बंता: मेरी बीवी मुझे छोड़ के चली गई।
ओए हँस ले
बंता: मेरी बीवी मुझे छोड़ के चली गई।
स्नातक शिक्षा उपधिधारियो से निवेदन
बोलो बजरंगबली की जय - हनुमान जी के जन्म की कथा और चित्र
हनुमान जी के जन्म की कथा - चैत्र पूर्णिमा को हुआ था हनुमानजी का जन्म
हनुमानजी बहुत ही चंचल थे। वह जब चाहें जहां चाहें पहुंच जाते थे और जो मन में आता वह कर डालते थे। हनुमानजी की शरारतों से आश्रमों में रहने वाले ऋषि-मुनि परेशान रहते थे। इस पर ऋषि-मुनियों ने हनुमानजी को श्राप दिया कि जिस बल के कारण तुम इतने शरारती हो गए हो उसी को लंबे समय तक भूले रहोगे जब कोई तुम्हें तुम्हारे बल के बारे में याद दिलाएगा तभी तुमको सब याद आएगा। इस श्राप के कारण हनुमानजी का स्वभाव शांत और सौम्य हो गया।
Best 51 Bajrang Bali Hanuman Photos
आज राष्ट्रीय शर्म दिवस है
आज मुझे मनमोहन नीत सरकार को, चीनी सरकार का ऐजेंट कहने में जरा भी हिचक नही है। एक तरफ तिब्बती जनता का दमन किया जा रहा है वही भारतीय सरकार चीन के जश्न में जाम पे जाम लिये जा रही है। आज की सत्ता की घिनौनी हरकत ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। एक पराये देश की दमन कारी नीति के सर्मथन में पूरी दिल्ली को कफ्यू ग्रस्त जैसा महौल कर दिया है। देश के गृहमंत्रालय भी ''चीनी मेहरिया'' (मशाल) के दर्शन कोई नागरिक न कर ले इस लिये, सभी सरकारी इमारतों की राजपथ की ओर खुलने वाली खिड़कियां व दरवाजे बंद रहेंगे। पीएमओ, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय भी राजपथ पर हैं इसलिए यह नियम उन पर भी लागू होगा।
कितनी शर्म की बात है कि यह प्रधानमंत्री कार्यालय से भी इस मशाल को दूर रखा गया, शायद सोनिया-मनमोहन सरकार को अपने कार्यालय पर ही भरोसा नही है। इस र्निलज्ज सरकार में कम से थोड़ा तो पानी रहा नही तो राष्ट्रपति भवन को भी न छोड़ते।
कई सितारों ने इस मशाल दौड़ का बहिष्कार किया वे बधाई के पात्र है सबसे अधिक भूटिया जिन्होने सरकार की नीति ही नही सरकारी नुमाइन्दों के मुँह पर खीच खीच के तमाचे मारे है। भूटिया स्पष्टता से कहा कि तिब्बती दमन के अपराधी के उत्सव में मै भाग नही लूँगा। भूटिया का कहना स्वाभाविक है वह सिक्किम से जुडे है जिसे चीन अपना अंग मानता है।
हमारी सरकार एक औरत के छत्रछाया में चूडि़यॉं पहन के बैठी है। इसके मंत्री अरूणाचल जाते है तो सिर्फ यह घोषण करने की ''अरूणाचल भारत का अभिन्न अंग है।'' अरूणाचल तो भारत का अंग है ही उसे बताने की क्या जरूरत है। मै सच में एक बात कहना चहाता हूँ कि अगर ऐसे मंत्री की सुरक्षा न हो तो अरूणाचल ही नही पूरे भारत में जूतियाये जाये। भारत का अंग वास्तव में सिक्किम और अरूणाचल तब होगे कि वहाँ पर कुछ काम हो। किन्तु काम के नाम पर इन ''नमक चोरों'' की जेब खाली हो जाती है। आज भी देश के दोनो प्रदेश रेल यातायात से अछूते है। क्या संसाधनों की कमी के बल पर भारत के अंग बनाये रखेगें?
इलाहाबाद चिट्ठकार मिलन - ब्लागरों बारात की तैयारी करो लड़का तैयार है
इलाहाबाद चिट्ठाकार मिलन में संशोधन
कार्यक्रम पूर्ण विवरण
इलाहाबाद चिट्ठाकार मिलन कार्यक्रम का आमंत्रण
इस चिट्ठाकार मिलन कार्यक्रम के लिये, इलाहाबाद और आस-पास के ब्लागर बन्धु भी आंमत्रित है। इस कार्यक्रम के लिये इच्छुक चिट्ठकार बन्धु दिनॉंक 11/4/2008 की शाम 7 बजे तक मुझे इस नम्बर पर या रामचन्द्र मिश्र जी को (9919824795) पर सूचित करने का कष्ट कीजिए।
अभी तक इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिये निम्न नाम अनुमति प्रदान कर चुके है - सर्वश्री ज्ञानदत्त पान्डेय, श्री संतोष कुमार पान्डेय, श्री राम चन्द्र मिश्र, श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह, श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह, श्री ताराचन्द्र गुप्ता, श्री शिवकुमार गुप्ता एवं मै स्वयं।
भारतीय मुस्लिम नेतृत्व - भय बिन प्रीत न होत गुंसाई
यह मुस्लिम नेता रोषपूर्वक अपने को सौ प्रतिशत भारतीय होने का दावा करते है। साथ ही साथ काश्मीर पर पाकिस्तान के दावे के पक्ष में तर्क देते सुने जाते है। आसाम में पाकिस्तानी काश्मीर घुसपैठियों को भारतीय मुसलमान मुस्लिम सिद्ध करते दिखाई देते है। कहने को उनका हिन्दुओं से कोई मनोमालिन्य नही किन्तु साथ ही साथ यह फतवा भी जारी करते है कि नेहरू के मृत्योंपरानत उनके शव के पास कुरान का पाठ इस्लाम के विरूद्ध है क्योकि काफिर के शव पर कुरान नही पढ़ी जा सकती। वह जाकिर हुसैन को भारत का राष्ट्रपति तो देखना चाहते है किन्तु अच्छा मुसलमान होने के नाते उनके हिन्दु में शपथ और शंकराचार्य से आशीर्वाद लेने प आपत्ति करते है।
प्रस्तुत वाक्य हामिद दलवई के है जो मुस्लिम पॉलिटिक्स इन सेक्युलर इंडिया, पृ. 47 से उद्धृत है। इस वाक्य से मुसलिम नेतृत्व की का सही रूप सामने दिखता है। जो नेहरू की मृत्यु से लेकर आज तक की सत्ता सर्घष में हावी है। यह कांग्रेस उसी मुसलिम कौम को उठाने का असफल प्रयास कर रही है जो अपनी रूढि़ विचारों से कभी नही उठ सकती है। सोनिया को लगता है कि वह 18 प्रतिशत मुसलमानों के बल पर वह चुनाव जीत लेगी तो यह उनकी सबसे बड़ी राजनैतिक अपरपिक्वता की निशानी है, वह दिन दूर नही जब राष्ट्रवाद का स्वाभिमान जागृत होगा और देश में राष्ट्रवाद के नेतृत्व की सरकार आयेगी। और तब देश में न सिर्फ मुसलमान उन्नति करेगा अपितु पूरा देश उन्नति करेगा। जरूरत है उग्रता को सोंटा दिखने और सही मार्ग पर ले चलने की। क्योकि कहा गया है - भय बिन प्रीत न होत गुंसाई।
गूगल पर प्रतिबन्ध तो नही लग गया है ?
ब्रह्मचर्यासन से करें स्वप्नदोष, तनाव और मस्तिष्क के बुरे विचारों को दूर
ब्रह्मचर्यासन - प्राय: भोजन के बाद योगासन नहीं किये जाते किन्तु कुछ आसन ऐसे भी होते हैं जो भोजन के बाद भी किये जाते हैं। ऐसे ही आसनों में से एक है ब्रह्मचर्यासन। इस आसन को रात्रि-भोजन के बाद सोने से पहले करने से विशेष लाभ होता है। इस आसन को नियमित से करने के ब्रह्मचर्य-पालन में सहायता मिलती है जिससे अखंड ब्रह्मचर्य की सिद्धि होती है। यह आसन ब्रह्मचर्य की साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए इस आसन को ब्रह्मचर्यासन का नाम दिया गया है। इस आसन से मानसिक संतुलन बनाकर मन को शांति प्रदान की जा सकती है। ब्रह्मचारी साधना का अनुपालन करने के लिए ब्रह्मचारी लोग इस आसन को लगाते है।
ब्रह्मचर्यासन की विधि Brahmacharyasana ki Vidhi
समतल भूमि पर दरी या कम्बल बिछाकर बैठ जाएं। अब दोनों पैरों के बीच में अंतर रखते हुए सामने की तरफ फैला दें। इसके बाद बाएं पैर को घुटने से मोड़कर शरीर की ओर खींच ले और दाहिने पैर की जंघा के पास रखें। अब बाएं पैर की एड़ी से दबाव बनाकर पैर के तलवे को जांघ से सटाकर अंगूठे व उंगलियों को दाहिने पैर के घुटने से दबा दें। अब दाहिने पैर को भी इसी तरह से मोड़कर बाएं पैर की जंघा और घुटने के बीच रखे ताकि एड़ी बायीं पैर की जंघा संधि पर दबाव बनाए तथा अंगूठे व उंगलियों के बीच आ जाएं। धड़ को सीधा और आराम की अवस्था में रखें। दोनों हाथों को सीधे फैलाकर घुटनों पर रख दें और हथेलियां खुली हुई व सीधी होनी चाहिए। तर्जनी उंगली और अंगूठा एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रहने चाहिए।
ब्रह्मचर्यासन के लाभ : Brahmacharyasana ke Fayde / Benefits in hindi
- इस आसन द्वारा रक्त संचार सुचारु रूप से होने लगता है।
- इसके द्वारा वीर्य को संरक्षित करके वीर्य वृद्धि की जाती है।
- आधा सीसी दर्द के दौरान इस आसन से बहुत आराम मिलता है।
- यदि कोई अप्रिय घटना बहुत प्रयत्न करने के बाद भी नहीं भुलाई जा रही हो तो इस आसन का अभ्यास करने से कुछ दिनों व्यक्ति उस घटना को भूल सकता है।
- इस आसन से ब्रह्मचर्य साधकों में काम भाव और कामुकता के भाव ख़त्म हो जाते है और ब्रह्मचर्य पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।
- इस आसन से युवावस्था में बहुत लाभ मिलते है इससे स्वप्नदोष, मस्तिष्क में बुरे विचार और तनाव जैसी समस्या से मुक्ति मिल सकती है।
- पचास वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति इस आसन द्वारा अलौकिक शक्ति को प्राप्त कर सकते है। 8. इस आसन से स्त्री और पुरुष दोनों को समान रूप से लाभ मिलता है।
Brahmacharyasana Yoga Mudra Health Benefits
इसे भी पढ़े
- अधोमुखश्वानासन योग - परिचय, विधि एवं लाभ
- पश्चिमोत्तानासन योग विधि, लाभ और सावधानी
- नौकासन योग विधि, लाभ और सावधानियां
- सूर्य नमस्कार की स्थितियों में विभिन्न आसनों का समावेष एवं उसके लाभ
- अनुलोम विलोम प्राणायामः एक संपूर्ण व्यायाम
- प्राणायाम और आसन दें भयंकर बीमारियों में लाभ
- वज्रासन योग : विधि और लाभ
- सूर्य नमस्कार का महत्त्व, विधि और मंत्र
- प्राणायाम के नियम, लाभ एवं महत्व
- मोटापा घटाने अचूक के उपाय
हिन्दू विवाह - संस्कार है या संविदा
हिन्दू विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें जो शरीर एकनिष्ठ हो जाते है, किन्तु वर्तमान कानून हिन्दू विवाह की ऐसी तैसी कर दिया है। हिन्दू विवाह को संस्कार से ज्यादा संविदात्मक रूप प्रदान कर दिया है जो हिन्दू विवाह के स्वरूप को नष्ट करता है। हिन्दू विवाह में कन्यादान पिता के रूप में दिया गया सर्वोच्च दान होता है इसके जैसा कोई अन्य दान नहीं है।
विवाह के पश्चात एक युवक और एक युवती अपना वर्तमान अस्तित्व को छोड़कर नर और नारी को ग्रहण करते है। हिन्दू विवाह एक बंधन है न की अनुबंध, विवाह वह पारलौकिक गांठ है जो जीवन ही नही मृत्यु पर्यन्त ईश्वर भी नही मिटा सकता है किन्तु भारत के कुछ बुद्धिजीवियों ने हिन्दू विवाह की रेड़ मार कर रख दी है इसको जितना पतित कर सकते थे करने की कोशिश की है। भगवान मनु कहते है कि पति और पत्नी का मिलन जीवन का नहीं अपितु मृत्यु के पश्चात अन्य जन्मों में भी यह संबंध बरकरार रहता है। हिन्दू विवाह पद्धति में तलाक और Divorce शब्द का उल्लेख नही मिलता है जहां तक विवाह विच्छेद का सम्बन्ध है तो उसके शब्द संधि द्वारा बनाया गया। अत: हिन्दू विवाह अपने आप में कभी खत्म होने वाला संबंध नहीं है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मानव जीवन को चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, सन्यास आश्रम तथा वानप्रस्थ आश्रम) में विभक्त किया गया है और गृहस्थ आश्रम के लिये पाणिग्रहण संस्कार अर्थात विवाह नितांत आवश्यक है। हिंदू विवाह में शारीरिक संम्बंध केवल वंश वृद्धि के उद्देश्य से ही होता है।
वयस्कता प्राप्त करने पर,संतानों को मनमानी करने का फैसला निश्चित रूप से हिन्दू ही नहीं अपितु पूरे भारतीय समाज के लिये गलत था। क्या मात्र 18 वर्ष की सीमा पार करने पर ही पिछले 18 वर्षों के संबंध को तिलांजलि देने के लिये पर्याप्त है?
1914 के गोपाल कृष्ण बनाम वैंकटसर में मद्रास उच्च न्यायालय ने हिन्दू विवाह को स्पष्ट करते हुए कहा कि हिन्दू विधि में विवाह को उन दस संस्कारों में एक प्रधान संस्कार माना गया है जो शरीर को उसके वंशानुगत दोषों से मुक्त करता है।
इस प्रकार हम देखेंगे तो पाएंगे कि हिन्दू विवाह का उद्देश्य न तो शारीरिक काम वासना को तृप्त करना है वरन धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति करना है। आज हिन्दू विवाह को कुछ अधिनियमों ने संविदात्मक रूप प्रदान कर दिया है तो हिन्दू विवाह के उद्देश्यों को छति पहुँचाता है।
अभी बातें खत्म नहीं हुई और बहुत कुछ लिखना और कहना बाकी है। समय मिलने पर इस संदर्भ में बात करूँगा।