि मे अयोध्या के महान क्षत्रिय रघुवंशीयो का नाम नही है इस क्षत्रिय वंश के लोग 1131 से 1507 विक्रम सं मे अयोध्या क्षेत्र से मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र के विभिन्न जिलो मे निवास करते है। रघुवंशीयो का ऋषी गोत्र भारद्वाज और कश्यप झन्डा का रंग भग्वा वेद ऋग्वेद है।वंश सूर्य है। क्रप्या इसे शामिल करे।भारत के समस्त क्षत्रिय जातियो कि एकता का प्रयास करने के लिये कोटिशः धन्यवाद ।

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  63. Lot's of Rajput Gotras are not mentioned here like Rawat and Dhaka etc. Which are in Ghadwal as well as in Satna M. पी.

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    1. ढाका, देकहा, ढेकहा सूर्य वंशी लाल पताका त्रिशूल निशान, पंवार कि शाखा, कांशी कोशल नरेश के वंशज हैं ये बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में हैं इस वंशावली में राजस्थान से संबंधित राजपूतों का वर्णन किया गया है
      7042139166, 9310787771 से संपर्क करें

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  64. कर्चुली गोत्र कश्यप 11 वीं शताब्दी से 12वीं मध्य तक भारत में शासन इष्ट देव श्री श्री संकर जी वंशज नीलकंठ देव वंशावली भी है जानकारी पूरी दें समाज को

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  65. खरवड राजपूत के बारे मे और कुछ बता सकते हो क्या हुकम

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  66. लोधी क्षत्रिय के बारे में जानकारी भी सम्मिलित करें।

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  67. Aasht is our cast and our gotra is atar and we are maratha rajput .as told by ancestors.

    Do you have the correct information about our kul devta and place of our yearly mail or gathering

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  68. Please गंधर्व राजपूत के बारे में बताये

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  69. यहाँ पर मुझे लखेरा के बारे में पूरी जानकारी दे सकते है क्या ये भी बता देना की लखेरा छत्रिय में आते है क्या

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  72. वार्ता योगदान उपलोड्स
    राजपूत बेल्दार क्षत्रिय समाज छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर जिला के कुछ गाओं में निवास करते है सिरपुर स्थित सामाजिक राम मंदिर प्रधान कार्यालय है इस मंदिर से जुड़े हुए सामाजिक लोग ही इस समाज से ताल्लुक रखते है सामाजिक संख्या की दृष्टि से संख्या कम है पूर्वजों के द्वारा बताया गया है कि कुछ सैन्य टुकड़ी के रूप में आना हुआ था राजपूत बेल्दार क्षत्रियके बारे में न तो शासन प्रशासन को है और ना ही अन्य राजपूत समाज को(( बेल्दार लिखने का मतलब उन बेल्दारों से नही है जो पत्थर से सील लोढा और गधा पालने का काम करते है)) राजपूत बेल्दार क्षत्रिय समाज के लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषि और गऊ माता पालते है जिन गाओं में निवास है सम्मान से देखा जाता है, इस समाज के पूर्वजों को 5 गांव मालगुजारी मिला था जिसमे एक गाँव बेल्दार सिवनी के नाम से है इस समाज के लोग प्रभु श्री राम को मानते है ढाल तलवार की पूजा करते है दूल्हा देव, महामाया माता इष्ट देव है ,दशहरा त्योहार पर रखिया फल में आकृति बनाकर इसकी पूजा करते है शादी ब्याह की रस्मे राजपूतो में अपनाई जाने वाली रस्मे है दहेज प्रथा पर प्रतिबंध है गोत्र कौशिक हाशूल आदि है महोदय जी राजपूत क्षत्रिय की सूची में राजपूत बेल्दार क्षत्रिय को भी जोड़ने का निवेदनहै हैकुछऔर जानकारी के लिए संपर्क करे और किशी को इस विषय मे कुछ जानकारी हो तो जरूर शेयर करे[email protected] whatsup no 9826165432

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