हमारे महापुरुष इतना लिख गये है कि अगर इससे हम सीख लेना चाहे तो काफी कुछ सीखा जा सकता है कि किसी व्यक्ति को ठोकर खाकर सीखने की जरूरत नहीं पड़ेगी किन्तु अगर कोई इंसान ठोकर खाकर भी न सीखे तो उससे बदनसीब कोई न होगा।
आज हृदय में यह भाव अनायास नहीं निकल रहा है, जब कभी दिल काफी भारी होता है तो यह सोचना भी मजबूरी हो जाती है। कभी कभी लोगों के र्निद्देश्य प्रलापो को देख कर लगता है मन यही कहता है कि हे भगवान तू इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है कि इस दुनिया को इतने सारे रंग कैसे हो जाते है ?
कभी कभी हम किसी को कितनी भी ज्ञान की बात क्यों न बताएं, किंतु वह सुन कर भी अनसुनी कर देता है। हमें लगता है कि मैंने अपने जीवन में जितनी भी अच्छी बात सीखी है वह बता दिया किंतु सामने वाला आपको इस दृष्टि से देखे कि बोल ले बेटा बोल ले ‘कुत्ता भी भौंक कर शांत हो जाता है तू भी हो जायेगा’। निश्चित रूप से ऐसे लोग कभी भी जीवन में सफल नहीं हो पाते है जो दूसरों के भावों को नही समझते है और अपने को तो अंधकार में ले ही जाते है साथ में कुछ अबोध उनके साथ होते है। वे उनको भी अपनी गति पर ले जाते है।
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7 टिप्पणियां:
भाई, कुछ पल्ले नहीं पड़ा। किस सन्दर्भ में यह बात कही जा रही है?
अरे क्या हो गया है?
lagta hai garmi aaj kal jayda padh rahi hai :))
Insaan ka vichar uske andar rahe wahi achchha...waise vichar ooper aa jayein to bhi kuchh bura nahin...vicharon ka kya hai...logon ke vichar ek doosare ke saath nahin milein...vichar karne waali baat ye hai ki vichar milenege kaise...milne ke liye ek vaicharik vyawastha ka hona nihaayat hee zaroori hai...aur aisi vyawastha ko laane par humein vichar karna hee chaahiye...vyawastha kee baat chali to mera ek vichar main preshit karta chaloon...har vyawastha ke khilaaf log apna vichaar lekar aayenge hee...usnke vicharon par amal karna ya na karna samanewaale kee vichardhara par nirbhar karta hai...ek aisi vichardhara jiske tahat auron ke vicharon kee awahelna na ho...vciharneey baat hai ki nahin?..boliye.
Is post mein jis jaanwar ka zikr kiya gaya hai, lag raha hai usi ne likha hai.
Bhai sahab kuchh aisee baaten likhiye ki log aapko paagal na samajhen.
बेनाम जी आपने मेहनत काफी किया है चाह कर के भी हटाने की इच्छा नही कर रही है। :)
कुछ संदर्भ को विस्तार दो, तो हम भी समझें कि माजरा क्या है.
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