श्री हरिहर मंदिर बनाम जामा मस्जिद विवाद: हाईकोर्ट ने वाद दायर करने और स्थल निरीक्षण की अनुमति को सही ठहराया

प्रमुख बिंदु: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने Committee of Management, Jami Masjid Sambhal की पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, जोकि एक दीवानी मुकदमे की अनुमति व कमीशन नियुक्ति के खिलाफ दायर की गई थी।

पृष्ठभूमि: हरि शंकर जैन सहित 8 वादकारियों ने दावा किया कि सांभल स्थित जामा मस्जिद दरअसल प्राचीन श्री हरिहर मंदिर है, जिसे 1920 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था। उन्होंने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) से जनसामान्य को मंदिर में प्रवेश देने की मांग की थी। जब अनुमति नहीं मिली, तो वादियों ने 21 अक्टूबर 2024 को नोटिस भेजकर 19 नवंबर 2024 को दीवानी मुकदमा दर्ज किया।

प्रमुख मुद्दे:
1. नोटिस अवधि से पहले मुकदमा दायर करना:
कोर्ट ने माना कि यद्यपि सामान्यतः सरकार के विरुद्ध मुकदमे से पहले दो माह का नोटिस देना होता है (धारा 80 CPC), किन्तु जब त्वरित राहत की आवश्यकता हो, तो कोर्ट की अनुमति से तत्काल मुकदमा दायर किया जा सकता है। कोर्ट ने इसे सही ठहराया क्योंकि वादियों को मंदिर के "हिंदू प्रतीकों को हटाए जाने" की आशंका थी।

2. सर्वेक्षण आयोग (कमीशन) की नियुक्ति:
कोर्ट ने माना कि मामले की प्रकृति को देखते हुए स्थान विशेष की वास्तविक स्थिति को जानने हेतु स्थानीय निरीक्षण आवश्यक था। अतः 19 नवंबर को ही अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त कर निरीक्षण कराने का आदेश दिया गया।

3. वादी समिति की आपत्तियाँ:
Committee of Management, Jami Masjid ने तर्क दिया कि यह मामला 1991 के उपासना स्थल अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है, और मस्जिद की धार्मिक पहचान बदली नहीं जा सकती। परंतु कोर्ट ने यह कहा कि वाद केवल "प्रवेश अधिकार" की मांग पर आधारित है, धार्मिक पहचान पर नहीं।

4. सरकारी पक्ष की स्थिति:
राज्य सरकार, ASI और अन्य सरकारी प्रतिवादीगण ने मुकदमे की वैधता पर कोई आपत्ति नहीं की और नोटिस अवधि से छूट को स्वीकार किया।

न्यायालय का निष्कर्ष:
उच्च न्यायालय ने पाया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा मुकदमा दाखिल करने की अनुमति व कमीशन की नियुक्ति उचित प्रक्रिया में की गई थी और इसमें कोई विधिक त्रुटि नहीं थी। निजी विपक्षी (मस्जिद समिति) को धारा 80 की नोटिस संबंधी आपत्ति करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वह सरकारी पक्ष नहीं है।

केस शीर्षक: Committee of Management, Jami Masjid Sambhal Ahmed Marg Kot Sambhal vs. Hari Shankar Jain and 12 Others
केस नंबर: CIVIL REVISION No. 4 of 2025
निर्णय दिनांक: 19 मई 2025

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